हरियाणा के सोनीपत जिले के गोहाना क्षेत्र में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन (IOCL) द्वारा कई गांवों के खेतों में बिछाई जा रही तेल पाइपलाइन को लेकर 3 दिन से माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। किसान तेल कंपनी से अपनी जमीन का ज्यादा मुआवजा मांग रहे हैं। अब किसानों को जबरन हटा कर पाइप लाइन दबाने का काम चल रहा है। दो दिन से किसान प्रशासन आमने सामने हैं। आज किसानों की ओर से गांव कोहला में बड़ी किसान महापंचायत बुलाई गई है। पुलिस प्रशासन भी इसको लेकर अलर्ट पर है। ये है पूरा मामला गोहाना क्षेत्र के गांव कोहला व इसके आसपास के दर्जन भर गांवों में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन द्वारा खेतों में तेल की पाइपलाइन बिछाई जा रही है। कोहला गांव में जागसी, कोहला, नूरन खेड़ा, बुटाना, गंगाना, घड़वाल समेत कई अन्य गांव के किसान 3 महीने से धरना दे रहे हैं। वे तेल की पाइप लाइन बिछाने का काम रोके हुए थे। मंगलवार को प्रशासन ने इस पर कार्रवाई करते हुए किसानों को जबरन वहां से हटा कर पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू करा दिया। बुधवार को भी किसानों ने यहां तेल कंपनी के काम को रोक दिया और किसान पोकलेन मशीन पर चढ़ गए। इसको देखते हुए पुलिस ने दूसरे दिन भी किसानों को यहां से जबरन हटा दिया। इस दौरान 47 किसानों को हिरासत में लिया गया। पुलिस द्वारा किसानों को जबरन हाथ पांव पकड़ कर उठा ले जाने व महिलाओं की पुलिस के साथ झड़प के कई वीडियो वायरल हुए हैं। इससे पहले मंगलवार को 16 महिलाओं समेत 24 किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। मांग रहे हैं ज्यादा मुआवजा गुजरात से पानीपत रिफाइनरी में तेल पहुंचाने के लिए IOCL की ओर से खेतों के रास्ते पाइप लाइन बिछाई जा रही है। पाइप लाइन कोहला, गंगाना, नूरनखेड़ा, बुटाना व जागसी गांव से होकर गुजरेगी। किसानों को इसके लिए 4 लाख रुपए के हिसाब से मुआवजा दिया जा रहा है। किसान इसे कम बता कर 3 अगस्त से गांव कोहला में धरना दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि पानीपत में ये मुआवजा राशि 10 लाख रुपए है। हमारे साथ भेदभाव हो रहा है। वे भी मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं। किसान यूनियन एकत्रित, SKM से मांगा सहयोग दो दिन से यहां किसानों व प्रशासन के बीच चल रहे टकराव, किसानों को जबरन हटाने, हिरासत में लेने को लेकर अब किसान यूनियन नेता कोहला में जुटने लगे हैं। किसान नेता रवि आजाद ने कहा कि पुलिस व प्रशासन किसानों पर ज्यादती कर रहा है। इसको लेकर गुरुवार 7 नवंबर को कोहला में किसान महापंचायत होगी। किसान नेताओं ने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) से भी अपील की है कि वे किसानों के आंदोलन पर संज्ञान लें। आसपास के जिले के किसानों को कोहला आने को कहा गया है। पुलिस-प्रशासन अलर्ट पाइप लाइन के विरोध में किसानों के प्रोटेस्ट को देखते हुए सोनीपत प्रशासन व पुलिस भी अलर्ट हैं। किसानों की संख्या भी कोहला में हर दिन बढ़ती जा रही है। गोहाना के एसीपी ऋषिकांत का कहना है कि कोहला गांव में पाइप लाइन बिछाने का कार्य शुरू कराने के लिए तेल कंपनी ने पुलिस सुरक्षा मांगी है। इसी को लेकर ड्यूटी मजिस्ट्रेट के निर्देश पर पुलिस काम कर रही है। पुलिस हर प्रकार के हालात से निपटने को तैयार है। हरियाणा के सोनीपत जिले के गोहाना क्षेत्र में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन (IOCL) द्वारा कई गांवों के खेतों में बिछाई जा रही तेल पाइपलाइन को लेकर 3 दिन से माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। किसान तेल कंपनी से अपनी जमीन का ज्यादा मुआवजा मांग रहे हैं। अब किसानों को जबरन हटा कर पाइप लाइन दबाने का काम चल रहा है। दो दिन से किसान प्रशासन आमने सामने हैं। आज किसानों की ओर से गांव कोहला में बड़ी किसान महापंचायत बुलाई गई है। पुलिस प्रशासन भी इसको लेकर अलर्ट पर है। ये है पूरा मामला गोहाना क्षेत्र के गांव कोहला व इसके आसपास के दर्जन भर गांवों में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन द्वारा खेतों में तेल की पाइपलाइन बिछाई जा रही है। कोहला गांव में जागसी, कोहला, नूरन खेड़ा, बुटाना, गंगाना, घड़वाल समेत कई अन्य गांव के किसान 3 महीने से धरना दे रहे हैं। वे तेल की पाइप लाइन बिछाने का काम रोके हुए थे। मंगलवार को प्रशासन ने इस पर कार्रवाई करते हुए किसानों को जबरन वहां से हटा कर पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू करा दिया। बुधवार को भी किसानों ने यहां तेल कंपनी के काम को रोक दिया और किसान पोकलेन मशीन पर चढ़ गए। इसको देखते हुए पुलिस ने दूसरे दिन भी किसानों को यहां से जबरन हटा दिया। इस दौरान 47 किसानों को हिरासत में लिया गया। पुलिस द्वारा किसानों को जबरन हाथ पांव पकड़ कर उठा ले जाने व महिलाओं की पुलिस के साथ झड़प के कई वीडियो वायरल हुए हैं। इससे पहले मंगलवार को 16 महिलाओं समेत 24 किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। मांग रहे हैं ज्यादा मुआवजा गुजरात से पानीपत रिफाइनरी में तेल पहुंचाने के लिए IOCL की ओर से खेतों के रास्ते पाइप लाइन बिछाई जा रही है। पाइप लाइन कोहला, गंगाना, नूरनखेड़ा, बुटाना व जागसी गांव से होकर गुजरेगी। किसानों को इसके लिए 4 लाख रुपए के हिसाब से मुआवजा दिया जा रहा है। किसान इसे कम बता कर 3 अगस्त से गांव कोहला में धरना दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि पानीपत में ये मुआवजा राशि 10 लाख रुपए है। हमारे साथ भेदभाव हो रहा है। वे भी मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं। किसान यूनियन एकत्रित, SKM से मांगा सहयोग दो दिन से यहां किसानों व प्रशासन के बीच चल रहे टकराव, किसानों को जबरन हटाने, हिरासत में लेने को लेकर अब किसान यूनियन नेता कोहला में जुटने लगे हैं। किसान नेता रवि आजाद ने कहा कि पुलिस व प्रशासन किसानों पर ज्यादती कर रहा है। इसको लेकर गुरुवार 7 नवंबर को कोहला में किसान महापंचायत होगी। किसान नेताओं ने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) से भी अपील की है कि वे किसानों के आंदोलन पर संज्ञान लें। आसपास के जिले के किसानों को कोहला आने को कहा गया है। पुलिस-प्रशासन अलर्ट पाइप लाइन के विरोध में किसानों के प्रोटेस्ट को देखते हुए सोनीपत प्रशासन व पुलिस भी अलर्ट हैं। किसानों की संख्या भी कोहला में हर दिन बढ़ती जा रही है। गोहाना के एसीपी ऋषिकांत का कहना है कि कोहला गांव में पाइप लाइन बिछाने का कार्य शुरू कराने के लिए तेल कंपनी ने पुलिस सुरक्षा मांगी है। इसी को लेकर ड्यूटी मजिस्ट्रेट के निर्देश पर पुलिस काम कर रही है। पुलिस हर प्रकार के हालात से निपटने को तैयार है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में पुलिस व बदमाशों से मुठभेड़:काका राणा गैंग के दो युवकों को लगी टांग पर गोली, तीन जगह की थी फायरिंग हरियाणा में करनाल के कैमला- गढ़ी मुल्तान रोड पर कुरुक्षेत्र सीआईए पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई हैं। मुठभेड़ में तीनों बदमाशों को पकड़ लिया गया हैं। तीनों काका राणा गैंग से जुड़े हुए हैं। काका राणा गैंग ने ही घरौंडा के JMD मोबाइल शो रूम, पीपली में अनाज मंडी व कुरुक्षेत्र के इमिग्रेशन सेंटर पर फायरिंग की घटनाओं को अंजाम दिया था। सुबह 3 बजे की घटना शनिवार अगल सुबह करीब 3 बजे सीआईए कुरूक्षेत्र को कैमला-गढ़ी मुल्तान रोड पर तीन बदमाशों के होने की सूचना मिली। जिसके बाद पुलिस हरकत में आ गई और मौके पर पहुंच गई। जहां पर पुलिस को एक बाइक पर तीन युवक नजर आये तीनों ने पुलिस को देखकर भागने का प्रयास किया और भागते हुए पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जिसके बाद पुलिस को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। बदमाशों से दो पिस्टल भी बरामद की गई। दो की टांग पर लगी गोली टीम के इंचार्ज मोहन लाल ने बताया कि इस मुठभेड़ में दो बदमाशों की टांग में गोली लगी हैं, जबकि एक घायल हुआ हैं। बदमाशों में दोनों का नाम संदीप हैं। जिनमे से एक हिसार का हैं और दूसरा फ़रीदाबाद का रहने वाला हैं। तीसरे बदमाश का नाम ऋतिक हैं, यह भिवानी का रहने वाला हैं। फिरौती मांगने का करते है काम मोहन लाल ने बताया कि अबतक पूछताछ में सामने आया है कि तीनों बदमाश काका राणा गैंग से जुड़े हुए हैं और तीनों का काम फिरौती मांगने का था। काका राणा विदेश में बैठकर अपना गैंग चला रहा हैं और विदेश से बैठकर ही देश में व्यापारियों को फिरौती के लिए कॉल करता हैं और उन्हें जान से मारने की धमकी देता हैं। मोहन लाल ने बताया कि दो बदमाशों का इलाज मेडिकल कॉलेज में चल रहा है जबकि तीसरे बदमाश से पूछताछ की जा रही है।
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कंवरपाल गुर्जर के सामने हैट्रिक की चुनौती:AAP गुर्जर वोट में सेंधमारी करेगी; अकरम खान को कांग्रेस वेव का फायदा हरियाणा में यमुनानगर जिले की जगाधरी विधानसभा सीट पर इस चुनाव में पूर्व कृषि मंत्री और भाजपा उम्मीदवार कंवरपाल गुर्जर की राह आसान नहीं है। उनके सामने कांग्रेस के अकरम खान, आम आदमी पार्टी (AAP) के आदर्श पाल सिंह कड़ी टक्कर देंगे। इनके अलावा, इस सीट पर इनेलो-बसपा से दर्शन सिंह खेड़ा और जजपा-असपा से डॉ. अशोक कश्यप उम्मीदवार हैं। जगाधरी विधानसभा सीट में करीब 2.45 लाख वोटर हैं। यहां शहरी वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं। यहां मुख्य मुद्दा उद्योग, अवैध माइनिंग और बढ़ते क्राइम का है। लोगों का कहना है कि हर चुनाव में यहां हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा बनता था, लेकिन इस बार सभी विकास की बात कर रहे हैं। विकास न होने पर शहरी वोटर भाजपा से नाराज हैं। कंवरपाल के सामने एंटी इनकंबेंसी भी है। मंत्री रहते हुए कंवरपाल गुर्जर अवैध माइनिंग रोकने में नाकामयाब रहे। दूसरा भाजपा छोड़कर बसपा में गए दर्शन सिंह खेड़ा भी उनके लिए मुसीबत बनेंगे। उद्योगों में कमी की वजह से वैश्य समाज के लोग भाजपा से नाराज हैं। आदर्श पाल सिंह भी गुर्जर जाति से आते हैं। इसलिए वह गुर्जर जाति के अलावा वैश्य समाज की वोट लेंगे। इससे डायरेक्ट भाजपा को नुकसान पहुंचेगा। लोगों के मुताबिक कांग्रेस के अकरम खान यहां मजबूत स्थिति में हैं। उन्हें मुस्लिम वोटों के अलावा, जाट, जट सिख और अन्य जातियों के वोट भी मिलेंगे। ग्रामीण बेल्ट में कांग्रेस की लहर का उन्हें फायदा होगा। इसी वजह से वह शहरी वोटरों को साधने में जुटे हैं। 5 पॉइंट में समझें जगाधरी विधानसभा सीट के समीकरण कंवरपाल गुर्जर 10 साल के विकास के नाम पर वोट मांग रहे कंवरपाल गुर्जर साल 1990 में भाजपा में शामिल हुए थे। वह 2 बार यमुनानगर जिले के महासचिव और 3 बार राज्य के महासचिव रह चुके हैं। 1991 में उन्होंने छछरौली विधानसभा सीट से पहला चुनाव लड़ा था और हार गए। 2014 में उन्होंने जगाधरी सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बने। तब मनोहर लाल खट्टर की सरकार में उन्हें विधानसभा स्पीकर का पद दिया गया। 2019 विधानसभा चुनाव में वह दोबारा विधायक बने और उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया। इस चुनाव में कंवरपाल गुर्जर के प्रचार के लिए कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी आ चुके हैं। वह अपने 10 साल के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों के नाम पर वोट मांग रहे हैं। इसके अलावा वह जनता के सामने बता रहे हैं कि शिक्षा मंत्री रहते हुए बिना पर्ची बिना खर्ची के लोगों को नौकरियां मिलीं। अकरम खान ने महंगाई और बेरोजगारी को मुद्दा बनाया अकराम खान साल 1996 में छछरौली विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बने थे। 1998 में चौधरी बंसीलाल की सरकार में उन्हें हरियाणा हाउसिंग बोर्ड का अध्यक्ष और गृह राज्य मंत्री बनाया गया। साल 2000 में चौटाला सरकार में वह डेयरी विकास और सहकारी संघ लिमिटेड के अध्यक्ष बने। 2009 में उन्होंने बसपा के टिकट पर जगाधरी सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बने। साल 2019 में वह कुमारी सैलजा के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हो गए। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर लड़े और दूसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में अकरम खान के चुनाव प्रचार के लिए सांसद कुमारी सैलजा आ चुकी हैं। जनता के सामने वह 10 साल से प्रदेश मे बढ़ी रही मंहगाई और बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर वोट मांग रहे हैं। इसके अलावा वह दावा कर रहे हैं कि सत्ता में आने पर वह शहर में बढ़ रहे क्राइम और अवैध माइनिंग पर लगाम लगाएंगे। आदर्श पाल सिंह शिक्षा- मेडिकल सुविधाओं के नाम पर वोट मांग रहे आदर्श पाल सिंह ने 2019 में बसपा के टिकट पर जगाधरी सीट से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था। तब उन्हें 47,988 वोट मिले थे। इसके बाद वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। 2 महीने पहले उन्होंने कांग्रेस जॉइन की थी। टिकट कटने के बाद वह दोबारा आम आदमी पार्टी में चले गए। 20 सितंबर को आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल जगाधरी में रोड शो करने के लिए आए थे। उन्होंने आदर्श पाल सिंह के लिए वोटों की अपील की थी। वह टिकट न मिलने पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर धोखा देने का आरोप लगा चुके हैं। आदर्श पाल सिंह दिल्ली मॉडल को लेकर लेकर लोगों से शिक्षा और मेडिकल सुविधाओं को लेकर वोट मांग रहे हैं। क्या कहते हैं जगाधरी के वोटर…. राजकुमार बोले- कंवरपाल तीसरे नंबर पर आए तो हैरानी नहीं होगी जगाधरी के रहने वाले राजकुमार सिंह ने बताया कि कंवरपाल को इस बार सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा। राज्य में कांग्रेस के पक्ष में हवा चल रही है, इसका अकरम को लाभ मिलेगा। अगर इस बार कंवरपाल गुर्जर तीसरे नंबर पर भी आते हैं तो इसमें कोई हैरान करने वाली बात नहीं होगी। मौजूद समय में जो समीकरण बन रहे है, उसमें कंवरपाल गुर्जर काफी कमजोर स्थिति में हैं। विक्की बोले- साइलेंट वोट AAP को जाएंगे दुकानदार विक्की का कहना है कि शहरी क्षेत्र में आम आदमी पार्टी के प्रति लोगों का रूझान देखने को मिल रहा है। व्यापारी वर्ग पूरी तरह से AAP के पक्ष में हैं। साइलेंट वोटर भी आम आदमी पार्टी को जा सकता है। सीमा ने कहा- कंवरपाल से किसान-उद्योगपति नाराज महिला सीमा ने मंत्री रहते हुए कंवरपाल यहां कोई बड़ा प्रोजेक्टर नहीं ला पाए। यहां बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। यहां बर्तन उद्योग खत्म हो रहा है। इसी तरह से प्लाईवुड उद्योग के भी दिन खराब ही चल रहे हैं। इन उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए थे, लेकिन मंत्री ऐसा नहीं कर पाए। यमुनानगर में फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक ब्रांच खोलने की बात चली थी, लेकिन इस दिशा में भी कुछ नहीं कर पाए। इसका लाभ लकड़ी उद्योग के साथ साथ प्रदेशभर के किसानों को हो सकता था। कृषि मंत्री रहते हुए भी उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इस वजह से यहां के किसान और उद्योगपति दोनों ही भाजपा से नाराज हैं। शिव शर्मा ने कहा- अकरम को विधायक बनाएंगे लोग जगाधरी निवासी शिव शर्मा ने बताया कि भाजपा झूठ बोलकर सत्ता में आई थी। भ्रष्टाचार व महंगाई को कम करने की बात कही थी, लेकिन भ्रष्टाचारियों को भाजपा ने अपने में मिला लिया। महंगाई बढ़ती चली गई। 10 सालों में नशे का कारोबार बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हर बच्चा नशे का शिकार हो चुका है। रोजगार ही नहीं है। लोग फैमिली आईडी के लिए चक्कर काट रहे हैं। इस बार लोग अकरम खान को विधायक बनाएंगे। प्रेमचंद बोले- कंवरपाल ने अपना घर भरा प्रेम चंद का कहना है कि महंगाई और भ्रष्टाचार को बोलबाला है। यहां कोई विकास नहीं हुआ। कांग्रेस के टाइम में ही यहां पर काम हुआ था। जब भी भाजपा आई है, इसने क्षेत्र का नाश करने का काम किया है। कंवरपाल ने तो अपना घर भरने का काम किया है, विकास नहीं किया है। जब भी बरसात आती है, तो बाजार में पानी भर जाता है। हमारा डिप्टी मेयर भी ऐसा ही है। अकरम खान के आगे सब फेल हैं। हंसराज ने कहा- कांग्रेस-भाजपा में टक्कर हंसराज ने बताया कि इस बार सिर्फ 2 ही पार्टियों के बीच मुकाबला नजर आ रहा है। जिसमें पहली कांग्रेस और दूसरी भाजपा है। सबसे ज्यादा मजबूत अकरम खान हैं। भाजपा ने जगाधरी का नुकसान किया है और इस नुकसान का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ेगा। अवैध खनन से ग्रामीण परेशान नाम न छापने की शर्त पर व्यक्ति ने बताया कि जगाधरी विधानसभा के ग्रामीण इलाके में खनन जोरो पर है। यहां वैध और अवैध दोनों तरह से खनन हो रहा है। इससे ग्रामीण परेशान हैं। लगातार हादसे हो रहे हैं। इसके साथ ही पर्यावरण भी बिगड़ रहा है। क्षेत्र में अपराध का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। मंत्री रहते हुए कंवरपाल खनन माफिया पर रोक लगाने की दिशा में कोई खास कदम नहीं उठा पाए। मंत्री के कुछ लोग भी खनन कारोबार से जुड़े रहे। हरियाणा चुनाव से जुड़ी ये ग्राउंड रिपोर्ट्स भी पढ़ें… अनिल विज कड़े मुकाबले में फंसे:खुद को CM चेहरा बता फायदा लेने की कोशिश; कांग्रेस पर गुटबाजी भारी, वोट शिफ्ट हुए तो चित्रा भारी पड़ेंगी राव इंद्रजीत की बेटी आरती तिकोने मुकाबले में फंसी:कांग्रेस बांटेगी अहीर वोटर; राजपूत-दलित वोटर्स एकतरफा तो ठाकुर बिगाड़ेंगे सियासी गणित नायब सैनी को CM चेहरे का फायदा:BJP के बागी गर्ग वोटकटवा; बड़शामी ने जाट न बांटे तो कांग्रेस के मेवा से कड़ी टक्कर विनेश फोगाट को कांग्रेस की वेव का सबसे बड़ा सहारा:जाट वोट बंटे तो मुश्किल में फंसेगी रेसलर; OBC-ब्राह्मण एकतरफा होने पर ही BJP को फायदा
देवीलाल ने राज्यपाल को तमाचा जड़ दिया था:खुद डिप्टी PM, बेटा 5 बार CM; बोले-अपनों को न बनाऊं, तो क्या पाकिस्तान से लाऊं
देवीलाल ने राज्यपाल को तमाचा जड़ दिया था:खुद डिप्टी PM, बेटा 5 बार CM; बोले-अपनों को न बनाऊं, तो क्या पाकिस्तान से लाऊं जून 1987, एक तरफ केंद्र की राजीव गांधी सरकार बोफोर्स घोटाले से घिरी थी, तो दूसरी तरफ रक्षा मंत्री रहे वीपी सिंह ने बगावत कर दी थी। इसी बीच हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। लोकदल और BJP ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा। 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में लोकदल को 60 और BJP को 16 सीटें मिलीं। कांग्रेस 5 सीटों पर सिमट गई। चौधरी देवीलाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। CM बनने के कुछ ही दिनों बाद देवीलाल ने बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला को लोकदल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और फिर राज्यसभा भेज दिया। दूसरे बेटे रणजीत सिंह को मंत्री और तीसरे बेटे प्रताप सिंह को हरियाणा की ताकतवर सहकारी संस्था कॉन्फेड का चेयरमैन बना दिया। जबकि भतीजे डॉ. केवी सिंह को ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी यानी ओएसडी रख लिया। देवीलाल पर लिखी किताब ‘पॉलिटिक्स ऑफ चौधर’ में सीनियर जर्नलिस्ट डॉ. सतीश त्यागी लिखते हैं- ‘एक पत्रकार ने देवीलाल से पूछा- आपने सरकार में परिवार को ही क्यों तरजीह दी है?’ देवीलाल ने जवाब दिया- ‘अपनो को न बनाऊं, तो क्या पाकिस्तान से लाऊं।’ पत्रकार ने फिर पूछा- ‘छोटा बेटा प्रताप तो कांग्रेस के मंच से आपको गालियां देता है।’ देवीलाल ने पलटकर पूछा- ‘क्या वो अभी भी गालियां देता है। मैंने उसे चेयरमैन नहीं बनाया है, बल्कि उसका मुंह बंद किया है।’ पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के पांच बच्चों में से तीन राजनीति में उतरे। सबसे बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। दो पोते सांसद बने और पड़पोते दुष्यंत हरियाणा के डिप्टी CM। उनके बेटों ने अपने पैतृक गांव के नाम पर सरनेम चौटाला लगाना शुरू किया। आज देवीलाल परिवार की चौथी पीढ़ी राजनीति में है, लेकिन पूरा कुनबा तीन पार्टियों में बंट चुका है। हरियाणा के ताकतवर राजनीतिक परिवारों की सीरीज ‘परिवार राज’ के पहले एपिसोड में पढ़िए चौधरी देवीलाल के कुनबे की कहानी… 25 सितंबर 1914, हरियाणा के सिरसा जिले के तेजा खेड़ा गांव में एक लड़के का जन्म हुआ। उसके पिता लेखराम सिहाग, चौटाला गांव के जमींदार थे। उनके पास 2750 बीघा जमीन थी। लड़के का नाम रखा गया देवीलाल। लेखराम सिहाग ने घर पर बड़ी पार्टी रखी। बच्चे का भविष्य जानने के लिए बड़े-बड़े ज्योतिषी बुलाए। ज्योतिषियों ने बताया कि बच्चा अशुभ नक्षत्र में पैदा हुआ है। इतना सुनते ही लेखराम परेशान हो गए। उन्होंने ज्योतिषी से पूछा- ‘बच्चे का ग्रहदोष दूर करने के लिए उपाय बताइए। मैं कुछ भी करने को तैयार हूं।’ ज्योतिषी ने कहा- ‘आपको बड़ा दान करना पड़ेगा। अशुभ नक्षत्र में पैदा होने के बाद भी बच्चा बड़ा आदमी बनेगा।’ लेखराम सिहाग ने गरीब लोगों में 10-10 हजार रुपए नकद बांटे। गरीबों और जरूरतमंदों को 5-5 मन गेहूं और बाजरा भी दान किया। हरियाणा की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वाले जुगल किशोर गुप्ता ने अपनी किताब ‘देवीलाल ए क्रिटिकल अप्रेजल’ में इस किस्से का जिक्र किया है। देवीलाल कम उम्र में ही आंदोलनों से जुड़ गए थे। उन्होंने आजादी के आंदोलनों में जोर-शोर से भाग लिया, जेल भी गए। 1937-38 में उनके परिवार ने राजनीति में कदम रखा। 1950 के दशक तक देवीलाल की पहचान किसान नेता के रूप में बन चुकी थी। 1952 में उन्होंने सिरसा से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता। उस समय हरियाणा, पंजाब का ही हिस्सा था। 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर हरियाणा नया राज्य बना। देवीलाल लंबे समय से अलग हरियाणा राज्य के लिए आंदोलन कर रहे थे। 1968 में हुए विधानसभा चुनाव में देवीलाल को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। उन्हें सलाहकार समिति में रखा गया। चुनाव बाद कांग्रेस ने बंसीलाल को मुख्यमंत्री बनाया। देवीलाल इस फैसले से नाराज थे। बंसीलाल ने उन्हें खुश करने के लिए हरियाणा खादी बोर्ड का चेयरमैन बना दिया। इससे जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। एक बार बंसीलाल और देवीलाल एक ही कार से दिल्ली जा रहे थे। रास्ते में किसी बात पर देवीलाल, बंसीलाल को बार-बार सलाह दे रहे थे। बंसीलाल नाराज हो गए और उन्होंने बीच रास्ते में ही देवीलाल को कार से उतार दिया। इस घटना के कुछ ही दिनों बाद देवीलाल ने खादी बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया। 1971 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी भी छोड़ दी। देवीलाल ने बंसीलाल को हथकड़ी पहनाकर सड़कों पर घुमाया 1972 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में देवीलाल ने कांग्रेस के दो दिग्गज, बंसीलाल और भजनलाल के खिलाफ दो सीटों से एक साथ निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही सीटों पर वो हार गए। देवीलाल, इमरजेंसी के बाद 1977 में जनता पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद हुए चुनाव में हरियाणा विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने 90 में से 75 सीटें जीत लीं। देवीलाल को हरियाणा की कमान सौंपी गई। इस तरह देवीलाल पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। कुछ दिनों बाद हरियाणा युवा कांग्रेस के फंड में गड़बड़ी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल गिरफ्तार कर लिए गए। पुलिस, बंसीलाल को हथकड़ी पहनाकर भिवानी की सड़कों पर खुली जीप में बैठाकर कोर्ट ले गई। मोरारजी से कहा- ‘तुमने मेरी झोपड़ी में आग लगाई, मैं तुझे महल में नहीं रहने दूंगा’ देवीलाल को CM बने दो साल भी पूरे नहीं हुए थे कि पार्टी में उनके खिलाफ बगावत की चिनगारी सुलगने लगी। कहा जाता है कि भजनलाल इसे हवा दे रहे थे। दरअसल, जनता पार्टी में तब दो गुट थे। एक चौधरी चरण सिंह का गुट और दूसरा मोरारजी देसाई का। देवीलाल, चौधरी चरण सिंह गुट से जुड़े थे और भजनलाल मोरारजी देसाई के कैंप से। देवीलाल के पॉलिटिकल एडवाइजर और हरियाणा के वित्त मंत्री रह चुके प्रोफेसर संपत सिंह बताते हैं, ‘1979 में तब के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के घर एक मीटिंग हुई। मीटिंग में देवीलाल को हटाकर भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया। जब देवीवाल को यह पता चला, तो वे गुस्से में सीधे मोरारजी देसाई के कमरे में पहुंच गए। उन्होंने मोरारजी से कहा- ‘तुमने मेरी झोपड़ी में आग लगाई है। मैं तुझे भी महल में रहने नहीं दूंगा।’ महीनेभर के अंदर देवीलाल ने मोरारजी के खिलाफ खेमेबंदी शुरू की, जिसकी अगुआई चौधरी चरण सिंह कर रहे थे। 28 जुलाई 1979 को मोरारजी देसाई की प्रधानमंत्री की कुर्सी चली गई। चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बने। सितंबर 1979 में चौधरी चरण सिंह ने लोकदल की नींव रखी तो देवीलाल भी इसमें शामिल हो गए। राज्यपाल की गर्दन पकड़कर जोरदार तमाचा जड़ दिया
मई 1982 की बात है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में लोकदल और BJP ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा। कुल 90 सीटों में से कांग्रेस 36 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। जबकि लोकदल और BJP ने मिलकर 37 सीटें हासिल कीं। बहुमत के लिए 46 का आंकड़ा था। अब सत्ता की चाबी 16 निर्दलीय विधायकों के हाथ में आ गई थी। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी की मांग थी कि सबसे बड़े गठबंधन को सरकार बनाने का न्योता मिलना चाहिए। तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री। 22 मई 1982, शनिवार का दिन। राज्यपाल जीडी तपासे ने देवीलाल को बहुमत साबित करने के लिए बुलावा भेजा। देवीलाल ने गठबंधन दल के 37 विधायकों के अलावा 8 निर्दलीय विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा। राज्यपाल ने देवीलाल से कहा कि सोमवार को विधायकों की परेड के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाएंगे। देवीलाल तोड़फोड़ से बचाने के लिए सभी विधायकों को साथ लेकर हिमाचल चले गए। इधर, अगले ही दिन राज्यपाल दिल्ली पहुंच गए। उसी दिन दिल्ली के हरियाणा भवन में कांग्रेस नेता भजनलाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। देवीलाल को पता चला, तो वे आगबबूला हो गए। अगले दिन वे सीधे राजभवन पहुंचे और भजनलाल सरकार को बर्खास्त करने की मांग पर अड़ गए। राज्यपाल तपासे से देवीलाल की बहस हो गई। इसी दौरान गुस्साए देवीलाल ने तपासे की ठुड्डी पकड़ी और उनके गाल पर जोरदार तमाचा जड़ दिया। इस घटना के बाद देवीलाल की देशभर में आलोचना हुई। हालांकि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रधानमंत्री पद का ऑफर ठुकराया, उप प्रधानमंत्री बनने के बाद बड़े बेटे को सत्ता सौंपी
साल 1989, बोफोर्स घोटाला और वीपी सिंह की बगावत के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई। जनता दल ने BJP और लेफ्ट के समर्थन से सरकार बनाई। देवीलाल प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने अपना नाम वापस लेकर वीपी सिंह के नाम का ऐलान कर दिया। प्रोफसर संपत सिंह एक और किस्से का जिक्र करते हुए बताते हैं- ‘दिल्ली के हरियाणा भवन में देवीलाल काफी परेशान दिख रहे थे। देर रात तक उन्हें नींद नहीं आ रही थी। दरअसल, वे दिल्ली की राजनीति में जाना चाहते थे, लेकिन उनकी चिंता ये थी कि उनके बाद हरियाणा की कमान कौन संभालेगा। कहीं पार्टी और परिवार बिखर तो नहीं जाएगा। इसी बीच मैंने उनका दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा- आओ संपत, नींद नहीं आ रही। मैंने पूछा कि क्या हुआ? देवीलाल ने कहा कि मैं दोराहे पर खड़ा हूं। उप प्रधानमंत्री बनूं या मुख्यमंत्री बना रहूं? समझ नहीं आ रहा। मैंने कहा- इसमें सोचने वाली क्या बात है। आपको इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिल रही है, आप उप प्रधानमंत्री बनिए। तब देवीलाल ने पूछा कि यहां किसे कमान सौपूं। संपत सिंह ने कहा- आप जो फैसला करेंगे, वो सब मानेंगे। तब देवीलाल ने कहा, ओम कैसा रहेगा? मैंने कहा ठीक रहेगा जी। इसके बाद देवीलाल ने घंटी बजाई और पीए को बुलाकर कहा- वीपी सिंह को फोन लगाओ। तब रात के करीब 11 बज रहे थे। देवीलाल ने वीपी सिंह से कहा- मैं भी आपके साथ डिप्टी प्राइम मिनिस्टर की शपथ लूंगा और फोन काट दिया।’ अगले दिन दिल्ली में लोकदल के विधायकों की बैठक हुई। देवीलाल ने कहा कि ओम मेरी जगह लेगा और हरियाणा का मुख्यमंत्री बनेगा।’ उस समय ओमप्रकाश चौटाला राज्यसभा सांसद थे। CM बने रहने के लिए 6 महीने के भीतर उन्हें विधायक बनना था। उन्होंने रोहतक जिले की महम सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हिंसा की वजह से चुनाव रद्द हो गया। दोबारा वोटिंग हुई, तो फिर हिंसा भड़की और चुनाव रद्द हो गया। एक निर्दलीय प्रत्याशी की मौत को लेकर ओमप्रकाश चौटाला पर आरोप भी लगा। उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। मास्टर हुकुम सिंह मुख्यमंत्री बने। कुछ महीने बाद ओमप्रकाश चौटाला दड़बा सीट से चुनाव लड़े और जीत गए। हुकुम सिंह को हटाकर फिर से ओमप्रकाश को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि इससे पार्टी के लोग खुश नहीं थे। प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी चाहते थे कि जब तक ओमप्रकाश चौटाला पर आपराधिक मामला चल रहा है, वे CM न बनें। आखिरकार 6 दिन बाद ही ओमप्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। इसी बीच राम मंदिर के लिए रथ यात्रा निकाल रहे लालकृष्ण आडवाणी बिहार में गिरफ्तार कर लिए गए। इसके विरोध में वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। वीपी सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने और देवीलाल दूसरी बार डिप्टी प्राइम मिनिस्टर। देवीलाल के चंद्रशेखर से बेहतर संबंध थे। देवीलाल ने हुकुम सिंह को हटाकर ओमप्रकाश चौटाला को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनवा दिया, लेकिन इस फैसले से पार्टी के कई विधायक नाराज हो गए। कुछ विधायकों ने पार्टी भी छोड़ दी और राज्यपाल धानिक लाल मंडल ने चौटाला की सरकार बर्खास्त कर दी। देवीलाल ने पोते के लिए ठुकरा दिया राजस्थान का मुख्यमंत्री पद
1989 में हुए लोकसभा चुनाव में देवीलाल ने राजस्थान की सीकर और हरियाणा की रोहतक सीट से चुनाव लड़ा। दोनों सीटों पर उनकी जीत हुई। देवीवाल ने रोहतक सीट छोड़ दी। उस समय राजस्थान की राजनीति में जाट और राजपूत समुदाय का दबदबा था। राजपूतों के सबसे बड़े नेता भैरों सिंह शेखावत थे और जाटों के ताऊ देवीलाल। दोनों राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी थे। अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए। जनता दल और BJP गठबंधन में चुनावी मैदान में उतरे। देवीलाल ने अपने पोते और ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला को सीकर जिले की दांतारामगढ़ सीट से मैदान में उतारा। प्रोफेसर संपत सिंह बताते हैं- ‘अजय चौटाला जिस सीट से चुनाव लड़ रहे थे, वहां राजपूत समाज का खासा प्रभाव था। देवीलाल को डर था कि राजपूत समाज उनके पोते को वोट नहीं देगा। ग्राउंड पर सर्वे किया गया तो अजय चौटाला की हालत कमजोर निकली। देवीलाल ने दोनों पार्टियों की जॉइंट रैली में अचानक भैरों सिंह शेखावत का हाथ पकड़ा और ऐलान कर दिया कि राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत होंगे। उस ऐलान के बाद दांतारामगढ़ सीट पर राजपूतों ने अजय चौटाला के पक्ष में बढ़-चढ़कर वोट किया और वे चुनाव जीत गए। BJP-जनता दल गठबंधन को बहुमत मिला और भैरों सिंह शेखावत राजस्थान के CM बने।’ BJP के साथ गठबंधन नहीं हुआ तो बेटे को डांट लगाई, बोले- अब हमारी सरकार नहीं बनेगी
अक्टूबर 1996 में देवीलाल ने इंडियन नेशनल लोकदल यानी, INLD की नींव रखी। उस समय की परिस्थितयों से देवीलाल को अंदाजा हो गया था कि हरियाणा में BJP के बिना सरकार नहीं बनाई जा सकती। वे पहले भी BJP की मदद से सरकार बना चुके थे। तब BJP हरियाणा में छोटे भाई की भूमिका में थी और देवीलाल की पार्टी बड़े भाई की भूमिका में। संपत सिंह बताते हैं- ‘एक दिन देवीलाल तेजा खेड़ा में अपने फार्महाउस में बैठे थे। मैं भी साथ था। देवीलाल ने ओमप्रकाश चौटाला को बुलाया और कहा कि गठबंधन के लिए BJP नेताओं से बात करो। ओमप्रकाश चौटाला ने BJP से गठबंधन को लेकर बातचीत की, लेकिन नूहं तावड़ू सीट को लेकर पेच फंस गया। चौटाला ये सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए। देवीलाल को जब पता चला कि उनका बेटा सिर्फ एक सीट के लिए गठबंधन नहीं कर पाया, तो वे बहुत गुस्सा हुए। उन्होंने ओमप्रकाश चौटाला से कहा- ‘अब अपनी सरकार नहीं बनेगी।’ हुआ भी वही। देवीलाल की पार्टी से बातचीत टूटने के बाद BJP ने बंसीलाल की पार्टी से गठबंधन कर लिया। चुनाव में दोनों पार्टियों को बहुमत मिला और बंसीलाल मुख्यमंत्री बन गए। ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला को जेल, यहीं से पार्टी में फूट की शुरुआत
जनवरी 2013, दिल्ली की एक अदालत ने 14 साल पुराने टीचर भर्ती घोटाले में ओमप्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला को 10-10 साल की सजा सुनाई। दोनों के जेल जाने के बाद देवीलाल की विरासत संभालने का दारोमदार उनके पोते और ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला के कंधों पर आ गया। इधर, अजय चौटाला ने विदेश में पढ़ रहे अपने दोनों बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को वापस बुला लिया। दोनों के हरियाणा लौटते ही अभय चौटाला से उनकी तनातनी शुरू हो गई। पार्टी दो खेमों में बंट गई। एक खेमा खुलेआम दुष्यंत चौटाला को ‘दूसरा देवीलाल’ का दर्जा देने लगा। अजय चौटाला की ओर से बनाए गए INLD के स्टूडेंट विंग इनसो ने मुख्यमंत्री के लिए दुष्यंत का नाम उछालना शुरू कर दिया। मंच से ही ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पोतों को पार्टी से बाहर करने का फरमान सुनाया
7 अक्टूबर 2018, हरियाणा के गोहाना में INLD की सद्भावना रैली थी। मंच पर ओमप्रकाश चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय चौटाला मौजूद थे। थोड़ी देर बाद ट्रैक्टर मार्च करते हुए दुष्यंत चौटाला, अपने भाई दिग्विजय के साथ सभा में पहुंचे। दुष्यंत चौटाला के भाषण के वक्त उनके समर्थक शांत रहे, लेकिन जैसे ही अभय चौटाला बोलने के लिए खड़े हुए, कार्यकर्ताओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया। नारा उछला- ‘हमारा CM कैसा हो, दुष्यंत चौटाला जैसा हो।’ इसके बाद जब ओमप्रकाश चौटाला भाषण देने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने सख्त लहजे में कहा- ‘अगर नारे ही लगाने हैं, तो मैं वापस चला जाता हूं। मुझे अपनी याद्दाश्त पर पूरा भरोसा है। मैंने देख लिया कि कौन क्या कर रहा है। नारे लगाने से काम चलता तो मैं अकेला काफी था। माहौल खराब करने वाले या तो सुधर जाएं, वर्ना चुनाव से पहले निकालकर बाहर फेंक दूंगा।’ इसके बाद दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला को INLD ने कारण बताओ नोटिस भेजा और कुछ ही दिन बाद ओमप्रकाश चौटाला ने दोनों को पार्टी से निकाल दिया। 9 दिसंबर 2018 को दुष्यंत और दिग्विजय ने मिलकर जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी की नींव रखी। दोनों ने अपने पिता अजय चौटाला को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। 2019 में विधानसभा चुनाव हुए। BJP को 40 और कांग्रेस को 31 सीटें मिलीं। जेजेपी को 10 सीटें मिलीं और ओमप्रकाश चौटाला की INLD सिर्फ एक सीट पर सिमट गई। जेजेपी ने BJP के साथ मिलकर सरकार बनाई। दुष्यंत चौटाला डिप्टी CM बने। रणजीत चौटाला भी इस सरकार का हिस्सा बने। वे सिरसा की रानिया सीट से निर्दलीय चुनाव जीते थे। 2024 में रणजीत BJP में शामिल हो गए और हिसार सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। लोकसभा चुनाव 2024: देवीलाल परिवार का सूपड़ा साफ
2024 लोकसभा चुनाव में देवीलाल परिवार के दोनों ही दलों का खाता नहीं खुला। देवीलाल के बेटे प्रताप चौटाला की बहू सुनैना चौटाला, पोता अभय चौटाला, दूसरे पोते अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला, तीनों की जमानत जब्त हो गई। BJP के टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ने वाले रणजीत सिंह भी हार गए। दरअसल, हिसार लोकसभा सीट पर देवीलाल परिवार के तीन लोग एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे। BJP से रणजीत सिंह, INLD से सुनैना चौटाला और जेजेपी से नैना चौटाला। यहां कांग्रेस ने बाजी मार ली और उसके कैंडिडेट जयप्रकाश जेपी विजयी रहे। देवीलाल परिवार के 13 सदस्य चुनाव लड़ चुके हैं। हरियाणा में सबसे ज्यादा पार्टियां भी इसी परिवार से बनी हैं। आज उनका कुनबा तीन दलों में बंट चुका है। ‘परिवार राज’ के अगले एपिसोड में पढ़िए चौधरी बंसीलाल परिवार की कहानी…