‘धमाका बहुत तेज था। लगा आसमान फट गया। बम फटने जैसा धमाका। बाहर अंधेरा छा गया। हर तरफ धुआं ही धुआं था। 5 से 10 मिनट तक सन्नाटा रहा। फिर चीखें, जिन्हें सुनकर कलेजा तक हिल गया।’ यह कहना है किरण वर्मा का। जिनके घर के दरवाजे को तोड़ते हुए सुरेंद्र की लाश आकर गिरी। भास्कर ने हादसे के बाद किरण वर्मा से बात की। उन्होंने जो कुछ कहा, उसमें दहशत के वो पल हमने समझने की कोशिश की। पढ़िए ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट… धमाका में मरने वाले सुरेंद्र की लाश किरण वर्मा के गेट पर मिली। किरण के घर से सुरेंद्र का घर करीब 10 फीट की दूरी पर है। ये हादसा कैसे हुआ? किरण ने कहा- हम लोग घर के बाहर बैठे हुए थे। दिवाली का दिन है, इसलिए त्योहार को लेकर बातचीत चल रही थी। इसी दरम्यान तेज धमाका हुआ, ऐसा लगा कि आसमान फटकर नीचे गिर गया। हवा का तेज झोंका आया, हर तरफ सिर्फ धुआं ही धुआं था। 5 से 10 मिनट के बाद जब धुआं कुछ कम हुआ तब हमने देखा कि हमारे घर के दरवाजे को तोड़ते हुए एक बॉडी पड़ी है। आधी घर के अंदर, आधी घर के बाहर। दरवाजे पर सुरेंद्र की लाश, कुछ दूर पत्नी तड़प रही थी
कुछ देर रुक कर उन्होंने फिर बताना शुरू किया- मैं कांप गई, कुछ समझ नहीं आया। हर तरफ खून ही खून था। घर के पास में एक गाड़ी में आग लगी हुई थी। उन्होंने कहा- आप धमाका का फोर्स समझिए कि जो लाश हवा में उड़ती हुई मेरे दरवाजे तक आई, उसने लोहे की ग्रिल तक तोड़ दी। पास जाकर देखा तो वह हमारे घर के पास रहने वाले सुरेंद्र की बॉडी थी। कुछ दूरी पर उनकी वाइफ तड़प रही थी। हमने पूछा कि लोग कह रहे है कि बॉडी पूरी तरह से फट गई थी? उन्होंने कहा- करीब 10 फीट दूर उनका हाथ पड़ा हुआ था। हमने देखा कि एक कुत्ता उस हाथ को मुंह में दबाए जा रहा था। मोहल्ले के लोगों ने रोका। मांस के लोथड़े दूर-दूर तक फैले हुए थे। जिसको बाद में पुलिस वालों ने खुरच-खुरचकर इकट्ठा किया। इस हादसे के बाद हम लोग बहुत डरे हुए हैं। धमाके में जितनी गाड़ियां खड़ी थीं, सब टूट गईं
वहीं पास खड़ी गीता वर्मा ने कहा – हम लोग अंदर पूजा कर रहे थे। एकदम बम जैसा फटा, बाहर अंधेरा छा गया। लगा कोई आतंकी हमला हो गया है। बाहर निकले, तो 2 लोग खून से लथपथ दिखे। बताया गया कि 2 की तत्काल मौत हो गई थी। मगर सुरेंद्र की पत्नी जिंदा थी। अस्पताल में इलाज चला, लेकिन गुरुवार शाम को उसने भी दम तोड़ दिया। बाहर जितनी भी गाड़ियां खड़ी थीं, वह सब टूट चुकी थी। एक गाड़ी में आग लगी हुई थी। मेरे घर की दीवारें चटकी हुईं थीं। मेरे पड़ोसी का दरवाजा ही धमाके के बाद टूट गया। वहां सिलेंडर के टुकड़े तो नहीं पड़े थे, मगर सब लोग यही बता रहे है कि सिलेंडर फटा है। सिलेंडर के टुकड़े हमने देखे नहीं, लोग तो यही बता रहे
सुरेंद्र के पड़ोसी राजू गुप्ता भी वहीं बैठे हुए थे। हमने हादसे के बारे में उनसे भी बात की। वह बहुत घबराए हुए थे। कहा- वो हमारी दीदी जैसी थीं। हम लोग बाहर ही थे। तेज धमाका हुआ तो कुछ समझ ही नहीं आया। देखा तो उनका शरीर पूरी तरह से फट गया था। एक हाथ को कुत्ता उठाकर ले जा रहा था। डरे हुए चेहरे के साथ लोग इधर-उधर भाग रहे थे। जो गाड़ियां बच गईं थी, उन्हें जल्दी-जल्दी हटाया जाने लगा। हमें डर था कि कहीं आग न फैल जाए। हमें नहीं पता कि धमाका कैसे हुआ? क्योंकि सिलेंडर भी दिखा नहीं। पटाखा के बारे में हमें कुछ पता नहीं। मोहल्ले में 100 से 150 लोग रहते हैं। हादसा को लेकर सब अलग-अलग बयान दे रहे हैं। कुछ लोग इसको पटाखा का धमाका बता रहे हैं। कुछ ने सिलेंडर को लेकर बात कही। फोरेंसिक टीम को मौके पर सिलेंडर के टुकड़े नहीं मिले हैं। हालांकि, जो आस-पास गाड़ियां खड़ी थीं। उनके पास में पटाखा बिखरे मिले हैं। DCP ने कहा- परिवार में दादी की डेथ, हादसा कैसे हुआ अभी क्लियर नहीं
DCP सेंट्रल दिनेश त्रिपाठी ने कहा- विस्फोट बहुत तेज था। सिलेंडर के साक्ष्य नहीं मिले हैं। इस परिवार में दादी की डेथ हुई थी, इसलिए वह त्योहार भी उस तरह से नहीं मना रहे थे। इसलिए पटाखा वाले इनपुट पर हम सिर्फ जांच कर रहे हैं। विस्फोट का कारण अभी स्पष्ट नहीं हुए हैं।
सुरेंद्र के 2 बच्चे हैं। 1 बेटा और दूसरी बेटी। हादसे के बाद दोनों बहुत घबराएं हुए थे। उन्होंने क्या-कुछ बताया, वो पढ़िए… मां ने कहा- पापा सिलेंडर लाए हैं, पैसे जाकर दे दो
घटना गुरुवार दोपहर करीब 12.30 बजे की है। सुरेंद्र (40) और उनकी पत्नी नवीता के अलावा परिवार में बेटा आयुष गौड़ और बेटी सलोनी है। आयुष ने कहा- हम लोग दिवाली की सजावट करने के लिए छत पर थे। अचानक मां की आवाज सुनाई दी कि पापा सिलेंडर लेकर आए हैं। नीचे आकर उन्हें पैसे दे दो। हम लोग नीचे आ ही रहे थे कि जोरदार धमाका हुआ। पूरा इलाका कांप गया। कुछ समझ नहीं आया। उन्होंने कहा- नीचे आकर देखा तो सब तरफ खून ही खून था। मां खून से लथपथ जमीन पर पड़ी थी। पापा घर के दरवाजे पर गिरे हुए थे। वह भी खून से लथपथ थे। धमाके के बाद आसपास के लोग जुट गए। मां और पिता को अस्पताल ले जाया गया। जहां पिता सुरेंद्र की मौत हो गई, जबकि कुछ घंटे बाद मां ने भी दम तोड़ दिया। ———————– यह भी पढ़ें : मोदी ने 11वीं बार जवानों के बीच दीपावली मनाई, गुजरात के कच्छ पहुंचे; सबसे ज्यादा 4 बार जम्मू-कश्मीर, 2 बार हिमाचल गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 11वीं बार जवानों के साथ दिवाली मनाई। पीएम गुजरात के कच्छ पहुंचे। यहां उन्होंने BSF, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के जवानों को मिठाई खिलाई। पीएम 11 साल में सबसे ज्यादा 4 बार जम्मू-कश्मीर में जवानों के बीच पहुंचे। इससे पहले मोदी सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती और एकता दिवस के मौके पर गुजरात के केवड़िया पहुंचे थे। पढ़िए पूरी खबर… ‘धमाका बहुत तेज था। लगा आसमान फट गया। बम फटने जैसा धमाका। बाहर अंधेरा छा गया। हर तरफ धुआं ही धुआं था। 5 से 10 मिनट तक सन्नाटा रहा। फिर चीखें, जिन्हें सुनकर कलेजा तक हिल गया।’ यह कहना है किरण वर्मा का। जिनके घर के दरवाजे को तोड़ते हुए सुरेंद्र की लाश आकर गिरी। भास्कर ने हादसे के बाद किरण वर्मा से बात की। उन्होंने जो कुछ कहा, उसमें दहशत के वो पल हमने समझने की कोशिश की। पढ़िए ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट… धमाका में मरने वाले सुरेंद्र की लाश किरण वर्मा के गेट पर मिली। किरण के घर से सुरेंद्र का घर करीब 10 फीट की दूरी पर है। ये हादसा कैसे हुआ? किरण ने कहा- हम लोग घर के बाहर बैठे हुए थे। दिवाली का दिन है, इसलिए त्योहार को लेकर बातचीत चल रही थी। इसी दरम्यान तेज धमाका हुआ, ऐसा लगा कि आसमान फटकर नीचे गिर गया। हवा का तेज झोंका आया, हर तरफ सिर्फ धुआं ही धुआं था। 5 से 10 मिनट के बाद जब धुआं कुछ कम हुआ तब हमने देखा कि हमारे घर के दरवाजे को तोड़ते हुए एक बॉडी पड़ी है। आधी घर के अंदर, आधी घर के बाहर। दरवाजे पर सुरेंद्र की लाश, कुछ दूर पत्नी तड़प रही थी
कुछ देर रुक कर उन्होंने फिर बताना शुरू किया- मैं कांप गई, कुछ समझ नहीं आया। हर तरफ खून ही खून था। घर के पास में एक गाड़ी में आग लगी हुई थी। उन्होंने कहा- आप धमाका का फोर्स समझिए कि जो लाश हवा में उड़ती हुई मेरे दरवाजे तक आई, उसने लोहे की ग्रिल तक तोड़ दी। पास जाकर देखा तो वह हमारे घर के पास रहने वाले सुरेंद्र की बॉडी थी। कुछ दूरी पर उनकी वाइफ तड़प रही थी। हमने पूछा कि लोग कह रहे है कि बॉडी पूरी तरह से फट गई थी? उन्होंने कहा- करीब 10 फीट दूर उनका हाथ पड़ा हुआ था। हमने देखा कि एक कुत्ता उस हाथ को मुंह में दबाए जा रहा था। मोहल्ले के लोगों ने रोका। मांस के लोथड़े दूर-दूर तक फैले हुए थे। जिसको बाद में पुलिस वालों ने खुरच-खुरचकर इकट्ठा किया। इस हादसे के बाद हम लोग बहुत डरे हुए हैं। धमाके में जितनी गाड़ियां खड़ी थीं, सब टूट गईं
वहीं पास खड़ी गीता वर्मा ने कहा – हम लोग अंदर पूजा कर रहे थे। एकदम बम जैसा फटा, बाहर अंधेरा छा गया। लगा कोई आतंकी हमला हो गया है। बाहर निकले, तो 2 लोग खून से लथपथ दिखे। बताया गया कि 2 की तत्काल मौत हो गई थी। मगर सुरेंद्र की पत्नी जिंदा थी। अस्पताल में इलाज चला, लेकिन गुरुवार शाम को उसने भी दम तोड़ दिया। बाहर जितनी भी गाड़ियां खड़ी थीं, वह सब टूट चुकी थी। एक गाड़ी में आग लगी हुई थी। मेरे घर की दीवारें चटकी हुईं थीं। मेरे पड़ोसी का दरवाजा ही धमाके के बाद टूट गया। वहां सिलेंडर के टुकड़े तो नहीं पड़े थे, मगर सब लोग यही बता रहे है कि सिलेंडर फटा है। सिलेंडर के टुकड़े हमने देखे नहीं, लोग तो यही बता रहे
सुरेंद्र के पड़ोसी राजू गुप्ता भी वहीं बैठे हुए थे। हमने हादसे के बारे में उनसे भी बात की। वह बहुत घबराए हुए थे। कहा- वो हमारी दीदी जैसी थीं। हम लोग बाहर ही थे। तेज धमाका हुआ तो कुछ समझ ही नहीं आया। देखा तो उनका शरीर पूरी तरह से फट गया था। एक हाथ को कुत्ता उठाकर ले जा रहा था। डरे हुए चेहरे के साथ लोग इधर-उधर भाग रहे थे। जो गाड़ियां बच गईं थी, उन्हें जल्दी-जल्दी हटाया जाने लगा। हमें डर था कि कहीं आग न फैल जाए। हमें नहीं पता कि धमाका कैसे हुआ? क्योंकि सिलेंडर भी दिखा नहीं। पटाखा के बारे में हमें कुछ पता नहीं। मोहल्ले में 100 से 150 लोग रहते हैं। हादसा को लेकर सब अलग-अलग बयान दे रहे हैं। कुछ लोग इसको पटाखा का धमाका बता रहे हैं। कुछ ने सिलेंडर को लेकर बात कही। फोरेंसिक टीम को मौके पर सिलेंडर के टुकड़े नहीं मिले हैं। हालांकि, जो आस-पास गाड़ियां खड़ी थीं। उनके पास में पटाखा बिखरे मिले हैं। DCP ने कहा- परिवार में दादी की डेथ, हादसा कैसे हुआ अभी क्लियर नहीं
DCP सेंट्रल दिनेश त्रिपाठी ने कहा- विस्फोट बहुत तेज था। सिलेंडर के साक्ष्य नहीं मिले हैं। इस परिवार में दादी की डेथ हुई थी, इसलिए वह त्योहार भी उस तरह से नहीं मना रहे थे। इसलिए पटाखा वाले इनपुट पर हम सिर्फ जांच कर रहे हैं। विस्फोट का कारण अभी स्पष्ट नहीं हुए हैं।
सुरेंद्र के 2 बच्चे हैं। 1 बेटा और दूसरी बेटी। हादसे के बाद दोनों बहुत घबराएं हुए थे। उन्होंने क्या-कुछ बताया, वो पढ़िए… मां ने कहा- पापा सिलेंडर लाए हैं, पैसे जाकर दे दो
घटना गुरुवार दोपहर करीब 12.30 बजे की है। सुरेंद्र (40) और उनकी पत्नी नवीता के अलावा परिवार में बेटा आयुष गौड़ और बेटी सलोनी है। आयुष ने कहा- हम लोग दिवाली की सजावट करने के लिए छत पर थे। अचानक मां की आवाज सुनाई दी कि पापा सिलेंडर लेकर आए हैं। नीचे आकर उन्हें पैसे दे दो। हम लोग नीचे आ ही रहे थे कि जोरदार धमाका हुआ। पूरा इलाका कांप गया। कुछ समझ नहीं आया। उन्होंने कहा- नीचे आकर देखा तो सब तरफ खून ही खून था। मां खून से लथपथ जमीन पर पड़ी थी। पापा घर के दरवाजे पर गिरे हुए थे। वह भी खून से लथपथ थे। धमाके के बाद आसपास के लोग जुट गए। मां और पिता को अस्पताल ले जाया गया। जहां पिता सुरेंद्र की मौत हो गई, जबकि कुछ घंटे बाद मां ने भी दम तोड़ दिया। ———————– यह भी पढ़ें : मोदी ने 11वीं बार जवानों के बीच दीपावली मनाई, गुजरात के कच्छ पहुंचे; सबसे ज्यादा 4 बार जम्मू-कश्मीर, 2 बार हिमाचल गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 11वीं बार जवानों के साथ दिवाली मनाई। पीएम गुजरात के कच्छ पहुंचे। यहां उन्होंने BSF, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के जवानों को मिठाई खिलाई। पीएम 11 साल में सबसे ज्यादा 4 बार जम्मू-कश्मीर में जवानों के बीच पहुंचे। इससे पहले मोदी सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती और एकता दिवस के मौके पर गुजरात के केवड़िया पहुंचे थे। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर