<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली के किशनगढ़ के नंद लाल भवन में 2 कमरों वाले फ्लैट में बुधवार को आग लग गई. इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई है. मौके पर 2 दमकल गाड़ियां और 3 पीसीआर वैन पहुंची हैं. सभी एजेंसियों के संयुक्त प्रयास से आग पर काबू पाया गया है.</p> <p style=”text-align: justify;”>दिल्ली के किशनगढ़ के नंद लाल भवन में 2 कमरों वाले फ्लैट में बुधवार को आग लग गई. इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई है. मौके पर 2 दमकल गाड़ियां और 3 पीसीआर वैन पहुंची हैं. सभी एजेंसियों के संयुक्त प्रयास से आग पर काबू पाया गया है.</p> दिल्ली NCR ‘लाल स्याही से लिख लें नाम, सबका हिसाब होगा’, इन अफसरों को शिवपाल सिंह यादव की चेतावनी
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पंजाब सरकार हाईकोर्ट में आज दाखिल करेगी जवाब:मोहाली का गांव छोड़ने का प्रस्ताव हुआ था पास, लक्खा सिधाना आए थे पक्ष में
पंजाब सरकार हाईकोर्ट में आज दाखिल करेगी जवाब:मोहाली का गांव छोड़ने का प्रस्ताव हुआ था पास, लक्खा सिधाना आए थे पक्ष में पंजाब के मोहाली जिले में स्थित गांव मुद्दू संगतियां में कुछ समय पहले प्रवासी लोगों को गांव छोड़ने संबंधी एक प्रस्ताव पास किया गया था। अब यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में आज पंजाब सरकार की तरफ से अदालत में जवाब दाखिल किया जाएगा। एडवोकेट वैभव वत्स की ओर से कोर्ट में इस संबंध में याचिका दायर की गई है। उनका कहना है कि संविधान हर नागरिक को अपनी पसंद की जगह पर रहने का अधिकार देता है। इस तरह प्रवासी मजदूरों को गांव से निकालकर उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है। जो एक गंभीर मुद्दा है। गांव के सरपंच सहमत नहीं थे उन्होंने याचिका में मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला दिया है। उनका कहना है कि यह मामला 1 अगस्त को उनके संज्ञान में आया। उन्हें पता चला कि गांव में एक प्रस्ताव पारित किया गया है। इसमें प्रवासी लोगों को गांव छोड़ने के लिए कहा गया है। हालांकि, गांव के सरपंच इस पर सहमत नहीं थे। इस वजह से गांव में रह रहे प्रवासी परिवार मुश्किल में है। उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर अन्य चीजें प्रभावित हो रही हैं। लोगों को रोजगार मिलने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रस्ताव पास करने को दिया था यह तर्क गांव में जब यह प्रस्ताव पास गया तो यह तर्क दिया गया था कि प्रवासी लोगों के रहने के कारण इलाके में आपराधिक और असामाजिक गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। कुछ आपराधिक घटनाओं में प्रवासी लोगों को संलिप्तता पाई गई थी। ऐसे में गांव वालों ने मजबूरी प्रस्ताव पास किया गया है। इनकी वजह से आने वाली पीढ़ी पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। गांव में किसको रहना है और किसको नहीं, इसका फैसला करना पंचायत का अधिकार क्षेत्र है। इसी कारण ग्रामीणों ने मिलकर इस तरह का फैसला लिया है। ऐसे हुई लक्खा सिधाना की एंट्री मामले ने जब तूल पकड़ा तो पुलिस-प्रशासन एक्टिव हो गया। पुलिस ने इस मामले में पंचायत से पड़ताल शुरू की थी तो किसान आंदोलन में भाग ले चुके लक्खा सिधाना ग्रामीणों के पक्ष में पहुंच गए। उन्होंने ग्रामीणों के फैसले की सराहना की है। उन्होंने कहा कि पूरे पंजाब में यह लोग आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। पंजाब की सभी पंचायतों को इस तरह का फैसला लेना चाहिए। भंग हो चुकी पंचायत गांव मुद्दों संगतियां समेत पूरे पंजाब में पंचायतें भंग हो चुकी हैं। क्योंकि पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो गया था। अभी तक चुनाव की नई तारीख घोषित नहीं हुई है। हालांकि इससे यह बात साफ है कि पंचायत की तरफ से इस बारे में प्रस्ताव नहीं डाला गया है। पुलिस भी कर रही है मामले की जांच यह मामला सामने आया था उसके बाद पुलिस ने मामले की पड़ताल की थी। उस समय डीएसपी धर्मवीर सिंह ने बताया था कि गांव के मौजूदा सरपंच से बात हुई है। उनका कहना है कि गांव में कोई भी व्यक्ति आकर रह सकता है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि पूरा मामला उच्च अधिकारियों के ध्यान में है। इस मामले में जांच की रिपोर्ट आने के बाद जो भी उचित कार्रवाई होगी, वह की जाएगी।
भाखड़ा नहर में डूबे दो नाबालिग दोस्त:एक को बचाने के प्रयास में दूसरा भी कूदा, पानी के तेज बहाव में हुआ लापता
भाखड़ा नहर में डूबे दो नाबालिग दोस्त:एक को बचाने के प्रयास में दूसरा भी कूदा, पानी के तेज बहाव में हुआ लापता गर्मी में भाखड़ा नहर में नहाने के शौक में दो नाबालिग लड़के डूब गए। पानी के तेज बहाव में कूदे 14 साल के दोस्त को बचाने की कोशिश में 17 साल का दोस्त भी डूब गया। यह घटना शनिवार देर शाम को अबलोवाल गांव से गुजर रही भाखड़ा नहर में हुई है। नहर में डूबने वालों की पहचान 14 साल के करन व 17 साल के साहिल के तौर पर हुई है, जिनकी तलाश में गोताखोरों की टीम जुट गई थी। देर शाम तक इन दोनों का सुराग नहीं लग पाया है। घर से बिना बताए निकले थे नहर नहर में डूबने वाले नाबालिग युवकों के परिवार वालों ने कहा कि उन्हें बिना बताए यह लोग घर से निकले थे। बाद में पता चला कि चार युवक नहर में नहाने पहुंचे थे और 14 साल के करन के नहर में कूदने के बाद उसे बचाते समय साहिल भी तेज बहाव में डूब गया। भोले शंकर डाइवर्स क्लब के गोताखोर शंकर भारद्वाज व उनकी टीम इनकी तलाश में जुटी थी।
‘जो लोग संपत्तियों पर…’, वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन को लेकर बोले मोहन यादव के मंत्री
‘जो लोग संपत्तियों पर…’, वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन को लेकर बोले मोहन यादव के मंत्री <p style=”text-align: justify;”><strong>MP Waqf Board Sanwar Patel News:</strong> केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर अंकुश लगाने को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार जल्द ही वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन से जुड़ा एक बिल संसद में पेश कर सकती है. वक्फ अधिनियम में बदलाव लाने की तैयारी पर मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एमपी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने कहा, ”अगर ऐसा कोई संशोधन आ रहा है तो हम उसका स्वागत करते हैं. जो लोग संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ा कर लेते हैं उनपर लगाम लगेगी. जो अभी वर्तमान में वक़्फ़ कानून है उसमे जो गरीब मुसलमान है उनको फायदा नहीं मिलता है. विपक्षी पार्टियों का काम ही मुस्लिमों को भड़काने का रहा है.” </p>
<p style=”text-align: justify;”>न्यूज एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक इसके तहत वक्फ बोर्ड अधिनियम में 40 से अधिक संशोधनों किए जा सकते हैं. कैबिनेट ने शुक्रवार को इस अधिनियम में लगभग 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है, इसमें प्रस्तावित बदलाव वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को वक्फ संपत्ति के रूप में नामित करने की शक्ति को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>क्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधनों का मकसद किसी भी संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ के रूप में नामित करने के बोर्ड के अधिकार पर अंकुश लगाना है. जानकारी के मुताबिक इस बिल को अगले हफ्ते संसद में पेश किये जाने की उम्मीद की जा रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों ने कहा कि अगर यह बिल पारित हो जाता है, यह भारत में वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट और ट्रांसफर में एक बड़े बदलाव को लेकर आएगा, जिसके जरिए अन्य इस्लामी देशों में वक्फ बोर्ड के पास जो ताकत है उसके हिसाब से यह काम कर पाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों की मानें, अगर विधेयक पारित होता है, तो वक्फ बोर्डों की ओर से किए गए सभी दावों को अनिवार्य और पारदर्शी सत्यापन की जरुरत होगी. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस विधेयक को अक्टूबर में होने वाले हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पेश किया जाना तय किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
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