प्रोफेसर की जॉब छोड़ बुनकारी में बनाया करियर:काशी की डॉ.अंगिका पाइनएप्पल के पत्तों से तैयार कर रहीं धागे, बनारसी साड़ी में नया प्रयोग

प्रोफेसर की जॉब छोड़ बुनकारी में बनाया करियर:काशी की डॉ.अंगिका पाइनएप्पल के पत्तों से तैयार कर रहीं धागे, बनारसी साड़ी में नया प्रयोग

‘रेशम महंगा होता है, इसलिए इससे बनने वाली साड़ियां भी महंगी होती है। मैंने पाइनएप्पल पर रिसर्च की है। इसकी फसल के बाद पौधों को जला दिया जाता है। मैंने पौधों की पत्तियों के रेशे को प्रोसेस किया। कॉटन के साथ मिक्स करके धागे बनाए। इन्हीं से कपड़े तैयार कर रही हूं।’ यह कहना है काशी की डॉ. अंगिका कुशवाहा का। उन्हें रेशमी वस्त्र परिधानों की सर्वोत्तम डिजाइन की कैटेगरी में पंडित दीन दयाल रेशम रत्न अवॉर्ड- 2024 मिला है। अंगिका बुनकारी में प्रोफेसर की जॉब छोड़कर आई। दैनिक भास्कर ने अंगिका से बातचीत की… पहले अंगिका कुशवाहा के बारे में जानिए… नेशनल अवॉर्ड पाने वाले अमरेश कुशवाहा की बेटी हैं अंगिका
अमरेश कुशवाहा को हथकरघा और बुनकारी में निरंतर प्रयासों की वजह से नेशनल अवॉर्ड मिला है। वह रामनगर के साहित्यनका इलाके में अंगिका हथकरघा विकास उद्योग सहकारी समिति लिमिटेड का संचालन करते हैं। अमरेश ने कहा- उसी साल हमने इस सहकारी समिति का रजिस्ट्रेशन करवाया। गोलाघाट रामनगर में स्थित इस समिति से 400 बुनकर जुड़े हुए हैं। अंगिका दिन-रात अब अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रही है। वनस्थली राजस्थान से की है PHed
अंगिका ने बताया- बचपन से ही घर में हैंडलूम, बुनकारी, रेशम, बुनकर, साड़ियां, खरीदार को आते-जाते देखा। बड़ी हुई तो यह सब अच्छा लगने लगा। ऐसे में वनस्थली विश्वविद्यालय से डिजाइन में बैचलर और मास्टर के बाद टैक्स्टाइल में पीएचडी की। इस दौरान घर के व्यवसाय से जुड़ी रही और कई सारी डिजाइन बनाई। अंगिका ने कहा – मैं पिछले 8 सालों से अपने पिता की सहकारी समिति, जिनसे 800 बुनकर जुड़े हुए हैं। उनके लिए डिजाइन बनाने का काम कर रही हूं। मेरा बस एक ही लक्ष्य है कि जो बनारस की ट्रेडिशनल बुनकारी है, उसे बचाया जाए। क्योंकि बनारस का हैंडलूम खत्म हो रहा है। एक साल पढ़ाया, फिर शुरू की रिसर्च
अंगिका ने बताया- 2023 में वनस्थली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में टैक्स्टाइल में बच्चों को पढ़ाया। मगर मेरा मन नहीं मना और मैंने प्रोफेसर की जॉब छोड़कर रिसर्च शुरू किया। किस तरह सस्ते धागों से अच्छी क्वालिटी का कपड़ा तैयार किया जा सकता है। ऐसे में मैंने पाइनएप्पल के पत्तों पर रिसर्च किया। इनको विकल्प के तौर पर तैयार कर सकते हैं। मुझे बुनकरों के लिए कुछ करना था। साउथ इंडिया में होती है पाइनएप्पल की खेती
अंगिका ने बताया- पाइनएप्पल की खेती ज्यादातर आसाम और साउथ इंडिया में होती है। वहां किसान फल तोड़ने के बाद इसके पेड़ को जला देते हैं और इसकी राख से जमीन को भरने का काम करते हैं। पर मैंने पोस्ट हार्वेस्टिंग की और पेड़ों की पत्तियों से वहां की महिलाओं से मिलकर उसके रेशे निकलवाए। उससे धागा बनवाया और फिर नेचुरल डाई के बाद उससे साड़ी बनाई। रेशम से सस्ता होगा पाइन एप्पल यार्न
अंगिका ने बताया- बनारसी साड़ी काफी मेहनत से बनती है। इसकी लागत बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में हर कोई इसे खरीद नहीं पाता है। जबकि जिस यार्न की खोज मैंने की है, वो 2000 से 1200 रुपए किलो में ही मिल जाएगा। सिल्क के अल्टरनेटिव में हम उसे यूज कर सकते हैं। एंटी फंगल और यूवी रेज से प्रोटेक्टिव है ये यार्न
अंगिका ने बताया- यह यार्न एंटी फंगल, एंटी बैक्टेरियल, एंटी ऑक्सीडेंट और नॉन एलर्जिक है। इसके अलावा यह सिर्फ साड़ी ही नहीं अन्य मैटेरियल तैयार करने में भी सक्सेज है। इसके मेडिकल और हॉस्पिटल वेयर के लिए भी अच्छा है। इसके अलावा यह यूवी प्रोटेक्टिव यार्न है। इसके अलावा बनारसी साड़ी और अन्य सामानों की जो यूएस और न्यूजीलैंड में डिमांड है उसे भी कवर कर लेगा। जानिए पाइनएप्पल के धागों से साड़ियां बुनने में कितना समय लगेगा… नेचुरल फाइबर है, इसलिए आती है दिक्कत
अंगिका ने बताया- कारीगरी की बार करें तो जैसी साड़ी की डिजाइन होती है। वैसा काम होता है। ये नेचुरल फाइबर है। पाइनएप्पल के पत्तों के रेशों से बना है, तो इसमें हमें माड़ी का इस्तेमाल करना होता है, लेकिन बनने के बाद जब हम इसे डिसाइनिंग करते हैं, तो यह रेशम से ज्यादा सॉफ्ट होता है। कहा जाए तो इससे साड़ी बनाना उसी तरह है, जैसे रेशम से है। बस थोड़ा ज्यादा टफ हो जाता है। अंगिका से जब पूछा गया कि पुराने ट्रैडीशनल रेशम से या पाइनएप्पल के धागों से साड़ी बुनना ज्यादा आसान होता है? उन्होंने कहा- बुनकरों का माइंडसेट पुरानी चीजों पर लगा हुआ है। उन्हें बुनाई करने में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। पलायन रोक सकता है पाइनएप्पल का धागा
अंगिका ने बताया- पाइनएप्पल के धागों के बाजार में आने से हम बुनकारी में पलायन रोक सकते हैं। क्योंकि फाइबर निकालने में हम महिलाओं को जोड़ सकते हैं। फिर कॉटन के साथ यार्न बनाते हैं, इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। ऐसे में जो लोग सूरत जा रहे हैं। उनका पलायन रोका जा सकता है। क्योंकि 50 हजार में बनकर तैयार होने वाली साड़ी नेचुरल यार्न यानी पाइनएप्पल यार्न से 25 हजार में बनकर तैयार हो जाएगी। ———————————– यह भी पढ़ें : बबीता फोगाट बोलीं-साक्षी किताब के चक्कर में ईमान बेच गईं:कहा- विनेश विधायक बनीं, बजरंग को पद मिला; दीदी तुमको कुछ न मिला हरियाणा की रेसलर साक्षी मलिक ने ऑटोबायोग्राफी ‘विटनेस’ के लॉन्च में कहा था- BJP नेता बबीता फोगाट ने उन्हें भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ आंदोलन के लिए उकसाया था। उन्होंने ही इसकी परमिशन दिलाई थी। बबीता फोगाट बृजभूषण को हटाकर खुद WFI की अध्यक्ष बनना चाहती थीं। पढ़िए पूरी खबर… ‘रेशम महंगा होता है, इसलिए इससे बनने वाली साड़ियां भी महंगी होती है। मैंने पाइनएप्पल पर रिसर्च की है। इसकी फसल के बाद पौधों को जला दिया जाता है। मैंने पौधों की पत्तियों के रेशे को प्रोसेस किया। कॉटन के साथ मिक्स करके धागे बनाए। इन्हीं से कपड़े तैयार कर रही हूं।’ यह कहना है काशी की डॉ. अंगिका कुशवाहा का। उन्हें रेशमी वस्त्र परिधानों की सर्वोत्तम डिजाइन की कैटेगरी में पंडित दीन दयाल रेशम रत्न अवॉर्ड- 2024 मिला है। अंगिका बुनकारी में प्रोफेसर की जॉब छोड़कर आई। दैनिक भास्कर ने अंगिका से बातचीत की… पहले अंगिका कुशवाहा के बारे में जानिए… नेशनल अवॉर्ड पाने वाले अमरेश कुशवाहा की बेटी हैं अंगिका
अमरेश कुशवाहा को हथकरघा और बुनकारी में निरंतर प्रयासों की वजह से नेशनल अवॉर्ड मिला है। वह रामनगर के साहित्यनका इलाके में अंगिका हथकरघा विकास उद्योग सहकारी समिति लिमिटेड का संचालन करते हैं। अमरेश ने कहा- उसी साल हमने इस सहकारी समिति का रजिस्ट्रेशन करवाया। गोलाघाट रामनगर में स्थित इस समिति से 400 बुनकर जुड़े हुए हैं। अंगिका दिन-रात अब अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रही है। वनस्थली राजस्थान से की है PHed
अंगिका ने बताया- बचपन से ही घर में हैंडलूम, बुनकारी, रेशम, बुनकर, साड़ियां, खरीदार को आते-जाते देखा। बड़ी हुई तो यह सब अच्छा लगने लगा। ऐसे में वनस्थली विश्वविद्यालय से डिजाइन में बैचलर और मास्टर के बाद टैक्स्टाइल में पीएचडी की। इस दौरान घर के व्यवसाय से जुड़ी रही और कई सारी डिजाइन बनाई। अंगिका ने कहा – मैं पिछले 8 सालों से अपने पिता की सहकारी समिति, जिनसे 800 बुनकर जुड़े हुए हैं। उनके लिए डिजाइन बनाने का काम कर रही हूं। मेरा बस एक ही लक्ष्य है कि जो बनारस की ट्रेडिशनल बुनकारी है, उसे बचाया जाए। क्योंकि बनारस का हैंडलूम खत्म हो रहा है। एक साल पढ़ाया, फिर शुरू की रिसर्च
अंगिका ने बताया- 2023 में वनस्थली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में टैक्स्टाइल में बच्चों को पढ़ाया। मगर मेरा मन नहीं मना और मैंने प्रोफेसर की जॉब छोड़कर रिसर्च शुरू किया। किस तरह सस्ते धागों से अच्छी क्वालिटी का कपड़ा तैयार किया जा सकता है। ऐसे में मैंने पाइनएप्पल के पत्तों पर रिसर्च किया। इनको विकल्प के तौर पर तैयार कर सकते हैं। मुझे बुनकरों के लिए कुछ करना था। साउथ इंडिया में होती है पाइनएप्पल की खेती
अंगिका ने बताया- पाइनएप्पल की खेती ज्यादातर आसाम और साउथ इंडिया में होती है। वहां किसान फल तोड़ने के बाद इसके पेड़ को जला देते हैं और इसकी राख से जमीन को भरने का काम करते हैं। पर मैंने पोस्ट हार्वेस्टिंग की और पेड़ों की पत्तियों से वहां की महिलाओं से मिलकर उसके रेशे निकलवाए। उससे धागा बनवाया और फिर नेचुरल डाई के बाद उससे साड़ी बनाई। रेशम से सस्ता होगा पाइन एप्पल यार्न
अंगिका ने बताया- बनारसी साड़ी काफी मेहनत से बनती है। इसकी लागत बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में हर कोई इसे खरीद नहीं पाता है। जबकि जिस यार्न की खोज मैंने की है, वो 2000 से 1200 रुपए किलो में ही मिल जाएगा। सिल्क के अल्टरनेटिव में हम उसे यूज कर सकते हैं। एंटी फंगल और यूवी रेज से प्रोटेक्टिव है ये यार्न
अंगिका ने बताया- यह यार्न एंटी फंगल, एंटी बैक्टेरियल, एंटी ऑक्सीडेंट और नॉन एलर्जिक है। इसके अलावा यह सिर्फ साड़ी ही नहीं अन्य मैटेरियल तैयार करने में भी सक्सेज है। इसके मेडिकल और हॉस्पिटल वेयर के लिए भी अच्छा है। इसके अलावा यह यूवी प्रोटेक्टिव यार्न है। इसके अलावा बनारसी साड़ी और अन्य सामानों की जो यूएस और न्यूजीलैंड में डिमांड है उसे भी कवर कर लेगा। जानिए पाइनएप्पल के धागों से साड़ियां बुनने में कितना समय लगेगा… नेचुरल फाइबर है, इसलिए आती है दिक्कत
अंगिका ने बताया- कारीगरी की बार करें तो जैसी साड़ी की डिजाइन होती है। वैसा काम होता है। ये नेचुरल फाइबर है। पाइनएप्पल के पत्तों के रेशों से बना है, तो इसमें हमें माड़ी का इस्तेमाल करना होता है, लेकिन बनने के बाद जब हम इसे डिसाइनिंग करते हैं, तो यह रेशम से ज्यादा सॉफ्ट होता है। कहा जाए तो इससे साड़ी बनाना उसी तरह है, जैसे रेशम से है। बस थोड़ा ज्यादा टफ हो जाता है। अंगिका से जब पूछा गया कि पुराने ट्रैडीशनल रेशम से या पाइनएप्पल के धागों से साड़ी बुनना ज्यादा आसान होता है? उन्होंने कहा- बुनकरों का माइंडसेट पुरानी चीजों पर लगा हुआ है। उन्हें बुनाई करने में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। पलायन रोक सकता है पाइनएप्पल का धागा
अंगिका ने बताया- पाइनएप्पल के धागों के बाजार में आने से हम बुनकारी में पलायन रोक सकते हैं। क्योंकि फाइबर निकालने में हम महिलाओं को जोड़ सकते हैं। फिर कॉटन के साथ यार्न बनाते हैं, इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। ऐसे में जो लोग सूरत जा रहे हैं। उनका पलायन रोका जा सकता है। क्योंकि 50 हजार में बनकर तैयार होने वाली साड़ी नेचुरल यार्न यानी पाइनएप्पल यार्न से 25 हजार में बनकर तैयार हो जाएगी। ———————————– यह भी पढ़ें : बबीता फोगाट बोलीं-साक्षी किताब के चक्कर में ईमान बेच गईं:कहा- विनेश विधायक बनीं, बजरंग को पद मिला; दीदी तुमको कुछ न मिला हरियाणा की रेसलर साक्षी मलिक ने ऑटोबायोग्राफी ‘विटनेस’ के लॉन्च में कहा था- BJP नेता बबीता फोगाट ने उन्हें भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ आंदोलन के लिए उकसाया था। उन्होंने ही इसकी परमिशन दिलाई थी। बबीता फोगाट बृजभूषण को हटाकर खुद WFI की अध्यक्ष बनना चाहती थीं। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर