<p style=”text-align: justify;”><strong>Chhath Puja 2024:</strong> लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत आज (05 नवंबर) से हो रही है. नहाय-खाय के साथ शुरू होकर इस पर्व का समापन 8 नवंबर को सुबह का अर्घ्य देकर होगा. इस पूजा का काफी महत्व है. कई लोग आज भी इसका महत्व कम ही जानते हैं. इस बारे में बिहार के औरंगाबाद में स्थित भगवान भास्कर की नगरी में स्थापित त्रेता कालीन भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित देव सूर्य मंदिर के मुख्य पुजारी राजेश पाठक ने अहम बात बताई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>छठ पूजा की महत्व, पौराणिक मान्यता और बिहार की धरती पर छठ महापर्व करने के बारे में बात करते हुए मुख्य पुजारी ने बताया, ”छठ पूजा विशेषकर बिहार वासियों के लिए ऐसा पहला महापर्व है, जिसमें सभी लोग भगवान सूर्य की आराधना करते हैं. भगवान सूर्य को मनुष्य के पूरे शरीर का मालिक माना जाता है, इसलिए इस खास पर्व पर भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. जो भी मनुष्य अपने शरीर का कल्याण चाहते हैं, उसके लिए वह छठ महाव्रत करते हैं. इसके साथ ही छठ व्रत करने से अनेक तरह के मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’खास तरह का फल देता है यह उपवास'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्य पुजारी ने आगे कहा, ”जो भी श्रद्धालु संतान चाहते हैं, यह उपवास उन्‍हें खास तरह का फल देता है. वहीं इसके अलावा इस महापर्व में सभी की मनोकामना पूरी होती है. इस दिन भगवान सूर्य की उपासना होती है इसलिए छठ महापर्व को बेहद ही विशेष माना जाता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिहार से हुई थी छठ पूजा की शुरुआत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार की धरती पर छठ के महत्व पर बात करते हुए मुख्य पुजारी ने बताया, ”दुनियाभर में छठ का पर्व मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत बिहार से हुई थी. माना जाता है कि बिहार के देव सूर्य मंदिर से छठ की शुरुआत की गई थी. बिहार में यह महापर्व बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है. बिहार वालों की इस आस्‍था को देखकर बाहर के लोगों ने भी इसे करना शुरू कर दिया.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इस तरह का कठिन उपवास और कोई नहीं</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि यह पर्व चार दिनों तक चलता है. इस महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ 5 नवंबर से हो रही है. इसका समापन 8 नवंबर को सुबह भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाएगा. 36 घंटे का निर्जला व्रत इसे विशेष बनाता है. मुख्य पुजारी ने कहा कि इस तरह का कठिन उपवास कोई और नहीं है. उन्होंने कहा कि 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर उपवास तोड़ा जाता है. इसमें पहले भगवान का प्रसाद लिया जाता है. इसके बाद ही घर पर बना शुद्ध शाकाहारी भोजन लिया जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/chhath-puja-2024-sunrise-and-sunset-time-in-bihar-patna-aurangabad-gaya-arghya-time-ann-2816742″>Chhath 2024: बिहार में छठ के दिन किस जिले में कितने बजे सूर्यास्त और सूर्योदय? जानें अर्घ्य देने का समय</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Chhath Puja 2024:</strong> लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत आज (05 नवंबर) से हो रही है. नहाय-खाय के साथ शुरू होकर इस पर्व का समापन 8 नवंबर को सुबह का अर्घ्य देकर होगा. इस पूजा का काफी महत्व है. कई लोग आज भी इसका महत्व कम ही जानते हैं. इस बारे में बिहार के औरंगाबाद में स्थित भगवान भास्कर की नगरी में स्थापित त्रेता कालीन भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित देव सूर्य मंदिर के मुख्य पुजारी राजेश पाठक ने अहम बात बताई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>छठ पूजा की महत्व, पौराणिक मान्यता और बिहार की धरती पर छठ महापर्व करने के बारे में बात करते हुए मुख्य पुजारी ने बताया, ”छठ पूजा विशेषकर बिहार वासियों के लिए ऐसा पहला महापर्व है, जिसमें सभी लोग भगवान सूर्य की आराधना करते हैं. भगवान सूर्य को मनुष्य के पूरे शरीर का मालिक माना जाता है, इसलिए इस खास पर्व पर भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. जो भी मनुष्य अपने शरीर का कल्याण चाहते हैं, उसके लिए वह छठ महाव्रत करते हैं. इसके साथ ही छठ व्रत करने से अनेक तरह के मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’खास तरह का फल देता है यह उपवास'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्य पुजारी ने आगे कहा, ”जो भी श्रद्धालु संतान चाहते हैं, यह उपवास उन्‍हें खास तरह का फल देता है. वहीं इसके अलावा इस महापर्व में सभी की मनोकामना पूरी होती है. इस दिन भगवान सूर्य की उपासना होती है इसलिए छठ महापर्व को बेहद ही विशेष माना जाता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिहार से हुई थी छठ पूजा की शुरुआत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार की धरती पर छठ के महत्व पर बात करते हुए मुख्य पुजारी ने बताया, ”दुनियाभर में छठ का पर्व मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत बिहार से हुई थी. माना जाता है कि बिहार के देव सूर्य मंदिर से छठ की शुरुआत की गई थी. बिहार में यह महापर्व बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है. बिहार वालों की इस आस्‍था को देखकर बाहर के लोगों ने भी इसे करना शुरू कर दिया.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इस तरह का कठिन उपवास और कोई नहीं</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि यह पर्व चार दिनों तक चलता है. इस महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ 5 नवंबर से हो रही है. इसका समापन 8 नवंबर को सुबह भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाएगा. 36 घंटे का निर्जला व्रत इसे विशेष बनाता है. मुख्य पुजारी ने कहा कि इस तरह का कठिन उपवास कोई और नहीं है. उन्होंने कहा कि 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर उपवास तोड़ा जाता है. इसमें पहले भगवान का प्रसाद लिया जाता है. इसके बाद ही घर पर बना शुद्ध शाकाहारी भोजन लिया जाता है.</p>
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