हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) ने प्राइवेट पार्टियों से 48 घंटे के भीतर रिकवरी के आदेश दिए हैं। इसे लेकर HPTDC के प्रबंध निदेशक राजीव कुमार ने सभी होटल यूनिट प्रमुख को आदेश जारी किए है। उन्होंने अपने आदेशों में स्पष्ट कहा कि सरकारी विभागों, बोर्ड और निगमों से जो पैसे की रिकवरी करनी है, उसे 30 नवंबर तक पूरा कर लिया जाए। यदि सरकारी विभाग एचपीटीडीसी की बकाया राशि का भुगतान नहीं करते हैं तो इसके लिए वह कंटैम्प्ट ऑफ कोर्ट के जिम्मेदार होंगे। HPTDC के प्रबंध निदेशक ने साफ किया कि भविष्य में शादी समारोह और पार्टियों के होटल तभी दिए जाएंगे, जब उस कार्यक्रम की 80 फीसदी पेमेंट का एडवांस में भुगतान होगा। यदि ऐसा नहीं किया तो इसके लिए संबंधित यूनिट के अधिकारी जिम्मेदार होंगे और उनसे रिकवरी की जाएगी। रोज आने वाले मेहमानों पर लागू नहीं होंगे आदेश निगम ने स्पष्ट कि किया 80 फीसदी एडवांस पेमेंट के आदेश विवाह समारोह या पार्टियों जैसे कार्यक्रम के लिए लागू होंगे, रोजाना निगम के होटल में आने वाले मेहमानों पर यह आदेश लागू नहीं होंगे। HPTDC के 55 से ज्यादा होटल बता दें कि, सरकारी उपक्रम एचपीटीडीसी के प्रदेशभर में 55 से ज्यादा होटल हैं, मगर ज्यादातर होटल घाटे में चल रहे हैं। निगम के होटलों में पूर्व में राजनीतिक दल के कार्यक्रम और शादी समारोह जैसे कार्यक्रम होते रहे हैं और कई बार निगम को इन कार्यक्रम की एवज में भुगतान नहीं किया जाता। इससे निगम का घाटा बढ़ता जा रहा है। घाटा अधिक होने की वजह से निगम अपने कर्मचारियों व पेंशनर की देनदारी नहीं चुका पा रहा। हाईकोर्ट ने देनदारी चुकता करने के आदेश दिए इसे देखते हुए हिमाचल हाईकोर्ट ने भी बीते 12 नवंबर को उन देनदारों की लिस्ट मांगी है, जिन्होंने एचपीटीडीसी को पेमेंट का भुगतान करना है। इसे लेकर आगामी 19 नवंबर को कोर्ट में सुनवाई होनी है। लिहाजा एचपीटीडीसी को अगली सुनवाई में उन पार्टी व लोगों की लिस्ट कोर्ट में देनी है, जिन्होंने एचपीटीडीसी को पैसा देना है। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) ने प्राइवेट पार्टियों से 48 घंटे के भीतर रिकवरी के आदेश दिए हैं। इसे लेकर HPTDC के प्रबंध निदेशक राजीव कुमार ने सभी होटल यूनिट प्रमुख को आदेश जारी किए है। उन्होंने अपने आदेशों में स्पष्ट कहा कि सरकारी विभागों, बोर्ड और निगमों से जो पैसे की रिकवरी करनी है, उसे 30 नवंबर तक पूरा कर लिया जाए। यदि सरकारी विभाग एचपीटीडीसी की बकाया राशि का भुगतान नहीं करते हैं तो इसके लिए वह कंटैम्प्ट ऑफ कोर्ट के जिम्मेदार होंगे। HPTDC के प्रबंध निदेशक ने साफ किया कि भविष्य में शादी समारोह और पार्टियों के होटल तभी दिए जाएंगे, जब उस कार्यक्रम की 80 फीसदी पेमेंट का एडवांस में भुगतान होगा। यदि ऐसा नहीं किया तो इसके लिए संबंधित यूनिट के अधिकारी जिम्मेदार होंगे और उनसे रिकवरी की जाएगी। रोज आने वाले मेहमानों पर लागू नहीं होंगे आदेश निगम ने स्पष्ट कि किया 80 फीसदी एडवांस पेमेंट के आदेश विवाह समारोह या पार्टियों जैसे कार्यक्रम के लिए लागू होंगे, रोजाना निगम के होटल में आने वाले मेहमानों पर यह आदेश लागू नहीं होंगे। HPTDC के 55 से ज्यादा होटल बता दें कि, सरकारी उपक्रम एचपीटीडीसी के प्रदेशभर में 55 से ज्यादा होटल हैं, मगर ज्यादातर होटल घाटे में चल रहे हैं। निगम के होटलों में पूर्व में राजनीतिक दल के कार्यक्रम और शादी समारोह जैसे कार्यक्रम होते रहे हैं और कई बार निगम को इन कार्यक्रम की एवज में भुगतान नहीं किया जाता। इससे निगम का घाटा बढ़ता जा रहा है। घाटा अधिक होने की वजह से निगम अपने कर्मचारियों व पेंशनर की देनदारी नहीं चुका पा रहा। हाईकोर्ट ने देनदारी चुकता करने के आदेश दिए इसे देखते हुए हिमाचल हाईकोर्ट ने भी बीते 12 नवंबर को उन देनदारों की लिस्ट मांगी है, जिन्होंने एचपीटीडीसी को पेमेंट का भुगतान करना है। इसे लेकर आगामी 19 नवंबर को कोर्ट में सुनवाई होनी है। लिहाजा एचपीटीडीसी को अगली सुनवाई में उन पार्टी व लोगों की लिस्ट कोर्ट में देनी है, जिन्होंने एचपीटीडीसी को पैसा देना है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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शिमला में मस्जिद पर बंटी कांग्रेस:मंत्री-विधायक की अलग-अलग राय; अनिरुद्ध बोले- फल बेचने के नाम पर रोहिंग्या तो नहीं पहुंच रहे हिमाचल की राजधानी शिमला के उप नगर संजौली में मस्जिद विवाद गहराता जा रहा है। इस मसले पर स्थानीय कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा और पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह की अलग अलग राय है। मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा, फल बेचने के नाम पर कहीं रोहिंग्या या अपराधी तो शिमला नहीं पहुंच रहे। उन्होंने दो टूक चेतावनी देते हुए कहा- बहू-बेटियों पर फब्तियां कसने व छेड़छाड़ करने वाले शिमला में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उन्होंने कहा, शिमला में अवैध मस्जिद निर्माण बर्दाश्त नहीं होगा। बाहर से आने वाले प्रवासियों की पृष्ठभूमि की जांच होनी चाहिए, इसको लेकर उनकी मुख्यमंत्री से भी बात हुई है। बाहर के लोगों ने शिमला शहर में पहुंचाया झगड़ा वहीं शिमला शहरी से कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा ने बीते कल ही कहा कि कुछ पार्षदों व एक विशेष राजनीतिक दलों के कार्यकताओं ने बाहर के झगड़े को शिमला शहर में पहुंचा दिया है। विधायक ने कहा कि मस्जिद 1950 से पहले की, अवैध है या नहीं इसका फैसला कोर्ट करेगा, कोई पार्षद या अन्य व्यक्ति नहीं। बाहर के झगड़े में शिमला शहर की शांति भंग न करें। शिमला एक शांतिप्रिय जगह है। विधायक ने कहा कि दो गुटों में हुए आपसी झगड़े को हिन्दू मुस्लिम समुदाय का रूप दे दिया। भाजपा बोली मस्जिद अगर अवैध तो इसे हटा देना चाहिए वहीं शिमला के संजौली में विवादित मस्जिद निर्माण को लेकर विपक्ष के नेता एवम पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दो टूक शब्दों में कहा कि मस्जिद अगर अवैध है तो इसे हटा देना चाहिए। हिमाचल में ऐसी स्थिति बर्दाश्त करने योग्य नहीं हैं। अवैध निर्माण कर झगड़ा करने पर सरकार को संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। जयराम ठाकुर ने कहा कि सदन में भाजपा विधायक बलबीर वर्मा ने भी आज इस मामले को उठाना चाहा, लेकिन पॉइंट ऑफ ऑर्डर के तहत इसे उठाने की इजाजत नहीं मिली। वे दोबारा नोटिस देकर इस मामले को उठाएंगे। ये है पूरा मामला…. दरअसल राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में एक मस्जिद के निर्माण को लेकर बीते रविवार से बवाल खड़ा हुआ है। हिंदूवादी संगठनो व कुछ नगर निगम के पार्षदों ने स्थानीय लोगों के साथ रविवार को मस्जिद के बाहर विशाल प्रदर्शन करते हुए मस्जिद के अवैध होने का दावा करते हुए उसे ध्वस्त करने की मांग की। बता दें कि यह विवाद शिमला के मल्याणा में विशेष समुदाय के लोगों द्वारा एक युवक के साथ मारपीट के बाद शुरू हुआ है। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, समुदाय विशेष के लोग बाहर से आकर शिमला की शांति भंग कर रहे हैं।
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