<p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar CHO Exam 2024:</strong> बिहार में 4500 पदों के लिए सीएचओ के लिए हुई ऑनलाइन परीक्षा में फर्जीवाड़े से हड़कंप मचा है. जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई की टीम को अनियमितता के सबूत मिल चुके हैं. इस मामले में 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसमें से नौ अभ्यर्थी भी शामिल हैं. इस परीक्षा में अभ्यर्थियों से डील की बात भी सामने आ गई है. पढ़िए आखिर कैसे ऑनलाइन परीक्षा में फर्जीवाड़ा हो गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मामला सामने आने के बाद इस केस की जांच अब आर्थिक अपराध इकाई की टीम कर रही है. सूत्रों के अनुसार जांच में यह बात सामने आई है कि सॉल्वर गैंग ने अभ्यर्थियों से परीक्षा में सफल कराने के लिए 5-5 लाख रुपये वसूले थे. 4500 पदों पर बहाली होनी थी और कोशिश थी कि फर्जी तरीके से 40-45 फीसद सीटों पर बहाली करा दी जाए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>…और ऐसे हो गई परीक्षा केंद्रों पर सेटिंग</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ऑनलाइन परीक्षा में सेटिंग वाली बात से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. पहला सवाल तो यही है कि आखिर ऑनलाइन परीक्षा में कैसे फर्जीवाड़ा हो गया? जांच में यह बात सामने आई है कि ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों पर जिन अभ्यर्थियों की सेटिंग थी उनकी बायोमेट्रिक हाजिरी लगाकर उन्हें केवल कंप्यूटर के सामने बिठा दिया गया था. केंद्र संचालक और आईटी मैनेजर कंप्यूटर सिस्टम को चिह्नित कर उनकी आईपी एड्रेस पहले ही लीक कर चुके थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वी शाइन एजेंसी ने परीक्षा के लिए लिनक्स सर्वर का इस्तेमाल किया था. परीक्षा के बाद लॉग डिलीट करने के लिए आईटी मैनेजर को ट्रेनिंग दी गई थी. ईओयू के बयान में कहा गया है कि, “जांच में अधिकारियों ने पाया कि परीक्षा केंद्रों के कर्मचारियों ने प्रॉक्सी सर्वर और रिमोट व्यूइंग एप्लिकेशन के माध्यम से प्रश्न हल करने वाले गिरोह को कंप्यूटर सिस्टम तक अनधिकृत पहुंच प्रदान की. मौके से एकत्र किए गए साक्ष्य से पता चला कि आरोपी ऑनलाइन कंप्यूटर आधारित टेस्ट (सीबीटी) के माध्यम से ‘वास्तविक समय’ के आधार पर प्रश्न पत्र हल कर रहे थे.” </p>
<p style=”text-align: justify;”>जिन 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया है उन सभी को कोर्ट में आज पेश किया जाएगा. आर्थिक अपराध इकाई की टीम की ओर से रिमांड की मांग की जा सकती है. 37 व्यक्तियों में अभ्यर्थी, परीक्षा केंद्रों के मालिकों, एग्जाम कोऑर्डिनेटर, ऑनलाइन परीक्षा सेंटर्स के आईटी मैनेजर्स एवं आईटी सपोर्ट स्टाफ शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पटना में 12 केंद्रों पर हुआ था परीक्षा का आयोजन</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी (सीएचओ) की परीक्षा एक दिसंबर को पटना के 12 केंद्रों पर हुई थी. सोमवार को उसे रद्द कर दिया गया. सोमवार को भी परीक्षा होनी थी लेकिन एग्जाम से पहले ही परीक्षा को रद्द कर दिया गया. छापेमारी में टीम को ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों व अभियुक्तों के निवास स्थानों से कंप्यूटर, मोबाइल फोन, एडमिट कार्ड, अभ्यर्थियों के मूल प्रमाण पत्र, इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल डिवाइस के साथ कई डेबिट कार्ड बरामद किए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/nitish-kumar-and-bjp-wanted-100-crore-from-2000-posts-of-cho-exam-paper-leak-tejashwi-yadav-2835199″>CHO के 2000 पदों से नीतीश कुमार और BJP को कमाने थे 100 करोड़? तेजस्वी यादव बोले- युवाओं के साथ खेल</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar CHO Exam 2024:</strong> बिहार में 4500 पदों के लिए सीएचओ के लिए हुई ऑनलाइन परीक्षा में फर्जीवाड़े से हड़कंप मचा है. जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई की टीम को अनियमितता के सबूत मिल चुके हैं. इस मामले में 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसमें से नौ अभ्यर्थी भी शामिल हैं. इस परीक्षा में अभ्यर्थियों से डील की बात भी सामने आ गई है. पढ़िए आखिर कैसे ऑनलाइन परीक्षा में फर्जीवाड़ा हो गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मामला सामने आने के बाद इस केस की जांच अब आर्थिक अपराध इकाई की टीम कर रही है. सूत्रों के अनुसार जांच में यह बात सामने आई है कि सॉल्वर गैंग ने अभ्यर्थियों से परीक्षा में सफल कराने के लिए 5-5 लाख रुपये वसूले थे. 4500 पदों पर बहाली होनी थी और कोशिश थी कि फर्जी तरीके से 40-45 फीसद सीटों पर बहाली करा दी जाए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>…और ऐसे हो गई परीक्षा केंद्रों पर सेटिंग</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ऑनलाइन परीक्षा में सेटिंग वाली बात से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. पहला सवाल तो यही है कि आखिर ऑनलाइन परीक्षा में कैसे फर्जीवाड़ा हो गया? जांच में यह बात सामने आई है कि ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों पर जिन अभ्यर्थियों की सेटिंग थी उनकी बायोमेट्रिक हाजिरी लगाकर उन्हें केवल कंप्यूटर के सामने बिठा दिया गया था. केंद्र संचालक और आईटी मैनेजर कंप्यूटर सिस्टम को चिह्नित कर उनकी आईपी एड्रेस पहले ही लीक कर चुके थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वी शाइन एजेंसी ने परीक्षा के लिए लिनक्स सर्वर का इस्तेमाल किया था. परीक्षा के बाद लॉग डिलीट करने के लिए आईटी मैनेजर को ट्रेनिंग दी गई थी. ईओयू के बयान में कहा गया है कि, “जांच में अधिकारियों ने पाया कि परीक्षा केंद्रों के कर्मचारियों ने प्रॉक्सी सर्वर और रिमोट व्यूइंग एप्लिकेशन के माध्यम से प्रश्न हल करने वाले गिरोह को कंप्यूटर सिस्टम तक अनधिकृत पहुंच प्रदान की. मौके से एकत्र किए गए साक्ष्य से पता चला कि आरोपी ऑनलाइन कंप्यूटर आधारित टेस्ट (सीबीटी) के माध्यम से ‘वास्तविक समय’ के आधार पर प्रश्न पत्र हल कर रहे थे.” </p>
<p style=”text-align: justify;”>जिन 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया है उन सभी को कोर्ट में आज पेश किया जाएगा. आर्थिक अपराध इकाई की टीम की ओर से रिमांड की मांग की जा सकती है. 37 व्यक्तियों में अभ्यर्थी, परीक्षा केंद्रों के मालिकों, एग्जाम कोऑर्डिनेटर, ऑनलाइन परीक्षा सेंटर्स के आईटी मैनेजर्स एवं आईटी सपोर्ट स्टाफ शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पटना में 12 केंद्रों पर हुआ था परीक्षा का आयोजन</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी (सीएचओ) की परीक्षा एक दिसंबर को पटना के 12 केंद्रों पर हुई थी. सोमवार को उसे रद्द कर दिया गया. सोमवार को भी परीक्षा होनी थी लेकिन एग्जाम से पहले ही परीक्षा को रद्द कर दिया गया. छापेमारी में टीम को ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों व अभियुक्तों के निवास स्थानों से कंप्यूटर, मोबाइल फोन, एडमिट कार्ड, अभ्यर्थियों के मूल प्रमाण पत्र, इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल डिवाइस के साथ कई डेबिट कार्ड बरामद किए गए हैं.</p>
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