Janmashtami 2024: जन्माष्टमी के पर्व पर यमुना का विशेष महत्व, इसी नदी को पार कर गोकुल पहुंचे थे श्री कृष्ण

Janmashtami 2024: जन्माष्टमी के पर्व पर यमुना का विशेष महत्व, इसी नदी को पार कर गोकुल पहुंचे थे श्री कृष्ण

<p style=”text-align: justify;”><strong>Janmashtami 2024</strong>: ब्रज के सबसे बड़े त्यौहार जन्माष्टमी के पर्व पर कल-कल बहने वाली यमुना नदी का विशेष महत्व माना जाता है. क्योंकि भगवान श्री कृष्ण यमुना नदी को पार गोकुल पहुंचे थे और फिर नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाला की गूंज सुनाई देने लगी थी .ब्रजभूमि मथुरा में आज महोत्सव की धूम है क्योंकि ब्रजवासियों के लाला यानी कि भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का मौका है. ब्रजभूमि मथुरा नगरी को बहुत ही सुंदर सजाया गया है, मंदिर चौराहे सभी सज कर तैयार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ब्रज के लाला के स्वागत लिए ब्रजभूमि पर बड़ी संख्या भक्त श्रद्धालु पहुंच चुके है और अपने आराध्य भगवान श्री कृष्ण की एक झलक पाने की लालसा लिए श्रद्धालु आए है. भक्त श्रद्धालु लाला के दर्शन की अभिलाषा लिए आए है. जन्माष्टमी के पावन पर्व पर मथुरा से होकर बहने वाले यमुना नदी का विशेष महत्व माना जाता है. मान्यता है कि जन्माष्टमी के पर्व पर यमुना नदी का स्वरूप बदल जाता है , यमुना नदी उसी तरह से नजर आती है जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जन्माष्टमी के दिन यमुना नदी में चमक</strong><br />जन्माष्टमी के दिन यमुना नदी में एक चमक नजर आती है और भगवान के जन्म के अवसर पर कल कल बहने वाली यमुना नदी भगवान श्री कृष्ण के चरण स्पर्श करने आई थी. जब कंस की जेल में भगवान का जन्म हुआ था और कंस कहीं श्री कृष्ण के लिए खतरा न बन जाए इसलिए वासुदेव जी कंस के कारागार से निकले थे. कंस के कारागार के ताले खुद खुल गए थे और वासुदेव जी भगवान के बाल स्वरूप को टोकरी में लेकर चले दिए थे. कंस के कारागार से निकलकर वासुदेव जी को गोकुल जाना था और रास्ते में यमुना नदी को पार करना था, वासुदेव जी यमुना नदी में उतर गए .</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यमुना घाट पर देवकी वासुदेव प्राचीन मंदिर</strong><br />जब भगवान श्री कृष्ण यमुना नदी से होकर जा रहे थे तो यमुना नदी भगवान के चरण स्पर्श करने लिए चढ़ने लगी थी. यमुना नदी की धार तेज हो गई, जिससे वासुदेव जी के सर तक पानी पहुंच गया. फिर यमुना नदी ने भगवान के चरण को स्पर्श किया और यमुना नदी के बीच में रास्ता बन गया .यमुना नदी पार कर भगवान गोकुल पहुंचे और नंद बाबा के घर बधाई बजने लगी. मथुरा में यमुना नदी किनारे पर प्राचीन वासुदेव घाट है और घाट पर देवकी वासुदेव प्राचीन मंदिर स्थित है. यह वही घाट है, जहां से वासुदेव जी भगवान के बाल स्वरूप को लेकर यमुना नदी पार कर गोकुल पहुंचे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>&nbsp;ब्रज के लिए जन्माष्टमी का पर्व महापर्व&nbsp;</strong><br />इस वासुदेव घाट का जन्माष्टमी पर विशेष महत्व होता है.यमुना नदी के वासुदेव घाट के बने प्राचीन देवकी वासुदेव मंदिर के महंत राजेश पंडित ने बताया कि यह मंदिर उसी दौर को दर्शाता है. जब भगवान को लेकर वासुदेव जी यमुना नदी को पार कर रहे थे. मंदिर में देवकी और वासुदेव की प्राचीन प्रतिमा है. वासुदेव जी उसी रूप में नजर आते है, जब टोकरी में भगवान श्री कृष्ण को लेकर चले थे. हमारी मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन यमुना नदी में एक चमक होती है. यमुना नदी में भगवान श्री कृष्ण को अपना पति माना था, ब्रज के लिए जन्माष्टमी का पर्व महापर्व होता है.</p>
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<p style=”text-align: justify;”>ब्रज के लाला के स्वागत लिए ब्रजभूमि पर बड़ी संख्या भक्त श्रद्धालु पहुंच चुके है और अपने आराध्य भगवान श्री कृष्ण की एक झलक पाने की लालसा लिए श्रद्धालु आए है. भक्त श्रद्धालु लाला के दर्शन की अभिलाषा लिए आए है. जन्माष्टमी के पावन पर्व पर मथुरा से होकर बहने वाले यमुना नदी का विशेष महत्व माना जाता है. मान्यता है कि जन्माष्टमी के पर्व पर यमुना नदी का स्वरूप बदल जाता है , यमुना नदी उसी तरह से नजर आती है जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जन्माष्टमी के दिन यमुना नदी में चमक</strong><br />जन्माष्टमी के दिन यमुना नदी में एक चमक नजर आती है और भगवान के जन्म के अवसर पर कल कल बहने वाली यमुना नदी भगवान श्री कृष्ण के चरण स्पर्श करने आई थी. जब कंस की जेल में भगवान का जन्म हुआ था और कंस कहीं श्री कृष्ण के लिए खतरा न बन जाए इसलिए वासुदेव जी कंस के कारागार से निकले थे. कंस के कारागार के ताले खुद खुल गए थे और वासुदेव जी भगवान के बाल स्वरूप को टोकरी में लेकर चले दिए थे. कंस के कारागार से निकलकर वासुदेव जी को गोकुल जाना था और रास्ते में यमुना नदी को पार करना था, वासुदेव जी यमुना नदी में उतर गए .</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यमुना घाट पर देवकी वासुदेव प्राचीन मंदिर</strong><br />जब भगवान श्री कृष्ण यमुना नदी से होकर जा रहे थे तो यमुना नदी भगवान के चरण स्पर्श करने लिए चढ़ने लगी थी. यमुना नदी की धार तेज हो गई, जिससे वासुदेव जी के सर तक पानी पहुंच गया. फिर यमुना नदी ने भगवान के चरण को स्पर्श किया और यमुना नदी के बीच में रास्ता बन गया .यमुना नदी पार कर भगवान गोकुल पहुंचे और नंद बाबा के घर बधाई बजने लगी. मथुरा में यमुना नदी किनारे पर प्राचीन वासुदेव घाट है और घाट पर देवकी वासुदेव प्राचीन मंदिर स्थित है. यह वही घाट है, जहां से वासुदेव जी भगवान के बाल स्वरूप को लेकर यमुना नदी पार कर गोकुल पहुंचे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>&nbsp;ब्रज के लिए जन्माष्टमी का पर्व महापर्व&nbsp;</strong><br />इस वासुदेव घाट का जन्माष्टमी पर विशेष महत्व होता है.यमुना नदी के वासुदेव घाट के बने प्राचीन देवकी वासुदेव मंदिर के महंत राजेश पंडित ने बताया कि यह मंदिर उसी दौर को दर्शाता है. जब भगवान को लेकर वासुदेव जी यमुना नदी को पार कर रहे थे. मंदिर में देवकी और वासुदेव की प्राचीन प्रतिमा है. वासुदेव जी उसी रूप में नजर आते है, जब टोकरी में भगवान श्री कृष्ण को लेकर चले थे. हमारी मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन यमुना नदी में एक चमक होती है. यमुना नदी में भगवान श्री कृष्ण को अपना पति माना था, ब्रज के लिए जन्माष्टमी का पर्व महापर्व होता है.</p>
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