<p style=”text-align: justify;”><strong>Mahoba News:</strong> महोबा कलेक्ट्रेट में मंगलवार को दिव्यांग कल्याण समिति के बैनर तले एक अनूठा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला. दिव्यांगों ने अपनी मांगों को लेकर एक अलग अंदाज में आवाज उठाई. प्रदर्शनकारी अपने हाथों में कटोरा लेकर हारमोनियम, ढोलक की धुन पर अपनी मांगों को उठाया. कलेक्ट्रेट परिसर में दिव्यांगों को प्रदर्शन करता देख हर आचंभित था. प्रदर्शनकारियों ने योजनाओं का लाभ न मिलने का आरोप लगाया. प्रदर्शन के दौरान दिव्यांगों ने “हमारा हक जो खाएगा, हम जैसा हो जाएगा” जैसे नारे लगाए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रदर्शनकारियों ने कुल 11 मांगों का एक ज्ञापन तैयार किया, जिसे मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी को सौंपा गया. कलेक्ट्रेट में हाथों में कटोरा लेकर मांगों की भीख मांगी गई. संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष मुकेश कुमार भारती, कुंवरलाल सुदर्शन, कालका प्रसाद साक्षी आदि ने बताया कि उनकी जायज मांगे लंबे अरसे से पूरी नहीं हो रही हैं. इसलिए कटोरा लेकर भीख मांगने निकले हैं, ताकि शासन प्रशासन हमारी मांगों को भीख में ही दें दें. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रदर्शन में दिखा रचनात्मक अभिव्यक्ति का दिखा उदाहरण</strong><br />महोबा कलेक्ट्रेट परिसर में दिव्यांगों का यह प्रदर्शन इसलिए भी विशेष था, क्योंकि दिव्यांगों ने अपनी मांगों को रखने के लिए संगीत और लोक कला का सहारा लिया, जो उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति का एक अनूठा उदाहरण बन गया. इस अनूठे विरोध प्रदर्शन ने प्रशासन का ध्यान दिव्यांगों की समस्याओं की ओर आकर्षित कराया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दिव्यांग कल्याण समिति दिव्यांगों के हित में चल रही योजनाओं का लाभ न मिलने से वह आहत है. ग्रामीण क्षेत्रों में दिव्यांगों के लिए आवास आवंटित हुए थे लेकिन इस योजना से भी उन्हें दूर रखा गया. साथ ही समय से उन्हें पेंशन भी नहीं जा रही है, जिससे उन्हें मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि दिव्यांगों के प्रदर्शन पर अभी तक किसी जिम्मेदार अधिकारी का बयान सामने नहीं आया है. अब देखना यह होगा कि इन दिव्यांगों की मांगों को कब पूरा किया जाएगा या फिर एक बार इनके हाथ सिर्फ निराशा ही लगने वाली है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/shankaracharya-avimukteshwarananda-replied-to-rambhadracharya-said-he-is-not-indifferent-to-power-2877282″><strong>रामभद्राचार्य पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का पलटवार, कहा- वह सत्ता के प्रति निर्मोही…</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Mahoba News:</strong> महोबा कलेक्ट्रेट में मंगलवार को दिव्यांग कल्याण समिति के बैनर तले एक अनूठा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला. दिव्यांगों ने अपनी मांगों को लेकर एक अलग अंदाज में आवाज उठाई. प्रदर्शनकारी अपने हाथों में कटोरा लेकर हारमोनियम, ढोलक की धुन पर अपनी मांगों को उठाया. कलेक्ट्रेट परिसर में दिव्यांगों को प्रदर्शन करता देख हर आचंभित था. प्रदर्शनकारियों ने योजनाओं का लाभ न मिलने का आरोप लगाया. प्रदर्शन के दौरान दिव्यांगों ने “हमारा हक जो खाएगा, हम जैसा हो जाएगा” जैसे नारे लगाए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रदर्शनकारियों ने कुल 11 मांगों का एक ज्ञापन तैयार किया, जिसे मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी को सौंपा गया. कलेक्ट्रेट में हाथों में कटोरा लेकर मांगों की भीख मांगी गई. संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष मुकेश कुमार भारती, कुंवरलाल सुदर्शन, कालका प्रसाद साक्षी आदि ने बताया कि उनकी जायज मांगे लंबे अरसे से पूरी नहीं हो रही हैं. इसलिए कटोरा लेकर भीख मांगने निकले हैं, ताकि शासन प्रशासन हमारी मांगों को भीख में ही दें दें. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रदर्शन में दिखा रचनात्मक अभिव्यक्ति का दिखा उदाहरण</strong><br />महोबा कलेक्ट्रेट परिसर में दिव्यांगों का यह प्रदर्शन इसलिए भी विशेष था, क्योंकि दिव्यांगों ने अपनी मांगों को रखने के लिए संगीत और लोक कला का सहारा लिया, जो उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति का एक अनूठा उदाहरण बन गया. इस अनूठे विरोध प्रदर्शन ने प्रशासन का ध्यान दिव्यांगों की समस्याओं की ओर आकर्षित कराया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दिव्यांग कल्याण समिति दिव्यांगों के हित में चल रही योजनाओं का लाभ न मिलने से वह आहत है. ग्रामीण क्षेत्रों में दिव्यांगों के लिए आवास आवंटित हुए थे लेकिन इस योजना से भी उन्हें दूर रखा गया. साथ ही समय से उन्हें पेंशन भी नहीं जा रही है, जिससे उन्हें मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि दिव्यांगों के प्रदर्शन पर अभी तक किसी जिम्मेदार अधिकारी का बयान सामने नहीं आया है. अब देखना यह होगा कि इन दिव्यांगों की मांगों को कब पूरा किया जाएगा या फिर एक बार इनके हाथ सिर्फ निराशा ही लगने वाली है.</p>
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