ज्ञानवापी परिसर मस्जिद है या काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा। इसे लेकर कोर्ट विवादित परिसर में ASI सर्वे करवा चुका है। कई सबूत सामने आए। दावों के पीछे हिंदू पक्ष की अपनी दलीलें हैं, मुस्लिम पक्ष 1883-84 के राजस्व दस्तावेज के सहारे खुद को मजबूत बता रहा है। दैनिक भास्कर ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी सैयद मोहम्मद यासीन और राखी सिंह बनाम अदर्स केस में वकील पंडित सुधीर त्रिपाठी से बात की। दोनों पक्षों से वो साक्ष्य जानने के प्रयास किए, जिनके आधार पर यह केस चल रहे हैं।
सबूत क्या हैं और कितने पुराने हैं? मसाजिद कमेटी आगे कैसे बढ़ेगी? अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव एसएम यासीन ने क्या-कुछ बताया, पढ़िए रिपोर्ट… हमारे पास सबूत, तय है कि मस्जिद थी और रहेगी
एसएम यासीन वाराणसी में लकड़ी के बड़े व्यापारी हैं। उनके फर्म में दरवाजे की चौखट-बाजू और फैंसी लकड़ी का काम होता है। हम उनकी काशीपुरा स्थित शॉप पर पहुंचे। उन्होंने कहा- हमारे पास सैकड़ों साक्ष्य हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि यह मस्जिद थी, है और रहेगी।
उन्होंने अपने कर्मचारी उबैदा को आवाज दी और उससे अलमारी से कुछ उतारने और घर से कुछ दस्तावेज लाने को कहा। विवादित परिसर के मस्जिद होने को लेकर बताए गए 5 साक्ष्यों के बारे में पढ़िए 1. हिंदू पक्ष कहता है कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई; 600 साल पहले
ज्ञानवापी मस्जिद के होने का सबसे पहला साक्ष्य हिंदू पक्ष ने खुद दिया है। उनकी ओर से कहा गया कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था। अगर हम इस बात को मानें तो इसे भी लगभग 600 साल हो गए। इसका मतलब हम 600 साल से इस मस्जिद में नमाज पढ़ रहे हैं, क्योंकि यह सिलसिला कोरोना काल में भी नहीं रुका। तो सबसे बड़ा और पहला साक्ष्य यही हैं कि यहां मस्जिद थी और है। 2. 1883-84 का राजस्व अभिलेख: मस्जिद दर्ज है, नक्शा भी बना है
सबसे मजबूत साक्ष्य हमारे पास 1883-84 का राजस्व अभिलेख है। हमने साल 2016 में इसकी वाराणसी राजस्व कार्यालय से पक्की नकल भी निकलवाई थी। इस अभिलेख में यह बात साफ तौर पर लिखी है कि विश्वनाथ मंदिर के पास रकबा नंबर 9130 मस्जिद है। इसमें नक्शा भी बना हुआ है। यह अभिलेख देश के सभी न्यायालय में सर्वमान्य है। ऐसे में कैसे झुठलाया जाएगा कि यह मस्जिद नहीं है। 3. 1291 फसली की खसरा-खतौनी: इसमें लिखा है 9130 पक्का जुमा मस्जिद
हमारे पास तीसरा सबसे मजबूत सबूत, 1291 फसली की खसरा-खतौनी है। इसमें साफ लिखा है- रकबा नंबर 9130 इन पजेशन ऑफ मुस्लिम। पक्का जुमा मस्क्यू विथ पक्का कोर्ट यार्ड। इसके अलावा इसमें लिखा है कि वन पीपल ट्री, टू सायप्रस ट्री। वन पक्का वेल हैविंग सॉल्टिश वाटर (खारे पानी का पक्का कुआं)। पजेस्ड बाई द मुस्लिम्स बींग अंडर द मैनेजमेंट ऑफ मौलवी कुतुब्बुद्दीन वकील। यह शहर खास के 1883 के रिकार्ड के आधार पर बनी खतौनी है। 4. वाराणसी कोर्ट का 1937 में दिया फैसला: कोर्ट ने माना यह मुस्लिम वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी
साल 1936 में वाराणसी सिविल कोर्ट में दीन मोहम्मद बनाम अदर्स का केस दर्ज हुआ। इसमें सिविल जज एसबी सिंह ने 24 अगस्त, 1937 को अहम फैसला दिया। इसमें सिविल जज ने अपने आदेश में लिखा – इट इज डिक्लियर दैट ओनली द मस्क्यू एंड द कोर्टयार्ड विथ द लैंड अंडरनॉट (यानी जमीन की गहराई तक) आर हनफी मुस्लिम वक्फ, एंड दैट दो प्लेंटीफ्स एंड अदर हनफी मुस्लिम हैव राइट ऑफ ऑफरिंग प्रेयर। 5. श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास ने विश्वनाथ हेरिटेज जोन के नक्शे में मस्जिद को शामिल किया
यासीन ने बताया- इसके अलावा जब विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की बात शुरू हुई तो श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास ने एक बुकलेट पब्लिश करवाई थी। जिसमें न्यास ने स्वयं कवर पेज के पीछे की तरफ एक नक्शा प्रिंट करवाया है। जिस पर श्री काशी विश्वनाथ हेरिटेज जोन में समाहित स्थलों का नक्शा बनाया गया है। इसमें भी मस्जिद का नक्शा है। इसका मतलब आप भी इसे मस्जिद मानते हैं। दस्तावेज में मस्जिद है। एमएस यासीन ने बताया- इन पांच मजबूत सुबूतों से हम हर बार कोर्ट में यह साबित कर सकते हैं कि यह मस्जिद है और इसमें सैकड़ों सालों से नमाज होती आ रही है। इसमें कभी पूजा नहीं हुई। अदालतें फैसला दे रहीं, इंसाफ नहीं कर रहीं
एसएम यासीन से जब पूछा गया कि मसाजिद कमेटी कोर्ट में कितनी मजबूत हैं। इस पर उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- हम मजबूत हैं, पर कोर्ट हमें मजबूत नहीं रहने दे रहा। कोर्ट फैसले दे रहा है, पर इंसाफ नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी को तहखाने में जिस तरह से पूजा-पाठ कराई गई, वह गलत है और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। ज्ञानवापी को मंदिर साबित करने के लिए हिंदू पक्ष के पास 5 मजबूत आधार और साक्ष्य क्या हैं? ये जानने के लिए हमने राखी सिंह बनाम अदर्स मुकदमे के अधिवक्ता पंडित सुधीर त्रिपाठी से बात की। पंडित सुधीर त्रिपाठी ने हमें 5 मजबूत आधार के बारे में बताया… हिंदू पक्ष के 2 दर्जन से ज्यादा मुकदमे हैं। इनमें 1991 का मूल वाद लार्ड विश्वेश्वर बनाम अदर्स और राखी सिंह बनाम अदर्स मुख्य वाद है। इन दोनों में सुनवाई हो रही है। श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन-पूजन की मांग की याचिका डाली गई। साल 2021 में सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए। इसके बाद सर्वे शुरू हुआ। कुछ ही घंटे बाद कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर सर्वे पर रोक लगा दी। फिर कोर्ट ने इसकी सुनवाई के दौरान 12 मई को आदेश दिया। जिसमें कहा गया कि साधारण कमीशन सर्वे पूरा करके 17 मई को रिपोर्ट पेश करें। सर्वे के दौरान 16 मई को शिवलिंग की संरचना मिल गई। इसके बाद मस्जिद के वजूखाने को सीज किया गया। इसके बाद ASI के सर्वे के लिए भी कोर्ट ने सहमति दी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बिना कथित मस्जिद के ढांचे को नुकसान पहुंचाए सर्वे करने का ASI से शपथपत्र लिया। उसके बाद सर्वे पूरा हुआ जो 100 दिन से ज्यादा चला। 1. साधारण कमीशन के सर्वे के दौरान वजूखाने में कथित शिवलिंग मिला
पंडित सुधीर कुमार त्रिपाठी ने बताया- 13 से 16 मई, 2021 को साधारण कमीशन सर्वे हुआ। इसमें ज्ञानवापी की दीवारों पर हिंदू और सनातन के चिह्न मिले। इसके अलावा वजूखाने में सर्वे के अंतिम दिन कथित शिवलिंग मिला। यह प्रमाण है कि वह हिंदू मंदिर था और है। इस दौरान व्यास जी के तहखाने जहां आज पूजा-पाठ हो रही है। वहां बांस-बल्ली और कई खंडित मूर्तियों के अवशेष मिले थे, जिससे यह साबित है कि यहां पहले भी पूजा होती थी। 2. ASI सर्वे की फाइंडिंग रिपोर्ट: पुराने मंदिर के अवशेष पर मस्जिद बनाई
16 मई, 2023 को चारों पक्षकार महिलाओं ने एक प्रार्थना पत्र तत्कालीन जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दिया। मस्जिद परिसर के विवादित स्थल को छोड़कर ASI से सर्वे करवाने की मांग की। इस पर सुनवाई करते हुए जिला जज की अदालत ने 21 जुलाई को सर्वे के आदेश दिए। ASI को 4 अगस्त को रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था। इस पर मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से रोक लगवाई। फिर ASI ने सशर्त 4 अगस्त से सर्वे शुरू किया। 25 जनवरी, 2024 को ASI ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट लगाई थी। इस सर्वे के दौरान व्यास जी के तहखाने में मस्जिद के और स्थानों पर खंडित मूर्तियों के अवशेष। मंदिर में चढ़ाए जाने वाले सिक्कों के अवशेष। मुगलकालीन समय के सिक्के और लेख शिलापट्ट मिले। साथ ही ASI के अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अति प्राचीन मंदिर के अवशेष पर मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया है। यह मस्जिद की अंदर की दीवारों, कलाकृतियों से मालूम होता है। 3. ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार कहती है कि यह मंदिर का अवशेष
ज्ञानवापी की जो पश्चिमी दीवार है। वह चीख-चीख कर कहती है कि मै मंदिर की दीवार हूं। यह हमारे केस का सबसे मजबूत आधार है, क्योंकि इस दीवार पर किसी भी प्रकार की मरम्मत नहीं कराई गई है। वह जस की तस है। इस मंदिर पर सर्वे के दौरान कई हिंदू चिह्न मिले हैं। यह भी हमारी तरफ से कोर्ट में एक मजबूत आधार है। 4. विश्व में कौन सी ऐसी मस्जिद है, जहां पूजा-पाठ भी होता है
कोर्ट के आदेश के बाद अब व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना हो रही है। यह ASI सर्वे में पुष्ट हुआ था और वहां खंडित मूर्तियां और बांस-बल्ली मिली थी। उसमें रामायण का पाठ होता था। तो पूरे विश्व में कहीं कोई ऐसी मस्जिद है, जहां ऊपर नमाज और नीचे-पूजा पाठ चल रही हो। ऐसे में यह एक बड़ा सुबूत है, हम कोर्ट में मजबूत स्थिति में हैं। इस पर हम आगे बहस भी कर रहे हैं। 5. नंदी जी का मुख ज्ञानवापी के अंदर सील वजूखाने की तरफ…
वकील सुधीर ने बताया- शास्त्रों में यह कहा गया है कि नंदी जी का मुख हमेशा शिवलिंग की तरफ होता है। ऐसे में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में ज्ञानवापी की तरफ स्थापित अति प्राचीन नंदी जी का मुख ज्ञानवापी के अंदर सील वजूखाने की तरफ है। इससे साफ है कि ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग का नंदी जी से रिश्ता है और यह मस्जिद नहीं मंदिर है। यह हिंदू पक्ष का सबसे मजबूत साक्ष्य है। ————- यह भी पढ़ें कश्मीर में 36 घंटे में 3 एनकाउंटर:श्रीनगर में उस घर को उड़ाया, जहां आतंकी छुपे थे; 4 जवान घायल, 3 आतंकी ढेर कश्मीर में पिछले 36 घंटे में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच श्रीनगर, बांदीपोरा और अनंतनाग में 3 एनकाउंटर हुए। इनमें 4 जवान घायल हो गए और 3 आतंकी मारे गए। श्रीनगर के खान्यार में एक घर में 2 से 3 आतंकी छिपे थे। सेना ने घर को बम से उड़ा दिया है। इसमें एक पाकिस्तानी आतंकी मारा गया। घटनास्थल से आतंकी की बॉडी और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं। पढ़े पूरी खबर… ज्ञानवापी परिसर मस्जिद है या काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा। इसे लेकर कोर्ट विवादित परिसर में ASI सर्वे करवा चुका है। कई सबूत सामने आए। दावों के पीछे हिंदू पक्ष की अपनी दलीलें हैं, मुस्लिम पक्ष 1883-84 के राजस्व दस्तावेज के सहारे खुद को मजबूत बता रहा है। दैनिक भास्कर ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी सैयद मोहम्मद यासीन और राखी सिंह बनाम अदर्स केस में वकील पंडित सुधीर त्रिपाठी से बात की। दोनों पक्षों से वो साक्ष्य जानने के प्रयास किए, जिनके आधार पर यह केस चल रहे हैं।
सबूत क्या हैं और कितने पुराने हैं? मसाजिद कमेटी आगे कैसे बढ़ेगी? अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव एसएम यासीन ने क्या-कुछ बताया, पढ़िए रिपोर्ट… हमारे पास सबूत, तय है कि मस्जिद थी और रहेगी
एसएम यासीन वाराणसी में लकड़ी के बड़े व्यापारी हैं। उनके फर्म में दरवाजे की चौखट-बाजू और फैंसी लकड़ी का काम होता है। हम उनकी काशीपुरा स्थित शॉप पर पहुंचे। उन्होंने कहा- हमारे पास सैकड़ों साक्ष्य हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि यह मस्जिद थी, है और रहेगी।
उन्होंने अपने कर्मचारी उबैदा को आवाज दी और उससे अलमारी से कुछ उतारने और घर से कुछ दस्तावेज लाने को कहा। विवादित परिसर के मस्जिद होने को लेकर बताए गए 5 साक्ष्यों के बारे में पढ़िए 1. हिंदू पक्ष कहता है कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई; 600 साल पहले
ज्ञानवापी मस्जिद के होने का सबसे पहला साक्ष्य हिंदू पक्ष ने खुद दिया है। उनकी ओर से कहा गया कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था। अगर हम इस बात को मानें तो इसे भी लगभग 600 साल हो गए। इसका मतलब हम 600 साल से इस मस्जिद में नमाज पढ़ रहे हैं, क्योंकि यह सिलसिला कोरोना काल में भी नहीं रुका। तो सबसे बड़ा और पहला साक्ष्य यही हैं कि यहां मस्जिद थी और है। 2. 1883-84 का राजस्व अभिलेख: मस्जिद दर्ज है, नक्शा भी बना है
सबसे मजबूत साक्ष्य हमारे पास 1883-84 का राजस्व अभिलेख है। हमने साल 2016 में इसकी वाराणसी राजस्व कार्यालय से पक्की नकल भी निकलवाई थी। इस अभिलेख में यह बात साफ तौर पर लिखी है कि विश्वनाथ मंदिर के पास रकबा नंबर 9130 मस्जिद है। इसमें नक्शा भी बना हुआ है। यह अभिलेख देश के सभी न्यायालय में सर्वमान्य है। ऐसे में कैसे झुठलाया जाएगा कि यह मस्जिद नहीं है। 3. 1291 फसली की खसरा-खतौनी: इसमें लिखा है 9130 पक्का जुमा मस्जिद
हमारे पास तीसरा सबसे मजबूत सबूत, 1291 फसली की खसरा-खतौनी है। इसमें साफ लिखा है- रकबा नंबर 9130 इन पजेशन ऑफ मुस्लिम। पक्का जुमा मस्क्यू विथ पक्का कोर्ट यार्ड। इसके अलावा इसमें लिखा है कि वन पीपल ट्री, टू सायप्रस ट्री। वन पक्का वेल हैविंग सॉल्टिश वाटर (खारे पानी का पक्का कुआं)। पजेस्ड बाई द मुस्लिम्स बींग अंडर द मैनेजमेंट ऑफ मौलवी कुतुब्बुद्दीन वकील। यह शहर खास के 1883 के रिकार्ड के आधार पर बनी खतौनी है। 4. वाराणसी कोर्ट का 1937 में दिया फैसला: कोर्ट ने माना यह मुस्लिम वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी
साल 1936 में वाराणसी सिविल कोर्ट में दीन मोहम्मद बनाम अदर्स का केस दर्ज हुआ। इसमें सिविल जज एसबी सिंह ने 24 अगस्त, 1937 को अहम फैसला दिया। इसमें सिविल जज ने अपने आदेश में लिखा – इट इज डिक्लियर दैट ओनली द मस्क्यू एंड द कोर्टयार्ड विथ द लैंड अंडरनॉट (यानी जमीन की गहराई तक) आर हनफी मुस्लिम वक्फ, एंड दैट दो प्लेंटीफ्स एंड अदर हनफी मुस्लिम हैव राइट ऑफ ऑफरिंग प्रेयर। 5. श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास ने विश्वनाथ हेरिटेज जोन के नक्शे में मस्जिद को शामिल किया
यासीन ने बताया- इसके अलावा जब विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की बात शुरू हुई तो श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास ने एक बुकलेट पब्लिश करवाई थी। जिसमें न्यास ने स्वयं कवर पेज के पीछे की तरफ एक नक्शा प्रिंट करवाया है। जिस पर श्री काशी विश्वनाथ हेरिटेज जोन में समाहित स्थलों का नक्शा बनाया गया है। इसमें भी मस्जिद का नक्शा है। इसका मतलब आप भी इसे मस्जिद मानते हैं। दस्तावेज में मस्जिद है। एमएस यासीन ने बताया- इन पांच मजबूत सुबूतों से हम हर बार कोर्ट में यह साबित कर सकते हैं कि यह मस्जिद है और इसमें सैकड़ों सालों से नमाज होती आ रही है। इसमें कभी पूजा नहीं हुई। अदालतें फैसला दे रहीं, इंसाफ नहीं कर रहीं
एसएम यासीन से जब पूछा गया कि मसाजिद कमेटी कोर्ट में कितनी मजबूत हैं। इस पर उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- हम मजबूत हैं, पर कोर्ट हमें मजबूत नहीं रहने दे रहा। कोर्ट फैसले दे रहा है, पर इंसाफ नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी को तहखाने में जिस तरह से पूजा-पाठ कराई गई, वह गलत है और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। ज्ञानवापी को मंदिर साबित करने के लिए हिंदू पक्ष के पास 5 मजबूत आधार और साक्ष्य क्या हैं? ये जानने के लिए हमने राखी सिंह बनाम अदर्स मुकदमे के अधिवक्ता पंडित सुधीर त्रिपाठी से बात की। पंडित सुधीर त्रिपाठी ने हमें 5 मजबूत आधार के बारे में बताया… हिंदू पक्ष के 2 दर्जन से ज्यादा मुकदमे हैं। इनमें 1991 का मूल वाद लार्ड विश्वेश्वर बनाम अदर्स और राखी सिंह बनाम अदर्स मुख्य वाद है। इन दोनों में सुनवाई हो रही है। श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन-पूजन की मांग की याचिका डाली गई। साल 2021 में सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए। इसके बाद सर्वे शुरू हुआ। कुछ ही घंटे बाद कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर सर्वे पर रोक लगा दी। फिर कोर्ट ने इसकी सुनवाई के दौरान 12 मई को आदेश दिया। जिसमें कहा गया कि साधारण कमीशन सर्वे पूरा करके 17 मई को रिपोर्ट पेश करें। सर्वे के दौरान 16 मई को शिवलिंग की संरचना मिल गई। इसके बाद मस्जिद के वजूखाने को सीज किया गया। इसके बाद ASI के सर्वे के लिए भी कोर्ट ने सहमति दी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बिना कथित मस्जिद के ढांचे को नुकसान पहुंचाए सर्वे करने का ASI से शपथपत्र लिया। उसके बाद सर्वे पूरा हुआ जो 100 दिन से ज्यादा चला। 1. साधारण कमीशन के सर्वे के दौरान वजूखाने में कथित शिवलिंग मिला
पंडित सुधीर कुमार त्रिपाठी ने बताया- 13 से 16 मई, 2021 को साधारण कमीशन सर्वे हुआ। इसमें ज्ञानवापी की दीवारों पर हिंदू और सनातन के चिह्न मिले। इसके अलावा वजूखाने में सर्वे के अंतिम दिन कथित शिवलिंग मिला। यह प्रमाण है कि वह हिंदू मंदिर था और है। इस दौरान व्यास जी के तहखाने जहां आज पूजा-पाठ हो रही है। वहां बांस-बल्ली और कई खंडित मूर्तियों के अवशेष मिले थे, जिससे यह साबित है कि यहां पहले भी पूजा होती थी। 2. ASI सर्वे की फाइंडिंग रिपोर्ट: पुराने मंदिर के अवशेष पर मस्जिद बनाई
16 मई, 2023 को चारों पक्षकार महिलाओं ने एक प्रार्थना पत्र तत्कालीन जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दिया। मस्जिद परिसर के विवादित स्थल को छोड़कर ASI से सर्वे करवाने की मांग की। इस पर सुनवाई करते हुए जिला जज की अदालत ने 21 जुलाई को सर्वे के आदेश दिए। ASI को 4 अगस्त को रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था। इस पर मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से रोक लगवाई। फिर ASI ने सशर्त 4 अगस्त से सर्वे शुरू किया। 25 जनवरी, 2024 को ASI ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट लगाई थी। इस सर्वे के दौरान व्यास जी के तहखाने में मस्जिद के और स्थानों पर खंडित मूर्तियों के अवशेष। मंदिर में चढ़ाए जाने वाले सिक्कों के अवशेष। मुगलकालीन समय के सिक्के और लेख शिलापट्ट मिले। साथ ही ASI के अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अति प्राचीन मंदिर के अवशेष पर मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया है। यह मस्जिद की अंदर की दीवारों, कलाकृतियों से मालूम होता है। 3. ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार कहती है कि यह मंदिर का अवशेष
ज्ञानवापी की जो पश्चिमी दीवार है। वह चीख-चीख कर कहती है कि मै मंदिर की दीवार हूं। यह हमारे केस का सबसे मजबूत आधार है, क्योंकि इस दीवार पर किसी भी प्रकार की मरम्मत नहीं कराई गई है। वह जस की तस है। इस मंदिर पर सर्वे के दौरान कई हिंदू चिह्न मिले हैं। यह भी हमारी तरफ से कोर्ट में एक मजबूत आधार है। 4. विश्व में कौन सी ऐसी मस्जिद है, जहां पूजा-पाठ भी होता है
कोर्ट के आदेश के बाद अब व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना हो रही है। यह ASI सर्वे में पुष्ट हुआ था और वहां खंडित मूर्तियां और बांस-बल्ली मिली थी। उसमें रामायण का पाठ होता था। तो पूरे विश्व में कहीं कोई ऐसी मस्जिद है, जहां ऊपर नमाज और नीचे-पूजा पाठ चल रही हो। ऐसे में यह एक बड़ा सुबूत है, हम कोर्ट में मजबूत स्थिति में हैं। इस पर हम आगे बहस भी कर रहे हैं। 5. नंदी जी का मुख ज्ञानवापी के अंदर सील वजूखाने की तरफ…
वकील सुधीर ने बताया- शास्त्रों में यह कहा गया है कि नंदी जी का मुख हमेशा शिवलिंग की तरफ होता है। ऐसे में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में ज्ञानवापी की तरफ स्थापित अति प्राचीन नंदी जी का मुख ज्ञानवापी के अंदर सील वजूखाने की तरफ है। इससे साफ है कि ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग का नंदी जी से रिश्ता है और यह मस्जिद नहीं मंदिर है। यह हिंदू पक्ष का सबसे मजबूत साक्ष्य है। ————- यह भी पढ़ें कश्मीर में 36 घंटे में 3 एनकाउंटर:श्रीनगर में उस घर को उड़ाया, जहां आतंकी छुपे थे; 4 जवान घायल, 3 आतंकी ढेर कश्मीर में पिछले 36 घंटे में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच श्रीनगर, बांदीपोरा और अनंतनाग में 3 एनकाउंटर हुए। इनमें 4 जवान घायल हो गए और 3 आतंकी मारे गए। श्रीनगर के खान्यार में एक घर में 2 से 3 आतंकी छिपे थे। सेना ने घर को बम से उड़ा दिया है। इसमें एक पाकिस्तानी आतंकी मारा गया। घटनास्थल से आतंकी की बॉडी और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं। पढ़े पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर