श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी रघुबीर सिंह ने भारत के सिविल एविएशन सुरक्षा ब्यूरो के आदेश का विरोध किया है। इस आदेश में देश के हवाई अड्डों पर सुरक्षा सेवाओं में कार्यरत अमृतधारी सिख कर्मचारियों के किरपान पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है। जत्थेदार ने इस आदेश को सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। अकाल तख्त साहिब से जारी एक लिखित बयान में जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता में सिख समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जहां 80 प्रतिशत से अधिक कुर्बानियां सिखों ने दी हैं। उन्होंने इस प्रतिबंध को सिख धर्म के खिलाफ बताया और कहा कि किरपान सिख धर्म का अभिन्न हिस्सा है, जिसे गुरु साहिबान ने ककार (धार्मिक प्रतीक) के रूप में प्रदान किया है। जत्थेदार ने इसे सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता पर एक असहनीय हमला और उन्हें विभिन्न सरकारी सेवाओं से वंचित करने के बराबर बताया। SGPC को आदेश जारी जत्थेदार ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) को आदेश दिया है कि वह इस फैसले के खिलाफ भारत के गृह मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को पत्र लिखे। इसमें सिख समुदाय की भावनाओं से उन्हें अवगत कराते हुए इस प्रतिबंध को हटाने की मांग की जाए। इसके अलावा, उन्होंने एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल तैयार कर जल्द से जल्द भारत सरकार के साथ बातचीत शुरू करने का निर्देश दिया ताकि देश के हवाई अड्डों पर कार्यरत अमृतधारी सिख कर्मचारियों को अपने धार्मिक प्रतीक किरपान पहनने का अधिकार मिल सके। 30 अक्टूबर को जारी हुआ था आदेश भारत के एयरपोर्ट्स पर सिख कर्मचारी कृपाण नहीं पहनने को लेकर 30 अक्टूबर को द ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन (BCAS) ने ऑर्डर जारी किए थे। BCAS ने अपने आदेश में कहा कि एयरपोर्ट्स पर कार्यरत सिख कर्मचारियों को सुरक्षा के मद्देनजर कृपाण नहीं पहन सकेंगे। एक दिन पहले ही सभी एयरपोर्ट्स के कर्मचारियों को यह गाइडलाइन मिली। BCAS की तरफ से कहा गया है कि सिक्योरिटी प्रोटोकॉल की वजह से ये आदेश जारी किए गए। जिसके बाद विवाद शुरू हो गया। एयरपोर्ट पर कृपाण को लेकर हो चुके विवाद नियमों के अनुसार भारत में घरेलू उड़ानों में सिख यात्रियों को कृपाण ले जाने की अनुमति है। हालांकि, कृपाण की लंबाई 23 सेमी (9 इंच) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और ब्लेड की लंबाई 15 सेमी (6 इंच) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी रघुबीर सिंह ने भारत के सिविल एविएशन सुरक्षा ब्यूरो के आदेश का विरोध किया है। इस आदेश में देश के हवाई अड्डों पर सुरक्षा सेवाओं में कार्यरत अमृतधारी सिख कर्मचारियों के किरपान पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है। जत्थेदार ने इस आदेश को सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। अकाल तख्त साहिब से जारी एक लिखित बयान में जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता में सिख समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जहां 80 प्रतिशत से अधिक कुर्बानियां सिखों ने दी हैं। उन्होंने इस प्रतिबंध को सिख धर्म के खिलाफ बताया और कहा कि किरपान सिख धर्म का अभिन्न हिस्सा है, जिसे गुरु साहिबान ने ककार (धार्मिक प्रतीक) के रूप में प्रदान किया है। जत्थेदार ने इसे सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता पर एक असहनीय हमला और उन्हें विभिन्न सरकारी सेवाओं से वंचित करने के बराबर बताया। SGPC को आदेश जारी जत्थेदार ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) को आदेश दिया है कि वह इस फैसले के खिलाफ भारत के गृह मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को पत्र लिखे। इसमें सिख समुदाय की भावनाओं से उन्हें अवगत कराते हुए इस प्रतिबंध को हटाने की मांग की जाए। इसके अलावा, उन्होंने एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल तैयार कर जल्द से जल्द भारत सरकार के साथ बातचीत शुरू करने का निर्देश दिया ताकि देश के हवाई अड्डों पर कार्यरत अमृतधारी सिख कर्मचारियों को अपने धार्मिक प्रतीक किरपान पहनने का अधिकार मिल सके। 30 अक्टूबर को जारी हुआ था आदेश भारत के एयरपोर्ट्स पर सिख कर्मचारी कृपाण नहीं पहनने को लेकर 30 अक्टूबर को द ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन (BCAS) ने ऑर्डर जारी किए थे। BCAS ने अपने आदेश में कहा कि एयरपोर्ट्स पर कार्यरत सिख कर्मचारियों को सुरक्षा के मद्देनजर कृपाण नहीं पहन सकेंगे। एक दिन पहले ही सभी एयरपोर्ट्स के कर्मचारियों को यह गाइडलाइन मिली। BCAS की तरफ से कहा गया है कि सिक्योरिटी प्रोटोकॉल की वजह से ये आदेश जारी किए गए। जिसके बाद विवाद शुरू हो गया। एयरपोर्ट पर कृपाण को लेकर हो चुके विवाद नियमों के अनुसार भारत में घरेलू उड़ानों में सिख यात्रियों को कृपाण ले जाने की अनुमति है। हालांकि, कृपाण की लंबाई 23 सेमी (9 इंच) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और ब्लेड की लंबाई 15 सेमी (6 इंच) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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