चंडीगढ़ में मां ने कराया बेटे का यौन शोषण:HC ने जमानत याचिका की खारिज, प्रेमी के साथ मिलकर की घिनौना काम

चंडीगढ़ में मां ने कराया बेटे का यौन शोषण:HC ने जमानत याचिका की खारिज, प्रेमी के साथ मिलकर की घिनौना काम

चंडीगढ़ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक मां ने अपने 2 साल के बेटे का अपने प्रेमी के साथ मिलकर यौन शोषण करवाया। इसकी जानकारी जब महिला के पति को हुई तो उसने पुलिस से इसकी शिकायत कर दी। जिसके बाद महिला ने हाईकोर्ट में अग्रीम जमानत याचिका लगाई थी। अपने प्रेमी की इच्छापूर्ति के लिए 2 वर्षीय बेटे का यौन शोषण करवाने के गंभीर आरोपों का सामना कर रही महिला की अग्रिम जमानत याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने इसे मां-बच्चे के रिश्ते को शर्मसार करने वाला कृत्य बताते हुए कहा कि यह न केवल मानवता के खिलाफ है, बल्कि समाज पर भी गलत प्रभाव डालता है। पति ने मोबाइल में देखी शर्मनाक तस्वीरें
शिकायतकर्ता पति ने पुलिस में दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया कि उनकी पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर उनके मासूम बेटे का शोषण करवाया। उन्होंने अपनी पत्नी के मोबाइल में बेटे की आपत्तिजनक तस्वीरें देखीं, जिनमें कथित प्रेमी बच्चे के साथ घिनौना कृत्य करता नजर आ रहा था। यह देख पति ने तुरंत पुलिस को सूचित किया और एफआईआर दर्ज कराई। कोर्ट का सख्त रुख: मां का कर्तव्य निभाने में असफल
जस्टिस सुमीत गोयल ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “मां का सबसे बड़ा दायित्व अपने बच्चे की सुरक्षा और देखभाल करना है, लेकिन इस मामले में मां ने अपने कर्तव्यों को गंभीरता से तोड़ा है। यह कृत्य न केवल मां-बच्चे के रिश्ते को शर्मसार करता है, बल्कि पूरे समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।” गंभीर आरोप, जमानत की हकदार नहीं
कोर्ट ने कहा कि आरोपी महिला के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। इस तरह के गंभीर आरोपों में अग्रिम जमानत देना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच जरूरी है। न्यायिक संतुलन जरूरी: हाईकोर्ट
जस्टिस गोयल ने अपने फैसले में कहा कि अपराध की गंभीरता, आरोपी की भूमिका और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए न्यायालय को संतुलन बनाना होगा। उन्होंने कहा, “अग्रिम जमानत का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना है, लेकिन जब मामला समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला हो, तो कठोर निर्णय लेना आवश्यक हो जाता है। याचिका खारिज, जांच के निर्देश
कोर्ट ने आरोपी महिला की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में सच्चाई सामने लाने के लिए गहन जांच जरूरी है। पुलिस को मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। चंडीगढ़ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक मां ने अपने 2 साल के बेटे का अपने प्रेमी के साथ मिलकर यौन शोषण करवाया। इसकी जानकारी जब महिला के पति को हुई तो उसने पुलिस से इसकी शिकायत कर दी। जिसके बाद महिला ने हाईकोर्ट में अग्रीम जमानत याचिका लगाई थी। अपने प्रेमी की इच्छापूर्ति के लिए 2 वर्षीय बेटे का यौन शोषण करवाने के गंभीर आरोपों का सामना कर रही महिला की अग्रिम जमानत याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने इसे मां-बच्चे के रिश्ते को शर्मसार करने वाला कृत्य बताते हुए कहा कि यह न केवल मानवता के खिलाफ है, बल्कि समाज पर भी गलत प्रभाव डालता है। पति ने मोबाइल में देखी शर्मनाक तस्वीरें
शिकायतकर्ता पति ने पुलिस में दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया कि उनकी पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर उनके मासूम बेटे का शोषण करवाया। उन्होंने अपनी पत्नी के मोबाइल में बेटे की आपत्तिजनक तस्वीरें देखीं, जिनमें कथित प्रेमी बच्चे के साथ घिनौना कृत्य करता नजर आ रहा था। यह देख पति ने तुरंत पुलिस को सूचित किया और एफआईआर दर्ज कराई। कोर्ट का सख्त रुख: मां का कर्तव्य निभाने में असफल
जस्टिस सुमीत गोयल ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “मां का सबसे बड़ा दायित्व अपने बच्चे की सुरक्षा और देखभाल करना है, लेकिन इस मामले में मां ने अपने कर्तव्यों को गंभीरता से तोड़ा है। यह कृत्य न केवल मां-बच्चे के रिश्ते को शर्मसार करता है, बल्कि पूरे समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।” गंभीर आरोप, जमानत की हकदार नहीं
कोर्ट ने कहा कि आरोपी महिला के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। इस तरह के गंभीर आरोपों में अग्रिम जमानत देना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच जरूरी है। न्यायिक संतुलन जरूरी: हाईकोर्ट
जस्टिस गोयल ने अपने फैसले में कहा कि अपराध की गंभीरता, आरोपी की भूमिका और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए न्यायालय को संतुलन बनाना होगा। उन्होंने कहा, “अग्रिम जमानत का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना है, लेकिन जब मामला समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला हो, तो कठोर निर्णय लेना आवश्यक हो जाता है। याचिका खारिज, जांच के निर्देश
कोर्ट ने आरोपी महिला की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में सच्चाई सामने लाने के लिए गहन जांच जरूरी है। पुलिस को मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।   पंजाब | दैनिक भास्कर