<p style=”text-align: justify;”><strong>Jharkhand Latest News:</strong> झारखंड के संथाल परगना में कोयले का भंडार है और इसी कोयले के भंडार का उपयोग कर भारत सरकार राज्य सरकार के सहयोग से झारखंड में विकास की गति तेज करना चाहती है. भारत सरकार कोयले का आयात कर बिजली के उत्पादन में इसका उपयोग करती है. फिलहाल अब झारखंड के संताल परगना में पाये जाने वाले इस कोयले को ना केवल बिजली के उत्पादन में लगायेगी, बल्कि अब यहां का कोयला नेपाल, म्यांमार और बंगलादेश सहित अन्य देशों को इसका निर्यात करेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ईसीएल और कोयला मंत्रालय के डायरेक्टर डॉ मानिक चंद्र पंडित ने दुमका में एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि संथाल कोयले के उपयोग से आत्मनिर्भर बनने की दौड़ में है. इसके लिए भारत सरकार ने काम भी शुरू कर दिया है. इसमें दुमका जिले के शिकारिपाड़ा प्रखंड के अंमड़ाकुंडा में कोल ब्लॉक की निलामी की गई. जबकि जामताड़ा के आस्ता ब्लॉक में कोकिंग गैस के लिए ड्रिलिंग शुरू हो गई है. साथ ही राजमहल में भी परियोजना का काम शुरू कर दिया गया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि भविष्य में बिजली बनाने के लिए दुमका में भी संयत्र लगाने की योजना है. गोड्डा में यहां के कोयले से बिजली उत्पादन कर बंगलादेश भेजा जा रहा है, जबकि झारखंड के कोयले से पश्चिम बंगाल, पंजाब सहित अन्य कई प्रदेश रोशन हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोयला देश में आर्थिक विकास के लिए सबसे बड़ा योगदान देता है, क्योंकि ऊर्जा के लिए 50% से ज्यादा कोयले की जरूरत है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इस साल 52 मिलियन उत्पादन का लक्ष्य</strong><br />उन्होंने कहा कि सीमेंट फर्टिलाइजर, पेपर बल्ब और अन्य छोटे-छोटे उद्योग हैं, जिसमें कोल की जरूरत होती है. पिछले वित्तीय वर्ष में ईसीएल लगभग 48 मिलियन के आस पास कोल का उत्पादन किया था. अब इस वित्तीय वर्ष में 52 मिलियन या उससे ज्यादा उत्पादन करने का लक्ष्य है. वहीं धनबाद के बाद संथाल में मिले कोयले के भंडार से क्या बिजली पावर के साथ विदेशों में भी कोयले की सप्लाई होगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे किस्म के कोल है जिसका उत्पादन हमारे देश में अभी कम हो रहा है. यही वजह है अभी भी जरूरत के हिसाब से आयात किया जा रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>विदेशों में कोयला इंपोर्ट करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी सरकार के विदेश नीति के तहत (बाय लैटरल पॉलिसी के तहत ) बांग्लादेश को एनर्जी सप्लाई की जा रही है. फिलहाल अभी इंपोर्ट का ज्यादा पोटेंशियल नहीं है. दरअसल, स्टडी के अनुसार 15-20 मिलियन टन कोयला बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार इन सब देशों को हम एक्सपोर्ट कर सकते हैं. ऐसे में पिछले वित्तीय वर्ष 264 मिलियन टन कोयला इंपोर्ट हुआ था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं संताल परगना कोयले का हब है तो क्या आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में पावर प्लांट बनेगा और क्या सरकार को बेहतर राजस्व देने वाला क्षेत्र बन सकता है के सवाल पर उन्होंने कहा कि संथाल में कोयला प्रचुर मात्रा में है और उसे डेवलप किया जा रहा है. स्कूल माइंस की प्रगति होगी सरकार उस पर विचार कर रही है कि यहां पावर प्लांट भी लगाया जा सकता है. संथाल परगना कोयला का हब है और सरकार को बढ़िया राजस्व दे सकती है. देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा प्रदान कर सकती है. हमें आशा है आने वाले दिनों में संथाल परगना देश में एक बेहतर स्थान प्राप्त कर लेगा.</p>
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<p><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”काशी विश्वनाथ और मां विंध्यवासिनी के दर्शन करने पहुंचे झारखंड सीएम हेमंत सोरेन, कहा- ‘6 महीने जेल में रहने पर…” href=”https://www.abplive.com/states/jharkhand/jharkhand-cm-hemant-soren-kashi-vishwanath-darshan-talks-highly-about-varanasi-and-jail-time-2737231″ target=”_blank” rel=”noopener”>काशी विश्वनाथ और मां विंध्यवासिनी के दर्शन करने पहुंचे झारखंड सीएम हेमंत सोरेन, कहा- ‘6 महीने जेल में रहने पर…'</a></strong></p>
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<p style=”text-align: justify;”>ईसीएल और कोयला मंत्रालय के डायरेक्टर डॉ मानिक चंद्र पंडित ने दुमका में एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि संथाल कोयले के उपयोग से आत्मनिर्भर बनने की दौड़ में है. इसके लिए भारत सरकार ने काम भी शुरू कर दिया है. इसमें दुमका जिले के शिकारिपाड़ा प्रखंड के अंमड़ाकुंडा में कोल ब्लॉक की निलामी की गई. जबकि जामताड़ा के आस्ता ब्लॉक में कोकिंग गैस के लिए ड्रिलिंग शुरू हो गई है. साथ ही राजमहल में भी परियोजना का काम शुरू कर दिया गया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि भविष्य में बिजली बनाने के लिए दुमका में भी संयत्र लगाने की योजना है. गोड्डा में यहां के कोयले से बिजली उत्पादन कर बंगलादेश भेजा जा रहा है, जबकि झारखंड के कोयले से पश्चिम बंगाल, पंजाब सहित अन्य कई प्रदेश रोशन हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोयला देश में आर्थिक विकास के लिए सबसे बड़ा योगदान देता है, क्योंकि ऊर्जा के लिए 50% से ज्यादा कोयले की जरूरत है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इस साल 52 मिलियन उत्पादन का लक्ष्य</strong><br />उन्होंने कहा कि सीमेंट फर्टिलाइजर, पेपर बल्ब और अन्य छोटे-छोटे उद्योग हैं, जिसमें कोल की जरूरत होती है. पिछले वित्तीय वर्ष में ईसीएल लगभग 48 मिलियन के आस पास कोल का उत्पादन किया था. अब इस वित्तीय वर्ष में 52 मिलियन या उससे ज्यादा उत्पादन करने का लक्ष्य है. वहीं धनबाद के बाद संथाल में मिले कोयले के भंडार से क्या बिजली पावर के साथ विदेशों में भी कोयले की सप्लाई होगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे किस्म के कोल है जिसका उत्पादन हमारे देश में अभी कम हो रहा है. यही वजह है अभी भी जरूरत के हिसाब से आयात किया जा रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>विदेशों में कोयला इंपोर्ट करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी सरकार के विदेश नीति के तहत (बाय लैटरल पॉलिसी के तहत ) बांग्लादेश को एनर्जी सप्लाई की जा रही है. फिलहाल अभी इंपोर्ट का ज्यादा पोटेंशियल नहीं है. दरअसल, स्टडी के अनुसार 15-20 मिलियन टन कोयला बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार इन सब देशों को हम एक्सपोर्ट कर सकते हैं. ऐसे में पिछले वित्तीय वर्ष 264 मिलियन टन कोयला इंपोर्ट हुआ था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं संताल परगना कोयले का हब है तो क्या आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में पावर प्लांट बनेगा और क्या सरकार को बेहतर राजस्व देने वाला क्षेत्र बन सकता है के सवाल पर उन्होंने कहा कि संथाल में कोयला प्रचुर मात्रा में है और उसे डेवलप किया जा रहा है. स्कूल माइंस की प्रगति होगी सरकार उस पर विचार कर रही है कि यहां पावर प्लांट भी लगाया जा सकता है. संथाल परगना कोयला का हब है और सरकार को बढ़िया राजस्व दे सकती है. देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा प्रदान कर सकती है. हमें आशा है आने वाले दिनों में संथाल परगना देश में एक बेहतर स्थान प्राप्त कर लेगा.</p>
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