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हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री बोले- कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में थी:भाजपा ने जमीन पर काम किया; सुभाष बत्रा ने EVM की बैटरी का भी जिक्र किया
हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री बोले- कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में थी:भाजपा ने जमीन पर काम किया; सुभाष बत्रा ने EVM की बैटरी का भी जिक्र किया हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व गृहमंत्री सुभाष बत्तरा ने हार के कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि ओवर कांफिडेंट में गलती हुई। कांग्रेस ओवर कांफिडेंस में रही और भाजपा ग्राउंड पर काम करती रही। वहीं भाजपा सोशल इंजीनियरिंग में सफल रही और कांग्रेस इस ओर ध्यान नहीं दे पाई। उन्होंने कांग्रेस हाई कमान पर भी सवाल उठाए। सीट बंटवारे पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि ठीक से बंटवारा नहीं हुआ। सीटिंग विधायकों को टिकट देने के निर्णय को भी गलत बताया और कहा कि जहां सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी होती है, तो विधायकों के खिलाफ भी होती है। पूर्व गृह मंत्री एवं कांग्रेसी वरिष्ठ नेता सुभाष बत्तरा से बातचीत प्रश्न : हार का क्या कारण मानते हैं?
सुभाष बत्तरा : पहली बात तो यह कि मैं इस चुनाव को निष्पक्ष चुनाव भी नहीं मानता। साढ़े 9 बजे तक जब तक बैलेट पेपर की काउंटिंग हो रही थी, तो हम 73-74 पर लीड कर रहे थे। जैसे ही ईवीएम की गिनती शुरू हुई तो पासा एक दम पलट गया। मेरा मानना है कि 20-30 विधानसभा में, जहां जीटी बेल्ट के हल्के जिनमें ईवीएम में 99 प्रतिशत बैटरी चार्ज थी। वहां-वहां एक तरफा बीजेपी की जीत दिखाई। जहां 60-65 प्रतिशत बैटरी थी, वहां कांग्रेस है। दूसरा, सोशल इंजीनियरिंग में भाजपा कामयाब रही है। हम थोड़ा-सा ओवर कांफिडेंस में थे, हमने इस पर गौर नहीं किया और वर्किंग नहीं की। ओबीसी व एससी कार्ड को अपने पक्ष में करने में भाजपा कामयाब रही। उन्होंने कुमारी सैलजा के नाम को भी कैच करने की कोशिश की। हम थोड़ा-सा ओवर कांफिडेंस में रहे और भाजपा ग्राउंड लेवल पर काम करती रही। यह भाजपा को भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी सीटें उनकी आ जाएंगी। उन्होंने कहा कि जो जाट मतदाता है, उन्होंने तो कई इलाकों में बहुत कम प्रतिशत वोट पोल की। सोनीपत जाट बहुल्य एरिया है, वहां 6 में से 5 सीट हम हमने हारी है। बहादुरगढ़ की सीट बड़े मार्जन से हारी है। इसका मतलब है कि कहीं ना कहीं, यह कहने में कोई हानि नहीं कि (राहुल जी ने भी यह कहा कि ऐसा लगता है कि) पार्टी हित से ज्यादा अपने निजी हितों को साधा गया है। कांग्रेस लीडरशिप को इस पर मंथन करना पड़ेगा। प्रश्न : टिकट बंटवारे को लेकर काफी चर्चा थी कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने चहेतों को भी टिकट दिलाई है? सुभाष बत्तरा : मैं एक बात से बिल्कुल स्पष्ट हूं कि अगर 5 साल किसी राज हो तो हम उसे भी एंटी इनकंबेंसी करते हैं। कोई भी सरकार व पार्टी लोगों उम्मीदों पर 100 प्रतिशत काम नहीं कर पाती। इसी तरह से जो एमएलए 2 बार बन गया, उसकी भी एंटी इनकंबेंसी होती है। आपने सर्वेयर किस लिए रखे और सीटिंग गेटिंग (सीटिंग विधायकों को टिकट देना) का मतलब क्या रहा। सर्वे रिपोर्ट को फेंक दें। जो 2-3 बार विधायक बना है और लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है तो उसका सीटिंग का क्या मतलब। यह बहुत गलत निर्णय था। कांग्रेस की टिकट मिलने वाले सीटिंग विधायकों में से आधे से ज्यादा हारे हैं। यह फार्मूला गलत था और पार्टी आलाकमान को मंथन करना पड़ेगा और सोचना पड़ेगा। गलत लोगों को टिकट दी गई, इसके पीछे कारण क्या रहे। प्रश्न : चुनाव के दौरान भाजपा ने कुमारी सैलजा के मुद्दे को उठाया, वह चाहे उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने का मामला हो या फिर सीएम बनाने का। इसका कितना असर पड़ा है? सुभाष बत्तरा : भाजपा एससी वोटबैंक को कैच करने में सफल रही। हम उस मुद्दे को डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाए। सैलजा बहनजी ने तो यह बयान दिया था कि “मेरे पिताजी भी तिरंगे में गए और मैं भी तिरंगे में जाऊंगी”। उन्होंने स्पष्टीकरण भी दिए। लेकिन देर हो चुकी थी। इसलिए एससी वोटबैंक वह डायवर्सिफाई हो गया था। बीजेपी इस मुद्दे को कैच करने में कामयाब रही। प्रश्न : हरियाणा में पहली दफा ऐसा हुआ है कि कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही और भाजपा की जीत का कारण क्या मानते हैं? सुभाष बत्तरा : इसका कारण पर तो क्या कह सकता हैं। प्रजातंत्र है और लोगों का जनमत है। जो जीता वह सिकंदर। अब हम कुछ भी कहते रहे, लेकिन जो खामिया हैं, उनको ढूंढना पड़ेगा। असली हार तो कार्यकर्ता की हुई है। जो जमीनी व बूथ लेवल पर लड़ता है। यह मंथन का विषय है। प्रश्न : रिजल्ट से पहले हर कोई कह रहा था कि कांग्रेस बहुमत से आ रही है और तैयारियां भी उसी तरह से चल रही थी। क्या कारण रहा कि रिजल्ट में इतना फेरबदल हुआ? सुभाष बत्तरा : भाजपा वाले भी 30 से ऊपर सीट नहीं मान रहे थे। यह तो आश्चर्यचकित नतीजे हैं। कुछ-ना-कुछ इन्होंने 20-30 सीटों पर ईवीएम को सेट व हैक किया है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी तैयारी में हैं। मैं भी इस पर विधि वक्ताओं से सलाह कर रहा हूं। प्रश्न : जातिगत बात करें तो सबसे बड़ा वोट बैंक जाटों का माना जाता है, उसको भी साधने में क्यों सफल नहीं रहे? सुभाष बत्तरा : सीटिंग गेटिंग का फार्मूला। कर्ण दलाल 25 हजार से ज्यादा से हार आए, इसका मतलब क्या है। बहादुरगढ़ की सीट पर तीन बार के विधायक राजेंद्र जून 40 हजार से अधिक मार्जन कैसे हो गया। गन्नौर की सीट पर क्या हाल हुआ। उन्होंने राज्यसभा सांसद किरण चौधरी का जिक्र करते हुए कहा कि किरण चौधरी को निपटाने के लिए पता नहीं क्या-क्या व्यूह रचना की। किरण चौधरी के जाने से भिवानी की सभी सीटों पर क्या हाल हुआ। उस पर मंथन की जरूरत है। हरियाणा एक छोटा राज्य जरूर है, लेकिन इसका असर पूरे देश में हैं। एक माह के बाद महाराष्ट्र के चुनाव हैं, वहां भी इसका असर पड़ेगा। उत्तर प्रदेश साथ लगता राज्य हैं, वहां भी उपचुनाव में इसका असर पड़ेगा। पंजाब राज्य की भी सीमा लगती है। दिल्ली भी बॉर्डर स्टेट है, उसके भी दो माह बाद चुनाव हैं। इसलिए आज पार्टी लीडरशिप आज तिलमिला रही है और गुस्से में है कि पार्टी हित से ज्यादा निजी हितों को तवज्जो दी। यह पहले समझ नहीं आ रही थी। लोकसभा में टिकटों का बंटवारा कैसे किया। खुद कर रहे हैं कि 90 में से 72 सीटें एक सिस्टम के तहत दी, आपको उस समय सोचने का मौका नहीं थी। क्यों विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के सच्चे सिपाही है और इस हार से दुखी है। आलाकमान को पहले भी समझाने की कोशिश की, लेकिन उनके समझ में नहीं आई। हम भी हताश होकर बैठ गए।
बलिया में त्यौहार से पहले बड़ी साजिश नाकाम, GRP ने भारी मात्रा में कारतूस किया बरामद
बलिया में त्यौहार से पहले बड़ी साजिश नाकाम, GRP ने भारी मात्रा में कारतूस किया बरामद <p style=”text-align: justify;”><strong>Ballia News:</strong> उत्तर प्रदेश के बलिया में बड़ी साजिश नाकाम हुई है. जीआरपी ने चेकिंग दौरान भारी मात्रा में कारतूस बरामद किया है. इस मामले में एक युवती को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस इस मामले से जुड़े अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई है. साथ ही युवती से पूछताछ की जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जानकारी के मुताबिक, ट्रेनों व रेलवे स्टेशन परिसर में त्योहारों के मद्देनजर सघन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है. इसी के तहत प्लेटफार्म संख्या दो पर जीआरपी ने वाराणसी सिटी- छपरा पैसेंजर (05446) में सवार 20 वर्षीय मनीता सिंह को 315 बोर के 750 कारतूस के साथ गिरफ्तार कर लिया है. जीआरपी का दावा है कि मिर्जापुर के नदिया गांव की रहने वाली मनीता सिंह बनारस में नीट परीक्षा की तैयारी के दौरान असलहा तस्करों के संपर्क में आई और कैरियर बन गई. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जीआरपी सजगता से फेल हुआ प्लान</strong><br />मनीता को वाराणसी से मिला यह कंसाइनमेंट छपरा स्टेशन के बाहर मौजूद बड़ी स्ट्रीट लाइट के नीचे किसी को देना था. मनीता की पूरी प्लानिंग तब फेल हो गई जब बलिया रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में चेकिंग के दौरान जीआरपी ने मनीता को 315 बोर के 750 जिंदा कारतूस के साथ गिरफ्तार कर लिया. अभी हाल ही में बलिया. जीआरपी के सीओ सवीरत्न गौतम का कहना है की जीआरपी की एक बड़ी सफलता है. अवैध कारतूस ले जा रही लड़की को गिरफ्तार कर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि हाल ही में जीआरपी बलिया ने बलिया रेलवे स्टेशन से 825 जिंदा कारतूस बरामद करने के साथ ही दो लोगों को गिरफ्तार किया था. जिसमें425 कारतूस 32 बोर का था. पकड़े गए दोनों तस्कर अवैध कारतूस को बिहार ले जा रहे थे. भारी मात्रा में कारतूस बरामद होने के बाद सुरक्षा एजेंसी सतर्क हो गई है. साथ ही चेकिंग अभियान को तेज कर दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-bypolls-2024-sanjay-nishad-insistence-now-bjp-high-command-gave-direct-message-to-nishad-party-ann-2809359″><strong>यूपी उपचुनाव: संजय निषाद की जिद के बाद अब BJP अड़ी, हाईकमान ने दे दिया सीधा संदेश</strong></a></p>
UP Politics: तो इसलिए जयंत चौधरी ने किया योगी सरकार के नेम प्लेट वाले फैसले का खुला विरोध, सामने आई ये वजह
UP Politics: तो इसलिए जयंत चौधरी ने किया योगी सरकार के नेम प्लेट वाले फैसले का खुला विरोध, सामने आई ये वजह <p style=”text-align: justify;”><strong>Name Plate Controversy: </strong>मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय द्वारा कावड़ यात्रा में कांवड़ियों को लेकर दुकानों और ढाबों के आगे नेम प्लेट लगाने के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में सियासत तेज हो गई थी. विपक्षियों ने <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> पर खूब निशाना साधा था तो वहीं सहयोगी दलों के नेता भी इस बारे में बोलते नजर आए. सहयोगी दलों की ओर से बड़े-बड़े बयान आए. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 जुलाई) को कांवड़ रूट नेम प्लेट वाले आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदार दुकानों पर सिर्फ खाने का नाम लिखें. कांवड़ रूट नेम प्लेट वाले मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, एमपी और उत्तराखंड सरकार को नोटिस भी जारी किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एनडीए के सहयोगी दलों में से एक रालोद पार्टी ने भी इसका विरोध किया था. लरालोद पार्टी के अध्यक्ष के इस तरह बयान देने के सियासी मायने भी तलाशे जा रहे है. पश्चिमी यूपी में जाट और सैनी वोट के बाद मुस्लिम मतदाताओं की भी बड़ी भूमिका रहती है. यही कारण है कि रालोद इन मतदाताओं को नाराज नहीं करना चाहती है. बता दें कि मीरापुर और खैर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. जिसको लेकर पार्टी तैयारी भी कर रही है. ऐसे में रालोद मुस्लिम मतदाताओं को भी नाराज नहीं करना चाहती.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’यह हमारा विरोध नहीं बल्कि सुझाव'</strong><br />वहीं इस मामले पर रालोद पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री त्रिलोक त्यागी ने कहा कि फल,चाय , खाने की दुकानों पर नाम लिखने का आदेश ठीक नहीं है. यह हमारा विरोध नहीं बल्कि सुझाव है. क्योंकि जाति और धर्म के आधार पर लोगों को बांटना ठीक नहीं है. हम इसके पक्ष में नहीं है. महात्मा गांधी और चौधरी चरण सिंह भी हिंदू किसान और मुसलमान किसान में भेद नहीं करते थे. हम एनडीए और सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ है. लेकिन यह फैसला अधिकारियों का है और गलत भी है. दुकानें शाकाहारी या मांसाहारी इसकी पहचान होनी चाहिए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें:<strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/budget-2024-ignores-uttar-pradesh-and-ayodhya-says-samajwadi-party-mp-awadhesh-prasad-2744080″> बजट में अयोध्या की अनदेखी, बीजेपी चुकाएगी इसकी कीमत, फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद ने चेताया</a></strong></p>