CISF के क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र (RTC) में इन दिनों कुछ अलग ही नज़ारा दिख रहा है — सुबह चार बजे से शुरू होने वाली कड़ी ट्रेनिंग में अब महिला कमांडो की आवाजगूंज भी सुनाई देती है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने पहली बार ऑल-वुमन कमांडो यूनिट की शुरुआत की है और इसके पहले बैच में 28 महिला जवानों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है। इस ट्रेनिंग को नाम दिया गया है “Special 28 (STF)”।
क्या खास है इस कार्यक्रम में
- पहला बैच: 28 महिला कमांडो, उम्र लगभग 25–30 साल।
- ट्रेनिंग अवधि: 8 हफ्ते — ट्रेनिंग 11 अगस्त 2024 से शुरू हुई और 4 अक्टूबर 2024 तक चलेगी।
- कहाँ पर: बड़वाह (खरगोन) में CISF-RTC, जो दरिया महल परिसर में स्थित है — यह जगह कभी एशिया के सबसे लंबे महलों में गिनी जाती थी (लंबाई ~750 मीटर, 198 कमरे)।
- लक्ष्य: इस साल कुल 100 महिला जवानों को कमांडो ट्रेनिंग देना; 2026 तक महिलाओं की हिस्सेदारी को बल में 8% से 10% तक बढ़ाने के लिए 2,400 और महिलाओं की भर्ती का लक्ष्य रखा गया है। पहली ऑल-वुमन बटालियन में 1,025 महिला जवान होंगे, जिन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी।
रोज़ का शेड्यूल और ट्रेनिंग का तरीका
CISF कमांडेंट एस.के. सारस्वत के मुताबिक़:
- दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे होती है।
- दिन में तीन ट्रेनिंग सेशन हैं — सुबह 6:00-8:00, 10:30-13:30, और शाम 15:30-18:00।
- ट्रेनिंग में शामिल है: फिजिकल फ़िटनेस, हथियार संचालन, लाइव फ़ायर अभ्यास, कठिन बाधा-पार कोर्स, जंगल में सर्वाइवल, रैपलिंग, रोप ड्रिल, रिवर क्रॉसिंग, और 48 घंटे की कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग एक्सरसाइज।
- कठिन परिस्थितियों में तेज़ निर्णय लेना, टीम वर्क, और मानसिक दृढ़ता पर विशेष जोर दिया जाता है।
- खाने-पीने का टाइम तय है; शाम में कैंप फायर और रात 10 बजे lights-off यानी सोने का समय।
ट्रेनिंग के कुछ खास टास्क (जो रोज़ करवाए जाते हैं)
- स्टेप शूटिंग और लाइव शूटिंग ट्रेनिंग।
- 16 किलो की राइफ़ल लेकर लंबी दौड़ (8 किमी या 16 किमी) — यही पुरुषों की तरह महिलाओं को भी करना पड़ता है।
- रैपलिंग — ऊँचाई से रस्सी के सहारे उतरना।
- रिवर क्रॉसिंग — बाढ़ वाले इलाके पार करने की तैयारी।
- हाथ से हाथ मुकाबला — ट्रेनिंग में सिखाया जा रहा है कि अगर हथियार न हों तो दुश्मन से कैसे निपटना है।
कमांडो के अनुभव — भावनाएँ और बोल
मानसी, जो ट्रेनिंग कर रही हैं, कहती हैं — “फ़िल्मों में जो एक्साइटमेंट देखते थे, अब वही असल ज़िन्दगी में कर रहे हैं। कमाल की जिंदगी है।”
आयोशी बताती हैं कि रोज़ाना मुश्किल टास्क होते हैं — रोप ड्रिल, कमांडो ड्रिल, स्ट्रेंथ एक्सरसाइज़, स्टेप शूटिंग, रैपलिंग और रिवर क्रॉसिंग। उनकी बात में आत्मविश्वास है: “हम मेल कमांडोज़ से भी बेहतर रिज़ल्ट दे रहे हैं।”
कई कमांडो बताती हैं कि मौसम (बारिश, सर्दी या गर्मी) मायने नहीं रखता — काम पूरा करना है। उनका कहना है कि ट्रेनिंग मेल कमांडो की तरह ही सख्त है।
CISF में महिलाओं की स्थिति और भर्ती प्रक्रिया
- वर्तमान में CISF में लगभग 12,491 महिलाएं कार्यरत हैं, जो कुल बल का लगभग 8% हैं। CISF का लक्ष्य इसे 10% तक बढ़ाना है।
- महिलाओं की भर्ती के लिए CISF की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है (cisfrectt.cisf.gov.in)। उसके बाद मल्टी-स्टेप सेलेक्शन होता है: PET (Physical Efficiency Test), PST (Physical Standard Test), डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, लिखित परीक्षा (OMR/CBT), ट्रेड टेस्ट, और फाइनल फिजिकल टेस्ट।
- महिला उम्मीदवारों के लिए ऊँचाई और वजन जैसे मानदंड भी लागू होते हैं।
सैलरी और भत्ते
CISF में पुरुष और महिला कर्मियों की सैलरी में कोई अंतर नहीं है। उदाहरण के तौर पर हेड कांस्टेबल की शुरुआती सैलरी का रेंज लगभग ₹25,500 – ₹81,100 प्रति माह है, साथ में DA, HRA और TA जैसे भत्ते भी मिलते हैं।
ऐतिहासिक और महत्व का पहलू
बड़वाह का CISF-RTC पहले CRPF के अधीन शुरु हुआ था और बाद में CISF के अधीन आया। ये केंद्र 1 अप्रैल 1985 से सक्रिय है और यहां जवानों को 24 से 43 सप्ताह के कड़े प्रशिक्षण के बाद आरक्षक के रूप में नियुक्ति दी जाती रही है। पहले पुरुषों को STF ट्रेनिंग दी जाती थी — अब पहली बार महिलाओं को भी यही सख्त ट्रेनिंग दी जा रही है। अब तक इस सेंटर से करीब 10,000 से अधिक पुरुष प्रशिक्षार्थी STF कमांडो बन चुके हैं।
क्या संदेश मिलता है?
यह पहल सिर्फ़ महिला सशक्तिकरण का प्रतीक नहीं है, बल्कि सुरक्षा बलों में जेंडर इक्विटी और बेहतर सुरक्षा कवरेज का भी निशान है। एयरपोर्ट और अन्य संवेदनशील प्रतिष्ठानों पर तैनाती से महिला कमांडो समाज में नए रोल मॉडल बनेंगी। CISF की योजना और लक्ष्य यह दिखाते हैं कि आने वाले वर्षों में महिलाओं की भागीदारी और बढ़ेगी।
CISF की पहली लेडी कमांडो यूनिट — Special 28 (STF) — देश के लिए, और ख़ासकर सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम है। इसमें शामिल महिलाएँ वह सब सख्त ट्रेनिंग ले रही हैं जो किसी भी कमांडो से उम्मीद की जाती है — फिजिकल फोर्स, मानसिक दृढ़ता, टीम वर्क और बिना हथियार के भी लड़ने की क्षमता। आने वाले महीनों में और बैच (अगस्त/अक्टूबर/दिसंबर) आएँगे और CISF का लक्ष्य और भी ज्यादा महिला रिक्रूटमेंट करना है।
