पंजाब उपचुनाव- SAD के 4 पूर्व नेता चुनाव लड़ रहे:पूर्व मंत्री और बादल परिवार के सदस्य शामिल, 1 बागी होकर निर्दलीय मैदान में

पंजाब उपचुनाव- SAD के 4 पूर्व नेता चुनाव लड़ रहे:पूर्व मंत्री और बादल परिवार के सदस्य शामिल, 1 बागी होकर निर्दलीय मैदान में

पंजाब में हो रहे उपचुनाव से भले ही शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने दूरी बना ली हो, लेकिन पार्टी के 4 पूर्व नेता और एक बागी नेता इस चुनाव में उतर चुके हैं। 4 नेताओं ने अलग अलग पार्टियों से नामांकन भरा है, जबकि एक नेता निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। SAD से निकले नेताओं पर सबसे ज्यादा भरोसा भाजपा ने जताया है क्योंकि 4 में से 3 सीटों पर भाजपा ने उन नेताओं को उतारा है जो कभी अकाली दल में रह चुके हैं। इन नेताओं में चब्बेवाल सीट से भाजपा उम्मीदवार सोहन सिंह ठंडल, गिद्दड़बाहा से मनप्रीत सिंह बादल और डेरा बाबा से रविकरण काहलों शामिल हैं। इन नेताओं के अलावा गिद्दड़बाहा से आम आदमी पार्टी (AAP) की टिकट पर मैदान में उतरे हरदीप सिंह ढिल्लों भी SAD में रह चुके हैं। उधर गिद्दड़बाहा से ही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे जगमीत बराड़ ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन पर बगावत करदी है। खास बात है कि तकरीबन साढ़े 4 साल पहले भाजपा और अकाली दल का गठबंधन था। लेकिन किसान आंदोलन के बाद ही इन दोनों के बीच का गठबंधन टूट गया था। गिद्दड़बाहा से 3 पूर्व अकाली नेता आमने सामने 1. मनप्रीत सिंह बादल गिद्दड़बाहा में अकाली दल के 3 पूर्व नेता मैदान में हैं। इस सीट पर पूर्व अकाली नेता मनप्रीत सिंह बादल जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इन्होंने 1995 में अकाली दल को गिद्दड़बाहा से तब जीत दिलाई थी, जब अकाली दल का ग्राफ काफी नीचे गिर चुका था। हालांकि उन्होंने अकाली दल छोड़, अपनी अलग पार्टी ‘पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब’ बनाई थी। कुछ ही समय बाद ये कांग्रेस में शामिल हो गए थे। फिर 2023 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे उनके करियर का सबसे लंबा अरसा अकाली दल के साथ ही निकला है। मनप्रीत पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास सिंह बादल के बेटे हैं। 2. हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों दूसरा बड़ा नाम हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों का है। इन्होंने AAP की टिकट पर गिद्दड़बाहा से नामांकन भरा है। डिंपी ढिल्लों भी खुद अकाली दल में रहे हैं। उपचुनावों की घोषणा के कुछ समय पहले ही उन्होंने अकाली दल पर परिवारवाद के आरोप लगाते हुए पार्टी को अलविदा कहा था। डिंपी ढिल्लों को एक समय में सुखबीर बादल का कंधा माना जाता था। 3. जगमीत सिंह बराड़ गिद्दड़बाहा से तीसरा नाम जगमीत सिंह बराड़ का है। यह काफी समय तक कांग्रेस में रहे और बादल परिवार के विरोधी माना जाते थे। लेकिन 19 अप्रैल 2019 को उन्होंने प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल की मौजूदगी में शिरोमणि अकाली दल जॉइन की थी। पार्टी ने इन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया। साथ ही 2022 के चुनावों के लिए मौर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार भी घोषित किया गया था। इन दो नेताओं पर भी भाजपा ने जताया विश्वास 1- सोहन सिंह ठंडल
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख से एक दिन पहले अकाली दल में तब हलचल मच गई, जब अकाली दल के सीनियर नेता व पूर्व मंत्री रहे सोहन सिंह ठंडल ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे देने के 4 घंटों में ही उनके लिए होशियारपुर में विशेष कार्यक्रम रखा गया, जहां सीनियर भाजपा नेताओं ने उन्हें पार्टी जॉइन करवा दी। साथ ही भाजपा ने चब्बेवाल सीट से सोहन सिंह ठंडल को उम्मीदवार घोषित कर दिया। 2-करण सिंह काहलों
पंजाब की सियासत में अकाली दल से जुड़े रहे काहलों परिवार के बेटे रवि करण ने लोकसभा चुनाव 2024 के पहले ही बगावत की थी और भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने सुखबीर बादल की प्रधानगी को चुनौती देते हुए पार्टी पर कई सवाल उठाए थे। रवि करण सिंह काहलों को भाजपा ने डेरा बाबा नानक से उम्मीदवार बनाया है। पंजाब में हो रहे उपचुनाव से भले ही शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने दूरी बना ली हो, लेकिन पार्टी के 4 पूर्व नेता और एक बागी नेता इस चुनाव में उतर चुके हैं। 4 नेताओं ने अलग अलग पार्टियों से नामांकन भरा है, जबकि एक नेता निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। SAD से निकले नेताओं पर सबसे ज्यादा भरोसा भाजपा ने जताया है क्योंकि 4 में से 3 सीटों पर भाजपा ने उन नेताओं को उतारा है जो कभी अकाली दल में रह चुके हैं। इन नेताओं में चब्बेवाल सीट से भाजपा उम्मीदवार सोहन सिंह ठंडल, गिद्दड़बाहा से मनप्रीत सिंह बादल और डेरा बाबा से रविकरण काहलों शामिल हैं। इन नेताओं के अलावा गिद्दड़बाहा से आम आदमी पार्टी (AAP) की टिकट पर मैदान में उतरे हरदीप सिंह ढिल्लों भी SAD में रह चुके हैं। उधर गिद्दड़बाहा से ही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे जगमीत बराड़ ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन पर बगावत करदी है। खास बात है कि तकरीबन साढ़े 4 साल पहले भाजपा और अकाली दल का गठबंधन था। लेकिन किसान आंदोलन के बाद ही इन दोनों के बीच का गठबंधन टूट गया था। गिद्दड़बाहा से 3 पूर्व अकाली नेता आमने सामने 1. मनप्रीत सिंह बादल गिद्दड़बाहा में अकाली दल के 3 पूर्व नेता मैदान में हैं। इस सीट पर पूर्व अकाली नेता मनप्रीत सिंह बादल जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इन्होंने 1995 में अकाली दल को गिद्दड़बाहा से तब जीत दिलाई थी, जब अकाली दल का ग्राफ काफी नीचे गिर चुका था। हालांकि उन्होंने अकाली दल छोड़, अपनी अलग पार्टी ‘पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब’ बनाई थी। कुछ ही समय बाद ये कांग्रेस में शामिल हो गए थे। फिर 2023 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे उनके करियर का सबसे लंबा अरसा अकाली दल के साथ ही निकला है। मनप्रीत पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास सिंह बादल के बेटे हैं। 2. हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों दूसरा बड़ा नाम हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों का है। इन्होंने AAP की टिकट पर गिद्दड़बाहा से नामांकन भरा है। डिंपी ढिल्लों भी खुद अकाली दल में रहे हैं। उपचुनावों की घोषणा के कुछ समय पहले ही उन्होंने अकाली दल पर परिवारवाद के आरोप लगाते हुए पार्टी को अलविदा कहा था। डिंपी ढिल्लों को एक समय में सुखबीर बादल का कंधा माना जाता था। 3. जगमीत सिंह बराड़ गिद्दड़बाहा से तीसरा नाम जगमीत सिंह बराड़ का है। यह काफी समय तक कांग्रेस में रहे और बादल परिवार के विरोधी माना जाते थे। लेकिन 19 अप्रैल 2019 को उन्होंने प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल की मौजूदगी में शिरोमणि अकाली दल जॉइन की थी। पार्टी ने इन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया। साथ ही 2022 के चुनावों के लिए मौर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार भी घोषित किया गया था। इन दो नेताओं पर भी भाजपा ने जताया विश्वास 1- सोहन सिंह ठंडल
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख से एक दिन पहले अकाली दल में तब हलचल मच गई, जब अकाली दल के सीनियर नेता व पूर्व मंत्री रहे सोहन सिंह ठंडल ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे देने के 4 घंटों में ही उनके लिए होशियारपुर में विशेष कार्यक्रम रखा गया, जहां सीनियर भाजपा नेताओं ने उन्हें पार्टी जॉइन करवा दी। साथ ही भाजपा ने चब्बेवाल सीट से सोहन सिंह ठंडल को उम्मीदवार घोषित कर दिया। 2-करण सिंह काहलों
पंजाब की सियासत में अकाली दल से जुड़े रहे काहलों परिवार के बेटे रवि करण ने लोकसभा चुनाव 2024 के पहले ही बगावत की थी और भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने सुखबीर बादल की प्रधानगी को चुनौती देते हुए पार्टी पर कई सवाल उठाए थे। रवि करण सिंह काहलों को भाजपा ने डेरा बाबा नानक से उम्मीदवार बनाया है।   पंजाब | दैनिक भास्कर