हिमाचल प्रदेश में 46 दिन से चला आ रहा ड्राइ स्पेल नहीं टूट पाया है। मौसम विभाग (IMD) ने बीते कल और आज बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान लगाया था। मगर प्रदेश में कहीं पर भी बारिश-बर्फबारी नहीं हुई। हालांकि आज भी लाहौल स्पीति और चंबा की ऊंची चोटियों पर बारिश-बर्फबारी का अनुमान है। प्रदेश में इससे सूखे के कारण हालात खराब होते जा रहे है। इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है। प्रदेश में गेंहू की बुआई का उचित समय बीत चुका है। मगर इस बार 10 फीसदी जमीन पर ही किसान गेंहू की बुआई कर पाए है। कृषि विभाग के अनुसार, प्रदेश में बीते साल गेंहू की फसल 3.26 लाख हेक्टेयर भूमि पर थी। इस बार मुश्किल से 30 हजार हेक्टेयर जमीन पर ही इसकी बुआई हो पाई है। जिन किसानों ने गेंहू की बुआई की थी, उनकी फसल भी जमीन में नमी नहीं होने के कारण खराब होने लगी है। पानी के स्त्रोत सूखने लगे है। इससे किसान सिंचाई भी नहीं कर पा रहे है। 46 दिन में 1 मिलीमीटर बारिश भी नहीं हुई IMD के अनुसार, एक अक्टूबर से 15 नवंबर के प्रदेश में 33.6 मिलीमीटर बारिश होती है। इस बार केवल 0.7 मिलीमीटर बादल बरसे है। यही मानसून में भी सामान्य से 19 प्रतिशत कम बारिश हुई है। एक से 15 अक्टूबर तक प्रदेश में पानी की एक बूंद नहीं बरसी। खेतीबाड़ी के साथ साथ राज्य के पर्यटन के लिए भी यह अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा। अगले चार दिन बारिश-बर्फबारी के कोई आसार नहीं अमूमन लाहौल स्पीति, कुल्लू और चंबा की ऊंची चोटियों पर 15 अक्टूबर के बाद बर्फबारी हो जाती थी। इससे पर्यटक भी काफी संख्या में इसे देखने पहुंचते थे। लेकिन इस बार मौसम मेहरबान नहीं हो रहा। मौसम विभाग के अनुसार, आज कांगड़ा और चंबा की अधिक ऊंची चोटियों पर हल्का हिमपात जरूर हो सकता है। मगर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में अगले चार दिन तक बारिश बर्फबारी के कोई आसार नहीं है। वहीं बिलासपुर और मंडी जिला में घनी धुंध का येलो अलर्ट जरूर जारी किया गया है। हिमाचल प्रदेश में 46 दिन से चला आ रहा ड्राइ स्पेल नहीं टूट पाया है। मौसम विभाग (IMD) ने बीते कल और आज बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान लगाया था। मगर प्रदेश में कहीं पर भी बारिश-बर्फबारी नहीं हुई। हालांकि आज भी लाहौल स्पीति और चंबा की ऊंची चोटियों पर बारिश-बर्फबारी का अनुमान है। प्रदेश में इससे सूखे के कारण हालात खराब होते जा रहे है। इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है। प्रदेश में गेंहू की बुआई का उचित समय बीत चुका है। मगर इस बार 10 फीसदी जमीन पर ही किसान गेंहू की बुआई कर पाए है। कृषि विभाग के अनुसार, प्रदेश में बीते साल गेंहू की फसल 3.26 लाख हेक्टेयर भूमि पर थी। इस बार मुश्किल से 30 हजार हेक्टेयर जमीन पर ही इसकी बुआई हो पाई है। जिन किसानों ने गेंहू की बुआई की थी, उनकी फसल भी जमीन में नमी नहीं होने के कारण खराब होने लगी है। पानी के स्त्रोत सूखने लगे है। इससे किसान सिंचाई भी नहीं कर पा रहे है। 46 दिन में 1 मिलीमीटर बारिश भी नहीं हुई IMD के अनुसार, एक अक्टूबर से 15 नवंबर के प्रदेश में 33.6 मिलीमीटर बारिश होती है। इस बार केवल 0.7 मिलीमीटर बादल बरसे है। यही मानसून में भी सामान्य से 19 प्रतिशत कम बारिश हुई है। एक से 15 अक्टूबर तक प्रदेश में पानी की एक बूंद नहीं बरसी। खेतीबाड़ी के साथ साथ राज्य के पर्यटन के लिए भी यह अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा। अगले चार दिन बारिश-बर्फबारी के कोई आसार नहीं अमूमन लाहौल स्पीति, कुल्लू और चंबा की ऊंची चोटियों पर 15 अक्टूबर के बाद बर्फबारी हो जाती थी। इससे पर्यटक भी काफी संख्या में इसे देखने पहुंचते थे। लेकिन इस बार मौसम मेहरबान नहीं हो रहा। मौसम विभाग के अनुसार, आज कांगड़ा और चंबा की अधिक ऊंची चोटियों पर हल्का हिमपात जरूर हो सकता है। मगर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में अगले चार दिन तक बारिश बर्फबारी के कोई आसार नहीं है। वहीं बिलासपुर और मंडी जिला में घनी धुंध का येलो अलर्ट जरूर जारी किया गया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में बेक-टू-बेक दूसरी भीषण तबाही:समेच में 50 मीटर ऊपर चढ़ जल स्तर; 20 साल पहले भी आई ऐसी फ्लड हिमाचल प्रदेश में लगातार दूसरे साल मानसून की बारिश में भीषण तबाही मचाई है। 4 जगह बादल फटने से 49 लोग लापता और 4 की मौत हो चुकी है। इसके बाद पहाड़ों पर चौतरफा रोने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही है। हर कोई अपनो के जिंदा होने की दुआ कर रहा है। प्रदेश में बीते साल भी 14 अगस्त को एक ही दिन में 52 लोगों की जान गई थी। अगस्त 2017 में भी मंडी के कोटरोपी में दो बस पर रात में पहाड़ी दरकने से 48 यात्रियों की मौत हुई थी। इस बार फिर से 53 से ज्यादा लोग एक ही रात में आपदा का शिकार बने हैं। खासकर रामपुर के समेच गांव की तबाही देवभूमि के लिए कभी भी न भूल पाने वाला हादसा है। बादल फटने के बाद मूसलाधार बारिश से यहां पूरा समेच गांव ही उजड़ गया। कल तक जहां आलीशान घर और 11 से 12 परिवार का बड़ा गांव था। वहां आज गांव का नामो निशान मिट गया है। गांव में चौतरफा पत्थर और मलबा नजर आ रहा है। खड्ड का 50 मीटर ऊपर चढ़ा जल स्तर समेच गांव खड्ड से करीब 50 मीटर ऊंचाई पर था। मगर श्रीखंड में बादल फटने के बाद बीती रात में हुई भारी बारिश से खड्ड में पानी का लेवल 50 मीटर ऊपर चढ़ गया, जिसकी वजह से यह तबाही हुई है और रात का अंधेरा होने की वजह से लोग कहीं जा भी नहीं सके। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि तबाही का मंजर कितना भीषण रहा होगा। 20 साल पहले भी ऐसी तबाही हुई: आत्मा राम स्थानीय निवासी आत्मा राम ने बताया कि क्षेत्र में 20 साल पहले भी ऐसी ही फ्लड आई थी। उस दौरान भी घरों के बरामदे तक कट गए थे। तब लोगों को कहा कि यहां मत ठहरों, लेकिन कुछ लोगों ने इसे नजरअंदाज किया और अब पूरा गांव की उजड़ गया है। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों के साथ साथ बाहर के 6 लोग भी खड्ड में बह गए हैं। समेच में गांव के साथ साथ कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, पावर प्रोजेक्ट और स्कूल भी बह गया है। रेस्क्यू में जुटा प्रशासन राज्य सरकार एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जवानों के साथ रेस्क्यू में जुटी हुई है। सर्च ऑपरेशन चल रहा है। इस बीच घटनास्थल पर अपनो की तलाश में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। 3 महीने की नन्हीं बच्ची सहित 7 लोग लापता मंडी की चौहारघाटी और कुल्लू के बागीपुल में भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। चौहारघाटी में 3 महीने की नन्ही बच्ची सहित 3 परिवार के 11 लोग मलबे की चपेट में आ गए। इनमें से 4 के शव बरामद कर दिए गए है, जबकि 1 मलबे से निकालने के बाद उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है। चौहारघाटी में 7 व्यक्ति अभी भी लापता है। बागीपुल में भी आधा दर्जन घरों को नुकसान और छह से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। मलाणा डेम ने दूसरी साल भी डराए लोग कुल्लू जिला के मलाणा-2 में पावर प्रोजेक्ट का डेम ओवर-फ्लो होने से निचले इलाकों में खूब तबाही हुई है। बीते साल भी डेम का एक कोना क्षतिग्रस्त होने से इसके टूटने का खतरा बना हुआ था। बीती रात को मलाणा घाटी में बादल फटने के बाद भारी मात्रा में पानी आने से डेम ओवरफ्लो हुआ। इससे लोग दहशत में आ गए। खासकर सोशल मीडिया की डेम फटने की खबरों से लोग घबरा गए थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि डेम सुरक्षित है और ओवरफ्लो जरूर हुआ।