हरियाणा में लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के साथ ही विधानसभा का गुणा-गणित बदल गया है। CM नायब सैनी के करनाल विधानसभा का उप चुनाव जीतने के बाद भी भाजपा सदन में बहुमत से दूर हो गई है। हालांकि अभी भाजपा के 41 विधायक पूरे हो चुके हैं, हलोपा के गोपाल कांडा और एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत का साथ होने के बाद भी बहुमत के आंकड़े से 1 नंबर भाजपा दूर दिखाई दे रही है। हालांकि सदन में कांग्रेस-जजपा और INLD यदि साथ आ गए तो सैनी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सरकार को संकट से बचाने के लिए अब भाजपा ने हाल ही में समर्थन छोड़कर गए 3 निर्दलीय विधायकों पर अपनी नजरें गड़ा दी है। मुख्यमंत्री सैनी ने खुद यह संकेत दिए हैं, उन्होंने हाल ही में बयान दिया है कि वह जल्द ही तीनों निर्दलीय विधायकों से बात करेंगे। यहां पढ़िए सदन का नया गणित लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा के नंबरों में बदलाव हो गया है। 90 विधायकों वाली विधानसभा में अब 87 विधायक ही बचे हैं। सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे, बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद के निधन से और अंबाला लोकसभा सीट से मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के अंबाला लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह स्थिति बनी है। 87 सदस्यीय इस विधानसभा में अब बहुमत का आंकड़ा 46 से गिरकर 44 हो गया है। सदन में ये है राजनीतिक दलों का नंबर अभी हरियाणा की भाजपा सरकार के पास 1 निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत एवं हलोपा के इकलौते विधायक गोपाल कांडा का समर्थन है, जिससे उसके पास 43 विधायक बनते हैं जो बहुमत से एक कम है। वहीं विपक्ष के पास कुल 44 विधायक हैं, जिसमें कांग्रेस के 29 ( वरुण चौधरी को छोड़कर) जजपा के 10, 4 निर्दलीय और 1 इनेलो के अभय चौटाला शामिल हैं। इस बदले राजनीतिक परिवेश में भाजपा के कुछ असंतुष्ट विधायकों का भी विपक्ष में जाने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। क्या हरियाणा में सरकार गिरने का खतरा है? फिलहाल ऐसा नहीं है। सीएम नायब सैनी की सरकार ने ढ़ाई महीने पहले ही 13 मार्च को बहुमत साबित किया। जिसके बाद 6 महीने तक फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाता। इतना समय बीतने के बाद अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर ऐसी मांग की जरूरत नहीं रहेगी। इसके साथ ही जजपा ने अपने दो विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के यहां याचिका दायर की हुई है, अगर JJP के 2 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो फिर पक्ष और विपक्षी विधायकों की संख्या गिरकर 43 हो जाएगी, जो बहुमत से एक नंबर कम है। कांग्रेस-BJP की आगे क्या तैयारी विपक्ष के सरकार के अल्पमत में होने के दावों के बीच मुख्यमंत्री नायब सैनी ने चंडीगढ़ में विधायकों की मीटिंग बुला ली है। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के साथ ही विधानसभा में बदले नए समीकरणों पर चर्चा की जाएगी। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने भी स्पष्ट कर दिया है कि लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, परिणाम कांग्रेस के पक्ष में हैं। अब पार्टी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। अभी सरकार सदन में अल्पमत में है, इसको लेकर विपक्षी दल राज्यपाल को लेटर लिख चुके हैं। हालांकि जवाब नहीं आया है। जल्द ही इसको लेकर गवर्नर से मिलने का टाइम मांगा जाएगा। हरियाणा में लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के साथ ही विधानसभा का गुणा-गणित बदल गया है। CM नायब सैनी के करनाल विधानसभा का उप चुनाव जीतने के बाद भी भाजपा सदन में बहुमत से दूर हो गई है। हालांकि अभी भाजपा के 41 विधायक पूरे हो चुके हैं, हलोपा के गोपाल कांडा और एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत का साथ होने के बाद भी बहुमत के आंकड़े से 1 नंबर भाजपा दूर दिखाई दे रही है। हालांकि सदन में कांग्रेस-जजपा और INLD यदि साथ आ गए तो सैनी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सरकार को संकट से बचाने के लिए अब भाजपा ने हाल ही में समर्थन छोड़कर गए 3 निर्दलीय विधायकों पर अपनी नजरें गड़ा दी है। मुख्यमंत्री सैनी ने खुद यह संकेत दिए हैं, उन्होंने हाल ही में बयान दिया है कि वह जल्द ही तीनों निर्दलीय विधायकों से बात करेंगे। यहां पढ़िए सदन का नया गणित लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा के नंबरों में बदलाव हो गया है। 90 विधायकों वाली विधानसभा में अब 87 विधायक ही बचे हैं। सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे, बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद के निधन से और अंबाला लोकसभा सीट से मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के अंबाला लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह स्थिति बनी है। 87 सदस्यीय इस विधानसभा में अब बहुमत का आंकड़ा 46 से गिरकर 44 हो गया है। सदन में ये है राजनीतिक दलों का नंबर अभी हरियाणा की भाजपा सरकार के पास 1 निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत एवं हलोपा के इकलौते विधायक गोपाल कांडा का समर्थन है, जिससे उसके पास 43 विधायक बनते हैं जो बहुमत से एक कम है। वहीं विपक्ष के पास कुल 44 विधायक हैं, जिसमें कांग्रेस के 29 ( वरुण चौधरी को छोड़कर) जजपा के 10, 4 निर्दलीय और 1 इनेलो के अभय चौटाला शामिल हैं। इस बदले राजनीतिक परिवेश में भाजपा के कुछ असंतुष्ट विधायकों का भी विपक्ष में जाने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। क्या हरियाणा में सरकार गिरने का खतरा है? फिलहाल ऐसा नहीं है। सीएम नायब सैनी की सरकार ने ढ़ाई महीने पहले ही 13 मार्च को बहुमत साबित किया। जिसके बाद 6 महीने तक फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाता। इतना समय बीतने के बाद अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर ऐसी मांग की जरूरत नहीं रहेगी। इसके साथ ही जजपा ने अपने दो विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के यहां याचिका दायर की हुई है, अगर JJP के 2 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो फिर पक्ष और विपक्षी विधायकों की संख्या गिरकर 43 हो जाएगी, जो बहुमत से एक नंबर कम है। कांग्रेस-BJP की आगे क्या तैयारी विपक्ष के सरकार के अल्पमत में होने के दावों के बीच मुख्यमंत्री नायब सैनी ने चंडीगढ़ में विधायकों की मीटिंग बुला ली है। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के साथ ही विधानसभा में बदले नए समीकरणों पर चर्चा की जाएगी। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने भी स्पष्ट कर दिया है कि लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, परिणाम कांग्रेस के पक्ष में हैं। अब पार्टी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। अभी सरकार सदन में अल्पमत में है, इसको लेकर विपक्षी दल राज्यपाल को लेटर लिख चुके हैं। हालांकि जवाब नहीं आया है। जल्द ही इसको लेकर गवर्नर से मिलने का टाइम मांगा जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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