<p style=”text-align: justify;”><strong>Third Day Of Chhath Festival 2004:</strong> बिहार में चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व (Chhath Mahaparv) का आज तीसरा दिन है. आज गुरुवार (07 नवंबर) को छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे. चार दिवसीय छठ व्रत बीते मंगलवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया था. आज छठ का तीसरा दिन है. इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से पहले छठ व्रती खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं और तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य की ओर खड़े होकर अर्घ्य देते हैं. व्रती सूर्य के अस्त होने तक पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं. सूर्य अस्त होने के बाद लोग अपने घर लौट जाते हैं और फिर चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>36 घंटे का निर्जला व्रत के साथ दिया जाएगा अर्घ्य</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इससे पहले कल बुधवार को छठ पर्व के दूसरे दिन छठ व्रतियों ने खरना पूजन के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया. पूरे दिन उपवास रखने के बाद व्रतियों ने शाम को चावल व गुड़ की खीर व रोटी बनाकर प्रसाद तैयार किया. फिर सूर्य देव व छठ मां की पूजा कर गुड़ की खीर का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया गया. पर्व की तैयारी वैसे तो दो दिन पहले से शुरू हो चुकी थी, लेकिन आज हर छठ व्रती सुबह से ही अर्घ की तैयारी में वयस्त हैं. व्रती व परिवार के अन्य सदस्य शाम में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तैयारी में जुटे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>घाटों पर छठ पूजा की पूरी व्यस्था</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>छठ व्रती घाट के अलावा अपने अपार्टमेंट या घर की छत पर भी अर्घ्य देते हैं, जिसकी पूरी तैयारी में काफी स्वच्छता बरती जाती है. घाटों पर भी प्रशासन ओर से पूरी तैयारी की गई है. ज्यादातर लोग छठ पर अपने घर आ जाते हैं. लोक आस्था का महान पर्व छठ प्राकृतिक के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और संवारने का भी त्योहार है. इसकी महत्ता ऐसी है कि इसे छठ महापर्व कहा जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”> </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Third Day Of Chhath Festival 2004:</strong> बिहार में चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व (Chhath Mahaparv) का आज तीसरा दिन है. आज गुरुवार (07 नवंबर) को छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे. चार दिवसीय छठ व्रत बीते मंगलवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया था. आज छठ का तीसरा दिन है. इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से पहले छठ व्रती खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं और तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य की ओर खड़े होकर अर्घ्य देते हैं. व्रती सूर्य के अस्त होने तक पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं. सूर्य अस्त होने के बाद लोग अपने घर लौट जाते हैं और फिर चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>36 घंटे का निर्जला व्रत के साथ दिया जाएगा अर्घ्य</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इससे पहले कल बुधवार को छठ पर्व के दूसरे दिन छठ व्रतियों ने खरना पूजन के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया. पूरे दिन उपवास रखने के बाद व्रतियों ने शाम को चावल व गुड़ की खीर व रोटी बनाकर प्रसाद तैयार किया. फिर सूर्य देव व छठ मां की पूजा कर गुड़ की खीर का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया गया. पर्व की तैयारी वैसे तो दो दिन पहले से शुरू हो चुकी थी, लेकिन आज हर छठ व्रती सुबह से ही अर्घ की तैयारी में वयस्त हैं. व्रती व परिवार के अन्य सदस्य शाम में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तैयारी में जुटे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>घाटों पर छठ पूजा की पूरी व्यस्था</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>छठ व्रती घाट के अलावा अपने अपार्टमेंट या घर की छत पर भी अर्घ्य देते हैं, जिसकी पूरी तैयारी में काफी स्वच्छता बरती जाती है. घाटों पर भी प्रशासन ओर से पूरी तैयारी की गई है. ज्यादातर लोग छठ पर अपने घर आ जाते हैं. लोक आस्था का महान पर्व छठ प्राकृतिक के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और संवारने का भी त्योहार है. इसकी महत्ता ऐसी है कि इसे छठ महापर्व कहा जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”> </p> बिहार देहरादून में युवा नेता बॉबी पंवार पर ऊर्जा सचिव से मारपीट का आरोप, पुलिस ने FIR की दर्ज