हाईकोर्ट ने पंजाब PWD सचिव पर लगाया 1 लाख जुर्माना:SDO को परेशान करने का आरोप, 3 महीने का समय दिया

हाईकोर्ट ने पंजाब PWD सचिव पर लगाया 1 लाख जुर्माना:SDO को परेशान करने का आरोप, 3 महीने का समय दिया

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के सचिव पर एक एसडीओ को प्रताड़ित करने और उसकी पदोन्नति में रुकावट डालने का दोषी पाते हुए 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह आदेश पीडब्ल्यूडी के एसडीओ सुखप्रीत सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि प्रतिवादियों की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध थी। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के साथ अन्याय हुआ और उनके दुखों को कम करने के लिए 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाना उचित है। यह जुर्माना लोक निर्माण विभाग के सचिव को तीन महीने के भीतर याचिकाकर्ता को अदा करना होगा। सुखप्रीत सिंह, जो कि एक एसडीओ (उपमंडल अभियंता) हैं, ने याचिका में मांग की थी कि उन्हें कार्यकारी अभियंता (एक्सईएन) के पद पर पदोन्नत किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने अपने खिलाफ वेतन वृद्धि रोकने के आदेश को रद्द करने की अपील की थी। बिजली के खंभों को नहीं हटाया
सुखप्रीत सिंह पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने निर्माण कार्य शुरू करने से पहले सड़क पर लगे बिजली के खंभों को नहीं हटाया, जो कर्तव्य में लापरवाही का मामला बनता है। हालांकि, कोर्ट में प्रस्तुत सबूतों से यह साबित हुआ कि सुखप्रीत सिंह ने बिजली के खंभे हटाने के लिए पहले ही लिखित निर्देश दिए थे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि जब तक बिजली विभाग खंभों को नहीं हटाता, तब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाएगा। मुख्य अभियंता की टिप्पणी के अनुसार, सुखप्रीत सिंह द्वारा किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की गई थी। बावजूद इसके, पंजाब लोक सेवा आयोग (पीपीएससी) ने इस मामले में उनकी स्थिति को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के सचिव पर एक एसडीओ को प्रताड़ित करने और उसकी पदोन्नति में रुकावट डालने का दोषी पाते हुए 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह आदेश पीडब्ल्यूडी के एसडीओ सुखप्रीत सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि प्रतिवादियों की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध थी। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के साथ अन्याय हुआ और उनके दुखों को कम करने के लिए 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाना उचित है। यह जुर्माना लोक निर्माण विभाग के सचिव को तीन महीने के भीतर याचिकाकर्ता को अदा करना होगा। सुखप्रीत सिंह, जो कि एक एसडीओ (उपमंडल अभियंता) हैं, ने याचिका में मांग की थी कि उन्हें कार्यकारी अभियंता (एक्सईएन) के पद पर पदोन्नत किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने अपने खिलाफ वेतन वृद्धि रोकने के आदेश को रद्द करने की अपील की थी। बिजली के खंभों को नहीं हटाया
सुखप्रीत सिंह पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने निर्माण कार्य शुरू करने से पहले सड़क पर लगे बिजली के खंभों को नहीं हटाया, जो कर्तव्य में लापरवाही का मामला बनता है। हालांकि, कोर्ट में प्रस्तुत सबूतों से यह साबित हुआ कि सुखप्रीत सिंह ने बिजली के खंभे हटाने के लिए पहले ही लिखित निर्देश दिए थे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि जब तक बिजली विभाग खंभों को नहीं हटाता, तब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाएगा। मुख्य अभियंता की टिप्पणी के अनुसार, सुखप्रीत सिंह द्वारा किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की गई थी। बावजूद इसके, पंजाब लोक सेवा आयोग (पीपीएससी) ने इस मामले में उनकी स्थिति को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।   पंजाब | दैनिक भास्कर