हिमाचल सरकार ने मुख्य संसदीय सचिव (CPS) मामले में हाईकोर्ट के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट (SC) में चुनौती दे दी है। कांग्रेस सरकार के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी ने भी SC का दरवाजा खटखटाया है। अब कांग्रेस सरकार की याचिका और बीजेपी की कैविएट एडमिशन को लेकर सर्वोच्च अदालत फैसला करेगी। जाहिर है कि CPS विवाद जो लगभग डेढ़ साल तक हिमाचल हाईकोर्ट में सुना गया। अब वो SC में सुना जाएगा। हाईकोर्ट ने हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को रद्द करते हुए CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया। हाईकोर्ट ने तुरंत प्रभाव से इनकी सुख सुविधाएं वापस लेने के आदेश दिए है। अदालत के आदेशों के बाद राज्य सरकार ने भी इनसे गाड़ी, स्टाफ, दफ्तर जैसी सुविधाएं वापस ले ली है। इस बीच सरकार SC पहुंची है। राज्य सरकार की दलील- आसाम जैसा नहीं था हमारा CPS एक्ट राज्य सरकार ने दलील दी है कि हिमाचल हाईकोर्ट ने बिमलोंशू राय बनाम आसाम के केस को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया है। जबकि हिमाचल और आसाम का CPS एक्ट अलग था। राज्य सरकार ने ये दलीलें अदालत में भी दी। मगर जजमेंट के वक्त उन दलीलों का ज्यादा ध्यान में नहीं रखा गया। इसी ग्राउंड पर सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने कोर्ट का फैसला आते ही सुप्रीम कोर्ट जाने के संकेत दे दिए थे। मगर सीएम सुखविंदर सुक्खू कोर्ट का फैसले आने के 24 घंटे बाद भी मंत्रिमंडल में चर्चा के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लेने की बात करते रहे। BJP ने फाइल की कैविएट राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने CPS मामले में SC का दरवाजा खटखटाया है। भाजपा ने बीते गुरुवार को ही SC में कैविएट फाइल कर दी है, ताकि हिमाचल सरकार की एसएलपी स्वीकार करने से पहले बीजेपी भी सर्वोच्च अदालत में अपना पक्ष रख सके। बीजेपी ने इसे चौपाल के विधायक बलवीर वर्मा की ओर से फाइल किया है। सुक्खू ने इन्हें लगा रखा था CPS बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों अर्की से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहड़ू से एमएल ब्राक्टा, दून से राम कुमार चौधरी और पालमपुर से आशीष कुमार को CPS बनाया था। इन्होंने दी हाईकोर्ट में चुनौती कल्पना नाम की एक महिला के अलावा BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में इनकी नियुक्तियां असंवैधानिक बताई गई। कोर्ट ने भी इनकी नियुक्ति को गैरकानूनी बताया और हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को रद्द करने के आदेश दिए। विधायकों की सदस्यता पर संशय वहीं छह पूर्व सीपीएस की विधायकी समाप्त करवाने के लिए भाजपा के विधि विशेषज्ञ चर्चा कर रही है। भाजपा नेताओं का मानना है कि अब सीपीएस एक्ट में मिल रही प्रोटेक्शन भी समाप्त हो गई है। हिमाचल सरकार ने मुख्य संसदीय सचिव (CPS) मामले में हाईकोर्ट के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट (SC) में चुनौती दे दी है। कांग्रेस सरकार के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी ने भी SC का दरवाजा खटखटाया है। अब कांग्रेस सरकार की याचिका और बीजेपी की कैविएट एडमिशन को लेकर सर्वोच्च अदालत फैसला करेगी। जाहिर है कि CPS विवाद जो लगभग डेढ़ साल तक हिमाचल हाईकोर्ट में सुना गया। अब वो SC में सुना जाएगा। हाईकोर्ट ने हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को रद्द करते हुए CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया। हाईकोर्ट ने तुरंत प्रभाव से इनकी सुख सुविधाएं वापस लेने के आदेश दिए है। अदालत के आदेशों के बाद राज्य सरकार ने भी इनसे गाड़ी, स्टाफ, दफ्तर जैसी सुविधाएं वापस ले ली है। इस बीच सरकार SC पहुंची है। राज्य सरकार की दलील- आसाम जैसा नहीं था हमारा CPS एक्ट राज्य सरकार ने दलील दी है कि हिमाचल हाईकोर्ट ने बिमलोंशू राय बनाम आसाम के केस को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया है। जबकि हिमाचल और आसाम का CPS एक्ट अलग था। राज्य सरकार ने ये दलीलें अदालत में भी दी। मगर जजमेंट के वक्त उन दलीलों का ज्यादा ध्यान में नहीं रखा गया। इसी ग्राउंड पर सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने कोर्ट का फैसला आते ही सुप्रीम कोर्ट जाने के संकेत दे दिए थे। मगर सीएम सुखविंदर सुक्खू कोर्ट का फैसले आने के 24 घंटे बाद भी मंत्रिमंडल में चर्चा के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लेने की बात करते रहे। BJP ने फाइल की कैविएट राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने CPS मामले में SC का दरवाजा खटखटाया है। भाजपा ने बीते गुरुवार को ही SC में कैविएट फाइल कर दी है, ताकि हिमाचल सरकार की एसएलपी स्वीकार करने से पहले बीजेपी भी सर्वोच्च अदालत में अपना पक्ष रख सके। बीजेपी ने इसे चौपाल के विधायक बलवीर वर्मा की ओर से फाइल किया है। सुक्खू ने इन्हें लगा रखा था CPS बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों अर्की से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहड़ू से एमएल ब्राक्टा, दून से राम कुमार चौधरी और पालमपुर से आशीष कुमार को CPS बनाया था। इन्होंने दी हाईकोर्ट में चुनौती कल्पना नाम की एक महिला के अलावा BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में इनकी नियुक्तियां असंवैधानिक बताई गई। कोर्ट ने भी इनकी नियुक्ति को गैरकानूनी बताया और हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को रद्द करने के आदेश दिए। विधायकों की सदस्यता पर संशय वहीं छह पूर्व सीपीएस की विधायकी समाप्त करवाने के लिए भाजपा के विधि विशेषज्ञ चर्चा कर रही है। भाजपा नेताओं का मानना है कि अब सीपीएस एक्ट में मिल रही प्रोटेक्शन भी समाप्त हो गई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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