यूपी के आधार कार्ड सिस्टम में बड़ी सेंध:रबर इंप्रेशन से लॉगिन कर बदले 1500 मोबाइल नंबर, हड़पे बीमा के करोड़ों रुपए नाम- पंचम सिंह। एक आधार कार्ड में जन्मतिथि 1 जुलाई 1976 और दूसरे में 1 जनवरी 1955। यानी दोनों आधार कार्डों में उम्र का अंतर 21 साल। ऐसा कैसे हुआ? यह जानने के लिए जब यूपी की संभल पुलिस ने गहराई से तफ्तीश की, तो एक ऐसा रैकेट सामने आया जो आधार कार्ड के मूल डेटाबेस में छेड़छाड़ करता था। इस गैंग से 13 राज्यों के 42 फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मिले। एक साल में इस गैंग ने मनमाने ढंग से 400 से ज्यादा लोगों के आधार कार्ड में नाम, पता, उम्र जैसे चेंजेज किए। 1500 से ज्यादा तो आधार कार्डों में मोबाइल नंबर ही बदल डाले। आधार कार्ड का ये गैंग भी उस गैंग के लिए काम कर रहा था, जो देशभर में फर्जीवाड़े से बीमा पॉलिसी बनाता है। दैनिक भास्कर ने फ्रॉड गैंग की पहली सीरीज में बताया था कि किस तरह मौत से पहले लोगों का हेल्थ बीमा करके पैसा हड़पा जाता है। दूसरी सीरीज में बताया कि रियल मौत के बाद कैसे डॉक्यूमेंट्स में दूसरी फर्जी मौत दिखाकर बीमा पॉलिसी की जाती है। तीसरी सीरीज में हमने बीमार लोगों के ट्रैक्टर लोन कराने और बेचने की पूरी कहानी बताई। अब चौथी और आखिरी सीरीज में पढ़िए आधार कार्ड के मूल डेटाबेस में छेड़छाड़ करने का फ्रॉड… गैंग तक कैसे पहुंची पुलिस, यह समझिए अपने ही पिता के दो आधार कार्ड बनाकर पॉलिसी हड़पी
संभल जिले की अपर पुलिस अधीक्षक (IPS) अनुकृति शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया- संभल पुलिस फर्जी बीमा पॉलिसी करने वाले गैंग पर काम कर रही थी। इसी दौरान पुलिस के हत्थे ऐसा गिरोह चढ़ा, जो बीमार लोगों का व्हीकल लोन करता था। फिर शोरूम से खरीदे गए ट्रैक्टर को उस बीमार की मौत के बाद सस्ते रेट पर बेच देता था। इस गैंग से हमें तमाम फर्जी डॉक्यूमेंट्स मिले। इसमें एक डॉक्यूमेंट बहजोई थाना क्षेत्र के गांव बहरौली में रहने वाले चंद्रसेन का था। चंद्रसेन से पूछताछ हुई तो वो इस ठगी का पीड़ित निकला। पुलिस जांच में आरोपी विनोद का नाम सामने आया। विनोद को पुलिस ने कस्टडी में लिया। उससे भी कुछ फर्जी डॉक्यूमेंट्स मिले। खुद विनोद के पिता पंचम सिंह के राजस्थान के एड्रेस पर 2 फर्जी आधार कार्ड बने मिले। इन दोनों आधार कार्ड में उम्र का अंतर 21 साल था। विनोद से जब पूछताछ हुई तो एक ऐसे गैंग का पता चला जो आधार कार्ड के डेटाबेस में छेड़छाड़ करता था। इसके बाद संभल पुलिस ने 7 अप्रैल को आधार कार्ड गैंग से जुड़े 4 आरोपियों को दिल्ली, अमरोहा और बदायूं से गिरफ्तार किया। इतनी टाइट सिक्योरिटी, तब ऑपरेटर कर पाता है करेक्शन
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIADI) ने आधार कार्ड में करेक्शन के लिए हर जिले में कुछ सेंटर तय कर रखे हैं। इसमें प्रमुख रूप से डाकघर और विशेष केंद्र शामिल हैं। यहां बैठने वाले ऑपरेटरों को बाकायदा एक यूजर आईडी और पासवर्ड दिया जाता है। जिस कम्प्यूटर-लैपटॉप में वो UIADI की वेबसाइट खोलेंगे, उसे GPS लोकेशन से जोड़ा जाता है। मतलब, अगर उस लोकेशन से कम्प्यूटर-लैपटॉप को उठाकर दूसरी जगह रखा गया तो वेबसाइट नहीं खुलेगी। इसके अलावा ऑपरेटर की आंखों का रेटिना स्कैन होता है। उसके फिंगर प्रिंट मैच होते हैं। तब जाकर उसकी ID पर UIADI की वेबसाइट खुल सकती है। आधार कार्ड में जो भी करेक्शन होना है, उससे संबंधित प्रूफ होना चाहिए। तभी ऑपरेटर आगे का प्रोसेस कर पाएगा। ऐसे किया फर्जीवाड़ा रेटिना-थंब इंप्रेशन आर्टिफिशियल बनाए, सॉफ्टवेयर से लोकेशन बदली
IPS अनुकृति शर्मा ने बताया- इन सब नियमों से बचने के लिए फ्रॉड गैंग ने UIADI का ये पूरा सिस्टम ही क्रैक कर डाला। कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर आते हैं, जो मामूली रकम चुकाने पर किसी भी डिवाइस की GPS लोकेशन मनमाफिक कर देते हैं। इस गैंग ने महज 1500 रुपए में स्पेशल टूल्स खरीदकर GPS लोकेशन बदल दी। मतलब, आधार कार्ड का ऑपरेटर दिल्ली के तिमरपुर क्षेत्र में बैठा हुआ था। जबकि उसकी यूजर-आईडी पर UIADI की वेबसाइट 250 किलोमीटर दूर यूपी के जिला बदायूं में चल रही थी। इस गैंग ने आधार कार्ड ऑपरेटर के अंगूठे का इंप्रेशन लेकर एक रबर पर उसका प्रिंट तैयार कराया। इसके अलावा ऑपरेटर की आंखों के रेटिना की बारीकी से फोटो खींची गई। UIADI की दी गई आधार कार्ड की फिंगर प्रिंट स्कैनर मशीन पर स्कैन कराने के लिए ओरिजिनल व्यक्ति की मौजूदगी जरूरी है। इसलिए फ्रॉड गैंग ने पूरी मशीन ही बदल डाली। इन्होंने एक नई मशीन खरीदी। उसमें मामूली छेड़छाड़ करके इस लायक बना दिया कि वो ऑपरेटर का रबर अंगूठा और आंखों के रेटिना फोटो को भी स्कैन करने लगी। बस इतना सब करते ही दिल्ली की जगह बदायूं में UIADI वेबसाइट खुल गई और आधार कार्ड में करेक्शन होने लगे। ये करेक्शन कहीं न कहीं सरकारी योजनाओं का फायदा पाने के लिए भी होता था। वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर देशभर में काम करता था ये गैंग
IPS ऑफिसर अनुकृति शर्मा ने बताया- इस गैंग का मास्टरमाइंड आशीष है। वह बदायूं जिले में उझानी थाना क्षेत्र के गांव अडौली का रहने वाला है। आशीष के अंडर में करीब 300 रिटेलर काम करते हैं। ये रिटेलर आधार कार्ड में बदलाव कराने वाले लोगों से पैसा वसूलते हैं और वेंडर से काम कराते हैं। नियमों के मुताबिक, कस्टमर को आधार कार्ड में करेक्शन कराने के लिए उसके ऑथराइज्ड सेंटर पर आना जरूरी है। लेकिन, ये रिटेलर अपनी मशीन पर ही कस्टमर के फिंगर प्रिंट लेकर बिना डॉक्यूमेंट्स लिए मनचाहे ढंग से करेक्शन कर देते थे। इसके बदले वो मोटी फीस वसूलते थे। इन रिटेलर ने देशभर में वॉट्सऐप ग्रुप बनाए हुए हैं। इसके जरिए ये उत्तर प्रदेश सहित दिल्ली, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, वेस्ट बंगाल आदि राज्यों में काम करते थे। अब तक 4 आरोपी गिरफ्तार कैसे हुई इस पूरे केस की शुरुआत स्कॉर्पियो सवार पकड़े तो खुलता चला गया गैंग
संभल पुलिस ने वाहन चेकिंग के दौरान 17 जनवरी 2024 को स्कॉर्पियो सवार 2 युवक पकड़े। इसमें मुख्य मास्टरमाइंड ओंकारेश्वर मिश्रा निवासी वाराणसी के मोबाइल से करीब एक लाख अलग–अलग लोगों के फोटो और कई हजार डॉक्यूमेंटस मिले। ये डॉक्यूमेंटस बीमा पॉलिसी से जुड़े हुए थे। आगे तफ्तीश हुई तो पता चला कि देश में एक ऐसा गैंग एक्टिव है जो लोगों के मरने से पहले, मरने के बाद हेल्थ बीमा कराता है। पिछले 8 साल से एक्टिव इस गैंग ने अब तक 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का फ्रॉड इसी तरह किया है। 17 जनवरी के बाद से आज तक लगातार गिरफ्तारियां जारी हैं। फर्जी बीमा पॉलिसी गैंग में अब तक 25 आरोपी जेल जा चुके हैं। जबकि आधार कार्ड गैंग में 4 आरोपी पकड़े गए हैं। ———————- ये खबर भी पढ़ें… मरने वालों का करते थे बीमा, मौत के बाद खुद उठा लेते थे पैसा, 70% मौत हार्टअटैक से दिखाई संभल जिले में 2 कारें चोरी हुईं। पुलिस चोरों को पकड़ने के लिए चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान स्कॉर्पियो में सवार दो युवक पकड़े गए। दोनों ने देश के एक बड़ी गैंग को बेनकाब कर दिया। यह गैंग जिंदगी की आखिरी स्टेज वाले लोगों की बीमा पॉलिसी कर करोड़ों रुपए हड़प चुका है। पढ़ें पूरी खबर