<p style=”text-align: justify;”>पंजाब में विधानसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी ने तीन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. डेरा बाबा नानक सीट से सरदार रविकरण कहलों, गिद्देरबाहा से सरदार मनप्रीत बादल और बरनाला से सरदार केवल सिंह ढिल्लों को मैदान में उतारा है. मनप्रीत बादल ने जनवरी 2023 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे. वो शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के चचेरे भाई हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/22/169d327a25471799aea39728f0f1e1221729594168917129_original.jpg” /></p> <p style=”text-align: justify;”>पंजाब में विधानसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी ने तीन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. डेरा बाबा नानक सीट से सरदार रविकरण कहलों, गिद्देरबाहा से सरदार मनप्रीत बादल और बरनाला से सरदार केवल सिंह ढिल्लों को मैदान में उतारा है. मनप्रीत बादल ने जनवरी 2023 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे. वो शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के चचेरे भाई हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/22/169d327a25471799aea39728f0f1e1221729594168917129_original.jpg” /></p> पंजाब Bihar News: पेपर लीक मास्टरमाइंड संजीव मुखिया के घर EOU की रेड, नालंदा में सर्च वारंट के साथ पहुंची टीम
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हरियाणा सरकार की ‘हैप्पी स्कीम’:CM सैनी ने कार्ड बांटे; डेली 30 किमी और साल में 1000 किमी यात्रा फ्री कर सकेंगे हरियाणा में आज शुक्रवार से हैप्पी कार्ड स्कीम शुरू कर दी गई है। इसकी शुरूआत CM नायब सैनी ने करनाल से की। इसके साथ ही राज्य के सभी 36 डिपो और सब डिपो पर कार्ड स्कीम शुरू हो गई है। हरियाणा अंत्योदय परिवार परिवहन योजना (हैप्पी स्कीम) के तहत लोग रोजाना 30 किलोमीटर और साल में 1 हजार किमी फ्री सफर कर सकेंगे। इसका फायदा सालाना 1.80 लाख से कम आमदनी वाले परिवारों को मिलेगा।
हिसार में कांग्रेस सांसद के पुतले को सैंडलों से पीटा:भाजपा महिला मोर्चा का प्रदर्शन, किरण पर विवादित टिप्पणी पर पर भड़की
हिसार में कांग्रेस सांसद के पुतले को सैंडलों से पीटा:भाजपा महिला मोर्चा का प्रदर्शन, किरण पर विवादित टिप्पणी पर पर भड़की हिसार में सिरसा रोड स्थित भाजपा कार्यालय के सामने आज शाम भाजपा से जुड़ी महिलाओं ने कांग्रेस सांसद जयप्रकाश जेपी का पुतला फूंका और उसे जूते-चप्पल मारे। भाजपा महिला मोर्चा ने जयप्रकाश के उस बयान की निंदा की जिसमें उन्होंने किरण चौधरी के बारे में कहा था कि महिला राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं हो सकती। बंसीलाल के परिवार में पुरुष ही राजनीतिक वारिस हो सकता है।
जयप्रकाश के इस बयान का भाजपा महिला मोर्चा ने कड़ा विरोध किया है। महिलाओं ने जयप्रकाश के विरुद्ध नारेबाजी भी की। भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री गायत्री यादव के नेतृत्व में प्रदर्शन किया। जेपी के बयान की कड़ी निंदा करते हुए भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री गायत्री देवी ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही महिलाओं का अपमान किया है। कांग्रेस नेताओं को दी नसीहत
भाजपा नेत्री गायत्री यादव ने कांग्रेस के नेताओं को नहीं पता कि भारतीय संस्कृति में महिलाएं ही परिवार की असली विरासत को संभालती थी और महिलाएं ही परिवारों की मुखिया होती थी। भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को मान सम्मान देते हुए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को सार्थक किया। महिलाओं को लोकसभा, विधानसभा चुनाव में 33% आरक्षण दिया, पंचायतों में 50% आरक्षण दिया, लेकिन कांग्रेस ने हमेशा ही महिलाओं का अपमान किया और उन्हें नीचा दिखाने का कार्य किया है। जेपी का बयान घटिया मानसिकता का परिचायक
प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने कहा कि हाल ही में भाजपा नेत्री किरण चौधरी के विषय में बोलते हुए जयप्रकाश ने कहा था कि असली विरासत महिलाएं नहीं पुरुष होते हैं, जो उनकी घटिया मानसिकता का परिचायक है। कांग्रेसी नेता 5 सीट जीतने के बाद घमंड से भरे हुए हैं और हमेशा ही घमंडियां बात करते हैं। बहन- बेटियों और महिलाओं की इज्जत करना कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के नेताओं को नहीं आता है। महिलाओं ने जय प्रकाश जेपी सांसद हिसार से सार्वजनिक रूप से महिलाओं से माफी मांगने को कहा है। यदि जयप्रकाश जेपी माफी नहीं मांगते हैं तो भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा उनके खिलाफ पूरे हरियाणा में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इस अवसर पर प्रोमिला पुनिया, कौशल्या, कृष्णा, दिनेश, सुनीता, कृष्णा, पूनम जांगड़ा, पूनम, सुमन, प्रीति रानी, प्रिया और गोल्डी उपस्थित रही।
49 डिग्री वाले UP के सबसे गर्म इलाके से रिपोर्ट:राजस्थानी हवाओं से तप रहा बुंदेलखंड, पत्थर जल्द ठंडे नहीं होते; 4 दिन में 65 मौतें
49 डिग्री वाले UP के सबसे गर्म इलाके से रिपोर्ट:राजस्थानी हवाओं से तप रहा बुंदेलखंड, पत्थर जल्द ठंडे नहीं होते; 4 दिन में 65 मौतें उत्तर प्रदेश में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। सबसे ज्यादा तप रहा है बुंदेलखंड। राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमाओं से लगे इस क्षेत्र के पहाड़ आग उगल रहे हैं। 4 दिनों में यहां तापमान 49 डिग्री पार पहुंच गया। इस वजह से पहाड़ों का तापमान 70 डिग्री तक पहुंच गया है। गर्मी इतनी भीषण है कि यहां चार दिन में 65 लोगों की मौत हो गई। रात का तापमान भी 40 डिग्री पार कर चुका है। लोग बेचैन हैं, घर से निकलने में डर रहे हैं। जो निकल रहे, उन्हें प्रशासन रोक रहा है। डुगडुगी बजाकर लोगों को घर में रहने के लिए बोल रहा, जिससे मौतों के आंकड़े को आगे बढ़ने से रोका जा सके। ये माहौल बता रहा है, इस बार गर्मी सामान्य नहीं है। बुंदेलखंड में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। दैनिक भास्कर की टीम उत्तर प्रदेश के इन सबसे गर्म इलाकों से रिपोर्ट कर रही है। हमारे रिपोर्टर भीषण गर्मी में इन इलाकों के हालात बताने के साथ कारण भी बताएंगे… सबसे पहले गर्मी से डराने वाले मौत के ये तीन केस देखिए केस-1. महोबा में गुरुवार को 25 साल का युवक मवेशियों को पानी पिलाते समय अचानक जमीन पर गिरा और मर गया। केस-2. बांदा में घर से एक युवक चाय बेचने निकला। रास्ते में चक्कर आने पर साइकिल समेत गिर पड़ा। परिवार वाले अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उसे मृत बता दिया गया। केस-3. हमीरपुर में एक महिला खेत से काम करके घर लौटी। घड़े का पानी पिया और कुछ देर बाद बेहोश होकर गिर पड़ी। अस्पताल ले गए तो डॉक्टरों ने उसे मृत बता दिया। अब आपको बुंदेलखंड ले चलते हैं, जहां गर्मी की वजह से हालात बद से बदतर हैं भीषण गर्मी में हम बुंदेलखंड पहुंचे। सबसे पहले महोबा में रुके। यहां के थाना श्रीनगर के पिपरामाफ गांव में 3 दिन पहले एक युवक की मौत हो गई थी। उसकी उम्र मात्र 25 साल थी। युवक पशुबाड़े में जानवरों को पानी पिलाने गया था। वहां अचानक बेहोश हो गया। गांव के लोग उसको अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक दम तोड़ चुका था। जब हम इस गांव में पहुंचे, तो चारों ओर एक अजीब-सा सन्नाटा दिखा। दूर-दूर तक कोई नहीं दिख रहा था। गांव में घने और लंबे पेड़ लगे थे। उसके बाद भी धूप ऐसी कि सिर चकरा रहा था। लग रहा था, आसमान से आग बरस रही है। हाथ-पैर ढके थे, फिर भी चैन नहीं मिल रहा था। हम लोग बीच-बीच में पानी पी रहे थे। कोशिश कर रहे थे, छांव-छांव ही चलें। सन्नाटे के बीच गांव के एक बुजुर्ग छोटी-सी गुमटी खोले दिखे। उनका नाम नन्हे है। उनकी गुमटी में छोटा-सा पंखा लगा था। ऊपर से पेड़ की छांव थी। गुमटी के अंदर पानी की बोतलों के साथ बर्फ के पैकेट भी रखे थे। नमकीन और बिस्किट के पैकेट रखे थे। हम उनके पास पहुंचे तो उन्होंने हमसे सबसे पहले यही कहा कि इतनी गर्मी में बाहर क्यों निकले हो? हमने उनको अपना परिचय बताया, तो उन्होंने पानी पिलाने के साथ बैठने के लिए कहा। साथ में पंखा हमारी तरफ घुमा दिया। हमने उनसे गर्मी के बारे में बात की, तो बोले- भइया 65 साल की उम्र में पहली बार ऐसी गर्मी देख रहे हैं। लगता है, जान ही निकल जाएगी। न कुछ खाने का मन करता है, न कहीं जाने का। बस मन करता है, पानी ही पीते रहें। पसीना पोंछते-पोंछते गमछा गीला हो जाता है, लेकिन पसीना निकलना बंद नहीं होता। हमारे गांव का लड़का देखते-देखते दम तोड़ गया
नन्हे कहते हैं- इससे पहले जो गर्मी पड़ी, उसमें घर को गोबर से लीप देते थे तो ठंडा हो जाता था। लेकिन, इस बार तो कुछ असर नहीं कर रहा। जमीन पर पानी डालो, तो वो आग जैसी तपिश बाहर फेंकने लगती है। पंखा-कूलर सब बेअसर हो गया है। रात में भी ऐसी ही गर्मी बनी रहती है। रात में सोते हैं, तो बेचैनी बनी रहती है। जैसे ही झपकी लगती है, पूरा शरीर पसीने से तर-बतर हो जाता है। हम लोगों के साथ जवान लोगों का भी बुरा हाल है। हमारे गांव का अनंता विश्वकर्मा (25) जानवरों को पानी पिला रहा था। उसको ऐसी लू लगी कि पशुबाड़े में गिरते ही मर गया। हम लोग तो सबको घर से बाहर निकलने से मना करते हैं। हमारे सामने तो घर चलाने की भी जिम्मेदारी है, तभी दुकान खोलकर बैठ जाते हैं। बाकी गांव वालों की हालत तो बहुत खराब है। चारों तरफ पथरीले पहाड़ों से घिरे महोबा के ये बुजुर्ग तो उदाहरण मात्र हैं। ऐसी ही कहानी सभी की दिखाई दी। यहां पहाड़ों के बीच जब सड़कों से गुजरो, तो लगता कि कई भट्ठी के बीच से गुजर रहे हों। हमीरपुर में एक बुजुर्ग घर से निकलते ही बेहोश हुए और मौत हो गई
महोबा के बाद हमारी टीम हमीरपुर पहुंची। जहां 4 दिन में 32 लोग जान गंवा चुके हैं। हालांकि प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की। हमीरपुर के राठ नगर के मियांपुरा मोहल्ले में एक 60 साल के बुजुर्ग की घर से निकलते ही मौत हो गई। वो घर से निकलते ही बेहोश हो गए। हम लोग सबसे पहले उसी बुजुर्ग के मोहल्ले में पहुंचे। वहां हमें उस बुजुर्ग का बेटा गनेश मिला। गनेश ने बताया- यहां हालत बहुत खराब है। पहाड़ों की गर्मी का असर सबसे ज्यादा है। पूरा क्षेत्र पहाड़ों से घिरा है। बाहर तो छोड़ो, घर के अंदर चैन नहीं है। पंखे में भी पसीना आता है, पंखे की हवा लपट-सी लगती है। बाहर निकल जाओ तो ऐसा लगता है कि बेहोश हो जाएंगे। गर्म हवा के थपेड़े पूरे शरीर को जला देते हैं। इतनी घबराहट होती है, लगता है सांस ही नहीं आएगी। गनेश बताते हैं- हम लोग गर्मी से बचाव के लिए सत्तू का सहारा ले रहे हैं, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं दिख रहा। पिताजी भी उस दिन सत्तू पीकर घर से निकले थे। लेकिन घर से निकलते ही वो गिर गए। हम लोग उनको अस्पताल ले गए, तो उनको डॉक्टरों ने मृत बता दिया। अस्पताल में डॉक्टर बोल रहे थे, गर्मी की वजह से दिल और दिमाग दोनों काम करना बंद कर दे रहे हैं। लू, तेज धूप, तपन की वजह से अंदर का सारा सिस्टम डैमेज हो रहा है। ऐसी गर्मी पहले कभी नहीं देखी। हमारे मोहल्ले में बहुत ज्यादा गाड़ी और AC भी नहीं हैं, फिर भी हमेशा आग बरसती रहती है। हमारी टीम जब झांसी पहुंची, तो वहां का हाल भी बहुत बुरा था। जूते पहनने के बाद भी ऐसा लग रहा था, जैसे पैर जल रहे हैं। कपड़े भी शरीर को बचा नहीं पा रहे थे। धूप में तपने वाले पहाड़ों के बीच से निकले तो ऐसा लगा पूरा शरीर झुलस गया। आंखों में तेज जलन हो रही थी। चेहरा पूरा लाल हो गया था। दूर-दूर तक कोई दिख नहीं रहा था। पहाड़ वाले एरिया से दूर जाने पर हमें कुछ लोग दिखाई पड़े। लोग बोले- पसीने से दिन भर कपड़े गीले ही रहते हैं
जब हमने उनसे गर्मी के बारे में पूछा तो बोले- भइया दिन भर गीले कपड़े पहने रहते हैं, क्योंकि पसीने की वजह से सूख ही नहीं पाते। रात में बस धूप नहीं होती, तपन और आग दिन की तरह की बरस रही होती है। हालत बहुत खराब है। हम लोग यही सोचते हैं कि इस गर्मी से कब राहत मिलेगी? ऐसा ही हाल हमें चित्रकूट, बांदा, जालौन और ललितपुर में भी देखने को मिला। वहां पर भी गर्मी से लोग बेहाल हैं। यूपी में सबसे ज्यादा बुंदेलखंड क्यों तपता है… 3 पॉइंट में समझिए पहला कारण- राजस्थान की हवाएं पत्थरों से टकरा रहीं
कृषि विज्ञान और केंद्र भरारी के मौसम वैज्ञानिक डॉ. आदित्य कुमार सिंह ने बताया- राजस्थान से आने वाली गर्म हवाएं सबसे पहले बुंदेलखंड से टकराती हैं। इसलिए यहां का तापमान ज्यादा रहता है और हवाएं भी गर्म रहती हैं। राजस्थान की रेत रात में ठंडी हो जाती है, इसलिए वहां तापमान में हल्की गिरावट आती है। लेकिन बुंदेलखंड पथरीला क्षेत्र है, यहां पत्थर इतनी जल्दी ठंडे नहीं होते। इनकी तपिश से रात में भी गर्माहट बनी रहती है। दूसरा कारण- बुंदेलखंड में कंटीले पेड़, हवा में ठंडक नहीं होती
बुंदेलखंड में पेड़-पौधे बहुत कम हैं। दूर-दूर तक सड़कों पर न के बराबर पेड़ दिखाई देते हैं। जो पेड़ हैं वो भी कंटीले हैं। इससे यहां लोगों को धूप से बचाव के लिए छांव नहीं मिल पाती। साथ ही पेड़-पौधे न होने की वजह से हवा भी फ्रेश और ठंडी नहीं मिल पाती। जो हवा आती भी है, वो पत्थर की तपिश में गर्म हो जाती है। तीसरा कारण- पहाड़ों में बिल्कुल नमी नहीं, लंबे समय तक गर्म रहते हैं
बुंदेलखंड के पहाड़ पथरीले और चट्टानी हैं। यहां के पहाड़ों में नमी नहीं है। इस वजह से धूप में ये पहाड़ और गर्म हो जाते हैं। लंबे समय तक ये पहाड़ गर्माहट को अपने अंदर समेटे रहते हैं। रात में भी नहीं घटता, बुंदेलखंड का तापनाम…पढ़िए क्यों मौसम वैज्ञानिक डॉ. आदित्य कुमार सिंह बताते हैं- बुंदेलखंड में अगर तापमान 45 से ऊपर है तो यहां के पत्थरों का तापमान 65-70 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। ऐसे में ये पहाड़ आग फेंकते हैं। जो लोग इन पहाड़ों के पास से गुजरते हैं, उनकी हेल्थ के साथ स्किन पर भी बुरा असर पड़ता है। रात में भले ही धूप की तपिश नहीं होती, लेकिन ये पहाड़ धूप से ज्यादा तेज तपते हैं। बुंदेलखंड में बारिश में उमस बहुत बढ़ जाती है
डॉ. आदित्य के मुताबिक, जब हल्की बारिश होती है तो बुंदेलखंड में बहुत ज्यादा उमस होती है। कारण है, तपते पहाड़। जब इन पहाड़ों पर पानी पड़ता है, तो ये तवा की तरह रिएक्ट करते हैं। जिसकी वजह से पूरे क्षेत्र में काफी उमस हो जाती है। हल्की बारिश का इन पहाड़ों पर कोई असर नहीं पड़ता। भारी बारिश के बाद ही ये कुछ ठंडे पड़ते हैं। इस बार अच्छी बारिश की भी उम्मीद है। क्योंकि नौतपा में अगर ज्यादा गर्मी पड़ती है तो बारिश भी ज्यादा ही होती है। बुंदेलखंड में भीषण गर्मी से पक्षियों की भी हो रही मौतें
गर्मी से इंसान ही नहीं, जानवर भी परेशान हैं। बुंदेलखंड में गर्मी से करीब 10 हजार चमगादड़-तोते जान गंवा चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा संख्या बांदा में है। बांदा के अतर्रा थाना क्षेत्र में एक ऑक्सीजन पार्क है। जहां 2000 से ज्यादा चमगादड़ मृत पाए गए हैं। स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी प्रशासन को दी। सूचना मिलने पर आई टीम ने मृत चमगादड़ों को इकट्ठा कर किनारे किया। पशुपालन विभाग ने इन चमगादड़ों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। इतनी बड़ी संख्या में चमगादड़ों की मौत से स्थानीय लोगों ने बीमारी फैलने की आशंका जताई है। प्रशासन से दवा के छिड़काव की मांग की है। इसी तरह ललितपुर में भी 5000 से ज्यादा चमगादड़ों की मौत हाे चुकी है।