ज्ञानवापी ASI-सर्वे की धीमी रफ्तार को आपत्ति का इंतजार:एक साल पहले मिले थे हिंदू प्रतीक चिह्न, संरचना के निर्माण से पहले मंदिर का दावा

ज्ञानवापी ASI-सर्वे की धीमी रफ्तार को आपत्ति का इंतजार:एक साल पहले मिले थे हिंदू प्रतीक चिह्न, संरचना के निर्माण से पहले मंदिर का दावा

वाराणसी के सबसे चर्चित स्थल यानी ज्ञानवापी परिसर पर अधिकार को लेकर दायर याचिका में ASI सर्वे को एक साल पूरा हो गया। 24 जुलाई से 17 सितंबर 2023 तक एएसआई ने 100 दिवसीय सर्वे में गहन पड़ताल की थी। काशी के ज्ञानवापी परिसर में विशाल हिंदू मंदिर होने के कई और सबूत सामने आए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट ने दावा किया कि परिसर में मंदिर होने के सबूत छिपाने की कोशिश की गई, फिर भी इन्हें मिटाया नहीं जा सका। इस रिपोर्ट में जीपीआर से हुई जांच के आधार पर एएसआई ने बताया कि तहखाने में 2 मीटर चौड़ा कुआं भी छिपा है। सर्वे के एक साल बाद भी यह केस एक कदम आगे नहीं बढ़ सका। सर्वे के प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष ने एक साल बाद भी ASI सर्वे पर अपनी आपत्ति दाखिल नहीं की। वही सामान्य सर्वे पर दाखिल आपत्ति में भी अब तक सुनवाई अधूरी है। मुस्लिम पक्ष इन सभी दावों के खिलाफ है लेकिन अभी चीजें सार्वजनिक नहीं चाहता । सबसे पहले ज्ञानवापी केस को क्रमबद्ध बताते हैं… प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वर की ओर से 15 अक्टूबर 1991 को पंडित सोमनाथ व्यास, हरिहर पांडेय और संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे डॉ. रामरंग शर्मा ने वाराणसी कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा- पाठ का अधिकार देने की मांग की गई। याचिका में कहा गया है कि इस मंदिर को मुगल बादशाह औरंगजेब ने वर्ष 1669 में ध्वस्त करा दिया था। हिंदू पक्ष ने मांग की कि उन्हें अपने मंदिर का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण करने की अनुमति दी जाए। यह पुराने विश्वेश्वर मंदिर के अवशेषों पर बनाया गया था। 18 अप्रैल 2021 को लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी की दैनिक पूजा-अर्चना करने की अनुमति मांगी। इतना ही नहीं उन्‍होंने मांग की कि मुस्लिम पक्ष को विवादित ज्ञानवापी क्षेत्र में मौजूद मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोका जाए। 26 अप्रैल 2022 को इन पांच महिलाओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए वाराणसी के सिव‍िल जज रवि कुमार दिवाकर ने काशी विश्‍वनाथ-ज्ञानवापी परिसर और उसके आसापास, श्रृंगार गौरी मंदिर की वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया। 6 मई 2022: वकीलों की एक टीम की देखरेख में ज्ञानवापी ज्ञानवापी के अंदर वीडियोग्राफी शुरू हुई। मसाजिद कमेटी ने इसका विरोध किया। परिणाम यह हुआ कि सर्वे को बीच में ही रोकना पड़ा। 12 मई 2022: वाराणसी कोर्ट ने कहा, सर्वे जारी रहेगा। इतना ही नहीं कोर्ट ने 17 मई तक सर्वे की रिपोर्ट सौंपने को कहा। सर्वे में 16 मई को हिंदूपक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद वजूखाने में शिवलिंग मिला है। इस पर वाराणसी जिला कोर्ट ने क्षेत्र को सील कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस जगह को संरक्षित करने का आदेश दिया। 21 जुलाई 2023: 21 जुलाई को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया था। चार अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा। मामला सुप्रीम कोर्ट और फिर हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद 4 अगस्त से सर्वे की प्रक्रिया विधिवत तरीके से शुरू हुई। 18 दिसंबर 2023: एएसआई ने साइंटिफिक सर्वे के आदेश को वाराणसी जिला कोर्ट में पेश किया। इसके बाद जिला कोर्ट ने 21 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की। पक्षकारों को एएसआई सर्वे की रिपोर्ट दिए जाने पर अहम सुनवाई के लिए बुलाया लेकिन मुस्लिम पक्ष ने कोई आपत्ति लिखित तौर पर दाखिल नहीं की। अब सर्वे रिपोर्ट पाकर एक साल बाद भी मुस्लिम पक्ष दस्तावेजी आपत्ति पर खामोश है। 19 दिसंबर 2023: मुस्लिम पक्ष की ओर से ज्ञानवापी ज्ञानवापी केस में दायर पांचों याचिकाओं को खारिज कर दिया गया। याचिकाओं में 1991 के ज्ञानवापी केस की पोषणीयता को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए वाराणसी कोर्ट को छह माह में मामले की सुनवाई कर आदेश जारी करने को कहा है। वहीं, एएसआई सर्वे की प्रक्रिया पर रोक लगाने संबंधी याचिका को भी हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। 31 जनवरी 2024: वाराणसी कोर्ट के आदेश पर 31 जनवरी 2024 को व्यास तहखाने का ताला 31 साल बाद खुला था। देर रात को मूर्तियां रख कर पूजा-अर्चना की गई। दीप जलाकर गणेश-लक्ष्मी की आरती उतारी गई। तहखाने की दीवार पर बने त्रिशूल समेत अन्य धार्मिक चिह्नों को भी पूजा गया। तहखाने के पारंपरिक पुजारी रहे व्यास परिवार ने याचिका दाखिल कर पूजा-पाठ की इजाजत मांगी थी। ASI रिपोर्ट में मिले हिन्दू मंदिर होने के साक्ष्य वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट एक साल पहले आई थी। 839 पेज की रिपोर्ट में ASI ने परिसर के प्रमुख स्थानों का जिक्र किया है और कुल 321 साक्ष्य भी कोर्ट में जमा किए हैं। रिपोर्ट में ASI ने दावा किया कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। ASI ने करीब 100 दिन तक ज्ञानवापी का सर्वे किया था। ASI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वैज्ञानिक अध्ययन, सर्वेक्षण, वास्तुशिल्प, अवशेषों के अध्ययन, कलाकृतियों, शिलालेख, कला और मूर्तियों के आधार पर ऐसा कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले यहां एक विशाल मंदिर मौजूद था। सर्वे करने वाली टीम में मुस्लिम समुदाय के भी दो पुरातत्वविद (डॉ. इजहार आलम हाशमी, और डॉ. आफताब हुसैन) शामिल थे। बताया कि 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था। उस वक्त ज्ञानवापी स्ट्रक्चर को तोड़ा गया। कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया। प्लास्टर और चूने से छिपाया गया। हिंदू पक्ष का दावा है कि रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत हैं। दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथ भाषाओं में लेखनी मिली है। दीवारों पर भगवान शिव के 4 में से 3 नाम हैं। 11 बड़े प्रमाण… जो गवाही देते हैं कि मंदिर का स्वरूप बदला गया अब जानिए हैं केस से जुड़े वादी और वकीलों के दावे… अब हाईकोर्ट में सुनवाई कराने की तैयारी में हिन्दू पक्ष ज्ञानवापी से जुड़े केस में हिन्दू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि आज सर्वे को एक साल पूरा हो गया है। इस एक साल में अब तक मुस्लिम पक्ष की आपत्ति का कोर्ट को इंतजार है। एक साल तक केस को टालने और तारीख बढ़वाने के लिए बचाव पक्ष का पूरा प्रयास है लेकिन अब हमने इस केस को नया मोड़ देने की ठान ली है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अब केस की सुनवाई हाईकोर्ट में करने की मांग उठाई है। यह सुनवाई अयोध्या केस की तरह होगी और इससे जुड़ी सारी याचिकाएं क्लब होकर एक ही केस चलेगा। एक वर्ष पहले एएसआई ने मंदिर होने की बात साफ कर दी, साक्ष्य भी गवाही दे रहे हैं अब इस लड़ाई को तेज किया जाएगा हमारे पास सबूत, तय है कि मस्जिद थी और रहेगी एसएम यासीन वाराणसी ने कहा- ज्ञानवापी की सर्वे की रिपोर्ट में तरह तरह की डिमांड आ रही है, कोई वजूस्थल और अंदर सर्वे कराने की मांग कर रहे है। 28 केस के चलते अभी केस आगे नहीं बढ़ रहा है। सर्वे गलत तरीके से किया गया, सर्वे में बिना खुदाई के लिए कहा गया था लेकिन मलवा हटाया। इस परिसर में पहले लोग अंदर से मलवा लाकर डालते थे, इस सर्वे में सब टूटा-फूटा मिला अंदर कुछ साबुत नहीं मिला। बैरिकेडिंग हटाई और कई समस्याएं आई। अभी केस लंबा चलेगा। हमारे पास सैकड़ों साक्ष्य हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि यह मस्जिद थी, है और रहेगी। कोर्ट फैसले दे रहा है, पर इंसाफ नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी को तहखाने में जिस तरह से पूजा-पाठ कराई गई, वह गलत है और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। मस्जिदों को हड़पने की कोशिश: मुख्तार अंसारी ज्ञानवापी केस से जुड़े मुख्तार अहमद अंसारी ने कहा कि एक साल बाद भी सर्वे से हम खुश या संतुष्ट नहीं है। एएसआई रिपोर्ट में जो साक्ष्य दिए गए वो सभी बेबुनियाद हैं, इस मामले में यह बताने का प्रयास किया गया कि मुस्लिम समाज ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई। छत गिरने की बात कहकर और तरह तरह की याचिकाओं को दायर करके मस्जिद को हड़पने की साजिश कर रहे हैं। मस्जिद 570 साल से मौजूद है और झूठ पर छवि खराब कर रहे हैं। इस पर कई याचिकाएं आई और कोर्ट ने अब तक कोई निर्णय नहीं दिया। शायद हम न्यायालय को समझाने में नाकाम है या विपक्षी कोर्ट को भ्रमित कर रहे हें। वाराणसी के सबसे चर्चित स्थल यानी ज्ञानवापी परिसर पर अधिकार को लेकर दायर याचिका में ASI सर्वे को एक साल पूरा हो गया। 24 जुलाई से 17 सितंबर 2023 तक एएसआई ने 100 दिवसीय सर्वे में गहन पड़ताल की थी। काशी के ज्ञानवापी परिसर में विशाल हिंदू मंदिर होने के कई और सबूत सामने आए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट ने दावा किया कि परिसर में मंदिर होने के सबूत छिपाने की कोशिश की गई, फिर भी इन्हें मिटाया नहीं जा सका। इस रिपोर्ट में जीपीआर से हुई जांच के आधार पर एएसआई ने बताया कि तहखाने में 2 मीटर चौड़ा कुआं भी छिपा है। सर्वे के एक साल बाद भी यह केस एक कदम आगे नहीं बढ़ सका। सर्वे के प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष ने एक साल बाद भी ASI सर्वे पर अपनी आपत्ति दाखिल नहीं की। वही सामान्य सर्वे पर दाखिल आपत्ति में भी अब तक सुनवाई अधूरी है। मुस्लिम पक्ष इन सभी दावों के खिलाफ है लेकिन अभी चीजें सार्वजनिक नहीं चाहता । सबसे पहले ज्ञानवापी केस को क्रमबद्ध बताते हैं… प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वर की ओर से 15 अक्टूबर 1991 को पंडित सोमनाथ व्यास, हरिहर पांडेय और संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे डॉ. रामरंग शर्मा ने वाराणसी कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा- पाठ का अधिकार देने की मांग की गई। याचिका में कहा गया है कि इस मंदिर को मुगल बादशाह औरंगजेब ने वर्ष 1669 में ध्वस्त करा दिया था। हिंदू पक्ष ने मांग की कि उन्हें अपने मंदिर का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण करने की अनुमति दी जाए। यह पुराने विश्वेश्वर मंदिर के अवशेषों पर बनाया गया था। 18 अप्रैल 2021 को लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी की दैनिक पूजा-अर्चना करने की अनुमति मांगी। इतना ही नहीं उन्‍होंने मांग की कि मुस्लिम पक्ष को विवादित ज्ञानवापी क्षेत्र में मौजूद मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोका जाए। 26 अप्रैल 2022 को इन पांच महिलाओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए वाराणसी के सिव‍िल जज रवि कुमार दिवाकर ने काशी विश्‍वनाथ-ज्ञानवापी परिसर और उसके आसापास, श्रृंगार गौरी मंदिर की वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया। 6 मई 2022: वकीलों की एक टीम की देखरेख में ज्ञानवापी ज्ञानवापी के अंदर वीडियोग्राफी शुरू हुई। मसाजिद कमेटी ने इसका विरोध किया। परिणाम यह हुआ कि सर्वे को बीच में ही रोकना पड़ा। 12 मई 2022: वाराणसी कोर्ट ने कहा, सर्वे जारी रहेगा। इतना ही नहीं कोर्ट ने 17 मई तक सर्वे की रिपोर्ट सौंपने को कहा। सर्वे में 16 मई को हिंदूपक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद वजूखाने में शिवलिंग मिला है। इस पर वाराणसी जिला कोर्ट ने क्षेत्र को सील कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस जगह को संरक्षित करने का आदेश दिया। 21 जुलाई 2023: 21 जुलाई को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया था। चार अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा। मामला सुप्रीम कोर्ट और फिर हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद 4 अगस्त से सर्वे की प्रक्रिया विधिवत तरीके से शुरू हुई। 18 दिसंबर 2023: एएसआई ने साइंटिफिक सर्वे के आदेश को वाराणसी जिला कोर्ट में पेश किया। इसके बाद जिला कोर्ट ने 21 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की। पक्षकारों को एएसआई सर्वे की रिपोर्ट दिए जाने पर अहम सुनवाई के लिए बुलाया लेकिन मुस्लिम पक्ष ने कोई आपत्ति लिखित तौर पर दाखिल नहीं की। अब सर्वे रिपोर्ट पाकर एक साल बाद भी मुस्लिम पक्ष दस्तावेजी आपत्ति पर खामोश है। 19 दिसंबर 2023: मुस्लिम पक्ष की ओर से ज्ञानवापी ज्ञानवापी केस में दायर पांचों याचिकाओं को खारिज कर दिया गया। याचिकाओं में 1991 के ज्ञानवापी केस की पोषणीयता को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए वाराणसी कोर्ट को छह माह में मामले की सुनवाई कर आदेश जारी करने को कहा है। वहीं, एएसआई सर्वे की प्रक्रिया पर रोक लगाने संबंधी याचिका को भी हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। 31 जनवरी 2024: वाराणसी कोर्ट के आदेश पर 31 जनवरी 2024 को व्यास तहखाने का ताला 31 साल बाद खुला था। देर रात को मूर्तियां रख कर पूजा-अर्चना की गई। दीप जलाकर गणेश-लक्ष्मी की आरती उतारी गई। तहखाने की दीवार पर बने त्रिशूल समेत अन्य धार्मिक चिह्नों को भी पूजा गया। तहखाने के पारंपरिक पुजारी रहे व्यास परिवार ने याचिका दाखिल कर पूजा-पाठ की इजाजत मांगी थी। ASI रिपोर्ट में मिले हिन्दू मंदिर होने के साक्ष्य वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट एक साल पहले आई थी। 839 पेज की रिपोर्ट में ASI ने परिसर के प्रमुख स्थानों का जिक्र किया है और कुल 321 साक्ष्य भी कोर्ट में जमा किए हैं। रिपोर्ट में ASI ने दावा किया कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। ASI ने करीब 100 दिन तक ज्ञानवापी का सर्वे किया था। ASI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वैज्ञानिक अध्ययन, सर्वेक्षण, वास्तुशिल्प, अवशेषों के अध्ययन, कलाकृतियों, शिलालेख, कला और मूर्तियों के आधार पर ऐसा कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले यहां एक विशाल मंदिर मौजूद था। सर्वे करने वाली टीम में मुस्लिम समुदाय के भी दो पुरातत्वविद (डॉ. इजहार आलम हाशमी, और डॉ. आफताब हुसैन) शामिल थे। बताया कि 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था। उस वक्त ज्ञानवापी स्ट्रक्चर को तोड़ा गया। कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया। प्लास्टर और चूने से छिपाया गया। हिंदू पक्ष का दावा है कि रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत हैं। दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथ भाषाओं में लेखनी मिली है। दीवारों पर भगवान शिव के 4 में से 3 नाम हैं। 11 बड़े प्रमाण… जो गवाही देते हैं कि मंदिर का स्वरूप बदला गया अब जानिए हैं केस से जुड़े वादी और वकीलों के दावे… अब हाईकोर्ट में सुनवाई कराने की तैयारी में हिन्दू पक्ष ज्ञानवापी से जुड़े केस में हिन्दू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि आज सर्वे को एक साल पूरा हो गया है। इस एक साल में अब तक मुस्लिम पक्ष की आपत्ति का कोर्ट को इंतजार है। एक साल तक केस को टालने और तारीख बढ़वाने के लिए बचाव पक्ष का पूरा प्रयास है लेकिन अब हमने इस केस को नया मोड़ देने की ठान ली है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अब केस की सुनवाई हाईकोर्ट में करने की मांग उठाई है। यह सुनवाई अयोध्या केस की तरह होगी और इससे जुड़ी सारी याचिकाएं क्लब होकर एक ही केस चलेगा। एक वर्ष पहले एएसआई ने मंदिर होने की बात साफ कर दी, साक्ष्य भी गवाही दे रहे हैं अब इस लड़ाई को तेज किया जाएगा हमारे पास सबूत, तय है कि मस्जिद थी और रहेगी एसएम यासीन वाराणसी ने कहा- ज्ञानवापी की सर्वे की रिपोर्ट में तरह तरह की डिमांड आ रही है, कोई वजूस्थल और अंदर सर्वे कराने की मांग कर रहे है। 28 केस के चलते अभी केस आगे नहीं बढ़ रहा है। सर्वे गलत तरीके से किया गया, सर्वे में बिना खुदाई के लिए कहा गया था लेकिन मलवा हटाया। इस परिसर में पहले लोग अंदर से मलवा लाकर डालते थे, इस सर्वे में सब टूटा-फूटा मिला अंदर कुछ साबुत नहीं मिला। बैरिकेडिंग हटाई और कई समस्याएं आई। अभी केस लंबा चलेगा। हमारे पास सैकड़ों साक्ष्य हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि यह मस्जिद थी, है और रहेगी। कोर्ट फैसले दे रहा है, पर इंसाफ नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी को तहखाने में जिस तरह से पूजा-पाठ कराई गई, वह गलत है और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। मस्जिदों को हड़पने की कोशिश: मुख्तार अंसारी ज्ञानवापी केस से जुड़े मुख्तार अहमद अंसारी ने कहा कि एक साल बाद भी सर्वे से हम खुश या संतुष्ट नहीं है। एएसआई रिपोर्ट में जो साक्ष्य दिए गए वो सभी बेबुनियाद हैं, इस मामले में यह बताने का प्रयास किया गया कि मुस्लिम समाज ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई। छत गिरने की बात कहकर और तरह तरह की याचिकाओं को दायर करके मस्जिद को हड़पने की साजिश कर रहे हैं। मस्जिद 570 साल से मौजूद है और झूठ पर छवि खराब कर रहे हैं। इस पर कई याचिकाएं आई और कोर्ट ने अब तक कोई निर्णय नहीं दिया। शायद हम न्यायालय को समझाने में नाकाम है या विपक्षी कोर्ट को भ्रमित कर रहे हें।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर