LDA समेत सभी प्राधिकरणों को पक्षकार बनाया:अंसल मामले में NCLT ने फैसला सुनाया, होम बायर्स के हित में आदेश दिया

LDA समेत सभी प्राधिकरणों को पक्षकार बनाया:अंसल मामले में NCLT ने फैसला सुनाया, होम बायर्स के हित में आदेश दिया

लखनऊ में हाईटेक टाउनशिप नीति के विपरीत काम करते हुए होम बायर्स के साथ धोखाधड़ी करने वाले अंसल ग्रुप की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एनसीएलएटी ने संज्ञान एलडीए समेत सभी प्राधिकरणों को मामले में पक्षकार बनने की अनुमति दी है। एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लाॅ ट्रिब्यूनल) ने अंसल ग्रुप को दिवालिया घोषित करते हुए आईआरपी (इंट्रिम रिजाॅल्यूशन प्रोफेशनल) नियुक्त किया है। इससे अंसल की परियोजनाओं में भूखण्ड, फ्लैट, विला और व्यवसायिक संपत्तियों में निवेश करने वाले हजारों निवेशकों की पूंजी फंस गई है। होम बायर्स का हित ध्यान रखा इनमें कई ऐसे आवंटी हैं, जिन्हें कंपनी ने वर्ष 2009 में भूखण्ड बेचे, लेकिन अब तक कब्जा नहीं दिया। एनसीएलटी ने अंसल को दिवालिया घोषित करने का फैसला सुनाते समय लखनऊ विकास प्राधिकरण, आवास विभाग समेत किसी भी शासकीय विभाग को न तो कोई नोटिस दी और न ही पक्ष सुना गया। इससे अंसल पर शासकीय विभागों की देयता के साथ ही होम बायर्स का हित भी फंस गया है। सीएम ने लिया था संज्ञान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए अंसल ग्रुप के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिये थे। इसके बाद एलडीए ने FIR दर्ज करवाई थी। साथ ही एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ एनसीएलएटी (नेशनल कंपनी लाॅ अपीलीय ट्रिब्यूनल) में पैरवी की। प्राधिकरण व राज्य सरकार का रखा पक्ष मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अभिषेक चैधरी एवं संजीव कुमार दुबे ने एनसीएलएटी में प्राधिकरण व राज्य सरकार का पक्ष रखा। जिसमें एनसीएलएटी ने सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए सभी प्राधिकरणों को अंसल मामले में पक्षकार बनने की अनुमति दी है। एनसीएलएटी ने प्राधिकरणों को शपथ पत्र के साथ सभी तथ्यों को रिकाॅर्ड पर लाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई आगामी 15 अप्रैल को होगी। लखनऊ में हाईटेक टाउनशिप नीति के विपरीत काम करते हुए होम बायर्स के साथ धोखाधड़ी करने वाले अंसल ग्रुप की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एनसीएलएटी ने संज्ञान एलडीए समेत सभी प्राधिकरणों को मामले में पक्षकार बनने की अनुमति दी है। एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लाॅ ट्रिब्यूनल) ने अंसल ग्रुप को दिवालिया घोषित करते हुए आईआरपी (इंट्रिम रिजाॅल्यूशन प्रोफेशनल) नियुक्त किया है। इससे अंसल की परियोजनाओं में भूखण्ड, फ्लैट, विला और व्यवसायिक संपत्तियों में निवेश करने वाले हजारों निवेशकों की पूंजी फंस गई है। होम बायर्स का हित ध्यान रखा इनमें कई ऐसे आवंटी हैं, जिन्हें कंपनी ने वर्ष 2009 में भूखण्ड बेचे, लेकिन अब तक कब्जा नहीं दिया। एनसीएलटी ने अंसल को दिवालिया घोषित करने का फैसला सुनाते समय लखनऊ विकास प्राधिकरण, आवास विभाग समेत किसी भी शासकीय विभाग को न तो कोई नोटिस दी और न ही पक्ष सुना गया। इससे अंसल पर शासकीय विभागों की देयता के साथ ही होम बायर्स का हित भी फंस गया है। सीएम ने लिया था संज्ञान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए अंसल ग्रुप के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिये थे। इसके बाद एलडीए ने FIR दर्ज करवाई थी। साथ ही एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ एनसीएलएटी (नेशनल कंपनी लाॅ अपीलीय ट्रिब्यूनल) में पैरवी की। प्राधिकरण व राज्य सरकार का रखा पक्ष मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अभिषेक चैधरी एवं संजीव कुमार दुबे ने एनसीएलएटी में प्राधिकरण व राज्य सरकार का पक्ष रखा। जिसमें एनसीएलएटी ने सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए सभी प्राधिकरणों को अंसल मामले में पक्षकार बनने की अनुमति दी है। एनसीएलएटी ने प्राधिकरणों को शपथ पत्र के साथ सभी तथ्यों को रिकाॅर्ड पर लाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई आगामी 15 अप्रैल को होगी।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर