हरियाणा के चरखी दादरी जिले में इस खरीफ सीजन में बाजरे की फसल की बंपर पैदावार हुई है। इस सीजन जिले की मंडियों में लगभग 4 लाख क्विंटल बाजरे की आवक हो चुकी है और करीब 20 दिनों तक मंडी चलनी है। जिसके चलते इस सीजन जिले की मंडियों मे बीते सीजन की अपेक्षा अधिक बाजरा पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। बाजरे के अच्छे उत्पादन और सरकारी खरीद पर भाव भी ठीक होने पर किसानों में खुशी है। बता दें कि चरखी दादरी जिले के बाढ़ड़ा, कादमा और झोझू कलां आदि स्थानों पर जलवायु राजस्थान से मिलती जुलती है। यह जलवायु और रेतीली मिट्टी बाजरे की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है और इस क्षेत्र में खरीफ सीजन के दौरान ग्वार और कपास के साथ बाजरे की खेती काफी अधिक क्षेत्र में की जाती है। इस मानसून सीजन बारिश अच्छी होने के चलते बाजरे का उत्पादन अच्छा-खासा हुआ है। जिले की मंडियों में बाजरे की बंपर आवक हो रही है। जिले में बीते सीजन 3 लाख 70 हजार क्विंटल बाजरे की सरकारी खरीद की गई थी। बीते सीजन हुई थी 3.70 लाख क्विंटल बाजरे की खरीद चरखी दादरी मार्केट कमेटी सहायक सचिव विकास कुमार ने बताया कि चरखी दादरी जिले में बीते सीजन करीब 3 लाख 70 हजार क्विंटल बाजरा की खरीद की गई थी। जबकि इस सीजन अभी तक 3 लाख 15 हजार क्विंटल से अधिक बाजरा खरीद हो चुकी है और जो निर्देश मिले हैं, उसके अनुसार आगामी 15 नवंबर तक जिले की मंडियों में बाजरे की खरीद होनी है। मौसम रहा है अनुकूल- कृषि अधिकारी चरखी दादरी कृषि विभाग कार्यालय में कार्यरत कृषि अधिकारी डॉक्टर चंद्रभान श्योराण ने बताया कि इस खरीफ सीजन मेरी फसल ब्योरा पोर्टल पर किसानों द्वारा करीब 1 लाख 15 हजार एकड़ एरिया पंजीकृत करवाया गया है। उन्होंने कहा कि बीते सीजन भी जिले में बाजरे का अच्छा उत्पादन हुआ था और इस सीजन भी मौसम बाजरे के अनुकूल होने और समय पर बारिश होने के कारण बाजरे का अच्छा उत्पादन हुआ है। कृषि अधिकारी ने बताया कि इस सीजन औसत पैदावार की बात की जाए तो कपास उत्पादन घटा है। जबकि बाजरे का बढ़ा है। इस सीजन बाजरे की औसत पैदावार करीब 15 मण प्रति एकड़ है। अधिक बारिश से कुछ स्थानों पर हुआ नुकसान मानसून सीजन के दौरान अच्छी बारिश होने के कारण जिले के कुछ स्थानों पर जलभराव होने के कारण बाजरे की फसल में नुकसान भी हुआ है। जब बाजरे की फसल पकने की कगार पर पहुंची उस दौरान खेतों में जलभराव होने के कारण आदमपुर के आसपास के गांव और बौंद कलां क्षेत्र में नुकसान देखने को मिला, अन्यथा जिले में बाजरे का उत्पादन और भी अधिक हो सकता था। हरियाणा के चरखी दादरी जिले में इस खरीफ सीजन में बाजरे की फसल की बंपर पैदावार हुई है। इस सीजन जिले की मंडियों में लगभग 4 लाख क्विंटल बाजरे की आवक हो चुकी है और करीब 20 दिनों तक मंडी चलनी है। जिसके चलते इस सीजन जिले की मंडियों मे बीते सीजन की अपेक्षा अधिक बाजरा पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। बाजरे के अच्छे उत्पादन और सरकारी खरीद पर भाव भी ठीक होने पर किसानों में खुशी है। बता दें कि चरखी दादरी जिले के बाढ़ड़ा, कादमा और झोझू कलां आदि स्थानों पर जलवायु राजस्थान से मिलती जुलती है। यह जलवायु और रेतीली मिट्टी बाजरे की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है और इस क्षेत्र में खरीफ सीजन के दौरान ग्वार और कपास के साथ बाजरे की खेती काफी अधिक क्षेत्र में की जाती है। इस मानसून सीजन बारिश अच्छी होने के चलते बाजरे का उत्पादन अच्छा-खासा हुआ है। जिले की मंडियों में बाजरे की बंपर आवक हो रही है। जिले में बीते सीजन 3 लाख 70 हजार क्विंटल बाजरे की सरकारी खरीद की गई थी। बीते सीजन हुई थी 3.70 लाख क्विंटल बाजरे की खरीद चरखी दादरी मार्केट कमेटी सहायक सचिव विकास कुमार ने बताया कि चरखी दादरी जिले में बीते सीजन करीब 3 लाख 70 हजार क्विंटल बाजरा की खरीद की गई थी। जबकि इस सीजन अभी तक 3 लाख 15 हजार क्विंटल से अधिक बाजरा खरीद हो चुकी है और जो निर्देश मिले हैं, उसके अनुसार आगामी 15 नवंबर तक जिले की मंडियों में बाजरे की खरीद होनी है। मौसम रहा है अनुकूल- कृषि अधिकारी चरखी दादरी कृषि विभाग कार्यालय में कार्यरत कृषि अधिकारी डॉक्टर चंद्रभान श्योराण ने बताया कि इस खरीफ सीजन मेरी फसल ब्योरा पोर्टल पर किसानों द्वारा करीब 1 लाख 15 हजार एकड़ एरिया पंजीकृत करवाया गया है। उन्होंने कहा कि बीते सीजन भी जिले में बाजरे का अच्छा उत्पादन हुआ था और इस सीजन भी मौसम बाजरे के अनुकूल होने और समय पर बारिश होने के कारण बाजरे का अच्छा उत्पादन हुआ है। कृषि अधिकारी ने बताया कि इस सीजन औसत पैदावार की बात की जाए तो कपास उत्पादन घटा है। जबकि बाजरे का बढ़ा है। इस सीजन बाजरे की औसत पैदावार करीब 15 मण प्रति एकड़ है। अधिक बारिश से कुछ स्थानों पर हुआ नुकसान मानसून सीजन के दौरान अच्छी बारिश होने के कारण जिले के कुछ स्थानों पर जलभराव होने के कारण बाजरे की फसल में नुकसान भी हुआ है। जब बाजरे की फसल पकने की कगार पर पहुंची उस दौरान खेतों में जलभराव होने के कारण आदमपुर के आसपास के गांव और बौंद कलां क्षेत्र में नुकसान देखने को मिला, अन्यथा जिले में बाजरे का उत्पादन और भी अधिक हो सकता था। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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भिवानी में जिमनास्टिक खिलाड़ी की हत्या:रात को दोस्तों के साथ शराब पी थी; झगड़े के बाद तालाब में फेंका, कोच लगने वाला था
भिवानी में जिमनास्टिक खिलाड़ी की हत्या:रात को दोस्तों के साथ शराब पी थी; झगड़े के बाद तालाब में फेंका, कोच लगने वाला था हरियाणा के भिवानी में जिमनास्टिक के एक खिलाड़ी की तालाब में डूबो कर हत्या किए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। उसके शव को तालाब से निकाल कर शाम को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल पहुंचाया गया है। शहर थाना पुलिस ने मृतक के भाई के बयान पर चार युवकों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया है। पुलिस की छानबीन जारी है। जानकारी अनुसार भिवानी में गली नंबर 3 ढाणा रोड दादरी गेट निवासी पंकज ने बताया कि उसकी दादरी गेट के पास जीतू पतित पावन स्कूल के साथ टायर पंक्चर की दुकान है। वह तीन भाई बहन हैं। बड़ी लड़की राधा उसके बाद वह और छोटा भाई राहुल। राहुल जिमनास्टिक खिलाड़ी था। पंकज ने बताया कि 31 मई की रात को 10 बजे वह दुकान को बंद करके अपने घर चला गया। राहुल का फोन आया कि दोस्त विवेक के घर पर जा रहा हूं। रात को दोस्तों के साथ पी शराब पंकज ने बताया कि उन्हें पता चला कि रात के समय प्रदीप, अंकित, दीपक, विवेक और अन्य लड़के साथ थे। जिन्होंने रात को इकट्ठे शराब पी थी। सुबह विवेक का जानकार मोहित के पास फोन आया कि राहुल सोरे वाला मंदिर के पास बिच्छूवाना जोहड़ में डूब गया है और मिल नहीं रहा है। तुम जल्दी जल्दी आ जाओ। विवेक के घर उनका झगड़ा भी हुआ है। मोहित ने हमें पूरी बात बताई। पंकज ने आरोप लगाया कि झगड़े में इन सब ने मिल कर राहुल को जान से मारा और जोहड़ में फेंक दिया। घटना की सूचना जैन चौक चौकी पुलिस को दी। पुलिस ने पहुंच कर स्थानीय लोगों की मदद से राहुल को जोहड़ से निकाला। उसकी मौत हो चुकी थी। हत्या का केस दर्ज पुलिस ने राहुल के शव को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल में पहुंचाया। एएसआई राजसिंह ने बताया कि पुलिस द्वारा पंकज के बयान पर हत्या का मामला दर्ज किया है। पंकज ने बताया कि राहुल जिमनास्टिक का स्टेट खिलाड़ी था। वह जल्द ही कोच लगने लगा था।
हरियाणा में CPS-CM के आज जारी होंगे ऑर्डर:दो दिन पहले 4 घंटे में पलटे थे आदेश; 3 कैबिनेट मंत्रियों ने किया ऑब्जेक्शन
हरियाणा में CPS-CM के आज जारी होंगे ऑर्डर:दो दिन पहले 4 घंटे में पलटे थे आदेश; 3 कैबिनेट मंत्रियों ने किया ऑब्जेक्शन हरियाणा मुख्यमंत्री नायब सैनी के मुख्य प्रधान सचिव (CPS) की नियुक्ति के आदेश आज जारी कर दिए जाएंगे। इससे 2 दिन पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी की नियुक्ति के आदेश पर नाटकीय ढंग से रोक लग गई। प्रदेश के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने शुक्रवार रात करीब 8 बजे रिटायर्ड IAS राजेश खुल्लर को मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव बनाने के आदेश जारी किए थे। इसमें उन्हें कैबिनेट मिनिस्टर का रैंक दिया गया था। हालांकि 4 घंटे बाद ही रात करीब 12 बजे दूसरा ऑर्डर जारी हो गया। जिसमें लिखा गया कि मुख्य प्रधान सचिव की नियुक्ति के संबंध में जारी आदेश अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है। यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब CM नायब सैनी दिल्ली गए हुए हैं। आदेश पर रोक लगने की ये थी वजह इसके पीछे की इनसाइड स्टोरी अब सामने आई है। जिसमें पता चला है कि जब देर शाम उनकी नियुक्ति के ऑर्डर जारी किए गए, तो कैबिनेट के तीन सीनियर मंत्रियों ने इस पर ऑब्जेक्शन कर दिया। तीनों मंत्रियों ने राजेश खुल्लर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने पर विरोध जताया। उनका कहना था कि हम चुनाव जीतकर आए हैं। वहीं अधिकारी को बैठे-बिठाए ही यह दर्जा दिया जा रहा है। जिसके बाद आदेश वापस ले लिए गए। हालांकि सरकार खुल्लर की नियुक्ति जरूर करेगी, इसके लिए अब बिना कैबिनेट रैंक के ये ऑर्डर आज या कल जारी कर सकती है। नियुक्ति और फिर उसे रोकने के ऑर्डर की कॉपी… कौन हैं राजेश खुल्लर राजेश खुल्लर 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 2014 में राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद से ही वे तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर की गुडबुक में रहे। खुल्लर 31 अगस्त 2023 को रिटायर हुए और रिटायरमेंट के 24 घंटे के भीतर ही उन्हें तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर का चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी (CPS) नियुक्त कर दिया गया। तब उन्होंने 1982 बैच के सीनियर रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डीएस ढेसी की जगह ली थी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जब भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सैनी को हरियाणा का नया सीएम बनाया था, तब भी राजेश खुल्लर उनके चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी (CPS) थे। पर्ची सिस्टम के विरोधी अपने 35 साल के लंबे कार्यकाल के दौरान राजेश खुल्लर कई जिलों के डीसी, विभागाध्यक्ष और प्रशासनिक सचिव रहे। वर्ष 2019 में खट्टर ने उन्हें अपने प्रधान सचिव के साथ-साथ गृह सचिव की जिम्मेदारी सौंपी। खुल्लर ने जनसंपर्क एवं भाषा, जेल, आपराधिक जांच और न्याय विभाग की जिम्मेदारी भी संभाली। हरियाणा में करप्शन की जड़ समझे जाने वाले तीन प्रमुख क्षेत्रों- सरकारी भर्ती, ट्रांसफर और लैंड यूज चेंज (CLU) से जुड़ी प्रक्रिया को कम्प्यूटराइज्ड कराने का श्रेय राजेश खुल्लर को ही जाता है। हरियाणा इन तीनों कामों में चलने वाले पर्ची सिस्टम के कारण देशभर में सुर्खियों में रहता था। सीएम ऑफिस (CMO) में रहते हुए खुल्लर ने ही पर्ची सिस्टम की जगह पारदर्शी व्यवस्था बनाई। इसके बाद अब आम लोगों या कर्मचारियों को अपने ट्रांसफर से लेकर बीपीएल राशन कार्ड बनवाने तक, किसी अधिकारी या कर्मचारी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। मनोहर ने वर्ल्ड बैंक से वापस बुलवाया राजेश खुल्लर की सितंबर-2020 में वर्ल्ड बैंक के वॉशिंगटन डीसी कार्यालय में कार्यकारी निदेशक के रूप में नियुक्ति हो गई। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई थी। अमेरिका जाने से पहले उन्होंने करीब 5 साल हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ उनके प्रधान सचिव के रूप में काम किया।उसके बाद मनोहर सरकार के आग्रह पर केंद्र सरकार ने राजेश खुल्लर को तय टाइम से पहले वर्ल्ड बैंक से वापस हरियाणा बुलाने की मंजूरी दे दी थी। वर्ल्ड बैंक से लौटने के बाद खुल्लर को एफसीआर और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग का अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाया गया। CMO के रहे ओवरऑल इंचार्ज इस साल 19 अप्रैल से 1 जून के बीच हुए लोकसभा चुनाव से करीब सवा 2 महीने पहले यानी 8 फरवरी 2024 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने सीएम ऑफिस (सीएमओ) में बड़ा बदलाव किया था। उस समय खट्टर ने 58 प्रमुख विभागों को 6 अफसरों में बांट दिया था। उस फेरबदल के दौरान सीएम के तत्कालीन मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर को 17, तत्कालीन सहायक प्रधान सचिव आशिमा बराड़ को 11, तत्कालीन प्रधान सचिव वी उमाशंकर को 10, अमित अग्रवाल को 9, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी देवेंद्र सिंह को 3, एचसीएस सुधांशु गौतम को 6 और भूपेश्वर दयाल को 2 विभाग दिए गए थे। इसके साथ ही खट्टर ने राजेश खुल्लर को सीएम ऑफिस (सीएमओ) का ओवरऑल इंचार्ज भी बनाया था।
कंगना बोलीं- रद्द तीनों कृषि कानून दोबारा लागू हों:किसान खुद इसकी मांग करें; मोदी सरकार ने 378 दिन चले आंदोलन के बाद वापस लिए थे
कंगना बोलीं- रद्द तीनों कृषि कानून दोबारा लागू हों:किसान खुद इसकी मांग करें; मोदी सरकार ने 378 दिन चले आंदोलन के बाद वापस लिए थे हिमाचल से BJP सांसद कंगना रनोट ने रद्द किए गए 3 कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने की मांग की है। कंगना ने कहा कि किसानों को खुद ये कानून लागू करने की मांग करनी चाहिए। नवंबर 2021 में केंद्र सरकार को 14 महीने के बाद किसान आंदोलन के बाद ये कानून वापस लेने पड़े थे। इस बयान के बाद विपक्ष ने कंगना की घेराबंदी शुरू कर दी है। पंजाब से अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा कि भाजपा को कंगना को पार्टी से निकालना चाहिए। कंगना पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाया जाना चाहिए। कृषि कानूनों पर कंगना का बयान 23 सितंबर को सामने आया था। वह मंडी जिले के ख्योड़ में जिला स्तरीय नलवाड़ मेले के समापन समारोह में पहुंची थीं। यहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में 3 कृषि कानूनों पर बयान दिया। हरियाणा कांग्रेस ने लिखा- इन कानूनों की वापसी कभी नहीं होगी वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता हरजीत ग्रेवाल ने कहा कि कंगना पंजाब, किसान और सिखों के बारे में बोलना बंद करें। इस मामले को हम हाईकमान के सामने रखेंगे। अब पढ़िए कंगना ने कहीं 2 अहम बातें… 1. किसानों के हितकारी कानून वापस आने चाहिए
कंगना ने कहा कि किसानों के जो लॉ हैं, जो रोक दिए गए, वे वापस लाने चाहिए। किसानों को खुद इसकी डिमांड करनी चाहिए। हमारे किसानों की समृद्धि में ब्रेक न लगे। 2. हमारे किसान पिलर ऑफ स्ट्रेंथ
ब्यूरोक्रेसी, हमारे लीडर, हर तीन-तीन महीनों में इलेक्शन करवाते हैं। वन नेशन, वन इलेक्शन देश के विकास में जरूरी हैं। ऐसे ही हमारे किसान पिलर ऑफ स्ट्रेंथ (मजबूती के स्तंभ) हैं। वे खुद अपील करें कि हमारे तीनों कानूनों को लागू किया जाए। हमारे कुछ राज्यों ने इन कानूनों को लेकर आपत्ति जताई थी, उनसे हाथ जोड़ विनती करती हूं कि इन्हें वापस लाएं। किसानों को लेकर 2 बार बयान दे चुकीं कंगना…. 1. कंगना ने कहा था- किसान आंदोलन में रेप-मर्डर हुए
अगस्त में भास्कर को दिए इंटरव्यू में कंगना ने कहा था कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं। अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। किसान बिल को वापस ले लिया गया, वर्ना इन उपद्रवियों की बहुत लंबी प्लानिंग थी। वे देश में कुछ भी कर सकते थे। पूरी खबर पढ़ें… विपक्ष व किसानों ने कंगना को घेरना शुरू किया था। इसके बाद भाजपा ने भी अपना पक्ष जारी कर कंगना के बयान से खुद को अलग कर लिया। कंगना से भी कहा गया कि वे ऐसे बयानों से बचें। 2. कंगना ने किसान आंदोलन और शाहीन बाग प्रोटेस्ट में शामिल महिला का जिक्र किया था
किसान आंदोलन के बीच कंगना रनोट ने 27 नवंबर 2020 को रात 10 बजे फोटो पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था कि किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुई महिला वही मशहूर बिलकिस दादी है, जो शाहीन बाग के प्रदर्शन में थी। जो 100 रुपए लेकर उपलब्ध है। हालांकि, बाद में कंगना ने पोस्ट डिलीट कर दिया था, लेकिन कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस पोस्ट को खूब शेयर किया था। इससे एक्ट्रेस विवादों में घिर गई थी। 2020 में लाए गए थे 3 कृषि कानून
5 जून 2020 को केंद्र सरकार एक अध्यादेश के जरिए तीन कृषि बिल लेकर आई थी। सितंबर 2020 को केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा में फार्म बिल 2020 लेकर आई। दोनों सदनों से यह बिल पास पास हो गए, लेकिन किसानों को यह बिल मंजूर नहीं थे। किसानों को आशंका थी कि नए बिल से मंडियां खत्म हो जाएंगी। MSP सिस्टम खत्म हो जाएगा। बड़ी कंपनियां फसलों की कीमतें तय करने लगेंगी। वे इसके विरोध में उतर आए। पंजाब के किसान रेल की पटरियों पर बैठ गए, लेकिन सरकार ने उन्हें वहां से हटा दिया। दो महीने बाद यानी 25 नवंबर को पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली चलो आंदोलन का ऐलान किया। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी UP सहित कई शहरों में किसानों का प्रदर्शन शुरू हो गया। सरकार और किसानों के बीच 11 बार बातचीत हुई, पर कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। कोर्ट ने 18 महीने के लिए तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी। साथ ही इन कानूनों को रिव्यू करने के लिए एक कमेटी बनाई, पर किसान नहीं माने। उनका कहना था- ‘जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते, हम आंदोलन जारी रखेंगे।’ इस बीच किसानों ने पक्के घर करना शुरू कर दिए। टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर कच्चे-पक्के घर बनना शुरू हो गए। कई जगहों पर किसानों ने CCTV कैमरे भी लगवाए, ताकि पुलिस की एक्टिविटीज को देख सकें। 19 नवंबर 2021 को कृषि कानून वापस लिए
किसान आंदोलन के दौरान अप्रैल-मई 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए। असम में BJP सरकार बनाने में कामयाब रही, लेकिन उसे 11 सीटों का नुकसान हुआ। पुडुचेरी में वह गठबंधन की सरकार बनाने में कामयाब रही। जबकि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में BJP को हार का सामना करना पड़ा। इन चुनावों में विपक्ष ने प्रधानमंत्री और BJP को खूब घेरा था। किसान नेता राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल में BJP के खिलाफ प्रचार किया था। इसके बाद BJP की इंटरनल रिपोर्ट, सेना में नाराजगी, उप चुनावों में मिली हार और पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए PM मोदी ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानून वापस ले लिए। आखिरकार 14 महीने की तकरार के बाद 29 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों से बिना किसी चर्चा के ध्वनिमत से कृषि कानून वापस ले लिया गया। 11 दिसंबर को किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया और दिल्ली बॉर्डर पर विजय दिवस मनाया।