हिमाचल प्रदेश में चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले में CBI ने दिल्ली में FIR कर दी है। हाईकोर्ट के आदेशों पर अब यह मामला न्यू शिमला पुलिस थाना से CBI दिल्ली को ट्रांसफर कर दिया गया है। CBI ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 108 और 3(5) के तहत मुकद्दमा दर्ज किया है। BNS की धारा 108 आत्महत्या के लिए उकसाने पर लगती है। इसमें यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है और जो कोई भी उसे ऐसा करने के लिए मजबूर करता है तो उसे 10 साल तक के कारावास और जुर्माने से दंडित किए जाने का प्रावधान है। BNS की 3(5) में उन मामलों में लागू होती है जहां एक ही इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा अपराध किया जाता है। यह प्रावधान बताता है कि ऐसे अपराध में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को अपराध के लिए जिम्मेदार माना जाएगा, जैसे कि उन्होंने इसे अकेले किया हो। बता दें कि न्यू शिमला थाना में 19 मार्च को विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। इसकी जांच शिमला पुलिस की एसआईटी कर रही थी। मगर मृतक के परिजनों को पुलिस जांच पर भरोसा नहीं था। इसके बाद किरण नेगी ने हिमाचल हाईकोर्ट में याचिका डालकर इस केस की जांच CBI को देने की अपील की। हाईकोर्ट ने 23 मई को दिए आदेश हिमाचल हाईकोर्ट ने बीते 23 मई को यह केस CBI को सौंपने के आदेश दिए। जस्टिस अजय मोहन गोयल ने अपने आदेशों में कहा कि इस केस की जांच करने वाली एसआईटी में हिमाचल कैडर के पुलिस ऑफिसर नहीं होंगे। यही वजह रही कि इस मामले की FIR चंडीगढ़ नहीं, बल्कि दिल्ली में की गई, क्योंकि चंडीगढ़ में CBI ऑफिस में हिमाचल कैडर के ऑफिसर है। FIR में विमल नेगी की पत्नी के आरोप CBI की FIR में न्यू शिमला पुलिस थाना में दर्ज FIR का जिक्र है। इसमें कहा गया कि किरण नेगी ने आरोप लगाया कि उनके पति को हरास किया गया। किरण नेगी आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन के डायरेक्टर देरसराज (इलेक्ट्रिकल) और MD हरिकेश मीणा ने उनके पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है। सीनियर अधिकारियों ने प्रशासनिक कार्रवाई की धमकी देकर उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया। इन्हें सौंपी गई जांच इसके आधार पर सीबीआई ने मामला दर्ज कर डीएसपी CBI (CIO) ब्रिजेंद्र प्रसाद सिंह, इन्सपेक्टर प्रदीप कुमार और सब इन्सपेक्टर नीलेश सिंह CBI को इस केस की जांच सौंपी है। बता दें कि विमल नेगी बीते 10 मार्च को लापता हो गए थे। 18 मार्च को बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में उनका शव मिला। 19 मार्च को एम्स बिलासपुर में पोस्टमॉर्टम करवाया गया। इसी दिन परिजन शव को लेकर पावर कॉरपोरेशन कार्यालय कसुम्पटी के बाहर धरने पर बैठ गए और रात 10 बजे तक धरना दिया। परिजनों की मांग पर 19 मार्च को रात में FIR हुई। इसी दिन डायरेक्टर देसराज को सस्पेंड किया गया और FIR की गई। इसी FIR में एमडी और दूसरे डायरेक्टर को भी शामिल किया गया। ACS-DGP की रिपोर्ट बनी केस ट्रांसफर का आधार इस बीच सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को भी प्रशासनिक जांच करने को कहा। 15 दिन की जांच के बाद किरण नेगी ने पुलिस जांच पर सवाल उठाए और हिमाचल हाईकोर्ट में याचिका डालकर केस सीबीआई को देने का आग्रह किया। इस पर फैसला देने से पहले कोर्ट ने ACS, DGP और SP शिमला को कोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा। तीनों रिपोर्ट अलग अलग थी। खासकर डीजीपी ने अपनी स्टेट्स रिपोर्ट में शिमला पुलिस की जांच को खुद कटघड़े में खड़ा किया। कोर्ट ने भी ACS और DGP की स्टेट्स रिपोर्ट को आधार बनाते हुए शिमला पुलिस को फटकार लगाई और यह केस सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए। हिमाचल प्रदेश में चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले में CBI ने दिल्ली में FIR कर दी है। हाईकोर्ट के आदेशों पर अब यह मामला न्यू शिमला पुलिस थाना से CBI दिल्ली को ट्रांसफर कर दिया गया है। CBI ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 108 और 3(5) के तहत मुकद्दमा दर्ज किया है। BNS की धारा 108 आत्महत्या के लिए उकसाने पर लगती है। इसमें यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है और जो कोई भी उसे ऐसा करने के लिए मजबूर करता है तो उसे 10 साल तक के कारावास और जुर्माने से दंडित किए जाने का प्रावधान है। BNS की 3(5) में उन मामलों में लागू होती है जहां एक ही इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा अपराध किया जाता है। यह प्रावधान बताता है कि ऐसे अपराध में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को अपराध के लिए जिम्मेदार माना जाएगा, जैसे कि उन्होंने इसे अकेले किया हो। बता दें कि न्यू शिमला थाना में 19 मार्च को विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। इसकी जांच शिमला पुलिस की एसआईटी कर रही थी। मगर मृतक के परिजनों को पुलिस जांच पर भरोसा नहीं था। इसके बाद किरण नेगी ने हिमाचल हाईकोर्ट में याचिका डालकर इस केस की जांच CBI को देने की अपील की। हाईकोर्ट ने 23 मई को दिए आदेश हिमाचल हाईकोर्ट ने बीते 23 मई को यह केस CBI को सौंपने के आदेश दिए। जस्टिस अजय मोहन गोयल ने अपने आदेशों में कहा कि इस केस की जांच करने वाली एसआईटी में हिमाचल कैडर के पुलिस ऑफिसर नहीं होंगे। यही वजह रही कि इस मामले की FIR चंडीगढ़ नहीं, बल्कि दिल्ली में की गई, क्योंकि चंडीगढ़ में CBI ऑफिस में हिमाचल कैडर के ऑफिसर है। FIR में विमल नेगी की पत्नी के आरोप CBI की FIR में न्यू शिमला पुलिस थाना में दर्ज FIR का जिक्र है। इसमें कहा गया कि किरण नेगी ने आरोप लगाया कि उनके पति को हरास किया गया। किरण नेगी आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन के डायरेक्टर देरसराज (इलेक्ट्रिकल) और MD हरिकेश मीणा ने उनके पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है। सीनियर अधिकारियों ने प्रशासनिक कार्रवाई की धमकी देकर उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया। इन्हें सौंपी गई जांच इसके आधार पर सीबीआई ने मामला दर्ज कर डीएसपी CBI (CIO) ब्रिजेंद्र प्रसाद सिंह, इन्सपेक्टर प्रदीप कुमार और सब इन्सपेक्टर नीलेश सिंह CBI को इस केस की जांच सौंपी है। बता दें कि विमल नेगी बीते 10 मार्च को लापता हो गए थे। 18 मार्च को बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में उनका शव मिला। 19 मार्च को एम्स बिलासपुर में पोस्टमॉर्टम करवाया गया। इसी दिन परिजन शव को लेकर पावर कॉरपोरेशन कार्यालय कसुम्पटी के बाहर धरने पर बैठ गए और रात 10 बजे तक धरना दिया। परिजनों की मांग पर 19 मार्च को रात में FIR हुई। इसी दिन डायरेक्टर देसराज को सस्पेंड किया गया और FIR की गई। इसी FIR में एमडी और दूसरे डायरेक्टर को भी शामिल किया गया। ACS-DGP की रिपोर्ट बनी केस ट्रांसफर का आधार इस बीच सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को भी प्रशासनिक जांच करने को कहा। 15 दिन की जांच के बाद किरण नेगी ने पुलिस जांच पर सवाल उठाए और हिमाचल हाईकोर्ट में याचिका डालकर केस सीबीआई को देने का आग्रह किया। इस पर फैसला देने से पहले कोर्ट ने ACS, DGP और SP शिमला को कोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा। तीनों रिपोर्ट अलग अलग थी। खासकर डीजीपी ने अपनी स्टेट्स रिपोर्ट में शिमला पुलिस की जांच को खुद कटघड़े में खड़ा किया। कोर्ट ने भी ACS और DGP की स्टेट्स रिपोर्ट को आधार बनाते हुए शिमला पुलिस को फटकार लगाई और यह केस सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए। हिमाचल | दैनिक भास्कर
