कोई कहता भली है, कोई कहता बुरी है। मैं तो कहता हूं- सियासत दोगली है। ऐसा मुकेश उपाध्याय का कहना है। मिर्जापुर के मझवां ब्लॉक में रहते हैं। वह कहते हैं- इस एरिया में आज विकास कोसों दूर है। जनता ने सभी पार्टियों को जिताया। लेकिन, उद्योग-धंधे, अच्छे स्कूल-कॉलेज और अस्पताल की कमी दूर नहीं हुई। सड़कों की स्थिति बहुत खराब है। मझवां में 3 दिन बाद उपचुनाव होने हैं। मुकेश उपाध्याय जैसे ही तमाम लोग इलाके की समस्या बताते हैं। लेकिन, लोगों का कहना है- यहां मुद्दा नहीं, चुनाव जाति-बिरादरी में सिमट जाता है। चुनाव वाले दिन लोग पार्टी और प्रत्याशी को देखकर ही वोट देते हैं। मझवां में भाजपा और सपा दोनों ने महिला कैंडिडेट उतारे। भाजपा से सुचिस्मिता मौर्य लड़ रही हैं। वह पूर्व विधायक रामचंद्र मौर्या की बहू हैं। सपा से डॉ. ज्योति बिंद चुनावी मैदान में हैं। वह पूर्व विधायक डॉ. रमेश बिंद की बेटी हैं। बसपा ने यहां जातीय समीकरण साधते हुए ब्राह्मण चेहरे दीपक तिवारी उर्फ दीपू पर भरोसा जताया है। तमाम जातीय और सियासी समीकरण साधते हुए भाजपा अभी मजबूत स्थिति में है। अगर बसपा का BDM (ब्राह्मण-दलित-मुस्लिम) समीकरण ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ता और सपा का PDA काम कर जाता है, तो यहां सपा मजबूत होगी। बसपा मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। मझवां में हवा का रुख कैसा है? जनता की राय क्या है? पॉलिटिकल एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं? इन सभी सवालों का जवाब जानने हम वोटिंग से 4 दिन पहले मझवां के अलग-अलग इलाकों में पहुंचे… सबसे पहले मझवां का सियासी समीकरण…
2022 में यह सीट भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के कोटे में गई थी। निषाद पार्टी के विनोद बिंद को 33 हजार 587 मतों से जीत मिली। विनोद बिंद को 1 लाख 3 हजार 235 वोट मिले। सपा के रोहित शुक्ला को 69 हजार 648 वोट मिले थे। पिछले लोकसभा चुनाव में अपना दल (एस) प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल और सपा प्रत्याशी डॉक्टर रमेश बिंद के बीच मुकाबला हुआ। इस इलाके से अनुप्रिया पटेल को सिर्फ 1,762 मतों से जीत मिली। यह आंकड़ा ही भाजपा के लिए चिंताजनक है। मझवां में बिंद, ब्राह्मण और दलित ये 3 वोट बैंक निर्णायक होते हैं। यह वोट जिसकी तरफ शिफ्ट हुआ, उसकी जीत पक्की होती है। अब जानते हैं वोटर्स की बात…
मिर्जापुर मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर मझवां विधानसभा सीट ग्रामीण इलाका है। यहां के लोगों का मुख्य पेशा खेती और पशुपालन है। भाजपा यहां सहयोगी दलों के साथ एकजुट है और जीत की हैट्रिक लगाने का प्रयास कर रही है। राजा तालाब से जमुआ बाजार होकर हम कछवा नगर पंचायत पहुंचे। इससे पहले रास्ते में मुस्लिम मतदाताओं का मिजाज जाना। मुस्लिम वोटरों की अपनी अलग रायशुमारी नजर आई। कोवटावीर महामलपुरी के पूर्व प्रधान मो. असलम खां ने बताया- वर्तमान स्थिति में भाजपा मजबूत नजर आ रही है। मुस्लिम सब ओर जा रहा है, सपा- बसपा और भाजपा में भी…। लेकिन, वोटों का प्रतिशत अलग होगा। वोटरों का सबसे बड़ा तबका सपा और फिर बसपा की ओर जा रहा है। भाजपा की ओर रुझान कम है, किसी प्रभाव में 2 फीसदी जा सकता है। ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे का मुस्लिमों पर कोई असर नहीं है। जो चल रहा है, वह ठीक नहीं है। अपेक्षा यही है, जो सरकार चला रहे हैं, बस ठीक से चलाएं। बाकी हम तो राजा बनेंगे नहीं, हमें तो प्रजा ही रहना है। जहीर कहते हैं- हम वोट किसे देंगे, यह ऊपर वाला जानता है। सही समय पर पत्ता खोलेंगे। मुस्लिमों का एक वर्ग इस चुनाव में बिक सकता है। पैसे लेकर वोट देगा। हालात भी ठीक नहीं हैं। कुछ बोलने या अपनी बात रखने पर जेल में डाल दिया जाता है। ब्राह्मण बहुल इलाकों में भाजपा की चर्चा
मझवां में सबसे ज्यादा मतदाता ब्राह्मण हैं। उनके कई गांव एक साथ हैं। पहाड़ी ब्लॉक के कई गांवों में ब्राह्मणों का रुझान भाजपा में दिखा, कुछ फीसदी बसपा प्रत्याशी को दे रहे हैं। लेकिन, सपा से ब्राह्मण दूर नजर आ रहा है। कछवा बाजार से ब्राह्मण बाहुल्य इलाकों में बढ़ें, तो पहला गांव बेदौली पड़ा। चाय की दुकान पर वकील सर्वेश तिवारी के साथ बड़ी संख्या में गांव के युवा जुटे थे। दैनिक भास्कर का माइक देखा तो चुनावी चर्चा भी शुरू हो गई। सर्वेश तिवारी ने बताया- हमारा गांव पूरी तरह से भाजपा के साथ है। यह पार्टी राष्ट्र और समाज के प्रति सोच रही है। हम विचारधारा पर वोट दे रहे हैं। किसानों के लिए बेहतरीन व्यवस्था दी गई है। हर समय लाइट आती है और सिंचाई कर सकते हैं। राजकुमार विश्वकर्मा मझवां की सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई बता रहे हैं। उन्होंने कहा- भाजपा के पक्ष में हवा बह रही है। वोट का आधार उनके पक्ष में दिखाई दे रहा। सीएम योगी के नारे का बोलबाला भी दिख रहा है। आशीष तिवारी और प्रवीण चौबे भाजपा की जीत का दावा कर रहे हैं। दोनों का कहना है कि युवाओं का सबसे ज्यादा सपोर्ट भाजपा के साथ है। जन्मेजय शर्मा मझवां में त्रिकोणीय लड़ाई बता रहे हैं। कहते हैं- सपा, भाजपा के साथ बसपा भी मजबूती से चुनाव लड़ रही है। बसपा के पास अपना सॉलिड वोट है, जो उसे मजबूत कर रहा है। मिर्जापुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष उपाध्याय ने बताया- मझवां में अभी जटिल स्थिति चल रही है। भाजपा को जीता हुआ नहीं मान सकते। सभी दल मेहनत कर रहे, अच्छा चुनाव लड़ रहे हैं। अजय कुमार की मानें, तो समय आने पर परिणाम दिखेगा। लड़ाई भाजपा और सपा में है। अब बात पॉलिटिकल एक्सपर्ट की….
इलाके की राजनीति को करीब से समझने वाले प्रोफेसर मारकण्डेय सिंह ने बताया- मझवां में भाजपा की स्थिति मजबूत है। अधिकतम मतदाताओं का रुझान है कि सरकार योगी की है। उनकी पार्टी का प्रत्याशी जीतेगा, तो विकास होगा। सभी मिलकर उन्हीं से उम्मीद रखे हैं। सपा और बसपा का प्रयास जारी है, चुनाव रोचक होगा। उन्होंने बताया- सभी दल आ रहे हैं, लेकिन उनका प्रभाव जनता पर नहीं दिख रहा। जातिगत समीकरण भी प्रभावी नहीं हैं। भाजपा के आगे विपक्षी टिक नहीं रहे हैं। चौराहों, चाय की दुकानों पर भाजपा की जीत पर ही चर्चा हो रही है। 1989-90 के बाद से अब तक मझवां में वोटिंग पैटर्न नहीं बदला। यहां के मतदाता ज्यादातर दो फैक्टर पर बात करते हैं। पहला पार्टी के साथ वैचारिक जुड़ाव और दूसरा कैंडिडेट की जाति। बीजेपी और बसपा ज्यादातर इसी आधार पर चुनाव जीतती रही हैं। सपा जातीय गोलबंदी और रोजगार के मुद्दे को धार दे रही है। प्रत्याशी के पिता पुरानी तस्वीरों पर धूल साफ कर रहे हैं। वहीं, भाजपा कानून व्यवस्था और ध्रुवीकरण के भरोसे चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश में है। ………………………………. यह खबर भी पढ़ें अलीगढ़ के खैर में क्या हैट्रिक लगा पाएगी BJP: वोटर्स के पैर छू रहे भाजपा प्रत्याशी, AMU बना मुद्दा; सपा कितनी ताकतवर सपा अपने 32 साल के इतिहास में यहां कभी भी फाइट में नहीं रही। लेकिन, इस बारअलीगढ़ के खैर विधानसभा एरिया में जो समीकरण बन रहे हैं, उससे यह साफ है कि लड़ाई भाजपा और सपा के बीच है। चारू कैन सिर पर पल्लू रख बहू की तरह वोट मांग रही हैं। वहीं सुरेंद्र दिलेर लोगों के पैर छूते हैं। कहते हैं- आपका बेटा हूं। आशीर्वाद दीजिएगा। पढ़ें पूरी खबर… कोई कहता भली है, कोई कहता बुरी है। मैं तो कहता हूं- सियासत दोगली है। ऐसा मुकेश उपाध्याय का कहना है। मिर्जापुर के मझवां ब्लॉक में रहते हैं। वह कहते हैं- इस एरिया में आज विकास कोसों दूर है। जनता ने सभी पार्टियों को जिताया। लेकिन, उद्योग-धंधे, अच्छे स्कूल-कॉलेज और अस्पताल की कमी दूर नहीं हुई। सड़कों की स्थिति बहुत खराब है। मझवां में 3 दिन बाद उपचुनाव होने हैं। मुकेश उपाध्याय जैसे ही तमाम लोग इलाके की समस्या बताते हैं। लेकिन, लोगों का कहना है- यहां मुद्दा नहीं, चुनाव जाति-बिरादरी में सिमट जाता है। चुनाव वाले दिन लोग पार्टी और प्रत्याशी को देखकर ही वोट देते हैं। मझवां में भाजपा और सपा दोनों ने महिला कैंडिडेट उतारे। भाजपा से सुचिस्मिता मौर्य लड़ रही हैं। वह पूर्व विधायक रामचंद्र मौर्या की बहू हैं। सपा से डॉ. ज्योति बिंद चुनावी मैदान में हैं। वह पूर्व विधायक डॉ. रमेश बिंद की बेटी हैं। बसपा ने यहां जातीय समीकरण साधते हुए ब्राह्मण चेहरे दीपक तिवारी उर्फ दीपू पर भरोसा जताया है। तमाम जातीय और सियासी समीकरण साधते हुए भाजपा अभी मजबूत स्थिति में है। अगर बसपा का BDM (ब्राह्मण-दलित-मुस्लिम) समीकरण ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ता और सपा का PDA काम कर जाता है, तो यहां सपा मजबूत होगी। बसपा मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। मझवां में हवा का रुख कैसा है? जनता की राय क्या है? पॉलिटिकल एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं? इन सभी सवालों का जवाब जानने हम वोटिंग से 4 दिन पहले मझवां के अलग-अलग इलाकों में पहुंचे… सबसे पहले मझवां का सियासी समीकरण…
2022 में यह सीट भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के कोटे में गई थी। निषाद पार्टी के विनोद बिंद को 33 हजार 587 मतों से जीत मिली। विनोद बिंद को 1 लाख 3 हजार 235 वोट मिले। सपा के रोहित शुक्ला को 69 हजार 648 वोट मिले थे। पिछले लोकसभा चुनाव में अपना दल (एस) प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल और सपा प्रत्याशी डॉक्टर रमेश बिंद के बीच मुकाबला हुआ। इस इलाके से अनुप्रिया पटेल को सिर्फ 1,762 मतों से जीत मिली। यह आंकड़ा ही भाजपा के लिए चिंताजनक है। मझवां में बिंद, ब्राह्मण और दलित ये 3 वोट बैंक निर्णायक होते हैं। यह वोट जिसकी तरफ शिफ्ट हुआ, उसकी जीत पक्की होती है। अब जानते हैं वोटर्स की बात…
मिर्जापुर मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर मझवां विधानसभा सीट ग्रामीण इलाका है। यहां के लोगों का मुख्य पेशा खेती और पशुपालन है। भाजपा यहां सहयोगी दलों के साथ एकजुट है और जीत की हैट्रिक लगाने का प्रयास कर रही है। राजा तालाब से जमुआ बाजार होकर हम कछवा नगर पंचायत पहुंचे। इससे पहले रास्ते में मुस्लिम मतदाताओं का मिजाज जाना। मुस्लिम वोटरों की अपनी अलग रायशुमारी नजर आई। कोवटावीर महामलपुरी के पूर्व प्रधान मो. असलम खां ने बताया- वर्तमान स्थिति में भाजपा मजबूत नजर आ रही है। मुस्लिम सब ओर जा रहा है, सपा- बसपा और भाजपा में भी…। लेकिन, वोटों का प्रतिशत अलग होगा। वोटरों का सबसे बड़ा तबका सपा और फिर बसपा की ओर जा रहा है। भाजपा की ओर रुझान कम है, किसी प्रभाव में 2 फीसदी जा सकता है। ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे का मुस्लिमों पर कोई असर नहीं है। जो चल रहा है, वह ठीक नहीं है। अपेक्षा यही है, जो सरकार चला रहे हैं, बस ठीक से चलाएं। बाकी हम तो राजा बनेंगे नहीं, हमें तो प्रजा ही रहना है। जहीर कहते हैं- हम वोट किसे देंगे, यह ऊपर वाला जानता है। सही समय पर पत्ता खोलेंगे। मुस्लिमों का एक वर्ग इस चुनाव में बिक सकता है। पैसे लेकर वोट देगा। हालात भी ठीक नहीं हैं। कुछ बोलने या अपनी बात रखने पर जेल में डाल दिया जाता है। ब्राह्मण बहुल इलाकों में भाजपा की चर्चा
मझवां में सबसे ज्यादा मतदाता ब्राह्मण हैं। उनके कई गांव एक साथ हैं। पहाड़ी ब्लॉक के कई गांवों में ब्राह्मणों का रुझान भाजपा में दिखा, कुछ फीसदी बसपा प्रत्याशी को दे रहे हैं। लेकिन, सपा से ब्राह्मण दूर नजर आ रहा है। कछवा बाजार से ब्राह्मण बाहुल्य इलाकों में बढ़ें, तो पहला गांव बेदौली पड़ा। चाय की दुकान पर वकील सर्वेश तिवारी के साथ बड़ी संख्या में गांव के युवा जुटे थे। दैनिक भास्कर का माइक देखा तो चुनावी चर्चा भी शुरू हो गई। सर्वेश तिवारी ने बताया- हमारा गांव पूरी तरह से भाजपा के साथ है। यह पार्टी राष्ट्र और समाज के प्रति सोच रही है। हम विचारधारा पर वोट दे रहे हैं। किसानों के लिए बेहतरीन व्यवस्था दी गई है। हर समय लाइट आती है और सिंचाई कर सकते हैं। राजकुमार विश्वकर्मा मझवां की सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई बता रहे हैं। उन्होंने कहा- भाजपा के पक्ष में हवा बह रही है। वोट का आधार उनके पक्ष में दिखाई दे रहा। सीएम योगी के नारे का बोलबाला भी दिख रहा है। आशीष तिवारी और प्रवीण चौबे भाजपा की जीत का दावा कर रहे हैं। दोनों का कहना है कि युवाओं का सबसे ज्यादा सपोर्ट भाजपा के साथ है। जन्मेजय शर्मा मझवां में त्रिकोणीय लड़ाई बता रहे हैं। कहते हैं- सपा, भाजपा के साथ बसपा भी मजबूती से चुनाव लड़ रही है। बसपा के पास अपना सॉलिड वोट है, जो उसे मजबूत कर रहा है। मिर्जापुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष उपाध्याय ने बताया- मझवां में अभी जटिल स्थिति चल रही है। भाजपा को जीता हुआ नहीं मान सकते। सभी दल मेहनत कर रहे, अच्छा चुनाव लड़ रहे हैं। अजय कुमार की मानें, तो समय आने पर परिणाम दिखेगा। लड़ाई भाजपा और सपा में है। अब बात पॉलिटिकल एक्सपर्ट की….
इलाके की राजनीति को करीब से समझने वाले प्रोफेसर मारकण्डेय सिंह ने बताया- मझवां में भाजपा की स्थिति मजबूत है। अधिकतम मतदाताओं का रुझान है कि सरकार योगी की है। उनकी पार्टी का प्रत्याशी जीतेगा, तो विकास होगा। सभी मिलकर उन्हीं से उम्मीद रखे हैं। सपा और बसपा का प्रयास जारी है, चुनाव रोचक होगा। उन्होंने बताया- सभी दल आ रहे हैं, लेकिन उनका प्रभाव जनता पर नहीं दिख रहा। जातिगत समीकरण भी प्रभावी नहीं हैं। भाजपा के आगे विपक्षी टिक नहीं रहे हैं। चौराहों, चाय की दुकानों पर भाजपा की जीत पर ही चर्चा हो रही है। 1989-90 के बाद से अब तक मझवां में वोटिंग पैटर्न नहीं बदला। यहां के मतदाता ज्यादातर दो फैक्टर पर बात करते हैं। पहला पार्टी के साथ वैचारिक जुड़ाव और दूसरा कैंडिडेट की जाति। बीजेपी और बसपा ज्यादातर इसी आधार पर चुनाव जीतती रही हैं। सपा जातीय गोलबंदी और रोजगार के मुद्दे को धार दे रही है। प्रत्याशी के पिता पुरानी तस्वीरों पर धूल साफ कर रहे हैं। वहीं, भाजपा कानून व्यवस्था और ध्रुवीकरण के भरोसे चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश में है। ………………………………. यह खबर भी पढ़ें अलीगढ़ के खैर में क्या हैट्रिक लगा पाएगी BJP: वोटर्स के पैर छू रहे भाजपा प्रत्याशी, AMU बना मुद्दा; सपा कितनी ताकतवर सपा अपने 32 साल के इतिहास में यहां कभी भी फाइट में नहीं रही। लेकिन, इस बारअलीगढ़ के खैर विधानसभा एरिया में जो समीकरण बन रहे हैं, उससे यह साफ है कि लड़ाई भाजपा और सपा के बीच है। चारू कैन सिर पर पल्लू रख बहू की तरह वोट मांग रही हैं। वहीं सुरेंद्र दिलेर लोगों के पैर छूते हैं। कहते हैं- आपका बेटा हूं। आशीर्वाद दीजिएगा। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर