<p style=”text-align: justify;”><strong>Mangal Pandey Review Meeting:</strong> बिहार कृषि विभाग के मंत्री मंगल पांडेय ने शुक्रवार (07 मई) को अपने कार्यालय कक्ष में उच्चाधिकारियों के साथ एक बैठक की. इस बैठक में उन्होंने विभागीय योजनाओं की समीक्षा की और जल्द ही खाली पदों के भरे जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश के आलोक में कृषि विभाग के अन्तर्गत सभी स्तरों के रिक्त पदों पर शीघ्र बहाली की जाएगी. उन्होंने रिक्त पदों पर बहाली की प्रक्रिया आरम्भ करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दे दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रिक्त पदों के संबंध में जानकारी देने का निर्देश</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>विभाग में स्वीकृत पदों के एवज में रिक्त पदों के संबंध में जानकारी 15 जून तक उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग में नियमित रिक्त पदों के साथ-साथ संविदा आधारित रिक्त पदों के बारे में जानकारी दी जाए. कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में खरीफ मौसम की शुरुआत हो गई है. खरीफ मौसम में बिहार में किसानों के जरिए मुख्य रूप से धान, मक्का, अरहर, मोटे अनाज आदि की खेती की जाती है. उत्तर बिहार में जहां किसान रोहिणी नक्षत्र (25 मई) से ही धान का बीज गिराना शुरू कर देते हैं, वहीं दक्षिण बिहार में धान का बीज प्रायः आर्द्रा नक्षत्र (22 जून) से गिराया जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कृषि मंत्री ने कहा कि धान के विभिन्न प्रभेदों के बीज का किसानों के बीच अनुदानित दर पर वितरण का कार्य किया जा रहा है. इस खरीफ मौसम में 76272.52 क्विंटल धान के बीज का वितरण किया जाना है, जिसके विरुद्ध अब तक 10901.29 क्विंटल धान के बीज का वितरण किया जा चुका है. उन्होंने बीज वितरण कार्य में तेजी लाने का निर्देश अधिकारियों को दिया है. राज्य में बीज, उर्वरक एवं पौधों के लिए कीट/व्याधि नियंत्रण की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. इस खरीफ मौसम में जून माह तक 225000 मीट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता है, जिसके विरूद्ध आज तक 308333 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है, जो 137 प्रतिशत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसी प्रकार बिहार में जून माह तक 105000 मीट्रिक टन डीएपी,100000 मीट्रिक टन एनपीके और 15000 मीट्रिक टन पोटाश की आवश्यकता है, जिसके एवज में अभी तक क्रमशः 42846 मीट्रिक टन डीएपी, 86850 मीट्रिक टन एनपीके और 5818 मीट्रिक टन पोटाश उपलब्ध है. उन्होंने किसानों से संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करने का अपील किया, जिससे मिट्टी की उर्वरा-शक्ति बरकरार रहे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कृषि यंत्रों के लिए जिलेवार लक्ष्य निर्धारित</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मंत्री ने कहा कि किसानों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बड़े-बड़े कृषि यंत्रों के साथ-साथ छोटे-छोटे कृषि यंत्रों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए जिलेवार लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है. विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए किसानों से अभी तक 75 हजार ऑनलाईन आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसमें से 45 हजार आवेदन का सत्यापन किया जा चुका है. 20 जून के बाद आवेदक किसानों के बीच कृषि यंत्रों का वितरण लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कृषि मंत्री पाण्डे ने बताया कि अक्षांश-देशान्तर के आधार पर प्रति एकड़ एक मिट्टी जांच नमूना लिया जाता है. अभी तक 1 लाख 45 हजार मिट्टी जांच नमूना प्रयोगशाला में प्राप्त हो चुका है, जिसमें से 43 हजार से अधिक नमूने की जांच की जा चुकी है. मिट्टी जांच नमूने की जांच का कार्य प्रगति पर है. उन्होंने कहा कि बिहार में 72 ग्राम स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला, 38 जिला स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला, गया, मुंगेर एवं भागलपुर के अनुमंडल में 03 अनुमंडल स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला कार्यरत हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज्य में चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशाला कर रहा काम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही, राज्य में प्रमंडल स्तर पर 09 चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशाला कार्य कर रहा है. इसके अतिरिक्त बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर एवं डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर में भी मिट्टी जांच प्रयोगशाला स्थापित है. उन्होंने 13 जून को सभी स्तर के मिट्टी जांच प्रयोगशाला के प्रभारियों के साथ एक बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया. मंत्री ने कहा कि बिहार में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 80.60 लाख किसानों को उनके खाते में प्रत्येक वर्ष 2-2 हजार रुपये तीन किस्तों में दिया जाता है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक किसानों के खाते में 22353 करोड़ रुपये दिए गए हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-government-schools-teachers-will-get-20-minutes-for-snack-break-in-charge-acs-s-siddharth-order-ann-2709897″>Bihar News: KK पाठक के छुट्टियों पर जाते ही शिक्षकों की बल्ले-बल्ले, अब Snacks Break के लिए भी मिलेगा समय</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Mangal Pandey Review Meeting:</strong> बिहार कृषि विभाग के मंत्री मंगल पांडेय ने शुक्रवार (07 मई) को अपने कार्यालय कक्ष में उच्चाधिकारियों के साथ एक बैठक की. इस बैठक में उन्होंने विभागीय योजनाओं की समीक्षा की और जल्द ही खाली पदों के भरे जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश के आलोक में कृषि विभाग के अन्तर्गत सभी स्तरों के रिक्त पदों पर शीघ्र बहाली की जाएगी. उन्होंने रिक्त पदों पर बहाली की प्रक्रिया आरम्भ करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दे दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रिक्त पदों के संबंध में जानकारी देने का निर्देश</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>विभाग में स्वीकृत पदों के एवज में रिक्त पदों के संबंध में जानकारी 15 जून तक उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग में नियमित रिक्त पदों के साथ-साथ संविदा आधारित रिक्त पदों के बारे में जानकारी दी जाए. कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में खरीफ मौसम की शुरुआत हो गई है. खरीफ मौसम में बिहार में किसानों के जरिए मुख्य रूप से धान, मक्का, अरहर, मोटे अनाज आदि की खेती की जाती है. उत्तर बिहार में जहां किसान रोहिणी नक्षत्र (25 मई) से ही धान का बीज गिराना शुरू कर देते हैं, वहीं दक्षिण बिहार में धान का बीज प्रायः आर्द्रा नक्षत्र (22 जून) से गिराया जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कृषि मंत्री ने कहा कि धान के विभिन्न प्रभेदों के बीज का किसानों के बीच अनुदानित दर पर वितरण का कार्य किया जा रहा है. इस खरीफ मौसम में 76272.52 क्विंटल धान के बीज का वितरण किया जाना है, जिसके विरुद्ध अब तक 10901.29 क्विंटल धान के बीज का वितरण किया जा चुका है. उन्होंने बीज वितरण कार्य में तेजी लाने का निर्देश अधिकारियों को दिया है. राज्य में बीज, उर्वरक एवं पौधों के लिए कीट/व्याधि नियंत्रण की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. इस खरीफ मौसम में जून माह तक 225000 मीट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता है, जिसके विरूद्ध आज तक 308333 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है, जो 137 प्रतिशत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसी प्रकार बिहार में जून माह तक 105000 मीट्रिक टन डीएपी,100000 मीट्रिक टन एनपीके और 15000 मीट्रिक टन पोटाश की आवश्यकता है, जिसके एवज में अभी तक क्रमशः 42846 मीट्रिक टन डीएपी, 86850 मीट्रिक टन एनपीके और 5818 मीट्रिक टन पोटाश उपलब्ध है. उन्होंने किसानों से संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करने का अपील किया, जिससे मिट्टी की उर्वरा-शक्ति बरकरार रहे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कृषि यंत्रों के लिए जिलेवार लक्ष्य निर्धारित</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मंत्री ने कहा कि किसानों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बड़े-बड़े कृषि यंत्रों के साथ-साथ छोटे-छोटे कृषि यंत्रों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए जिलेवार लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है. विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए किसानों से अभी तक 75 हजार ऑनलाईन आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसमें से 45 हजार आवेदन का सत्यापन किया जा चुका है. 20 जून के बाद आवेदक किसानों के बीच कृषि यंत्रों का वितरण लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कृषि मंत्री पाण्डे ने बताया कि अक्षांश-देशान्तर के आधार पर प्रति एकड़ एक मिट्टी जांच नमूना लिया जाता है. अभी तक 1 लाख 45 हजार मिट्टी जांच नमूना प्रयोगशाला में प्राप्त हो चुका है, जिसमें से 43 हजार से अधिक नमूने की जांच की जा चुकी है. मिट्टी जांच नमूने की जांच का कार्य प्रगति पर है. उन्होंने कहा कि बिहार में 72 ग्राम स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला, 38 जिला स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला, गया, मुंगेर एवं भागलपुर के अनुमंडल में 03 अनुमंडल स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला कार्यरत हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज्य में चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशाला कर रहा काम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही, राज्य में प्रमंडल स्तर पर 09 चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशाला कार्य कर रहा है. इसके अतिरिक्त बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर एवं डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर में भी मिट्टी जांच प्रयोगशाला स्थापित है. उन्होंने 13 जून को सभी स्तर के मिट्टी जांच प्रयोगशाला के प्रभारियों के साथ एक बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया. मंत्री ने कहा कि बिहार में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 80.60 लाख किसानों को उनके खाते में प्रत्येक वर्ष 2-2 हजार रुपये तीन किस्तों में दिया जाता है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक किसानों के खाते में 22353 करोड़ रुपये दिए गए हैं. </p>
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