उत्तर प्रदेश सरकार ने आईएएस अधिकारी देवीशरण उपाध्याय को शासन के द्वारा निलंबित कर दिया है। उन्हें पिछले दिनों सदस्य न्यायिक राजस्व परिषद, प्रयागराज के पद से हटाते हुए प्रतीक्षारत कर दिया गया था। बता दें की अलीगढ़ में जमीनों के पट्टे के मामले में गलत ढंग से आदेश देने के आरोप में मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है। 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं देवी शरण उपाध्याय देवीशरण उपाध्याय 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्हें जुलाई 2022 में सदस्य न्यायिक राजस्व परिषद प्रयागराज में तैनाती दी गई थी। उन पर अलीगढ़ में 35 भूखंडों के पट्टों को मनमाने तरीके से बहाल करने का आरोप है। अलीगढ़ जिला प्रशासन ने इन पट्टों को नियम विरुद्ध दिए जाने पर खारिज करने की संस्तुति की थी। यह मामला राजस्व परिषद में गया था। जिला प्रशासन की स्पष्ट संस्तुति के बाद उन्होंने इन पट्टों को बहाल करने का आदेश पारित कर दिया। अलीगढ़ के मंडलायुक्त की शिकायत पर हुई कार्रवाई अलीगढ़ के मंडलायुक्त ने उच्च स्तर पर इसकी शिकायत की थी। नियुक्ति विभाग ने 13 जुलाई को उन्हें प्रतीक्षारत कर दिया था, लेकिन बताया जा रहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन्हें निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में वह राजस्व परिषद से संबंध रहेंगे। इस मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी भी बना दी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने आईएएस अधिकारी देवीशरण उपाध्याय को शासन के द्वारा निलंबित कर दिया है। उन्हें पिछले दिनों सदस्य न्यायिक राजस्व परिषद, प्रयागराज के पद से हटाते हुए प्रतीक्षारत कर दिया गया था। बता दें की अलीगढ़ में जमीनों के पट्टे के मामले में गलत ढंग से आदेश देने के आरोप में मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है। 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं देवी शरण उपाध्याय देवीशरण उपाध्याय 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्हें जुलाई 2022 में सदस्य न्यायिक राजस्व परिषद प्रयागराज में तैनाती दी गई थी। उन पर अलीगढ़ में 35 भूखंडों के पट्टों को मनमाने तरीके से बहाल करने का आरोप है। अलीगढ़ जिला प्रशासन ने इन पट्टों को नियम विरुद्ध दिए जाने पर खारिज करने की संस्तुति की थी। यह मामला राजस्व परिषद में गया था। जिला प्रशासन की स्पष्ट संस्तुति के बाद उन्होंने इन पट्टों को बहाल करने का आदेश पारित कर दिया। अलीगढ़ के मंडलायुक्त की शिकायत पर हुई कार्रवाई अलीगढ़ के मंडलायुक्त ने उच्च स्तर पर इसकी शिकायत की थी। नियुक्ति विभाग ने 13 जुलाई को उन्हें प्रतीक्षारत कर दिया था, लेकिन बताया जा रहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन्हें निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में वह राजस्व परिषद से संबंध रहेंगे। इस मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी भी बना दी गई है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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आवास विकास बोर्ड मीटिंग में 30 प्रस्ताव पास:2 हजार रुपये वर्ग फीट की दर से लखनऊ में मिलेगा प्लॉट, MBA पास युवाओं को मिलेगी नौकरी
आवास विकास बोर्ड मीटिंग में 30 प्रस्ताव पास:2 हजार रुपये वर्ग फीट की दर से लखनऊ में मिलेगा प्लॉट, MBA पास युवाओं को मिलेगी नौकरी उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद लखनऊ में 2000 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से हजारों भूखंडों का रजिस्ट्रेशन बहुत जल्द शुरू करेगा। इसके साथ ही MBA पास युवाओं को 65 हजार रुपये प्रति महीना की स्थाई नौकरी भी देगा। इसके अलावा आवास विकास परिषद की बोर्ड मीटिंग में बुधवार को 30 प्रस्ताव पास किया गया है। अपर मुख्य सचिव आवास विभाग नितिन रमेश गोकर्ण की अध्यक्षता में माल एवेन्यु स्थित आवास विकास परिषद के मुख्यालय में आयोजित बोर्ड मीटिंग में यह फैसले लिए गए। 11 MBA डिग्री धारक युवाओं को मिलेगी पक्की नौकरी उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के आयुक्त डॉ. बलकार सिंह ने बताया कि उप्र आवास एवं विकास परिषद की 266वीं बैठक में परिषद कार्मिकों, परिषद के पेंशनरों, पारिवारिक पेंशनरों को एक जनवरी 2024 से 50 प्रतिशत दर से मंहगाई भत्ता का प्रस्ताव पास किया गया है। इसके अलावा परिषद में सम्पत्ति प्रबन्धक के रिक्त 11 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूर्ण हो सकेगी। यह भर्ती उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से की जाएगी। जिसमें 4600 ग्रेड पे पर चयनित अभ्यर्थियों को भर्ती किया जाएगा। कुल वेतन लगभग 65000 मासिक होने का अनुमान है। गोसाईगंज में 2000 रुपये वर्ग फीट की कीमत पर मिलेंगे भूखंड डॉ. बलकार सिंह ने बताया कि परिषद द्वारा संचालित भूमि विकास एवं गृहस्थान योजना संख्या 1 मोहनलालगंज में अधिनियम 1965 के अन्तर्गत धारा-28 का गजट प्रकाशन कराया जा चुका है लेकिन अग्रेतर कार्यवाही नहीं की गयी है। योजना से काश्तकारों-भूस्वामियों को आपसी समझौते एवं अनिवार्य निर्णय के साथ-साथ लैण्ड पूलिंग स्कीम का भी विकल्प दिये जाने के लिए प्रस्ताव मंजूर हुआ है। इसके तहत पुरानी जेल रोड गोसाईगंज में अगले करीब 6 महीने में प्लाट की योजना विकसित की जाएगी। इसमें लगभग 2000 वर्ग फीट की कीमत पर हजारों की संख्या में आवासीय सुविधा भूखंड के माध्यम से दी जाएगी। लगभग 300 एकड़ में यह योजना विकसित की जाएगी। इसके अलावा परिषद की विभिन्न योजनाओं में स्थित रिक्त फ्लैट्स और विवादित सम्पत्तियों के निस्तारण के लिए मार्केटिंग सेल का गठन किए जाने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कुल 10000 और लखनऊ में लगभग 4700 फ्लैट्स खाली हैं। अब आपको बताते हैं कि किन-किन प्रस्तावों पर मंजूरी मिली है •भर्ती वर्ष 2023-24 में अधिशासी अभियन्ता (सिविल) से अधीक्षण अभियन्ता (सिविल) के रिक्त पदों पर प्रोन्नति किये जाने के प्रस्ताव को पास किया गया है. रमेश चन्द्र यादव, समर उपाध्याय, अजय कुमार मित्तल एवं प्रमोद कुमार सिंह को अधिशासी अभियन्ता से अधीक्षण अभियन्ता के रिक्त पद पर प्रोन्नति किया गया है। •भूमि विकास गृहस्थान एवं बाजार योजना (ग्रीनफील्ड टॉउनशिप) अयोध्या की सीमा के अन्तर्गत लखनऊ अयोध्या गोरखपुर राजमार्ग में पूर्व में प्रस्तावित एलिवेटेड हाइवे के स्थान पर योजना की क्रास हो रही 3 सड़कों पर अण्डरपास बनाए जाएंगे। •परिषद में अनिर्माण शुल्क एवं समयवृद्धि शुल्क के पुनः निर्धारण के सम्बन्धी प्रस्ताव का निदेशक मण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया। जिसमें किसी मानचित्र के पास होने की दशा में बड़े प्लाटों पर निर्माण अगर पहले 5 साल नहीं हुआ है तो कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा। छठे साल से यह 5% होगा और सातवें साल निर्माण न होने की दशा में 10% शुल्क लिया जाएगा। वही आठवीं साल में 15%. इसी तरह से हर साल पर पांच प्रतिशत की वृद्धि होगी। यह वृद्धि 40% तक हो जाएगी। •अनुशासनिक कार्यवाही के अन्तर्गत महेश कुमार, सेवानिवृत्त सहायक अभियन्ता के विरूद्ध विभागीय जांच गठित किये जाने संबंधी प्रस्ताव मंजूर। •परिषद की विभिन्न योजनाओं के एन्क्लेवों में विभिन्न श्रेणी के रिक्त फ्लैटों के निस्तारण के लिए विशेष पंजीकरण योजना (तृतीय चरण) के प्रस्ताव मंजूर।
ऊषा शर्मा रहेगी सोलन की मेयर:सुप्रीम कोर्ट से मिला स्टे ऑर्डर, कल होने वाले चुनाव भी टलेंगे, पार्षद पूनम भी बहाल
ऊषा शर्मा रहेगी सोलन की मेयर:सुप्रीम कोर्ट से मिला स्टे ऑर्डर, कल होने वाले चुनाव भी टलेंगे, पार्षद पूनम भी बहाल हिमाचल प्रदेश के सोलन नगर निगम के दो महिला पार्षदों की बहाली के मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्टे ऑर्डर आ गया है। इस आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि कोर्ट का आदेश आने तक ऊषा शर्मा को मेयर पद पर बहाल किया जाए। इसके अलावा गुरुवार को होने वाले मेयर चुनावों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेशों तक रोक लगा दी है। इस मामले में प्रतिवादियों को 14 अक्टूबर तक अपने जवाब दाखिल करने को कहा गया है। ऊषा शर्मा रहेगी मेयर आज सुबह सुप्रीम कोर्ट का आदेश मीडिया तक पहुंचा। इससे पहले मंगलवार को पूरा दिन शंका और आशंकाओं के बीच ही यह खबर चर्चा का विषय बनी हुई थी। लेकिन अब सर्वोच्च अदालत का आदेश आने के बाद स्थिति एक दम आईने की तरह साफ हो गई है। कोर्ट ने कुल 8 प्रतिवादियों को 14 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। निष्कासित पार्षद, मेयर ऊषा शर्मा, पूर्व मेयर और पार्षद पूनम ग्रोवर की ओर से डाली गई। कल होने वाले चुनाव रोके इस विशेष अनुमति याचिका में हिमाचल प्रदेश सरकार, शहरी विकास विभाग के निदेशक, सोलन के जिला उपायुक्त, नगर निगम के कमिश्नर, एडीसी अजय यादव, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष शिव कुमार, मेयर के दावेदार, पार्षद सरदार सिंह ठाकुर और कांग्रेस पार्षद पूजा तंवर को पार्टी बनाया गया है। अब इन सभी को 14 अक्टूबर तक अपने जवाब दाखिल करने होंगे। अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होनी है। स्टे ऑर्डर में देश की सर्वोच्च अदालत ने अगले आदेशों तक दोनों पार्षदों की बहाली के साथ, ऊषा शर्मा को मेयर पद पर बने रहने और 22 अगस्त यानी कल होने वाले मेयर के चुनावों को रोकने के लिए कहा है।
यूपी में सांसद आधे हुए, फिर भी मंत्री 8% बढ़े:मोदी कैबिनेट में यूपी की 60% जातियों की हिस्सेदारी; पश्चिम से सबसे ज्यादा मंत्री
यूपी में सांसद आधे हुए, फिर भी मंत्री 8% बढ़े:मोदी कैबिनेट में यूपी की 60% जातियों की हिस्सेदारी; पश्चिम से सबसे ज्यादा मंत्री मोदी मंत्रिमंडल में यूपी के 10 चेहरे हैं। इनमें 9 चेहरे यूपी के हैं। एक मंत्री हरदीप पुरी पंजाब के हैं, लेकिन राज्यसभा सांसद यूपी से हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के जरिए यूपी के क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है। यूपी में 2019 में एनडीए के 64 सांसद थे। इस बार यह संख्या करीब आधा घटकर 36 पर पहुंच गई, लेकिन मंत्रियों की संख्या 8% बढ़ गई। सबसे ज्यादा 4 मंत्री पश्चिम यूपी से हैं। पूर्वांचल से 3 और अवध यानी सेंट्रल यूपी से 2 मंत्रियों को जगह मिली। जातीय संतुलन बनाते हुए 4 ओबीसी, 2 दलित और 3 सवर्ण चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किया। ओबीसी मंत्रियों में 2 अति पिछड़ा वर्ग से हैं। जिन जातियों का वोट शिफ्ट हुआ, उनका ज्यादा ध्यान रखा
यूपी में भाजपा के खराब प्रदर्शन की वजह गैर-जाटव और ओबीसी में कुर्मी वोटर्स के इंडिया ब्लॉक की ओर शिफ्ट होना माना जा रहा है। यही वजह है कि कुर्मी समाज से 2 और अति पिछड़ा वर्ग से 2 मंत्री बनाए। गैर जाटव समाज के भी 2 मंत्री बनाए। मोदी ने इस मंत्रिमंडल के जरिए यूपी में 60-62% जातियों को साधने की कोशिश की। इन जातियों का 300-320 विधानसभा पर प्रभाव है। Today-Axis My poll के सर्वे के मुताबिक, इस बार भाजपा का करीब 21% जाटव और गैर जाटव वोटर्स इंडिया ब्लॉक को शिफ्ट हुआ। नोट- 2014 और 2019 में यूपी से दो-दो राज्यसभा सांसद बनाए गए। 2014 में अरुण जेटली और 2019 में हरदीप पुरी यूपी कोटे से थे, लेकिन यहां के रहने वाले नहीं थे। ओबीसी से 4 चेहरे, इनमें एक जाट और एक गैर पिछड़ा
पीएम मोदी ने मंत्रिमंडल में यूपी में जिन 4 ओबीसी चेहरों को जगह दी गई है। उनमें एक लोध जाति से, दूसरा जाट और बाकी के 2 कुर्मी हैं। ओबीसी वोटर इस बार भाजपा के वोट बैंक से छिटक गया था। मंत्रिमंडल में इसी तरह दलित समुदाय से जिन दो मंत्रियों को रखा गया है, उनमें एक गड़रिया और पासवान बिरादरी से हैं। जाटव और हरिजन समुदाय से कोई नहीं है। इन दोनों वर्गों का वोट भी इस बार भाजपा के पास नहीं गया। पूर्वांचल में 60 फीसदी सीटें हारी भाजपा, 3 मंत्री बने
भाजपा को इस बार सबसे ज्यादा डेंट पूर्वांचल में लगा। यहां लोकसभा की 27 सीटें हैं। लेकिन इस बार भाजपा सिर्फ 10 सीट जीत सकी। एक सीट अपना दल ने जीती। 2019 में भाजपा और अपना दल को 20 सीटें मिली थीं। इस पूरे इलाके से मोदी ने अपने कैबिनेट में 3 चेहरों को जगह दी है। वेस्ट यूपी में 29 सीटें आती हैं। इस बार भाजपा सिर्फ 14 जीत सकी है। 2 सीटें सहयोगी दल रालोद की मिली। 2019 में 29 में से 21 सीटें भाजपा ने अकेले जीती थी। यहां से 4 मंत्री बनाए गए हैं। सेंट्रल यूपी और बुंदेलखंड में कुल 24 सीटें आती हैं। यहां भाजपा को 9 सीटों पर जीत मिली है। यहां से सिर्फ एक मंत्री बना। यूपी से मंत्री बने चेहरों और उसके पीछे की सियासत राजनाथ सिंह- पार्टी में नंबर दो की पोजिशन, पूर्व अध्यक्ष, एनडीए सरकार का अनुभव रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। वह भाजपा के दिग्गज वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। दो बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। जब मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद के लिए नॉमिनेट किया तब वह पार्टी अध्यक्ष थे। सरकार में राजनाथ सिंह की पोजिशन नंबर 2 पर है। राजनाथ अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं, तब भी एनडीए की सरकार थी। राजनाथ यूपी के क्षत्रिय समाज से हैं। इस चुनाव में यूपी के कई इलाकों में क्षत्रिय समाज में भाजपा के प्रति नाराजगी देखने को मिली थी। सेंट्रल यूपी से आते हैं। कमलेश पासवान- पुराने नेता, दलित फेस, पूर्वांचल से आते हैं
बांसगांव लोकसभा से सांसद कमलेश पासवान भाजपा के दिग्गज नेता माने जाते हैं। वे बांसगांव लोकसभा सीट से 2009 से लगातार जीत रहे हैं। वह चौथी बार सांसद चुने गए हैं। इस बार उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सदल प्रसाद को 4540 मतों से हराया है। कमलेश के पिता ओम प्रकाश पासवान भी नेता थे, उन्हें एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान मार दिया गया था। कमलेश पासवान की मां सुभावती पासवान भी पूर्व सांसद रह चुकी हैं। कमलेश 2002 में बांसगांव निर्वाचन क्षेत्र से ही विधायक भी चुने जा चुके हैं। बिहार से सटे यूपी की 5 से 6 सीटों पर 5 से 7 फीसदी पासवान वोटर्स हैं। यह पूरा इलाका पूर्वांचल का है। पंकज चौधरी- मोदी के करीबी, 7वीं बार सांसद चुने गए पंकज चौधरी महाराजगंज से सांसद बने हैं। वह 7वीं बार सांसद चुने गए। 90 के दशक से भाजपा में हैं और चुनाव लड़ रहे हैं। 2009 में सिर्फ एक बार चुनाव हारे थे। पंकज OBC समुदाय से आते हैं। पूर्वी यूपी से हैं। इस इलाके में भाजपा को सबसे तगड़ा झटका लगा है। OBC वोटर ने भाजपा का साथ भी कम दिया। खासकर पूर्वी यूपी के कुर्मी वोटर्स, चौधरी इसी समुदाय से हैं। कुर्मी वोटर्स पूरे पूर्वांचल में प्रभावशाली हैं। चौधरी मोदी के काफी करीबी भी हैं। पिछले साल गोरखपुर दौरे के दौरान मोदी उनके घर भी अचानक पहुंच गए थे। उनके परिवार के साथ चाय भी पी थी। कीर्तिवर्धन सिंह- बृजभूषण के विकल्प, ठाकुरों की नाराजगी को दूर करना मकसद
गोंडा लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए हैं। कीर्तिवर्धन मनकापुर के पूर्व राजघराने के वारिस हैं। उनके पिता कुंवर आनंद सिंह दिग्गज कांग्रेसी नेता और सपा सरकार में भी रह चुके हैं। 1998 के मध्यावधि चुनाव में आनंद सिंह ने बेटे कीर्तिवर्धन सिंह को मैदान में उतारा। बतौर सपा उम्मीदवार वह जीते और पहली बार संसद पहुंचे। 1999 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बृजभूषण शरण सिंह ने उन्हें हरा दिया। 2004 के चुनाव में कीर्तिवर्धन सिंह सपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े और जीते। 2009 में वह बसपा में शामिल हो गए, लेकिन हार गए। 2014 में वह भाजपा में आ गए। तब से लगातार जीत रहे हैं। कीर्तिवर्धन सिंह को भाजपा बृजभूषण शरण सिंह के विकल्प के तौर पर पेश कर सकती है। क्योंकि बृजभूषण नाराज हैं। हालांकि उनके बेटे करण सिंह कैसरगंज से विजयी रहे हैं। कीर्तिवर्धन और बृजभूषण की सीटें अगल-बगल की सीटें हैं। यूपी में ठाकुर मतदाता नाराज भी बताए गए थे, इसलिए कीर्तिवर्धन के जरिए भाजपा उन्हें मैनेज भी करना चाहती है। एसपी सिंह बघेल- बृज क्षेत्र में चर्चित दलित फेस, शाह के करीबी SP सिंह बघेल आगरा सुरक्षित सीट से दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। उन्होंने सपा उम्मीदवार को 2.71 लाख वोटों के मार्जिन से हराया। पिछली मोदी सरकार में कानून और स्वास्थ्य राज्य मंत्री रहे हैं। दलित वर्ग में गड़ेरिया समुदाय से आते हैं। दलित वोट इस बार भाजपा से सपा की ओर शिफ्ट हुआ। बघेल की दलितों में अच्छी पकड़ है। शाह और संगठन के करीबी हैं। वह काशी के प्रभारी भी रह चुके हैं। हालांकि उनकी जाति को लेकर पहले विवाद रह चुका है। आरोप है कि उन्होंने नौकरी पिछड़ी जाति के तौर पर ली थी और राजनीति में अनुसूचित जाति का इस्तेमाल करने लगे। सपा में भी रह चुके हैं। जितिन प्रसाद- ब्राह्मण फेस, केंद्र में मंत्री रहने का अनुभव, शाह के करीबी जितिन प्रसाद ने पीलीभीत सीट पर सपा उम्मीवार भगवत सरन गंगवार को हराया। उन्हें वरुण गांधी का टिकट काटकर भाजपा ने टिकट दिया था। जितिन यूपी में योगी सरकार में PWD मंत्री हैं। ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। बरेली-पीलीभीत-शाहजहांपुर यानी रुहेलखंड इलाके में प्रभावशाली हैं। पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के कद्दावर नेता थे, जितिन खुद भी कांग्रेस में रह चुके हैं। मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। सियासी समीकरण साधने के लिए उन्हें मोदी सरकार में मंत्री पद दिया गया है। अमित शाह के करीबी हैं, उन्हीं के कहने पर भाजपा में शामिल हुए थे, फिर विधान परिषद के सदस्य बने और फिर मंत्री बनाए गए। भाजपा से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, इससे पहले बतौर कांग्रेस कैंडिडेट 2 चुनाव लगातार हार गए थे। बीएल वर्मा- कल्याण सिंह के शिष्य, लोध समुदाय पर पकड़ बीएल वर्मा बदायूं से आते हैं। फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं। ओबीसी में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोध समुदाय से आते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के शिष्य भी कहे जाते हैं। कल्याण सिंह भी लोध समुदाय से आते थे। बीएल वर्मा 2018 में उत्तर प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष बने। इसके बाद वह राज्यसभा के सदस्य बने। 2021 में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बीएल वर्मा को जगह मिली थी। बीएल वर्मा को राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया था। वह जिस बदायूं से आते हैं, वह सीट इस बार भाजपा हार गई है। लोध जाति यूपी में 25 जिलों की 70-80 विधानसभा सीटों पर असर डालती है। उत्तर प्रदेश में आबादी के हिसाब से लोध वोट बैंक 8 फीसदी है। अनुप्रिया पटेल- NDA की पुरानी सहयोगी, पार्टी अध्यक्ष और ओबीसी फेस
अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर सीट से तीसरी बार जीत दर्ज की है। दोनों बार मोदी सरकार में मंत्री रही हैं। NDA की पुरानी सहयोगी हैं। 2014 से भाजपा के साथ हैं। इस बार उनकी पार्टी एक ही सीट जीत सकी। 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था। अनुप्रिया कुर्मी समुदाय से आती हैं। इस बार उनकी पार्टी का वोट प्रतिशत काफी कम हुआ है। अनुप्रिया के पति आशीष पटेल योगी कैबिनेट में मंत्री हैं। चार सीटों पर पार्टी की पकड़ है। हालांकि उनकी बहन पल्लवी पटेल की अपनी अलग पार्टी है, जिसका नाम अपना दल कमेरावादी है। जिसकी वजह से भाजपा कौशांबी सीट हार भी गई और प्रतापगढ़ में काफी नुकसान हुआ। जयंत चौधरी- एनडीए के सहयोगी, जाट फेस, किसान नेता भाजपा की सहयोगी रालोद के दोनों प्रत्याशी चुनाव जीत गए। भाजपा ने गठबंधन के तहत जयंत की पार्टी को वेस्ट यूपी में बागपत और बिजनौर सीटें दी थीं। दोनों सीटें 2019 भाजपा खुद जीती थी। चुनाव से ठीक पहले जयंत NDA में शामिल हुए थे। इससे पहले उनके दादा चौ. चरण सिंह को भारत रत्न मिला था। यूपी सरकार में भी उनकी पार्टी को एक मंत्री पद, विधान परिषद की एक सीट भी भाजपा ने दी है। इससे पहले 2022 का विधानसभा चुनाव जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव के साथ मिलकर लड़ा था। अखिलेश ने ही उन्हें राज्यसभा सांसद भी बनवाया था। जयंत पश्चिम में उस इलाके से आते हैं, जो जाट और किसान बाहुल्य है। इस बार भाजपा के जाट फेस और कैबिनेट मंत्री संजीव बालियान चुनाव हार गए। जयंत भी जाट हैं। हालांकि कहा जा रहा है रालोद का वोट बैंक भाजपा को शिफ्ट नहीं हुआ और भाजपा को गठबंधन का कोई फायदा भी नहीं हुआ, इसलिए वेस्ट यूपी की कई सीटों पर नुकसान हुआ है। यही वजह है कि जयंत को एनडीए की बैठक में मंच पर जगह भी नहीं मिली। स्लाइड में मोदी कैबिनेट में यूपी…