‘पता नही चला कब गोलगप्पे 10 के 4 हो गए’:लखनऊ के कॉलेजों में दीवाली मेला का क्रेज; स्टूडेंट्स ने लगाए स्टॉल

‘पता नही चला कब गोलगप्पे 10 के 4 हो गए’:लखनऊ के कॉलेजों में दीवाली मेला का क्रेज; स्टूडेंट्स ने लगाए स्टॉल

लखनऊ के डिग्री कॉलेजों में इस बार का दीवाली सेलिब्रेशन खास है। शहर के 2 बड़े गर्ल्स डिग्री कॉलेज में पहली बार दीवाली मेले का आयोजन कर, स्टूडेंट्स को स्टॉल लगाने की जिम्मेदारी मिली है। नए रोल में स्टूडेंट्स जहां खुद के आइटम बेचने के लिए बेहतरीन टैक्टिस अपनाते दिखे। वहीं, कुछ ऐसे भी स्टूडेंट्स रहे जिन्हें कुकिंग पसंद नहीं, फिर भी फूड स्टॉल लगाकर खुद की बिजनेस स्किल्स को निखार रहे हैं। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 29वें एपिसोड में नवोदय कन्या महाविद्यालय की प्रिंसिपल डॉ. मंजुला उपाध्याय और स्टूडेंट्स से बातचीत…
डॉ.मंजुला उपाध्याय कहती हैं कि NEP 2020 के तहत स्टूडेंट्स को सांस्कृतिक पहलुओं से रू-ब-रू कराना है। साथ ही इन इवेंट्स के जरिए स्टूडेंट्स को खुद का टैलेंट ‘शो केस’ करने का अवसर भी मिलता है। इस पहल से उनकी मार्केटिंग स्किल्स भी सुधरेगी और स्टूडेंट्स को बड़ा फायदा भी मिलेगा। बीए फर्स्ट ईयर छात्रा खुशी मेहरोत्रा कहती हैं कि मैंने ये स्लोगन लगाया है कि ‘हम जिंदगी की भीड़ में इतने खो गए कि पता ही नहीं चला कब गोलगप्पे 10 रुपए के 4 हो गए।’ श्रेयांशी दीक्षित ने बताया कि दीवाली में घर के डेकोरेशन के कई सारे आइटम्स के स्टॉल लगाए है। इनमें भगवान के पूजन में काम आने वाली सामग्री, माला और वस्त्र भी हैं। इसे मैंने अपनी मां के साथ तैयार किया है। बुक स्टॉल लगाए दिनेश ने बताया कि IAS ऑफिसर की लिखी बुक्स स्टूडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय है। देखें वीडियो… लखनऊ के डिग्री कॉलेजों में इस बार का दीवाली सेलिब्रेशन खास है। शहर के 2 बड़े गर्ल्स डिग्री कॉलेज में पहली बार दीवाली मेले का आयोजन कर, स्टूडेंट्स को स्टॉल लगाने की जिम्मेदारी मिली है। नए रोल में स्टूडेंट्स जहां खुद के आइटम बेचने के लिए बेहतरीन टैक्टिस अपनाते दिखे। वहीं, कुछ ऐसे भी स्टूडेंट्स रहे जिन्हें कुकिंग पसंद नहीं, फिर भी फूड स्टॉल लगाकर खुद की बिजनेस स्किल्स को निखार रहे हैं। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 29वें एपिसोड में नवोदय कन्या महाविद्यालय की प्रिंसिपल डॉ. मंजुला उपाध्याय और स्टूडेंट्स से बातचीत…
डॉ.मंजुला उपाध्याय कहती हैं कि NEP 2020 के तहत स्टूडेंट्स को सांस्कृतिक पहलुओं से रू-ब-रू कराना है। साथ ही इन इवेंट्स के जरिए स्टूडेंट्स को खुद का टैलेंट ‘शो केस’ करने का अवसर भी मिलता है। इस पहल से उनकी मार्केटिंग स्किल्स भी सुधरेगी और स्टूडेंट्स को बड़ा फायदा भी मिलेगा। बीए फर्स्ट ईयर छात्रा खुशी मेहरोत्रा कहती हैं कि मैंने ये स्लोगन लगाया है कि ‘हम जिंदगी की भीड़ में इतने खो गए कि पता ही नहीं चला कब गोलगप्पे 10 रुपए के 4 हो गए।’ श्रेयांशी दीक्षित ने बताया कि दीवाली में घर के डेकोरेशन के कई सारे आइटम्स के स्टॉल लगाए है। इनमें भगवान के पूजन में काम आने वाली सामग्री, माला और वस्त्र भी हैं। इसे मैंने अपनी मां के साथ तैयार किया है। बुक स्टॉल लगाए दिनेश ने बताया कि IAS ऑफिसर की लिखी बुक्स स्टूडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय है। देखें वीडियो…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर