हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान IGMC और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चमियाना शिमला के 189 डॉक्टर एक महीने की छुट्टी पर जा रहे हैं। जाहिर है, आने वाले दिनों में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। IGMC शिमला के 151 डॉक्टर और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चमियाना के 36 डॉक्टर कल से एक साथ छुट्टी पर रहेंगे। इनके ड्यूटी पर लौटने के बाद डॉक्टरों का दूसरा बैच छुट्टी पर जाएगा। इस दौरान अस्पताल का बचा हुआ 50 फीसदी स्टाफ ही ड्यूटी पर रहेगा। IGMC के वरिष्ठ MS डॉ. राहुल राव ने बताया कि डॉक्टर 2 बैच में छुट्टी पर जाएंगे। पहला बैच 26 दिसंबर और दूसरा बैच 31 जनवरी से छुट्टी करेगा। पहले बैच में 24 विभागों के डॉक्टर छुट्टी पर रहेंगे। वहीं चमियाना हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉ. सुधीर शर्मा ने बताया कि चिकित्सक दो बैच में छुट्टी करेंगे। पहले बैच में उनके 15 विभागों के 36 डॉक्टर 31 दिन तक छुट्टी पर रहेंगे। फैकल्टी मेंबर को 31 दिन की छुट्टी बता दें कि यहां हर साल डॉक्टर विंटर वेकेशन पर जाते हैं। अस्पताल के फैकल्टी मेंबर को 31 दिन, रेजिडेंट डॉक्टरों को 30 दिन की छुट्टी मिलती है। IGMC प्रशासन ने इसकी छुट्टियों का शेड्यूल जारी कर दिया है। प्रदेशभर से रेफर किए जाते है मरीज IGMC शिमला में रोजाना 3200 से 3500 मरीजों की OPD रहती है। IGMC के लिए न केवल शिमला जिला, बल्कि पूरे प्रदेश के अस्पतालों से रेफर मरीज यहां पहुंचते हैं। ऐसे में एक साथ 189 डॉक्टरों के अवकाश पर जाने से मरीजों को OPD में उपचार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। डॉक्टरों की छुट्टी के कारण सबसे ज्यादा परेशानी विशेषज्ञ डॉक्टरों की छुट्टी की वजह से उठानी पड़ेगी, क्योंकि कई गंभीर रोगियों को विशेषज्ञ डॉक्टर ही देखते हैं। हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान IGMC और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चमियाना शिमला के 189 डॉक्टर एक महीने की छुट्टी पर जा रहे हैं। जाहिर है, आने वाले दिनों में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। IGMC शिमला के 151 डॉक्टर और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चमियाना के 36 डॉक्टर कल से एक साथ छुट्टी पर रहेंगे। इनके ड्यूटी पर लौटने के बाद डॉक्टरों का दूसरा बैच छुट्टी पर जाएगा। इस दौरान अस्पताल का बचा हुआ 50 फीसदी स्टाफ ही ड्यूटी पर रहेगा। IGMC के वरिष्ठ MS डॉ. राहुल राव ने बताया कि डॉक्टर 2 बैच में छुट्टी पर जाएंगे। पहला बैच 26 दिसंबर और दूसरा बैच 31 जनवरी से छुट्टी करेगा। पहले बैच में 24 विभागों के डॉक्टर छुट्टी पर रहेंगे। वहीं चमियाना हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉ. सुधीर शर्मा ने बताया कि चिकित्सक दो बैच में छुट्टी करेंगे। पहले बैच में उनके 15 विभागों के 36 डॉक्टर 31 दिन तक छुट्टी पर रहेंगे। फैकल्टी मेंबर को 31 दिन की छुट्टी बता दें कि यहां हर साल डॉक्टर विंटर वेकेशन पर जाते हैं। अस्पताल के फैकल्टी मेंबर को 31 दिन, रेजिडेंट डॉक्टरों को 30 दिन की छुट्टी मिलती है। IGMC प्रशासन ने इसकी छुट्टियों का शेड्यूल जारी कर दिया है। प्रदेशभर से रेफर किए जाते है मरीज IGMC शिमला में रोजाना 3200 से 3500 मरीजों की OPD रहती है। IGMC के लिए न केवल शिमला जिला, बल्कि पूरे प्रदेश के अस्पतालों से रेफर मरीज यहां पहुंचते हैं। ऐसे में एक साथ 189 डॉक्टरों के अवकाश पर जाने से मरीजों को OPD में उपचार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। डॉक्टरों की छुट्टी के कारण सबसे ज्यादा परेशानी विशेषज्ञ डॉक्टरों की छुट्टी की वजह से उठानी पड़ेगी, क्योंकि कई गंभीर रोगियों को विशेषज्ञ डॉक्टर ही देखते हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में डॉक्टरों की हड़ताल जारी:OPD में लग रही लंबी लाईनें, मरीज परेशान, कोलकाता रेप कांड पर भड़के
हिमाचल में डॉक्टरों की हड़ताल जारी:OPD में लग रही लंबी लाईनें, मरीज परेशान, कोलकाता रेप कांड पर भड़के हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर की हड़ताल आज भी जारी है। इनकी हड़ताल का सेहत सेवाओं पर बुरा असर देखने को मिल रहा है। कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर घटना के विरोध में डॉक्टर काम पर लौटने को तैयार नहीं है। रेजिडेंट डॉक्टरों ने ओपीडी में सेवाएं देना बंद कर दिया है और केवल आपातकालीन सेवाएं ही दे रहे हैं। इससे मरीजों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है। ओपीडी में मरीजो को समय पर उपचार नहीं मिल रहा है। मरीजों को ओपीडी के बाहर उपचार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। मरीजों के रूटीन के ऑपरेशन भी प्रभावित हुए है। ओपीडी में 3-3 घण्टे बाद आ रहा नम्बर
मंडी जिला के सरकाघाट से उपचार को IGMC शिमला पहुंची हुसैन बेबी ने कहा कि सुबह 8:30 बजे हॉस्पिटल पहुंच गए है, लेकिन यहां बोला जा रहा है कि ओपीडी में डॉक्टर नहीं बैठेंगे। उन्हें लाइन में 2 घंटे से ज्यादा का समय बीत गया। मेडिसिन ओपीडी में पहुंचे ठियोग से राम स्वरूप शर्मा ने बताया कि सुबह 9 बजे ले लाइन में खड़े हैं। 2 घंटे हो गए। अभी तक नंबर नहीं आया। उन्होंने बताया कि अस्पताल में मरीज परेशान है। सरकार को मरीजों की सुध लेनी चाहिए। शिमला के नेरी से आए राम सिंह ने कहा कि वो अपनी पत्नी को लेकर हॉस्पिटल आए हैं, लेकिन डॉक्टर हड़ताल पर है इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। कंसल्टेंट डॉक्टर कर रहे इलाज
IGMC शिमला में राहत की बात यह है कि कंसल्टेंट ( सीनियर डॉक्टर) ड्यूटी पर हैं और रोजाना ओपीडी में मरीजों को देख रहे है। मगर इन पर भी बोझ अधिक बड़ गया है। प्रदेश के मेडिकल कालेज के अलावा दूसरे अस्पतालों में सेहत सेवाएं सुचारु रूप से चल रही है। IGMC शिमला के अलावा मेडिकल कॉलेज नेरचौक, नाहन, हमीरपुर, एम्स बिलासपुर और टांडा मेडिकल कालेज में भी हेल्थ सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है। 9 अगस्त को मिली थी लाश
बता दें कि 9 अगस्त की सुबह कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की अर्धनग्न बॉडी मिली थी। डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट, आंखों और मुंह से खून बह रहा था। उनकी गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई पाई गई थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई की रेप के बाद मर्डर किया गया। 13 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की जांच CBI सौंपीं। डॉक्टरों का आरोप है कि सबूतों से छेड़छाड़ की गई। इससे डॉक्टर सीबीआई जांच के आदेशों के बाद भी काम पर लौटने को तैयार नहीं है।
मंडी में लैंडस्लाइड से यातायात ठप:डंडों से कुर्सी बांध मरीज को अस्पताल ले गए लोग; नेता प्रतिपक्ष की विधानसभा क्षेत्र का मामला
मंडी में लैंडस्लाइड से यातायात ठप:डंडों से कुर्सी बांध मरीज को अस्पताल ले गए लोग; नेता प्रतिपक्ष की विधानसभा क्षेत्र का मामला हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में भारी बारिश से हो रहे लैंडस्लाइड से सड़कें बंद हो गई हैं। यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। मरीज को बांस के डंडों में कुर्सी बांध कर कंधे के सहारे ले जाते युवाओं का वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो को लेकर लोग भी सरकार और प्रशासन को खरी खोटी सुना रहे हैं। मामला पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर के विधानसभा क्षेत्र सराज का है। जहां बालीचौकी-करेरी सड़क मार्ग यातायात के लिए बंद है। भूस्खलन से सड़क बाधित सड़क में जगह जगह गड्ढे हो गए हैं। कई जगह भूस्खलन से सड़क बाधित है। जिस कारण एम्बुलेंस के साथ छोटे वाहनों की आवाजाही भी बंद है। इसी के चलते आपातकालीन स्थिति में लोग मरीजों को कंधे पर उठा कर अस्पताल पहुंचा रहे हैं। लोगों ने की सड़क बहाल कराने की मांग मंडी जिले के द्रंग और सराज क्षेत्र में अभी कुछ मार्ग ऐसे हैं, जो यातायात के लिए बहाल नहीं हो पाए हैं। ऐसे में लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों ने प्रशासन और सरकार से सड़कों को बहाल करने की मांग की है।
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हिमाचल प्रदेश में सीजन की पहली बर्फबारी:प्रदेश में बढ़ी ठंड, मैदानी इलाकों में बारिश के लिए तरसे लोग, आज से 5 दिन तक मौसम साफ हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में शनिवार को बर्फबारी हुई। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल अटल टनल रोहतांग और उसके आसपास के इलाकों में सीजन की पहली बर्फबारी हुई है। बर्फबारी से प्रदेश में ठंड बढ़ गई है। कुल्लू-मनाली के रोहतांग, गुलाबा और स्पीति के ऊंचे इलाकों में घूमने आए पर्यटक शाम को बर्फ गिरते ही रोमांचित हो गए। बर्फबारी पर्यटकों और पर्यटन कारोबारियों के लिए अच्छी और राहत भरी खबर है। बता दें कि कुल्लू जिले की ऊंची चोटियों पर यह सीजन की पहली बर्फबारी है, जबकि किन्नौर जिले में 12 सितंबर को हल्की बर्फबारी हो चुकी है। मौसम विभाग ने शनिवार को प्रदेश के कुल्लू, लाहौल स्पीति, चंबा और कांगड़ा के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी की संभावना जताई थी। लेकिन आज से एक बार फिर अगले 4 से 5 दिनों तक पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। शनिवार को ऊंचाई वाले इलाकों में जरूर बर्फबारी हो रही है। लेकिन प्रदेश के अन्य इलाकों में मौसम साफ बना हुआ है। बारिश और बर्फबारी से पहले ही प्रदेश के 4 शहरों का तापमान माइनस में चला गया है। ऐसे में बर्फबारी से तापमान में और गिरावट आएगी। इन शहरों का पारा माइनस में लाहौल स्पीति के ताबो का न्यूनतम तापमान माइनस 8.7 डिग्री सेल्सियस तक लुढक गया है। समदो का माइनस 1.3 डिग्री, कुकुमसैरी का 4.1 डिग्री और कल्पा में तापमान शून्य तक पहुंच गया है , केलांग का न्यूनतम तापमान 2.0 डिग्री तक गिर चुका है। मौसम विभाग ने प्रदेश भर में 24 और 25 नवम्बर को मौसम के ड्राई रहने का पूर्वानुमान लगाया है। वहीं 26 तारीख से प्रदेश के मंडी और बिलासपुर जिला के कुछ स्थानों पर धुंध का यलो अलर्ट जारी किया है। विभाग के अनुसार धुंध की वजह से विजिबिलिटी 50 मीटर से भी नीचे गिर सकती है। इसे देखते हुए वाहन चालकों को सावधानी से गाड़ी चलाने की सलाह दी गई है। किसानों पर सूखे की सबसे ज्यादा मार हिमाचल प्रदेश में भले ऊंचे क्षेत्रों में बर्फ गिर रही है। मगर अन्य क्षेत्रों में ड्राइ स्पेल नहीं टूट रहा। प्रदेशवासी 53 दिन से बारिश के इंतजार में है। इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है। सूखे के कारण 63 फीसदी जमीन पर किसान गेहूं की बुआई नहीं कर पाए हैं। प्रदेश में इसकी बुवाई का उचित समय एक सप्ताह पहले निकल चुका है।अब नदी नालों में भी जल स्तर गिरने लगा है। इससे पेयजल और सिंचाई योजनाओं पर भी पानी कम होने लगा है। नदी नालों में पानी कम होने से बिजली का उत्पादन पर भी असर पड़ा है।