वाराणसी के सबसे चर्चित स्थल यानी ज्ञानवापी परिसर पर अधिकार को लेकर दायर याचिका में ASI सर्वे को एक साल पूरा हो गया। 24 जुलाई से 17 सितंबर 2023 तक एएसआई ने 100 दिवसीय सर्वे में गहन पड़ताल की थी। काशी के ज्ञानवापी परिसर में विशाल हिंदू मंदिर होने के कई और सबूत सामने आए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट ने दावा किया कि परिसर में मंदिर होने के सबूत छिपाने की कोशिश की गई, फिर भी इन्हें मिटाया नहीं जा सका। इस रिपोर्ट में जीपीआर से हुई जांच के आधार पर एएसआई ने बताया कि तहखाने में 2 मीटर चौड़ा कुआं भी छिपा है। सर्वे के एक साल बाद भी यह केस एक कदम आगे नहीं बढ़ सका। सर्वे के प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष ने एक साल बाद भी ASI सर्वे पर अपनी आपत्ति दाखिल नहीं की। वही सामान्य सर्वे पर दाखिल आपत्ति में भी अब तक सुनवाई अधूरी है। मुस्लिम पक्ष इन सभी दावों के खिलाफ है लेकिन अभी चीजें सार्वजनिक नहीं चाहता । सबसे पहले ज्ञानवापी केस को क्रमबद्ध बताते हैं… प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वर की ओर से 15 अक्टूबर 1991 को पंडित सोमनाथ व्यास, हरिहर पांडेय और संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे डॉ. रामरंग शर्मा ने वाराणसी कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा- पाठ का अधिकार देने की मांग की गई। याचिका में कहा गया है कि इस मंदिर को मुगल बादशाह औरंगजेब ने वर्ष 1669 में ध्वस्त करा दिया था। हिंदू पक्ष ने मांग की कि उन्हें अपने मंदिर का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण करने की अनुमति दी जाए। यह पुराने विश्वेश्वर मंदिर के अवशेषों पर बनाया गया था। 18 अप्रैल 2021 को लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी की दैनिक पूजा-अर्चना करने की अनुमति मांगी। इतना ही नहीं उन्होंने मांग की कि मुस्लिम पक्ष को विवादित ज्ञानवापी क्षेत्र में मौजूद मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोका जाए। 26 अप्रैल 2022 को इन पांच महिलाओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए वाराणसी के सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर और उसके आसापास, श्रृंगार गौरी मंदिर की वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया। 6 मई 2022: वकीलों की एक टीम की देखरेख में ज्ञानवापी ज्ञानवापी के अंदर वीडियोग्राफी शुरू हुई। मसाजिद कमेटी ने इसका विरोध किया। परिणाम यह हुआ कि सर्वे को बीच में ही रोकना पड़ा। 12 मई 2022: वाराणसी कोर्ट ने कहा, सर्वे जारी रहेगा। इतना ही नहीं कोर्ट ने 17 मई तक सर्वे की रिपोर्ट सौंपने को कहा। सर्वे में 16 मई को हिंदूपक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद वजूखाने में शिवलिंग मिला है। इस पर वाराणसी जिला कोर्ट ने क्षेत्र को सील कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस जगह को संरक्षित करने का आदेश दिया। 21 जुलाई 2023: 21 जुलाई को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया था। चार अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा। मामला सुप्रीम कोर्ट और फिर हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद 4 अगस्त से सर्वे की प्रक्रिया विधिवत तरीके से शुरू हुई। 18 दिसंबर 2023: एएसआई ने साइंटिफिक सर्वे के आदेश को वाराणसी जिला कोर्ट में पेश किया। इसके बाद जिला कोर्ट ने 21 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की। पक्षकारों को एएसआई सर्वे की रिपोर्ट दिए जाने पर अहम सुनवाई के लिए बुलाया लेकिन मुस्लिम पक्ष ने कोई आपत्ति लिखित तौर पर दाखिल नहीं की। अब सर्वे रिपोर्ट पाकर एक साल बाद भी मुस्लिम पक्ष दस्तावेजी आपत्ति पर खामोश है। 19 दिसंबर 2023: मुस्लिम पक्ष की ओर से ज्ञानवापी ज्ञानवापी केस में दायर पांचों याचिकाओं को खारिज कर दिया गया। याचिकाओं में 1991 के ज्ञानवापी केस की पोषणीयता को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए वाराणसी कोर्ट को छह माह में मामले की सुनवाई कर आदेश जारी करने को कहा है। वहीं, एएसआई सर्वे की प्रक्रिया पर रोक लगाने संबंधी याचिका को भी हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। 31 जनवरी 2024: वाराणसी कोर्ट के आदेश पर 31 जनवरी 2024 को व्यास तहखाने का ताला 31 साल बाद खुला था। देर रात को मूर्तियां रख कर पूजा-अर्चना की गई। दीप जलाकर गणेश-लक्ष्मी की आरती उतारी गई। तहखाने की दीवार पर बने त्रिशूल समेत अन्य धार्मिक चिह्नों को भी पूजा गया। तहखाने के पारंपरिक पुजारी रहे व्यास परिवार ने याचिका दाखिल कर पूजा-पाठ की इजाजत मांगी थी। ASI रिपोर्ट में मिले हिन्दू मंदिर होने के साक्ष्य वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट एक साल पहले आई थी। 839 पेज की रिपोर्ट में ASI ने परिसर के प्रमुख स्थानों का जिक्र किया है और कुल 321 साक्ष्य भी कोर्ट में जमा किए हैं। रिपोर्ट में ASI ने दावा किया कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। ASI ने करीब 100 दिन तक ज्ञानवापी का सर्वे किया था। ASI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वैज्ञानिक अध्ययन, सर्वेक्षण, वास्तुशिल्प, अवशेषों के अध्ययन, कलाकृतियों, शिलालेख, कला और मूर्तियों के आधार पर ऐसा कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले यहां एक विशाल मंदिर मौजूद था। सर्वे करने वाली टीम में मुस्लिम समुदाय के भी दो पुरातत्वविद (डॉ. इजहार आलम हाशमी, और डॉ. आफताब हुसैन) शामिल थे। बताया कि 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था। उस वक्त ज्ञानवापी स्ट्रक्चर को तोड़ा गया। कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया। प्लास्टर और चूने से छिपाया गया। हिंदू पक्ष का दावा है कि रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत हैं। दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथ भाषाओं में लेखनी मिली है। दीवारों पर भगवान शिव के 4 में से 3 नाम हैं। 11 बड़े प्रमाण… जो गवाही देते हैं कि मंदिर का स्वरूप बदला गया अब जानिए हैं केस से जुड़े वादी और वकीलों के दावे… अब हाईकोर्ट में सुनवाई कराने की तैयारी में हिन्दू पक्ष ज्ञानवापी से जुड़े केस में हिन्दू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि आज सर्वे को एक साल पूरा हो गया है। इस एक साल में अब तक मुस्लिम पक्ष की आपत्ति का कोर्ट को इंतजार है। एक साल तक केस को टालने और तारीख बढ़वाने के लिए बचाव पक्ष का पूरा प्रयास है लेकिन अब हमने इस केस को नया मोड़ देने की ठान ली है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अब केस की सुनवाई हाईकोर्ट में करने की मांग उठाई है। यह सुनवाई अयोध्या केस की तरह होगी और इससे जुड़ी सारी याचिकाएं क्लब होकर एक ही केस चलेगा। एक वर्ष पहले एएसआई ने मंदिर होने की बात साफ कर दी, साक्ष्य भी गवाही दे रहे हैं अब इस लड़ाई को तेज किया जाएगा हमारे पास सबूत, तय है कि मस्जिद थी और रहेगी एसएम यासीन वाराणसी ने कहा- ज्ञानवापी की सर्वे की रिपोर्ट में तरह तरह की डिमांड आ रही है, कोई वजूस्थल और अंदर सर्वे कराने की मांग कर रहे है। 28 केस के चलते अभी केस आगे नहीं बढ़ रहा है। सर्वे गलत तरीके से किया गया, सर्वे में बिना खुदाई के लिए कहा गया था लेकिन मलवा हटाया। इस परिसर में पहले लोग अंदर से मलवा लाकर डालते थे, इस सर्वे में सब टूटा-फूटा मिला अंदर कुछ साबुत नहीं मिला। बैरिकेडिंग हटाई और कई समस्याएं आई। अभी केस लंबा चलेगा। हमारे पास सैकड़ों साक्ष्य हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि यह मस्जिद थी, है और रहेगी। कोर्ट फैसले दे रहा है, पर इंसाफ नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी को तहखाने में जिस तरह से पूजा-पाठ कराई गई, वह गलत है और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। मस्जिदों को हड़पने की कोशिश: मुख्तार अंसारी ज्ञानवापी केस से जुड़े मुख्तार अहमद अंसारी ने कहा कि एक साल बाद भी सर्वे से हम खुश या संतुष्ट नहीं है। एएसआई रिपोर्ट में जो साक्ष्य दिए गए वो सभी बेबुनियाद हैं, इस मामले में यह बताने का प्रयास किया गया कि मुस्लिम समाज ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई। छत गिरने की बात कहकर और तरह तरह की याचिकाओं को दायर करके मस्जिद को हड़पने की साजिश कर रहे हैं। मस्जिद 570 साल से मौजूद है और झूठ पर छवि खराब कर रहे हैं। इस पर कई याचिकाएं आई और कोर्ट ने अब तक कोई निर्णय नहीं दिया। शायद हम न्यायालय को समझाने में नाकाम है या विपक्षी कोर्ट को भ्रमित कर रहे हें। वाराणसी के सबसे चर्चित स्थल यानी ज्ञानवापी परिसर पर अधिकार को लेकर दायर याचिका में ASI सर्वे को एक साल पूरा हो गया। 24 जुलाई से 17 सितंबर 2023 तक एएसआई ने 100 दिवसीय सर्वे में गहन पड़ताल की थी। काशी के ज्ञानवापी परिसर में विशाल हिंदू मंदिर होने के कई और सबूत सामने आए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट ने दावा किया कि परिसर में मंदिर होने के सबूत छिपाने की कोशिश की गई, फिर भी इन्हें मिटाया नहीं जा सका। इस रिपोर्ट में जीपीआर से हुई जांच के आधार पर एएसआई ने बताया कि तहखाने में 2 मीटर चौड़ा कुआं भी छिपा है। सर्वे के एक साल बाद भी यह केस एक कदम आगे नहीं बढ़ सका। सर्वे के प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष ने एक साल बाद भी ASI सर्वे पर अपनी आपत्ति दाखिल नहीं की। वही सामान्य सर्वे पर दाखिल आपत्ति में भी अब तक सुनवाई अधूरी है। मुस्लिम पक्ष इन सभी दावों के खिलाफ है लेकिन अभी चीजें सार्वजनिक नहीं चाहता । सबसे पहले ज्ञानवापी केस को क्रमबद्ध बताते हैं… प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वर की ओर से 15 अक्टूबर 1991 को पंडित सोमनाथ व्यास, हरिहर पांडेय और संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे डॉ. रामरंग शर्मा ने वाराणसी कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा- पाठ का अधिकार देने की मांग की गई। याचिका में कहा गया है कि इस मंदिर को मुगल बादशाह औरंगजेब ने वर्ष 1669 में ध्वस्त करा दिया था। हिंदू पक्ष ने मांग की कि उन्हें अपने मंदिर का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण करने की अनुमति दी जाए। यह पुराने विश्वेश्वर मंदिर के अवशेषों पर बनाया गया था। 18 अप्रैल 2021 को लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी की दैनिक पूजा-अर्चना करने की अनुमति मांगी। इतना ही नहीं उन्होंने मांग की कि मुस्लिम पक्ष को विवादित ज्ञानवापी क्षेत्र में मौजूद मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोका जाए। 26 अप्रैल 2022 को इन पांच महिलाओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए वाराणसी के सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर और उसके आसापास, श्रृंगार गौरी मंदिर की वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया। 6 मई 2022: वकीलों की एक टीम की देखरेख में ज्ञानवापी ज्ञानवापी के अंदर वीडियोग्राफी शुरू हुई। मसाजिद कमेटी ने इसका विरोध किया। परिणाम यह हुआ कि सर्वे को बीच में ही रोकना पड़ा। 12 मई 2022: वाराणसी कोर्ट ने कहा, सर्वे जारी रहेगा। इतना ही नहीं कोर्ट ने 17 मई तक सर्वे की रिपोर्ट सौंपने को कहा। सर्वे में 16 मई को हिंदूपक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद वजूखाने में शिवलिंग मिला है। इस पर वाराणसी जिला कोर्ट ने क्षेत्र को सील कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस जगह को संरक्षित करने का आदेश दिया। 21 जुलाई 2023: 21 जुलाई को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया था। चार अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा। मामला सुप्रीम कोर्ट और फिर हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद 4 अगस्त से सर्वे की प्रक्रिया विधिवत तरीके से शुरू हुई। 18 दिसंबर 2023: एएसआई ने साइंटिफिक सर्वे के आदेश को वाराणसी जिला कोर्ट में पेश किया। इसके बाद जिला कोर्ट ने 21 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की। पक्षकारों को एएसआई सर्वे की रिपोर्ट दिए जाने पर अहम सुनवाई के लिए बुलाया लेकिन मुस्लिम पक्ष ने कोई आपत्ति लिखित तौर पर दाखिल नहीं की। अब सर्वे रिपोर्ट पाकर एक साल बाद भी मुस्लिम पक्ष दस्तावेजी आपत्ति पर खामोश है। 19 दिसंबर 2023: मुस्लिम पक्ष की ओर से ज्ञानवापी ज्ञानवापी केस में दायर पांचों याचिकाओं को खारिज कर दिया गया। याचिकाओं में 1991 के ज्ञानवापी केस की पोषणीयता को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए वाराणसी कोर्ट को छह माह में मामले की सुनवाई कर आदेश जारी करने को कहा है। वहीं, एएसआई सर्वे की प्रक्रिया पर रोक लगाने संबंधी याचिका को भी हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। 31 जनवरी 2024: वाराणसी कोर्ट के आदेश पर 31 जनवरी 2024 को व्यास तहखाने का ताला 31 साल बाद खुला था। देर रात को मूर्तियां रख कर पूजा-अर्चना की गई। दीप जलाकर गणेश-लक्ष्मी की आरती उतारी गई। तहखाने की दीवार पर बने त्रिशूल समेत अन्य धार्मिक चिह्नों को भी पूजा गया। तहखाने के पारंपरिक पुजारी रहे व्यास परिवार ने याचिका दाखिल कर पूजा-पाठ की इजाजत मांगी थी। ASI रिपोर्ट में मिले हिन्दू मंदिर होने के साक्ष्य वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट एक साल पहले आई थी। 839 पेज की रिपोर्ट में ASI ने परिसर के प्रमुख स्थानों का जिक्र किया है और कुल 321 साक्ष्य भी कोर्ट में जमा किए हैं। रिपोर्ट में ASI ने दावा किया कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। ASI ने करीब 100 दिन तक ज्ञानवापी का सर्वे किया था। ASI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वैज्ञानिक अध्ययन, सर्वेक्षण, वास्तुशिल्प, अवशेषों के अध्ययन, कलाकृतियों, शिलालेख, कला और मूर्तियों के आधार पर ऐसा कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले यहां एक विशाल मंदिर मौजूद था। सर्वे करने वाली टीम में मुस्लिम समुदाय के भी दो पुरातत्वविद (डॉ. इजहार आलम हाशमी, और डॉ. आफताब हुसैन) शामिल थे। बताया कि 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था। उस वक्त ज्ञानवापी स्ट्रक्चर को तोड़ा गया। कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया। प्लास्टर और चूने से छिपाया गया। हिंदू पक्ष का दावा है कि रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत हैं। दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथ भाषाओं में लेखनी मिली है। दीवारों पर भगवान शिव के 4 में से 3 नाम हैं। 11 बड़े प्रमाण… जो गवाही देते हैं कि मंदिर का स्वरूप बदला गया अब जानिए हैं केस से जुड़े वादी और वकीलों के दावे… अब हाईकोर्ट में सुनवाई कराने की तैयारी में हिन्दू पक्ष ज्ञानवापी से जुड़े केस में हिन्दू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि आज सर्वे को एक साल पूरा हो गया है। इस एक साल में अब तक मुस्लिम पक्ष की आपत्ति का कोर्ट को इंतजार है। एक साल तक केस को टालने और तारीख बढ़वाने के लिए बचाव पक्ष का पूरा प्रयास है लेकिन अब हमने इस केस को नया मोड़ देने की ठान ली है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अब केस की सुनवाई हाईकोर्ट में करने की मांग उठाई है। यह सुनवाई अयोध्या केस की तरह होगी और इससे जुड़ी सारी याचिकाएं क्लब होकर एक ही केस चलेगा। एक वर्ष पहले एएसआई ने मंदिर होने की बात साफ कर दी, साक्ष्य भी गवाही दे रहे हैं अब इस लड़ाई को तेज किया जाएगा हमारे पास सबूत, तय है कि मस्जिद थी और रहेगी एसएम यासीन वाराणसी ने कहा- ज्ञानवापी की सर्वे की रिपोर्ट में तरह तरह की डिमांड आ रही है, कोई वजूस्थल और अंदर सर्वे कराने की मांग कर रहे है। 28 केस के चलते अभी केस आगे नहीं बढ़ रहा है। सर्वे गलत तरीके से किया गया, सर्वे में बिना खुदाई के लिए कहा गया था लेकिन मलवा हटाया। इस परिसर में पहले लोग अंदर से मलवा लाकर डालते थे, इस सर्वे में सब टूटा-फूटा मिला अंदर कुछ साबुत नहीं मिला। बैरिकेडिंग हटाई और कई समस्याएं आई। अभी केस लंबा चलेगा। हमारे पास सैकड़ों साक्ष्य हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि यह मस्जिद थी, है और रहेगी। कोर्ट फैसले दे रहा है, पर इंसाफ नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी को तहखाने में जिस तरह से पूजा-पाठ कराई गई, वह गलत है और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। मस्जिदों को हड़पने की कोशिश: मुख्तार अंसारी ज्ञानवापी केस से जुड़े मुख्तार अहमद अंसारी ने कहा कि एक साल बाद भी सर्वे से हम खुश या संतुष्ट नहीं है। एएसआई रिपोर्ट में जो साक्ष्य दिए गए वो सभी बेबुनियाद हैं, इस मामले में यह बताने का प्रयास किया गया कि मुस्लिम समाज ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई। छत गिरने की बात कहकर और तरह तरह की याचिकाओं को दायर करके मस्जिद को हड़पने की साजिश कर रहे हैं। मस्जिद 570 साल से मौजूद है और झूठ पर छवि खराब कर रहे हैं। इस पर कई याचिकाएं आई और कोर्ट ने अब तक कोई निर्णय नहीं दिया। शायद हम न्यायालय को समझाने में नाकाम है या विपक्षी कोर्ट को भ्रमित कर रहे हें। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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भाजपा विधायक पर गैंगरेप का केस दर्ज होगा:बदायूं में हरीश शाक्य पर करोड़ों की संपत्ति हड़पने का आरोप, दो भाई भी फंसे
भाजपा विधायक पर गैंगरेप का केस दर्ज होगा:बदायूं में हरीश शाक्य पर करोड़ों की संपत्ति हड़पने का आरोप, दो भाई भी फंसे बदायूं में भाजपा विधायक हरीश शाक्य के खिलाफ कोर्ट ने गैंगरेप और करोड़ों की संपत्ति हड़पने का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। भाजपा विधायक के अलावा 16 अन्य को भी आरोपी बनाया गया है। इसमें हरीश के दो सगे भाई भी फंसे हैं। एसीजेएम सेकेंड की कोर्ट ने गुरुवार को पुलिस को 10 दिन में आदेश का पालन कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। शिकायत कर्ता भी बदायूं का ही रहने वाला है। जानिए क्या है पूरा मामला
विधायक के खिलाफ शिकायत करने वाले का आरोप है कि गांव बुधवाई में पूनम लॉन के पास उसके पिता ने काफी समय पहले जमीन खरीदी थी। यह इलाका सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में आता है। उस वक्त पिता ने दादी और मां के नाम बैनामा कराया था। बाद में दादी ने वसीयत कर यह जमीन पिता के नाम कर दी थी। जमीन की कीमत करोड़ों में है। क्योंकि, वहां इस समय महज एक बीघा जमीन ही 80 लाख रुपए में है। उसने बताया कि गांव कादराबाद के रहने वाले हरीश शाक्य निवासी बिल्सी से विधायक चुने गए। विधायक के भाई सतेंद्र शाक्य और धर्मपाल शाक्य हैं। विधायक के नेतृत्व में संपत्तियों पर कब्जा करने के उद्देश्य से एक गैंग बनाया गया है। इस गैंग के सदस्यों ने शिकायतकर्ता से कहा कि हरीश शाक्य यह जमीन खरीदना चाहते हैं। नहीं बेचना है, तो विधायक से मिलकर मना कर दें। एक लाख रुपए मुझे एडवांस दिए गए
शिकायतकर्ता ने बताया कि वह लोग विधायक से मिलने उनके आवास पर गए। वहां बताया कि कुल जमीन की कीमत 17 करोड़ 38 लाख 40 हजार रुपए है। इसके बाद तय हुआ कि जमीन 16 करोड़ 50 लाख में खरीदी जाएगी। जमीन की कीमत का 40 फीसदी इकरारनामे के वक्त दिया जाएगा। बाकी का पैसा बैनामे के वक्त देना है। इसके बाद हरीश शाक्य की ओर से एक लाख रुपए बतौर बयाना (पेशगी) दिलाया गया। इसके बाद से ही इकरारनामे का दबाव बनाया जाने लगा। इकरारनामा नहीं करने पर पुलिस ने शिकायतकर्ता के चचेरे भाई को उठवा लिया और उसे प्रताड़ित किया। इससे परेशान होकर 5 अगस्त, 2022 को चचेरे भाई ने आत्महत्या कर ली। इसकी शिकायत देने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस बीच, विधायक ने शिकायतकर्ता की चाची को जमीन में हिस्सा देने के नाम पर अपने साथ मिला लिया। चाची ने शिकायतकर्ता और उसके पिता के खिलाफ बेटे की हत्या का केस दर्ज करा दिया। दूसरे बिल्डर को नहीं बेचने दी जमीन
इसके बाद शिकायतकर्ता ने जमीन दूसरे बिल्डर को बेचने की कोशिश की, लेकिन विधायक के लोगों ने उसे जमीन नहीं बेचने दी। इसमें कानूनी अड़चन लगा दी गई। साथ ही चचेरे भाई की पत्नी की ओर से गैंगरेप का केस दर्ज करा दिया गया। नतीजा यह हुआ कि जमीन बचाने के लिए पैरवी नहीं की जा सकी। इस बीच पुलिस ने भी 3 दिन तक शिकायतकर्ता को कस्टडी में रखकर पीटा। बाद में विधायक की गैंग के लोग उसे अपने साथ ले गए और प्रताड़ित किया। इसी बीच कई अन्य एग्रीमेंट शिकायतकर्ता और उसके पिता से कराए गए। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उसकी पत्नी से विधायक समेत उनके साथियों ने गैंगरेप भी किया। बिल्सी विधायक हरीश शाक्य ने बताया कि हमें मीडिया के माध्यम से पता लगा है। पूरा मामला सामने आने पर कुछ बता पाएंगे। काफी समय से भाजपा से जुड़े हैं हरीश शाक्य
हरीश शाक्य भाजपा से काफी लंबे समय से जुड़े हैं। इससे पहले वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के जिलाध्यक्ष थे। तब भाजपा ने बदायूं की बिसौली, बिल्सी, शहर, दातागंज सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद 2022 में वह खुद बिल्सी से चुनाव लड़े और विधायक चुने गए। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बिल्सी की ठाकुर लॉबी हरीश शाक्य के विरोध में दिखी। एक कार्यक्रम में हरीश शाक्य के खिलाफ क्षत्रिय समाज के लोगों ने उनके सामने ही मुर्दाबाद के नारे लगाए थे, जिसका वीडियो भी सामने आया था। ———————— यह खबर भी पढ़ें ACP पर कानपुर IIT स्टूडेंट से रेप का आरोप, क्रिमिनोलॉजी की पढ़ाई के दौरान मिले थे, 2 घंटे की पूछताछ में राज खुला कानपुर IIT की एक स्टूडेंट ने ACP पर रेप का आरोप लगाया है। पीड़ित ने बताया कि कलेक्टरगंज ACP मोहसिन खान IIT से साइबर क्राइम और क्रिमिनोलॉजी की पढ़ाई कर रहे हैं। वहां रिसर्च स्कॉलर से नजदीकी बढ़ गई। ACP ने प्यार में फंसाकर उससे रेप किया। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार के आदेश पर गुरुवार को DCP साउथ अंकिता शर्मा और ACP अर्चना सिंह सिविल ड्रेस में IIT पहुंचीं। दोनों महिला अफसरों ने पूछताछ की। आरोप सही पाया गया। यहां पढ़ें पूरी खबर
पानीपत में ट्रैक्टर ने बाइक को टक्कर मारी:परिवार के 2 लोगों की मौत, ड्राइवर मौके से फरार, शव मॉर्च्युरी में रखवाया
पानीपत में ट्रैक्टर ने बाइक को टक्कर मारी:परिवार के 2 लोगों की मौत, ड्राइवर मौके से फरार, शव मॉर्च्युरी में रखवाया हरियाणा में पानीपत-रोहतक नेशनल हाइवे पर गांव नौल्था के पास भीषण सड़क हादसा हो गया। जहां तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने सामने से बाइक को टक्कर मार दी। हादसे में बाइक पर सवार 2 युवक नीचे गिर गए। हादसे के बाद ट्रैक्टर चालक मौके से फरार हो गया। वहीं, हादसे की सूचना राहगीरों ने कंट्रोल रूम नंबर पर दी। सूचना मिलते ही एम्बुलेंस व पुलिस मौके पर पहुंची। दोनों युवकों को अचेत अवस्था में सिविल अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टरों ने चैकअप के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। दोनों का पंचनामा भरवा कर शवगृह में रखवाया गया है। साथ ही परिजनों को भी सूचित कर दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार मृतकों की पहचान सोनू और विकास के रूप में हुई है। दोनों सींक गांव के रहने वाले थे। बताया जा रहा है कि दोनों एक ही परिवार के थे। गांव नौल्था के पास सामने से तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने उन्हें टक्कर मार दी। जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।
अमृतसर में BRTS प्रोजेक्ट पर नगर निगम में हंगामा:समाज सेवक मनदीप के खिलाफ बोलने पर युवक की पिटाई; कमिश्नर से मिलने पहुंचे थे
अमृतसर में BRTS प्रोजेक्ट पर नगर निगम में हंगामा:समाज सेवक मनदीप के खिलाफ बोलने पर युवक की पिटाई; कमिश्नर से मिलने पहुंचे थे अमृतसर में बीआरटीएस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करवाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही यूनियन की महिलाओं की ओर से आज एक युवक के साथ मारपीट की गई। युवक समाज सेवक मनदीप सिंह मन्ना के खिलाफ बोल रहा था, जिससे गुस्साई भीड़ ने उस पर हमला कर दिया। फिलहाल मामले को शांत करवा दिया गया है। कमिश्नर से मुलाकात के बाद जैसे ही एकता यूनियन के सदस्य और मनदीप सिंह मन्ना बाहर आए और प्रेस से बात कर रहे थे। इसी दौरान एक युवक अमृत पाल सिंह बबलू ने मनदीप सिंह मन्ना के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया। बबलू ने कहा कि मनदीप सिंह मन्ना एक साल बाद क्यों इस मसले पर बोल रहा है, जबकि यह बसें 2023 से बंद हैं। इसके बाद जैसे ही उसने कुछ और बोलना शुरू किया तो वहां मौजूद एकता यूनियन की महिलाओं ने उसके साथ मारपीट करनी शुरू कर दी। उनका कहना था कि वो एक साल से कोशिश कर रहे हैं बसें चलवाने की और वो खुद मनदीप सिंह मन्ना के पास गए थे। महिलाओं ने कहा कि वह जानबूझकर प्रोजेक्ट को नेगेटिव पेश कर रहा है। जिसके बाद उन्होंने बबलू को काफी मारा और फिर अन्य सदस्यों ने बीच बचाव करके उसे वहां से जाने के लिए कहा जिसके बाद मामला शांत हुआ। 3 जुलाई 2023 का बंद हो गया था प्रोजेक्ट अमृतसर में बीआरटीएस प्रोजेक्ट 3 जुलाई 2023 को बिना किसी इंटीमेशन के बंद कर दिया गया। जिसके बाद काम कर रहे ड्राइवर, टिकट कलेक्टर, सफाई वाले, मैकेनिक आदि सहित एक हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो गए। क्लेरिकल स्टाफ आज भी ड्यूटी पर मौजूद है, कई बसें वेरका डिपो में धूल खा रही हैं। इस सबंध में बसों को चलवाने के लिए कोशिश कर रहे बीआरटीएस एकता यूनियन के सदस्य लगातार मंत्री और नेताओं से मिल रहे हैं, लेकिन कोई भी उनकी मांगों को नहीं मान रहा है। कल भी हुआ था हंगामा इस संबंध में एकता यूनियन की ओर से समाज सेवक मनदीप सिंह मन्ना से मुलाकात की गई। बीते दिन मनदीप सिंह मन्ना वेरका के डिपो पहुंचे थे, जहां पर बैठे क्लेरिकल स्टाफ ने अंदर से ताला लगा लिया। जिसके बाद बहस हुई और फिर ताला खोला गया। लेकिन स्टाफ परमिशन दिखाने में नाकामयाब रहा। इसके बाद आज नगर निगम कमिश्नर से मुलाकात की गई थी। बिना जांच के बिना बंद किया प्रोजेक्ट एकता यूनियन के प्रधान सर्बजीत सिह ने बताया कि बीआरटीएस बसों को 2023 में यह कहकर बंद कर दिया गया था कि यह घाटे में हैं। जबकि इसमें 55 हजार से 60 हजार के करीब यात्री रोजाना सफर करते थे। वहीं बसों पर लगे विज्ञापनों से भी कमाई हो रही थी। फिर इससे ट्रैफिक की समस्या भी काफी हल हो रही थी। लेकिन सरकार ने बिना जांच के बिना बंद करा दिया।