यूपी पुलिस के डीजीपी रहे प्रशांत कुमार पुलिस सर्विस से रिटायर हो गए हैं। रिटायरमेंट के बाद रविवार को उन्होंने सोशल मीडिया पर एक लेटर पोस्ट कर भावुक संदेश दिया। लिखा- भले ही कंधे पर अब सितारे न हों, लेकिन दिल में पुलिस बल की भावना हमेशा रहेगी। मैं इस पद को बिना किसी पछतावे के और गर्व के साथ छोड़ रहा हूं। यह केवल विदाई नहीं, बल्कि रुककर विचार करने और आप सभी के साथ इस असाधारण सेवा यात्रा के लिए धन्यवाद देने का क्षण है। पुलिस सेवा केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि एक पुकार है जिसे उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर निभाया। उन्होंने कॉन्स्टेबल से लेकर अधिकारियों तक सभी के समर्पण को पुलिस बल की आत्मा बताया। प्रशांत कुमार ने अपनी उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि आधुनिक पुलिसिंग, साइबर अपराध से निपटने, संकटों का जवाब देने और जनता के बीच खाकी की विश्वसनीयता को बहाल करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। आखिर में उन्होंने सभी पुलिसकर्मियों से साहस, करुणा और नैतिकता के साथ सेवा जारी रखने की अपील की। नहीं हुआ विदाई समारोह
प्रशांत कुमार का विदाई समारोह नहीं हो सका। 31 मई को रिटायर होने वाले अफसरों को डीजीपी ने 2 दिन पहले यानी 29 मई को ही विदाई पार्टी दे दी थी। इस पार्टी में उनकी विदाई नहीं हुई थी। दो दिन पहले विदाई समारोह के आयोजन के पीछे तर्क दिया गया था कि 30 मई को प्रधानमंत्री कानपुर में और 31 मई को सीजेआई प्रयागराज में रहेंगे। ऐसे में व्यस्तता के चलते दो दिन पहले विदाई समारोह का आयोजन किया गया। खुद के विदाई पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि क्योंकि मैं खुद होस्ट हूं तो खुद को विदाई कैसे दे सकता हूं। हालांकि पूर्व में ऐसे आयोजन होते रहे हैं जब विदाई समारोह में मौजूदा डीजीपी और दूसरे अधिकारी भी शामिल होते रहे हैं। दो दिन पहले विदाई समारोह होने और उसमें प्रशांत कुमार का नाम न होने से माना गया कि डीजीपी को सेवा विस्तार मिलने जा रहा है। रिटायरमेंट के आखिरी क्षण तक इसका इंतजार भी होता रहा, लेकिन सेवा विस्तार नहीं मिला। प्रशांत कुमार से पहले दो डीजीपी ऐसे रहे हैं जिनका विदाई समारोह नहीं हुआ। इसमें पूर्व कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान और पूर्व डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी। हितेश चंद्र अवस्थी का रिटायरमेंट कोरोना काल के दौरान हुआ था, इसलिए उनकी विदाई पार्टी नहीं हुई थी। जबकि डीएस चौहान ने अपनी विदाई पार्टी नहीं दी थी। जब आखिरी समय पर निरस्त हो गया था विदाई समारोह
2015 में अरविंद कुमार जैन प्रदेश के डीजीपी थे। अरविंद कुमार 31 मार्च को रिटायर होने वाले थे। वे भी अपने सेवा विस्तार के लिए प्रयासरत थे। दोपहर बाद तक जब सेवा विस्तार संबंधी पत्र नहीं आया तो शाम को डीजीपी मुख्यालय पर विदाई पार्टी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम शाम पांच बजे से था। मेहमान भी आने शुरू हो गए थे। तभी पौने पांच बजे के करीब सेवा विस्तार का आदेश आ गया। जिसके बाद विदाई समारोह को स्थगित कर दिया गया। बिहार के रहने वाले हैं प्रशांत कुमार
प्रशांत कुमार का जन्म बिहार के सीवान में हुआ था। IPS अफसर बनने से पहले प्रशांत कुमार ने MSc, MPhil और MBA भी किया था। बतौर IPS प्रशांत कुमार का जब चयन हुआ था, तो उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला था। हालांकि, 1994 में यूपी कैडर की IAS डिंपल वर्मा से उन्होंने शादी की। इसके बाद प्रशांत कुमार ने यूपी कैडर में ट्रांसफर ले लिया। —————————- ये भी पढ़ें: राजीव कृष्ण 11 अफसरों को पीछे छोड़ DGP बने:योगी के भरोसेमंद, 4 साल बाद रिटायरमेंट; परिवार में कई IAS-IPS राजीव कृष्ण 11 अफसरों को पीछे छोड़ते हुए कार्यवाहक DGP बने हैं। यानी राजीव कृष्ण 11 अफसरों से जूनियर हैं। इनमें 3 अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। राजीव कृष्ण के पास सबसे लंबे समय तक के लिए प्रदेश के DGP बने रहने का मौका है। क्योंकि, अभी इनके रिटायरमेंट में 4 साल 1 महीने का वक्त है। (पढ़ें पूरी खबर) यूपी पुलिस के डीजीपी रहे प्रशांत कुमार पुलिस सर्विस से रिटायर हो गए हैं। रिटायरमेंट के बाद रविवार को उन्होंने सोशल मीडिया पर एक लेटर पोस्ट कर भावुक संदेश दिया। लिखा- भले ही कंधे पर अब सितारे न हों, लेकिन दिल में पुलिस बल की भावना हमेशा रहेगी। मैं इस पद को बिना किसी पछतावे के और गर्व के साथ छोड़ रहा हूं। यह केवल विदाई नहीं, बल्कि रुककर विचार करने और आप सभी के साथ इस असाधारण सेवा यात्रा के लिए धन्यवाद देने का क्षण है। पुलिस सेवा केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि एक पुकार है जिसे उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर निभाया। उन्होंने कॉन्स्टेबल से लेकर अधिकारियों तक सभी के समर्पण को पुलिस बल की आत्मा बताया। प्रशांत कुमार ने अपनी उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि आधुनिक पुलिसिंग, साइबर अपराध से निपटने, संकटों का जवाब देने और जनता के बीच खाकी की विश्वसनीयता को बहाल करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। आखिर में उन्होंने सभी पुलिसकर्मियों से साहस, करुणा और नैतिकता के साथ सेवा जारी रखने की अपील की। नहीं हुआ विदाई समारोह
प्रशांत कुमार का विदाई समारोह नहीं हो सका। 31 मई को रिटायर होने वाले अफसरों को डीजीपी ने 2 दिन पहले यानी 29 मई को ही विदाई पार्टी दे दी थी। इस पार्टी में उनकी विदाई नहीं हुई थी। दो दिन पहले विदाई समारोह के आयोजन के पीछे तर्क दिया गया था कि 30 मई को प्रधानमंत्री कानपुर में और 31 मई को सीजेआई प्रयागराज में रहेंगे। ऐसे में व्यस्तता के चलते दो दिन पहले विदाई समारोह का आयोजन किया गया। खुद के विदाई पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि क्योंकि मैं खुद होस्ट हूं तो खुद को विदाई कैसे दे सकता हूं। हालांकि पूर्व में ऐसे आयोजन होते रहे हैं जब विदाई समारोह में मौजूदा डीजीपी और दूसरे अधिकारी भी शामिल होते रहे हैं। दो दिन पहले विदाई समारोह होने और उसमें प्रशांत कुमार का नाम न होने से माना गया कि डीजीपी को सेवा विस्तार मिलने जा रहा है। रिटायरमेंट के आखिरी क्षण तक इसका इंतजार भी होता रहा, लेकिन सेवा विस्तार नहीं मिला। प्रशांत कुमार से पहले दो डीजीपी ऐसे रहे हैं जिनका विदाई समारोह नहीं हुआ। इसमें पूर्व कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान और पूर्व डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी। हितेश चंद्र अवस्थी का रिटायरमेंट कोरोना काल के दौरान हुआ था, इसलिए उनकी विदाई पार्टी नहीं हुई थी। जबकि डीएस चौहान ने अपनी विदाई पार्टी नहीं दी थी। जब आखिरी समय पर निरस्त हो गया था विदाई समारोह
2015 में अरविंद कुमार जैन प्रदेश के डीजीपी थे। अरविंद कुमार 31 मार्च को रिटायर होने वाले थे। वे भी अपने सेवा विस्तार के लिए प्रयासरत थे। दोपहर बाद तक जब सेवा विस्तार संबंधी पत्र नहीं आया तो शाम को डीजीपी मुख्यालय पर विदाई पार्टी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम शाम पांच बजे से था। मेहमान भी आने शुरू हो गए थे। तभी पौने पांच बजे के करीब सेवा विस्तार का आदेश आ गया। जिसके बाद विदाई समारोह को स्थगित कर दिया गया। बिहार के रहने वाले हैं प्रशांत कुमार
प्रशांत कुमार का जन्म बिहार के सीवान में हुआ था। IPS अफसर बनने से पहले प्रशांत कुमार ने MSc, MPhil और MBA भी किया था। बतौर IPS प्रशांत कुमार का जब चयन हुआ था, तो उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला था। हालांकि, 1994 में यूपी कैडर की IAS डिंपल वर्मा से उन्होंने शादी की। इसके बाद प्रशांत कुमार ने यूपी कैडर में ट्रांसफर ले लिया। —————————- ये भी पढ़ें: राजीव कृष्ण 11 अफसरों को पीछे छोड़ DGP बने:योगी के भरोसेमंद, 4 साल बाद रिटायरमेंट; परिवार में कई IAS-IPS राजीव कृष्ण 11 अफसरों को पीछे छोड़ते हुए कार्यवाहक DGP बने हैं। यानी राजीव कृष्ण 11 अफसरों से जूनियर हैं। इनमें 3 अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। राजीव कृष्ण के पास सबसे लंबे समय तक के लिए प्रदेश के DGP बने रहने का मौका है। क्योंकि, अभी इनके रिटायरमेंट में 4 साल 1 महीने का वक्त है। (पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
DGP से विदाई पर प्रशांत कुमार का भावुक संदेश:वर्दी अस्थायी, कंधे पर सितारे भले न हों, दिल में पुलिस हमेशा रहेगी
