<p style=”text-align: justify;”><strong>Patna News:</strong> बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस ने बिहार के प्रदेश अध्यक्ष पद से राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह की छुट्टी कर दी है. उनकी जगह राजेश कुमार को बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. औरंगाबाद की कुटुंबा सीट से दो बार के विधायक राजेश कुमार दलित समाज से आते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हाल में ही कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने राहुल गांधी की टीम के अहम सदस्य माने जाने वाले कृष्णा अल्लावरु को बिहार प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाया था. नए प्रभारी ने बीते सोलह मार्च से नौकरी के मुद्दे पर बिहार में कांग्रेस के युवा और छात्र संगठनों की पदयात्रा शुरू करवाई थी. इस पदयात्रा का नेतृत्व परोक्ष रूप से कन्हैया कुमार कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों के मुताबिक इसको लेकर अखिलेश प्रसाद सिंह से विचार विमर्श तक नहीं किया गया था. यही वजह थी कि वो नाराज चल रहे थे. हालांकि पदयात्रा के पहले दिन पश्चिम चंपारण में वो भी नजर आए थे. अखिलेश सिंह की लालू यादव से नजदीकी रही है. वो पहले आरजेडी में भी रह चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अब उनकी प्रदेश अध्यक्ष पद से छुट्टी कर कांग्रेस आलाकमान ने साफ संदेश दे दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे के मामले में वो लालू यादव के सामने समझौते के मूड में नहीं हैं. बीते विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने कांग्रेस को सत्तर सीटें दी थीं, जिसमें को केवल उन्नीस जीत पाई थी. इस बार आरजेडी कांग्रेस को पचास के करीब सीटें ही दी सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐसे में माना जा रहा था कि अखिलेश सिंह के जरिए कांग्रेस लालू यादव पर दबाव बनाएगी. आरजेडी के यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर अखिलेश सिंह के रूप में एक भूमिहार नेता का होना बीजेपी–जेडीयू की टक्कर में एक मजबूर समीकरण माना जा रहा था, लेकिन अब साफ है कि कांग्रेस बिहार में दलित वोट बैंक को साधना चाहती है, लेकिन अब देखना होगा कि बिहार में कांग्रेस की नई टीम लालू यादव और तेजस्वी से कैसे डील करती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/waqf-amendment-bill-jan-suraaj-party-founder-prashant-kishor-attack-on-nitish-kumar-ann-2906843″>’इसके लिए नीतीश कुमार जैसे नेता हैं दोषी’, वक्फ बिल को लेकर प्रशांत किशोर ने निकाली भड़ास</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Patna News:</strong> बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस ने बिहार के प्रदेश अध्यक्ष पद से राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह की छुट्टी कर दी है. उनकी जगह राजेश कुमार को बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. औरंगाबाद की कुटुंबा सीट से दो बार के विधायक राजेश कुमार दलित समाज से आते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हाल में ही कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने राहुल गांधी की टीम के अहम सदस्य माने जाने वाले कृष्णा अल्लावरु को बिहार प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाया था. नए प्रभारी ने बीते सोलह मार्च से नौकरी के मुद्दे पर बिहार में कांग्रेस के युवा और छात्र संगठनों की पदयात्रा शुरू करवाई थी. इस पदयात्रा का नेतृत्व परोक्ष रूप से कन्हैया कुमार कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों के मुताबिक इसको लेकर अखिलेश प्रसाद सिंह से विचार विमर्श तक नहीं किया गया था. यही वजह थी कि वो नाराज चल रहे थे. हालांकि पदयात्रा के पहले दिन पश्चिम चंपारण में वो भी नजर आए थे. अखिलेश सिंह की लालू यादव से नजदीकी रही है. वो पहले आरजेडी में भी रह चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अब उनकी प्रदेश अध्यक्ष पद से छुट्टी कर कांग्रेस आलाकमान ने साफ संदेश दे दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे के मामले में वो लालू यादव के सामने समझौते के मूड में नहीं हैं. बीते विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने कांग्रेस को सत्तर सीटें दी थीं, जिसमें को केवल उन्नीस जीत पाई थी. इस बार आरजेडी कांग्रेस को पचास के करीब सीटें ही दी सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐसे में माना जा रहा था कि अखिलेश सिंह के जरिए कांग्रेस लालू यादव पर दबाव बनाएगी. आरजेडी के यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर अखिलेश सिंह के रूप में एक भूमिहार नेता का होना बीजेपी–जेडीयू की टक्कर में एक मजबूर समीकरण माना जा रहा था, लेकिन अब साफ है कि कांग्रेस बिहार में दलित वोट बैंक को साधना चाहती है, लेकिन अब देखना होगा कि बिहार में कांग्रेस की नई टीम लालू यादव और तेजस्वी से कैसे डील करती है. </p>
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