पंजाब में चार सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में 10 दिन का समय शेष रह गया है। ऐसे में अब सभी पार्टियों के दिग्गज फील्ड में मोर्चा संभालेंगे। इसी कड़ी में आज (रविवार) को सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता व सीएम भगवंत मान डेरा बाबा नानक में उम्मीदवार गुरदीप सिंह रंधावा के पक्ष में चुनावी सभा काे संबोधित करेंगे। वह दोपहर बाद कलानौर में पहुंचेंगे। यह उनका डेरा बाबा नानक में एक हफ्ते में दूसरा प्रोग्राम है। इससे पहले उन्होंने 27 अक्टूबर को हलके का दौरा किया था। पार्टी से ज्यादा बड़े नेताओंं की प्रतिष्ठा दांव पर राज्य में बरनाला, डेरा बाबा नानक, गिद्दड़बाहा और चब्बेवाल में उपचुनाव हो रहे हैं। क्योंकि इन सीटों के विधायक सांसद बन गए हैं। भले ही इन चुनावी नतीजों से राज्य की सत्ता में कोई परिवर्तन नहीं होगा। क्योंकि सरकार के 117 में से 91 सीटें हैं। लेकिन इन चुनावों में पार्टियों से ज्यादा बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। अगर चब्बेवाल की बात करे तो सांसद राज कुमार चब्बेवाल के बेटे डॉ. इशांक यहां से चुनावी मैदान में हैं। डेरा बाबा नानक से सांसद व सीनियर कांग्रेसी नेता सुखजिंदर रंधावा की पत्नी जतिंदर कौर को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। यहां से पहले रंधावा विधायक थे। इसी तरह मुक्तसर जिले की गिद्दड़बाहा सीट से कांग्रेस प्रधान व लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िंग को चुनावी मैदान में उतारा गया है। वहीं, भाजपा ने यहां से मनप्रीत बादल पर दांव खेला है। जबकि बरनाला में सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के दोस्त हरिंदर सिंह धालीवाल आप के उम्मीदवार। इस वजह से पार्टी में बगावत हुई। जिला योजना कमेटी के चेयरमैन रहे गुरदीप बाठ निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे तो पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। भाजपा ने केवल सिंह ढिल्लों दांव खेला है। हालांकि 1992 के बाद पहली बार अकाली दल चुनावी मैदान में नहीं है। इसके पीछे की वजह यह है कि पार्टी प्रधान सुखबीर बादल को श्री अकाल तख्त साहिब ने तनखैया ( धार्मिक सजा के तहत दोषी) घोषित किया हुआ है, लेकिन अभी तक सजा नहीं सुनाई गई है। इस वजह से वह चुनाव से दूर हैं। वहीं, पार्टी ने भी चुनाव से किनारा किया है। प्रचारकों की जगह अभी तक स्ट्रेटजी कमेटी बनाई इन चारों सीटों पर कुल 45 उम्मीदवार मैदान में है। AAP, कांग्रेस और भाजपा मुख्य पार्टियां है। आप और भाजपा ने अपने स्टार प्रचारक घोषित कर दिए हैं। लेकिन अभी तक कांग्रेस की तरफ से सूची जारी नहीं की गई है। हालांकि 27 अक्टूबर को पार्टी के प्रभारी दविंदर सिंह की तरफ की चुनाव के लिए सात मेंबरी स्ट्रेटजी एंड प्लानिंग कमेटी गठित की गई थी। इसमें प्रताप सिंह बाजवा को कोऑर्डिनेटर लगाया गया था। इसी तरह चारों हलकों के लिए प्रभारी, सह प्रभारी और संयोजक लगाए गए थे। तीन सीटें कांग्रेस के पास थी इन चारों सीटों में से तीन पर पहले कांग्रेस का कब्जा था, जबकि एक सीट बरनाला आप के पास थी। लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले डॉ. राजकुमार चब्बेवाल आप में शामिल हो गए थे। साथ ही उन्होंने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था। जबकि डेरा बाबा नानक और गिद्दड़बाहा कांग्रेस के पास थी। पंजाब में चार सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में 10 दिन का समय शेष रह गया है। ऐसे में अब सभी पार्टियों के दिग्गज फील्ड में मोर्चा संभालेंगे। इसी कड़ी में आज (रविवार) को सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता व सीएम भगवंत मान डेरा बाबा नानक में उम्मीदवार गुरदीप सिंह रंधावा के पक्ष में चुनावी सभा काे संबोधित करेंगे। वह दोपहर बाद कलानौर में पहुंचेंगे। यह उनका डेरा बाबा नानक में एक हफ्ते में दूसरा प्रोग्राम है। इससे पहले उन्होंने 27 अक्टूबर को हलके का दौरा किया था। पार्टी से ज्यादा बड़े नेताओंं की प्रतिष्ठा दांव पर राज्य में बरनाला, डेरा बाबा नानक, गिद्दड़बाहा और चब्बेवाल में उपचुनाव हो रहे हैं। क्योंकि इन सीटों के विधायक सांसद बन गए हैं। भले ही इन चुनावी नतीजों से राज्य की सत्ता में कोई परिवर्तन नहीं होगा। क्योंकि सरकार के 117 में से 91 सीटें हैं। लेकिन इन चुनावों में पार्टियों से ज्यादा बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। अगर चब्बेवाल की बात करे तो सांसद राज कुमार चब्बेवाल के बेटे डॉ. इशांक यहां से चुनावी मैदान में हैं। डेरा बाबा नानक से सांसद व सीनियर कांग्रेसी नेता सुखजिंदर रंधावा की पत्नी जतिंदर कौर को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। यहां से पहले रंधावा विधायक थे। इसी तरह मुक्तसर जिले की गिद्दड़बाहा सीट से कांग्रेस प्रधान व लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िंग को चुनावी मैदान में उतारा गया है। वहीं, भाजपा ने यहां से मनप्रीत बादल पर दांव खेला है। जबकि बरनाला में सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के दोस्त हरिंदर सिंह धालीवाल आप के उम्मीदवार। इस वजह से पार्टी में बगावत हुई। जिला योजना कमेटी के चेयरमैन रहे गुरदीप बाठ निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे तो पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। भाजपा ने केवल सिंह ढिल्लों दांव खेला है। हालांकि 1992 के बाद पहली बार अकाली दल चुनावी मैदान में नहीं है। इसके पीछे की वजह यह है कि पार्टी प्रधान सुखबीर बादल को श्री अकाल तख्त साहिब ने तनखैया ( धार्मिक सजा के तहत दोषी) घोषित किया हुआ है, लेकिन अभी तक सजा नहीं सुनाई गई है। इस वजह से वह चुनाव से दूर हैं। वहीं, पार्टी ने भी चुनाव से किनारा किया है। प्रचारकों की जगह अभी तक स्ट्रेटजी कमेटी बनाई इन चारों सीटों पर कुल 45 उम्मीदवार मैदान में है। AAP, कांग्रेस और भाजपा मुख्य पार्टियां है। आप और भाजपा ने अपने स्टार प्रचारक घोषित कर दिए हैं। लेकिन अभी तक कांग्रेस की तरफ से सूची जारी नहीं की गई है। हालांकि 27 अक्टूबर को पार्टी के प्रभारी दविंदर सिंह की तरफ की चुनाव के लिए सात मेंबरी स्ट्रेटजी एंड प्लानिंग कमेटी गठित की गई थी। इसमें प्रताप सिंह बाजवा को कोऑर्डिनेटर लगाया गया था। इसी तरह चारों हलकों के लिए प्रभारी, सह प्रभारी और संयोजक लगाए गए थे। तीन सीटें कांग्रेस के पास थी इन चारों सीटों में से तीन पर पहले कांग्रेस का कब्जा था, जबकि एक सीट बरनाला आप के पास थी। लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले डॉ. राजकुमार चब्बेवाल आप में शामिल हो गए थे। साथ ही उन्होंने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था। जबकि डेरा बाबा नानक और गिद्दड़बाहा कांग्रेस के पास थी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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