<p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> रजब महीने का चांद नजर आने के साथ सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का सालाना 813वां उर्स शुरू हो गया है. इस्लामी कैलंडर के रजब महीने का चांद एक जनवरी 2025 (बुधवार) को देखा गया था. 2 जनवरी 2025 से रजब के महीने की भी शुरुआत हुई है. अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज के 813वें उर्स का आगाज रजब का चांद नजर आने पर हुआ. उर्स के पहले दिन दरगाह दीवान की सदारत में महफिल होगी. देर रात ख्वाजा गरीब नवाज की मजार को गुस्ल दिया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उर्स के साथ अजमेर दरगाह में कव्वालियों का दौर भी शुरू हो जाएगा. शाही कव्वालों की ओर से पारंपरिक कलाम और कव्वालियां पेश की जाएंगी. महफिल के बाद देर रात दरगाह दीवान आस्ताने में जाएंगे. छह दिन महफिल और कव्वालियां सुनने के लिए देर रात जायरीनों की दरगाह में भीड़ उमड़ती है. अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने बताया कि उर्स को ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. मसलन अल्लाह वाले का अल्लाह से मुलाकात.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रजब का चांद नजर आने के साथ अजमेर दरगाह का उर्स शुरू</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने बताया कि उर्स की पहली रस्म छड़ी का जुलूस होता है जो महरौली से बाबा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह से आता है. हर वर्ष कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी छड़ी लेकर आया करते थे और उसी परंपरा को शिद्दत के साथ आज भी निभाया जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अजमेर शरीफ दरगाह भारत की सबसे प्रतिष्ठित सूफी दरगाहों में से एक है. हर साल दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु उर्स मनाने के लिए अजमेर पहुंचते हैं. जायरीनों के बीच अजमेर दरगाह में उर्स का शिद्दत से इंतजार रहता है. प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> की तरफ से ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरगाह पर चादर भेजी जाती है. उर्स में देश विदेश से आए जायरीन ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें-</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”नए साल पर राजस्थान के तीन मंदिरों में उमड़ी लाखों भक्तों की भीड़, इस मंदिर में टूट गया रिकॉर्ड” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/sanwaliya-seth-mandir-khatu-shayam-nathdwara-darshan-devotees-on-new-year-2025-ann-2854706″ target=”_self”>नए साल पर राजस्थान के तीन मंदिरों में उमड़ी लाखों भक्तों की भीड़, इस मंदिर में टूट गया रिकॉर्ड</a></strong></p>
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<p style=”text-align: justify;”>उर्स के साथ अजमेर दरगाह में कव्वालियों का दौर भी शुरू हो जाएगा. शाही कव्वालों की ओर से पारंपरिक कलाम और कव्वालियां पेश की जाएंगी. महफिल के बाद देर रात दरगाह दीवान आस्ताने में जाएंगे. छह दिन महफिल और कव्वालियां सुनने के लिए देर रात जायरीनों की दरगाह में भीड़ उमड़ती है. अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने बताया कि उर्स को ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. मसलन अल्लाह वाले का अल्लाह से मुलाकात.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रजब का चांद नजर आने के साथ अजमेर दरगाह का उर्स शुरू</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने बताया कि उर्स की पहली रस्म छड़ी का जुलूस होता है जो महरौली से बाबा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह से आता है. हर वर्ष कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी छड़ी लेकर आया करते थे और उसी परंपरा को शिद्दत के साथ आज भी निभाया जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अजमेर शरीफ दरगाह भारत की सबसे प्रतिष्ठित सूफी दरगाहों में से एक है. हर साल दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु उर्स मनाने के लिए अजमेर पहुंचते हैं. जायरीनों के बीच अजमेर दरगाह में उर्स का शिद्दत से इंतजार रहता है. प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> की तरफ से ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरगाह पर चादर भेजी जाती है. उर्स में देश विदेश से आए जायरीन ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हैं.</p>
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