<p style=”text-align: justify;”><strong>Hardik Patel: </strong>बीजेपी विधायक हार्दिक पटेल को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से संबंधित हार्दिक पटेल और चार अन्य के खिलाफ राजद्रोह के मामले वापस लेने संबंधी गुजरात सरकार की याचिका को स्वीकार कर लिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शनिवार (1 मार्च) को पारित अपने आदेश में, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम. पी. पुरोहित की अदालत ने विशेष लोक अभियोजक सुधीर ब्रह्मभट्ट द्वारा हार्दिक पटेल, दिनेश बांभणिया, चिराग पटेल, केतन पटेल और अल्पेश कथीरिया के खिलाफ राजद्रोह के मामलों को वापस लेने के लिए दायर अर्जी स्वीकार कर ली. अदालत ने पांचों आरोपियों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 321 (ए) के तहत आरोप मुक्त कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>केतन पटेल को गवाह बनने पर मिली माफी</strong><br />तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, लेकिन केतन पटेल को गवाह के रूप में पेश किए जाने के आधार पर माफी दे दी गई थी. वहीं, पूरक आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद अल्पेश कथीरिया का मामला आरोप तय किए जाने के चरण में लंबित था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या-क्या लगे थे आरोप?</strong><br />गुजरात सरकार ने पिछले महीने, 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संबंध में दर्ज नौ मामलों को वापस लेने का फैसला किया था, जिनमें राजद्रोह के दो मामले भी शामिल थे. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पांचों लोगों पर शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए पाटीदार समुदाय के सदस्यों को भड़काने का आरोप है और उन्होंने इसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया, जिसका मकसद ‘नफरत फैलाना और गुजरात सरकार के प्रति असंतोष पैदा करना था.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि अहमदाबाद में 25 अगस्त 2015 को पटेल समुदाय की विशाल रैली के बाद, गुजरात में बड़े स्तर पर हुई हिंसा हुई थी. शहर की अपराध शाखा ने हार्दिक पटेल और उनके तीन सहयोगियों को गिरफ्तार किया था और उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सूरत पुलिस ने हार्दिक पटेल के खिलाफ राजद्रोह का एक और मामला दर्ज किया था. उन पर अपने समुदाय के युवाओं को पुलिसकर्मियों की जान लेने के लिए उकसाने का आरोप है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/g_FtfVuRJ30?si=TVL5HVOZi3dlmO6J” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”गुजरात: NRI की हत्या के मामले में कोर्ट का फैसला, 10 लोगों को आजीवन कारावास की सजा” href=”https://www.abplive.com/states/gujarat/gujarat-ahmedabad-court-sentences-10-people-to-life-imprisonment-in-nri-murder-case-2895136″ target=”_self”>गुजरात: NRI की हत्या के मामले में कोर्ट का फैसला, 10 लोगों को आजीवन कारावास की सजा</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Hardik Patel: </strong>बीजेपी विधायक हार्दिक पटेल को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से संबंधित हार्दिक पटेल और चार अन्य के खिलाफ राजद्रोह के मामले वापस लेने संबंधी गुजरात सरकार की याचिका को स्वीकार कर लिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शनिवार (1 मार्च) को पारित अपने आदेश में, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम. पी. पुरोहित की अदालत ने विशेष लोक अभियोजक सुधीर ब्रह्मभट्ट द्वारा हार्दिक पटेल, दिनेश बांभणिया, चिराग पटेल, केतन पटेल और अल्पेश कथीरिया के खिलाफ राजद्रोह के मामलों को वापस लेने के लिए दायर अर्जी स्वीकार कर ली. अदालत ने पांचों आरोपियों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 321 (ए) के तहत आरोप मुक्त कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>केतन पटेल को गवाह बनने पर मिली माफी</strong><br />तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, लेकिन केतन पटेल को गवाह के रूप में पेश किए जाने के आधार पर माफी दे दी गई थी. वहीं, पूरक आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद अल्पेश कथीरिया का मामला आरोप तय किए जाने के चरण में लंबित था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या-क्या लगे थे आरोप?</strong><br />गुजरात सरकार ने पिछले महीने, 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संबंध में दर्ज नौ मामलों को वापस लेने का फैसला किया था, जिनमें राजद्रोह के दो मामले भी शामिल थे. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पांचों लोगों पर शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए पाटीदार समुदाय के सदस्यों को भड़काने का आरोप है और उन्होंने इसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया, जिसका मकसद ‘नफरत फैलाना और गुजरात सरकार के प्रति असंतोष पैदा करना था.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि अहमदाबाद में 25 अगस्त 2015 को पटेल समुदाय की विशाल रैली के बाद, गुजरात में बड़े स्तर पर हुई हिंसा हुई थी. शहर की अपराध शाखा ने हार्दिक पटेल और उनके तीन सहयोगियों को गिरफ्तार किया था और उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सूरत पुलिस ने हार्दिक पटेल के खिलाफ राजद्रोह का एक और मामला दर्ज किया था. उन पर अपने समुदाय के युवाओं को पुलिसकर्मियों की जान लेने के लिए उकसाने का आरोप है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/g_FtfVuRJ30?si=TVL5HVOZi3dlmO6J” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
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