गाजियाबाद के प्रॉपर्टी डीलर संजय यादव की उनके दो साथियों ने हत्या की। इसके बाद लाश को संजय यादव की ही फॉर्च्यूनर में लेकर 8 घंटे तक घूमते रहे। करीब 31 किमी तक दोनों ने गाजियाबाद के चक्कर काटे। फिर, नोएडा के दादरी पहुंचे। यहां उन्होंने गाड़ी में ही लाश जला दी। आरोपियों ने इसे एक्सीडेंट दिखाने की प्लानिंग की, लेकिन कामयाब नहीं हो सके। नोएडा पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक, दोनों आरोपियों का कहना है- हमने संजय यादव को मंगलवार को 4 बजे के करीब मार डाला था। कुत्ते के पट्टे से उसका गला घोंटा। इससे पहले हम दोनों ने संजय यादव के साथ बैठकर बीयर पी थी। वो थोड़ा नशे में हो गया, तो उससे पैसे छीने। हम उसे लूटने की साजिश पहले ही कर चुके थे। आरोपियों ने क्या कुछ खुलासा किया? कैसे पकड़े गए? प्रॉपर्टी डीलर के घरवालों ने क्या कहा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले एक नजर संजय यादव हत्याकांड पर
पुलिस कंट्रोल रूम में मंगलवार की रात सूचना पहुंची कि नोएडा के दादरी में एक फॉर्च्यूनर में आग लग गई। इससे एक जली हुई डेडबॉडी मिली है। घटनास्थल से जो वीडियो आए, उसमें कुछ लोग यह कहते सुनाई दिए कि पेट्रोल टैंक में आग लगाई गई। अंदर एक आदमी था। मौके पर पहुंची दादरी पुलिस ने फोरेंसिक एक्सपर्ट को बुलाया। प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में यह आशंका जताई गई कि यह हादसा नहीं हो सकता, क्योंकि गाड़ी का एक्सीडेंट नहीं हुआ। कार सड़क से 100 मीटर दूर झाड़ियों में जलाई गई, गेट लॉक थे। पुलिस ने गाड़ी की नंबर प्लेट से कार मालिक की शिनाख्त गाजियाबाद के नेहरू नगर निवासी संजय यादव के रूप में की। पुलिस ने जब संजय के घरवालों को सूचना दी, तो पता चला वह दिन के 3 बजे से लापता हैं। घर वाले गाजियाबाद पुलिस के साथ उन्हें ढूंढ भी रहे हैं। आग लगाते समय जला आरोपी, यहीं से पकड़ा गया
पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन के दौरान कैमरे खंगाले, इनमें एक फुटेज में दो युवक पैदल ही भागते दिखाई दिए। इसमें एक अपना हाथ पकड़े हुए था। इससे पुलिस को पता चला कि आग लगाते समय आरोपी जल गया होगा। पुलिस ने वायरलेस में सूचना जारी करते हुए अलर्ट किया, कहा- कोई भी दो युवक अगर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं, तो हमें बताएं। कुछ देर बाद पुलिस को सूचना मिली कि एक आदमी जला है। वो अपने साथी के साथ इलाज कराने सिकंदराबाद पहुंचा है। हालांकि जब तक पुलिस वहां पहुंची, दोनों फरार हो गए थे। इसके बाद पुलिस ने दोनों को पकड़ने के लिए दबिश देनी शुरू की। करीब पौन घंटे बाद दोनों आरोपी दिल्ली के मयूर विहार से पकड़ लिए गए थे। इनकी पहचान गोविंदपुर थाना मधुबन निवासी विशाल राजपूत और जीत चौधरी के रूप में हुई। अब पढ़िए नोएडा पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने जो कुछ बताया… कंबल से ढक दी थी लाश
विशाल और जीत ने पुलिस को बताया- हमारी संजय यादव से पुरानी जान-पहचान है। वह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता था। अच्छे पैसे कमाता था। इसलिए हमारे उससे अच्छे संबंध हो गए थे। वह हर समय मोटी रकम लेकर चलता था। सोने की अंगूठी, कड़ा और चेन भी पहनता था। कुछ दिन पहले फॉर्च्यूनर भी खरीदी थी। इससे हमारे मन में लालच आ गया। हमने संजय यादव को लूटने की प्लानिंग की। मंगलवार को हमने संजय को फोन कर बीयर पीने की इच्छा जताई। इसके बाद वह हमारे कमरे पर आ गया। यहां हम तीनों ने मिलकर पहले बीयर पी। हम लोग कम बीयर पी रहे थे, ताकि नशा कम हो। उसे ज्यादा से ज्यादा बीयर पिलाई। जब वह नशे में हो गया, तो हम लोगों ने उसके हाथ से सोने की दो अंगूठी, एक कड़ा और चेन उतार लिया। संजय की जेब चेक की, तो उसमें 6 हजार 250 रुपए निकले। दोनों बताया- इस दौरान संजय विरोध करने लगा, तो मौका मिलते ही हमने कुत्ते के पट्टे से उसका गला घोंट दिया। उस समय करीब 4 बज रहे होंगे। इसके बाद हम दोनों ने संजय की लाश उसकी फॉर्च्यूनर में डाल दी और इसे कंबल से ढक दिया। सुनसान इलाका ढूंढते हुए दादरी पहुंचे
इसके बाद हम लोग लाश ठिकाने के लगाने के लिए सुनसान इलाका ढूंढने लगे। जहां मन आ रहा था, वहां गाड़ी लेकर जा रहे थे। ऐसे ही गाड़ी चलाते हुए हम लोग दादरी पहुंच गए। यहां दादरी कोट पुल से छोलस के लिए एक रास्ता निकला है। उस पर हमें सुनसान जगह दिखाई दी। इसके बाद जीत ने गाड़ी का पेट्रोल टैंक खोला, उससे कैन में तेल निकाला। इस दौरान कुछ पेट्रोल जीत के हाथ में भी लग गया। हमने गाड़ी पर पेट्रोल छिड़का और जैसे ही आग लगाई, तो जीत के हाथों में भी आग लग गई। इससे वह झुलस गया। फिर हम दोनों वहां से पैदल भाग निकले। डीसीपी ग्रेटर नोएडा अशोक कुमार ने बताया- दोनों आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। पुलिस ने उनकी निशानदेही पर कोट पुल के पास से कुत्ते का पट्टा और लूटी हुई सोने की चेन, अंगूठी और कड़ा बरामद कर लिया है। घर की देहरी पर नहीं पहुंचा शव
मौत के बाद संजय यादव को घर की देहरी भी नसीब नहीं हुई है। उनका शव पूरी तरह जल गया था। नोएडा में पोस्टमॉर्टम के बाद शव घर लाने के बजाय सीधे बृजघाट ले जाया गया। जिस फार्च्यूनर में उनको जलाया गया है, वह 4 महीने पहले ही उन्होंने खरीदी थी। इस वारदात से परिवार में गम और गुस्सा है। जिस तरह से वारदात को अंजाम दिया है, उसको देखते हुए परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे लोगों ने हत्यारों को फांसी की सजा दिलाने की मांग सरकार से की है। संजय यादव का पैतृक गांव गौतमबुद्ध नगर स्थित पतवाड़ी है। शादी के बाद उनके पिता धरमी यादव बम्हैटा गांव में आकर परिवार के साथ रहने लगे थे। गांव में उनकी जमीन थी। परिवार को जमीन का मुआवजा भी मिल चुका है। उनके पिता भाटिया मोड़ के पास दूध की डेरी चलाते थे। 6 भाइयों में संजय सबसे छोटे थे। उनके तीन भाइयों की पहले ही मौत हो चुकी है। भाइयों का परिवार अलग-अलग रहता है। भाई बबलू ने बताया- संजय की शादी बागपत के बलेनी गांव में रहने वाली पूनम यादव से हुई थी। उनके एक बेटी और एक बेटा है। संजय ने नेहरू नगर में 5 साल पहले ही मकान खरीदा है। वह सबसे पहले ब्याज पर रुपए देने का काम करते थे। बाद में प्रॉपर्टी डीलिंग के काम से जुड़े। ब्याज पर रुपए देने के साथ ही बतौर बिल्डर काम करते थे। गौतमबुद्ध नगर सहित अन्य जगह वह फ्लैट बनवाकर बेचते हैं। दो कमिश्नरेट के बीच लाश लेकर घूमते रहे, पुलिस को पता ही नहीं चला
दोनों आरोपी फॉर्च्युनर से संजय यादव का शव लेकर गाजियाबाद और नोएडा कमिश्नरेट क्षेत्र में करीब 31 किलोमीटर तक घूमते रहे। गौतमबुद्ध नगर के दादरी थाना की कोट पुलिस चौकी से करीब 200 मीटर की दूरी पर आग लगाकर उसे जला दिया, लेकिन पुलिस को इसकी भनक नहीं लगी। पूछताछ में सामने आया कि आरोपी गोविंदपुरम से शव लेकर लालकुआं पहुंचे। वहां से दादरी बाईपास होते हुए बुलंदशहर की ओर बढ़े। लुहारली टोल प्लाजा पर सीसीटीवी लगे होने के कारण नैनसुख गांव की ओर मुड़ गए। नैनसुख गांव में शव सहित फार्च्यूनर को जला दिया। लोगों का कहना है कि यहां तक पहुंचने में आरोपी गाजियाबाद कमिश्नरेट के मधुबन, बापूधाम, कवि नगर और वेव सिटी के बाद गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट के बिसरख, बादलपुर और दादरी थाना क्षेत्र से गुजरे। कई पुलिस चौकियां और चेकपोस्ट पड़े, लेकिन कहीं पर भी पुलिस की शव रखी फार्च्यूनर कार पर नजर न पड़ना बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। गाजियाबाद के प्रॉपर्टी डीलर संजय यादव की उनके दो साथियों ने हत्या की। इसके बाद लाश को संजय यादव की ही फॉर्च्यूनर में लेकर 8 घंटे तक घूमते रहे। करीब 31 किमी तक दोनों ने गाजियाबाद के चक्कर काटे। फिर, नोएडा के दादरी पहुंचे। यहां उन्होंने गाड़ी में ही लाश जला दी। आरोपियों ने इसे एक्सीडेंट दिखाने की प्लानिंग की, लेकिन कामयाब नहीं हो सके। नोएडा पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक, दोनों आरोपियों का कहना है- हमने संजय यादव को मंगलवार को 4 बजे के करीब मार डाला था। कुत्ते के पट्टे से उसका गला घोंटा। इससे पहले हम दोनों ने संजय यादव के साथ बैठकर बीयर पी थी। वो थोड़ा नशे में हो गया, तो उससे पैसे छीने। हम उसे लूटने की साजिश पहले ही कर चुके थे। आरोपियों ने क्या कुछ खुलासा किया? कैसे पकड़े गए? प्रॉपर्टी डीलर के घरवालों ने क्या कहा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले एक नजर संजय यादव हत्याकांड पर
पुलिस कंट्रोल रूम में मंगलवार की रात सूचना पहुंची कि नोएडा के दादरी में एक फॉर्च्यूनर में आग लग गई। इससे एक जली हुई डेडबॉडी मिली है। घटनास्थल से जो वीडियो आए, उसमें कुछ लोग यह कहते सुनाई दिए कि पेट्रोल टैंक में आग लगाई गई। अंदर एक आदमी था। मौके पर पहुंची दादरी पुलिस ने फोरेंसिक एक्सपर्ट को बुलाया। प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में यह आशंका जताई गई कि यह हादसा नहीं हो सकता, क्योंकि गाड़ी का एक्सीडेंट नहीं हुआ। कार सड़क से 100 मीटर दूर झाड़ियों में जलाई गई, गेट लॉक थे। पुलिस ने गाड़ी की नंबर प्लेट से कार मालिक की शिनाख्त गाजियाबाद के नेहरू नगर निवासी संजय यादव के रूप में की। पुलिस ने जब संजय के घरवालों को सूचना दी, तो पता चला वह दिन के 3 बजे से लापता हैं। घर वाले गाजियाबाद पुलिस के साथ उन्हें ढूंढ भी रहे हैं। आग लगाते समय जला आरोपी, यहीं से पकड़ा गया
पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन के दौरान कैमरे खंगाले, इनमें एक फुटेज में दो युवक पैदल ही भागते दिखाई दिए। इसमें एक अपना हाथ पकड़े हुए था। इससे पुलिस को पता चला कि आग लगाते समय आरोपी जल गया होगा। पुलिस ने वायरलेस में सूचना जारी करते हुए अलर्ट किया, कहा- कोई भी दो युवक अगर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं, तो हमें बताएं। कुछ देर बाद पुलिस को सूचना मिली कि एक आदमी जला है। वो अपने साथी के साथ इलाज कराने सिकंदराबाद पहुंचा है। हालांकि जब तक पुलिस वहां पहुंची, दोनों फरार हो गए थे। इसके बाद पुलिस ने दोनों को पकड़ने के लिए दबिश देनी शुरू की। करीब पौन घंटे बाद दोनों आरोपी दिल्ली के मयूर विहार से पकड़ लिए गए थे। इनकी पहचान गोविंदपुर थाना मधुबन निवासी विशाल राजपूत और जीत चौधरी के रूप में हुई। अब पढ़िए नोएडा पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने जो कुछ बताया… कंबल से ढक दी थी लाश
विशाल और जीत ने पुलिस को बताया- हमारी संजय यादव से पुरानी जान-पहचान है। वह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता था। अच्छे पैसे कमाता था। इसलिए हमारे उससे अच्छे संबंध हो गए थे। वह हर समय मोटी रकम लेकर चलता था। सोने की अंगूठी, कड़ा और चेन भी पहनता था। कुछ दिन पहले फॉर्च्यूनर भी खरीदी थी। इससे हमारे मन में लालच आ गया। हमने संजय यादव को लूटने की प्लानिंग की। मंगलवार को हमने संजय को फोन कर बीयर पीने की इच्छा जताई। इसके बाद वह हमारे कमरे पर आ गया। यहां हम तीनों ने मिलकर पहले बीयर पी। हम लोग कम बीयर पी रहे थे, ताकि नशा कम हो। उसे ज्यादा से ज्यादा बीयर पिलाई। जब वह नशे में हो गया, तो हम लोगों ने उसके हाथ से सोने की दो अंगूठी, एक कड़ा और चेन उतार लिया। संजय की जेब चेक की, तो उसमें 6 हजार 250 रुपए निकले। दोनों बताया- इस दौरान संजय विरोध करने लगा, तो मौका मिलते ही हमने कुत्ते के पट्टे से उसका गला घोंट दिया। उस समय करीब 4 बज रहे होंगे। इसके बाद हम दोनों ने संजय की लाश उसकी फॉर्च्यूनर में डाल दी और इसे कंबल से ढक दिया। सुनसान इलाका ढूंढते हुए दादरी पहुंचे
इसके बाद हम लोग लाश ठिकाने के लगाने के लिए सुनसान इलाका ढूंढने लगे। जहां मन आ रहा था, वहां गाड़ी लेकर जा रहे थे। ऐसे ही गाड़ी चलाते हुए हम लोग दादरी पहुंच गए। यहां दादरी कोट पुल से छोलस के लिए एक रास्ता निकला है। उस पर हमें सुनसान जगह दिखाई दी। इसके बाद जीत ने गाड़ी का पेट्रोल टैंक खोला, उससे कैन में तेल निकाला। इस दौरान कुछ पेट्रोल जीत के हाथ में भी लग गया। हमने गाड़ी पर पेट्रोल छिड़का और जैसे ही आग लगाई, तो जीत के हाथों में भी आग लग गई। इससे वह झुलस गया। फिर हम दोनों वहां से पैदल भाग निकले। डीसीपी ग्रेटर नोएडा अशोक कुमार ने बताया- दोनों आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। पुलिस ने उनकी निशानदेही पर कोट पुल के पास से कुत्ते का पट्टा और लूटी हुई सोने की चेन, अंगूठी और कड़ा बरामद कर लिया है। घर की देहरी पर नहीं पहुंचा शव
मौत के बाद संजय यादव को घर की देहरी भी नसीब नहीं हुई है। उनका शव पूरी तरह जल गया था। नोएडा में पोस्टमॉर्टम के बाद शव घर लाने के बजाय सीधे बृजघाट ले जाया गया। जिस फार्च्यूनर में उनको जलाया गया है, वह 4 महीने पहले ही उन्होंने खरीदी थी। इस वारदात से परिवार में गम और गुस्सा है। जिस तरह से वारदात को अंजाम दिया है, उसको देखते हुए परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे लोगों ने हत्यारों को फांसी की सजा दिलाने की मांग सरकार से की है। संजय यादव का पैतृक गांव गौतमबुद्ध नगर स्थित पतवाड़ी है। शादी के बाद उनके पिता धरमी यादव बम्हैटा गांव में आकर परिवार के साथ रहने लगे थे। गांव में उनकी जमीन थी। परिवार को जमीन का मुआवजा भी मिल चुका है। उनके पिता भाटिया मोड़ के पास दूध की डेरी चलाते थे। 6 भाइयों में संजय सबसे छोटे थे। उनके तीन भाइयों की पहले ही मौत हो चुकी है। भाइयों का परिवार अलग-अलग रहता है। भाई बबलू ने बताया- संजय की शादी बागपत के बलेनी गांव में रहने वाली पूनम यादव से हुई थी। उनके एक बेटी और एक बेटा है। संजय ने नेहरू नगर में 5 साल पहले ही मकान खरीदा है। वह सबसे पहले ब्याज पर रुपए देने का काम करते थे। बाद में प्रॉपर्टी डीलिंग के काम से जुड़े। ब्याज पर रुपए देने के साथ ही बतौर बिल्डर काम करते थे। गौतमबुद्ध नगर सहित अन्य जगह वह फ्लैट बनवाकर बेचते हैं। दो कमिश्नरेट के बीच लाश लेकर घूमते रहे, पुलिस को पता ही नहीं चला
दोनों आरोपी फॉर्च्युनर से संजय यादव का शव लेकर गाजियाबाद और नोएडा कमिश्नरेट क्षेत्र में करीब 31 किलोमीटर तक घूमते रहे। गौतमबुद्ध नगर के दादरी थाना की कोट पुलिस चौकी से करीब 200 मीटर की दूरी पर आग लगाकर उसे जला दिया, लेकिन पुलिस को इसकी भनक नहीं लगी। पूछताछ में सामने आया कि आरोपी गोविंदपुरम से शव लेकर लालकुआं पहुंचे। वहां से दादरी बाईपास होते हुए बुलंदशहर की ओर बढ़े। लुहारली टोल प्लाजा पर सीसीटीवी लगे होने के कारण नैनसुख गांव की ओर मुड़ गए। नैनसुख गांव में शव सहित फार्च्यूनर को जला दिया। लोगों का कहना है कि यहां तक पहुंचने में आरोपी गाजियाबाद कमिश्नरेट के मधुबन, बापूधाम, कवि नगर और वेव सिटी के बाद गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट के बिसरख, बादलपुर और दादरी थाना क्षेत्र से गुजरे। कई पुलिस चौकियां और चेकपोस्ट पड़े, लेकिन कहीं पर भी पुलिस की शव रखी फार्च्यूनर कार पर नजर न पड़ना बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर