NGT ने वाराणसी DM से पूछा-आप गंगाजल पी सकते हैं?:गंगा किनारे बोर्ड लगवा दीजिए पीने-नहाने योग्य नहीं गंगाजल, डीएम को पॉवर है…हेल्पलेस ना दिखें

NGT ने वाराणसी DM से पूछा-आप गंगाजल पी सकते हैं?:गंगा किनारे बोर्ड लगवा दीजिए पीने-नहाने योग्य नहीं गंगाजल, डीएम को पॉवर है…हेल्पलेस ना दिखें

वाराणसी में गंगा की सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में देरी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सोमवार को सख्त रुख दिखाया। वाराणसी डीएम एस. राजलिंगम से गंगा की स्वच्छता को लेकर कई सवाल किए। ट्रिब्यूनल पीठ ने डीएम वाराणसी से पूछा- आप वाराणसी में गंगा का पानी पी सकते हैं? क्या गंगा आचमन और स्नान योग्य है? सवालों पर डीएम की खामोशी देखकर एनजीटी ने कहा कि अगर ऐसा है तो गंगा किनारे बोर्ड क्यों नहीं लगवा देते कि वाराणसी में गंगा का पानी अब नहाने या पीने योग्य नहीं है। इस पर डीएम ने बताया कि ऐसा मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है, शासन की मंशा के अनुरूप ही जिलाधिकारी काम करते हैं। 3 महीने पहले NGT ने DM पर 10 हजार का जुर्माना लगाया
NGT ने मौखिक टिप्पणी भी की, जिलाधिकारी के पास बहुत पावर होता है, इसलिए आप हेल्पलेस मत दिखिए! पीठ ने सरकार के अधिवक्ता को गंगा और वरुणा-असि के वर्तमान हालात और जीर्णोद्धार पर तत्काल हलफनामा देने का निर्देश दिया, जिसे अगली तारीख तक दिया जाए। सुनवाई के लिए 13 दिसंबर की तारीख तय की गई। बता दें कि तीन महीने पहले सुनवाई में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वाराणसी के DM पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) गंगा की सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में लापरवाही पर सुनवाई कर रहा है। एनजीटी मेन बेंच की जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और डॉ. ए संथिल वेल की पीठ ने सोमवार को डीएम वाराणसी एस राजलिंगम को तलब किया था। डीएम वर्चुअल पेशी पर एनजीटी पीठ के सामने पेश हुए। NGT ने DM से पूछा- आप वाराणसी में कब से तैनात
याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी के मुताबिक, एनजीटी ने डीएम से कहा कि असि वरुणा नदियों के जीर्णोद्धार के प्रोजेक्ट में देरी की जा रही है। बैक-टू-बैक मीटिंग हो रही है, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं दिख रहा। इसके बाद सरकारी के वकील भंवर पाल जादौन ने सरकार का पक्ष रखा, गंगा के लिए प्रदूषण बोर्ड और सरकार के प्रयासों के बाबत जानकारी दी। पीठ ने डीएम से पूछा कि आपका कार्यकाल वाराणसी में कब से है? इस पर डीएम ने बताया कि नवंबर 2022 से बनारस में तैनात है। इन दो साल में आपने गंगा के लिए क्या प्रयास किए? तीन सदस्यीय पीठ के मुख्य जस्टिस जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अनुपस्थिति में कोई निर्णय नहीं हो सका लेकिन पीठ ने सरकार की ओर से हलफनामा मांगा है और 13 दिसंबर को अन्य तमाम दस्तावेजों के साथ पक्ष को तलब किया है। NGT में 4 अगस्त को दायर हुई थी याचिका
वाराणसी में गंगा की 2 बड़ी सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार की धीमी प्रगति को लेकर 4 अगस्त 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर हुई थी। 150 पन्नों की इस याचिका में बताया गया था कि NGT ने 2021 में इस काम को पूरा करने के लिए 5 साल की मियाद तय की थी। इसमें अब तक कुल 3 साल से ज्यादा समय बीत गए हैं और ग्राउंड पर कोई काम नहीं हुआ है। NGT ने 23 नवंबर, 2021 को ऑर्डर दिया था। इसके बाद 29 नवंबर को सुपरवाइजरी कमेटी और एग्जीक्यूशन कमेटी की बैठक हुई। यहां से इस प्रोजेक्ट को लागू करने की कवायद शुरू हुई। बताया जा रहा है कि कागज पर ही जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। अधिकारियों की केवल मीटिंग, प्रपोजल और बजट ही फाइनल किया जाता है। कुल 40 एग्जीक्यूटिव और कमिश्नर मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन नदी के एरिया में कुछ काम नहीं दिख रहा है। यहां तक कि वरुणा और अस्सी के उद्गम स्थल भी पहले जैसे ही हैं। जबकि, इन दोनों जगहों की कायाकल्प के लिए NGT ने 12 महीने का समय तय किया था, अब तक 33 महीने बीत चुके हैं। —– केजरीवाल को पसंद नहीं थी गहलोत की LG से दोस्ती: पहले एतराज जताया, फिर साइडलाइन किया; पूर्व मंत्री के AAP छोड़ने की इनसाइड स्टोरी कैलाश गहलोत ने रविवार को आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दिया और सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने इसकी वजह पार्टी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और सीएम आवास ‘शीशमहल’ पर खर्च हुई सरकारी रकम के कारण बने विवाद को बताया। AAP सूत्रों के मुताबिक कैलाश की इस्तीफे की वजह उनकी LG वीके सक्सेना से बढ़ती दोस्ती रही। सूत्रों के मुताबिक ये इस्तीफा उस वक्त ही तय हो गया था जब गहलोत और दिल्ली के LG वीके सक्सेना की दोस्ती AAP को अखरने लगी थी। केजरीवाल की सरकार ने जब भी LG पर किसी योजना को रोकने के आरोप लगाए, उसमें गहलोत का पक्ष पार्टी से ज्यादा गवर्नर के साथ नजर आया। पढ़िए खबर.. वाराणसी में गंगा की सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में देरी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सोमवार को सख्त रुख दिखाया। वाराणसी डीएम एस. राजलिंगम से गंगा की स्वच्छता को लेकर कई सवाल किए। ट्रिब्यूनल पीठ ने डीएम वाराणसी से पूछा- आप वाराणसी में गंगा का पानी पी सकते हैं? क्या गंगा आचमन और स्नान योग्य है? सवालों पर डीएम की खामोशी देखकर एनजीटी ने कहा कि अगर ऐसा है तो गंगा किनारे बोर्ड क्यों नहीं लगवा देते कि वाराणसी में गंगा का पानी अब नहाने या पीने योग्य नहीं है। इस पर डीएम ने बताया कि ऐसा मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है, शासन की मंशा के अनुरूप ही जिलाधिकारी काम करते हैं। 3 महीने पहले NGT ने DM पर 10 हजार का जुर्माना लगाया
NGT ने मौखिक टिप्पणी भी की, जिलाधिकारी के पास बहुत पावर होता है, इसलिए आप हेल्पलेस मत दिखिए! पीठ ने सरकार के अधिवक्ता को गंगा और वरुणा-असि के वर्तमान हालात और जीर्णोद्धार पर तत्काल हलफनामा देने का निर्देश दिया, जिसे अगली तारीख तक दिया जाए। सुनवाई के लिए 13 दिसंबर की तारीख तय की गई। बता दें कि तीन महीने पहले सुनवाई में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वाराणसी के DM पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) गंगा की सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में लापरवाही पर सुनवाई कर रहा है। एनजीटी मेन बेंच की जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और डॉ. ए संथिल वेल की पीठ ने सोमवार को डीएम वाराणसी एस राजलिंगम को तलब किया था। डीएम वर्चुअल पेशी पर एनजीटी पीठ के सामने पेश हुए। NGT ने DM से पूछा- आप वाराणसी में कब से तैनात
याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी के मुताबिक, एनजीटी ने डीएम से कहा कि असि वरुणा नदियों के जीर्णोद्धार के प्रोजेक्ट में देरी की जा रही है। बैक-टू-बैक मीटिंग हो रही है, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं दिख रहा। इसके बाद सरकारी के वकील भंवर पाल जादौन ने सरकार का पक्ष रखा, गंगा के लिए प्रदूषण बोर्ड और सरकार के प्रयासों के बाबत जानकारी दी। पीठ ने डीएम से पूछा कि आपका कार्यकाल वाराणसी में कब से है? इस पर डीएम ने बताया कि नवंबर 2022 से बनारस में तैनात है। इन दो साल में आपने गंगा के लिए क्या प्रयास किए? तीन सदस्यीय पीठ के मुख्य जस्टिस जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अनुपस्थिति में कोई निर्णय नहीं हो सका लेकिन पीठ ने सरकार की ओर से हलफनामा मांगा है और 13 दिसंबर को अन्य तमाम दस्तावेजों के साथ पक्ष को तलब किया है। NGT में 4 अगस्त को दायर हुई थी याचिका
वाराणसी में गंगा की 2 बड़ी सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार की धीमी प्रगति को लेकर 4 अगस्त 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर हुई थी। 150 पन्नों की इस याचिका में बताया गया था कि NGT ने 2021 में इस काम को पूरा करने के लिए 5 साल की मियाद तय की थी। इसमें अब तक कुल 3 साल से ज्यादा समय बीत गए हैं और ग्राउंड पर कोई काम नहीं हुआ है। NGT ने 23 नवंबर, 2021 को ऑर्डर दिया था। इसके बाद 29 नवंबर को सुपरवाइजरी कमेटी और एग्जीक्यूशन कमेटी की बैठक हुई। यहां से इस प्रोजेक्ट को लागू करने की कवायद शुरू हुई। बताया जा रहा है कि कागज पर ही जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। अधिकारियों की केवल मीटिंग, प्रपोजल और बजट ही फाइनल किया जाता है। कुल 40 एग्जीक्यूटिव और कमिश्नर मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन नदी के एरिया में कुछ काम नहीं दिख रहा है। यहां तक कि वरुणा और अस्सी के उद्गम स्थल भी पहले जैसे ही हैं। जबकि, इन दोनों जगहों की कायाकल्प के लिए NGT ने 12 महीने का समय तय किया था, अब तक 33 महीने बीत चुके हैं। —– केजरीवाल को पसंद नहीं थी गहलोत की LG से दोस्ती: पहले एतराज जताया, फिर साइडलाइन किया; पूर्व मंत्री के AAP छोड़ने की इनसाइड स्टोरी कैलाश गहलोत ने रविवार को आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दिया और सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने इसकी वजह पार्टी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और सीएम आवास ‘शीशमहल’ पर खर्च हुई सरकारी रकम के कारण बने विवाद को बताया। AAP सूत्रों के मुताबिक कैलाश की इस्तीफे की वजह उनकी LG वीके सक्सेना से बढ़ती दोस्ती रही। सूत्रों के मुताबिक ये इस्तीफा उस वक्त ही तय हो गया था जब गहलोत और दिल्ली के LG वीके सक्सेना की दोस्ती AAP को अखरने लगी थी। केजरीवाल की सरकार ने जब भी LG पर किसी योजना को रोकने के आरोप लगाए, उसमें गहलोत का पक्ष पार्टी से ज्यादा गवर्नर के साथ नजर आया। पढ़िए खबर..   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर