<p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan Latest News:</strong> राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली ने हत्या के आरोप में जेल में बंद आरोपी ममता की जमानत याचिका शनिवार को मंजूर कर लिया. आरोपियों की ओर से अधिवक्ता खुशी शर्मा ने याचिका पेश करते हुए बताया कि हत्या जैसे संगीन आरोप में जेल में पिछले 2 साल 7 माह से आरोपी जेल में बंद है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अधिवक्ता खुशी शर्मा ने अदालत को बताया कि प्रार्थी 2 साल 7 माह से न्यायिक हिरासत में है. महिला के परिवार में बच्चों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है. ऐसे में उसके साथ चार वर्ष का उसका नाबालिग पुत्र भी जेल में है. दूसरा नाबालिक पुत्र भी बाल सम्प्रेषण गृह में है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हत्यारोपी ममता की वकील ने अदालत से कहा, ’दोनों बच्चों की जिम्मेदारी ममता पर ही है. ममता ही एक मात्र दोनों की संरक्षक है. दूसरा कोई भी व्यक्ति उसके नाबालिग पुत्रों की परवरिश और देखरेख करने के लिए सक्षम नहीं है. नाबालिग पुत्रों के स्वतंत्रता और जीवन जीने के अधिकार भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त है. मां पर आरोप लगने से दो-दो नाबालिग बच्चे को कैद में रहना पड़े तो उसके जीवन जीने के संवैधानिक अधिकारों का क्या होगा सर?</p>
<p style=”text-align: justify;”>ममता के उस अधिकार का इस मामले में हनन हो रहा है. इतना ही नहीं, दोनों बच्चे का शिक्षा और स्वास्थ्य आदि के मौलिक अधिकारों से वंचित हैं. आरोपी ममता एक गरीब महिला है. उसका कोई जमानत मुचलके पेश करने के लिए दूसरा व्यक्ति भी जान पहचान का नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वकील ने धारा 437 का भी दिया था हवाला </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अधिवक्ता खुशी शर्मा ने न्यायालय को यह भी अवगत कराया कि आरोपी महिला है. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 437 में महिला के लिए विशेष प्रावधान जमानत पर रिहा करने के लागू होते हैं. दोनों नाबालिग पुत्रों और समाज के कमजोर और गरीब वर्ग और शारीरिक रूप से असक्षम व्यक्तियों के लिए न्यायालय के समक्ष विशेष प्रावधान और विशेषाधिकार उपलब्ध हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हत्या के इस मामले में सुनवाई पूरी होने में काफी समय लगने की संभावना है. ऐसे में हत्यारोपी ममता और उसके नाबालिग पुत्रों को हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 50 हजार रुपये के स्वयं के मुचलके पर जमानत मंजूर करते हुए राहत दी है. इस मामले में ममता का पति अभी भी जेल में बंद है. उसे अभी जमानत नहीं मिली है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/FxT36mgROKU?si=_TyBdUhFmBk2UqJn” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan Latest News:</strong> राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली ने हत्या के आरोप में जेल में बंद आरोपी ममता की जमानत याचिका शनिवार को मंजूर कर लिया. आरोपियों की ओर से अधिवक्ता खुशी शर्मा ने याचिका पेश करते हुए बताया कि हत्या जैसे संगीन आरोप में जेल में पिछले 2 साल 7 माह से आरोपी जेल में बंद है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अधिवक्ता खुशी शर्मा ने अदालत को बताया कि प्रार्थी 2 साल 7 माह से न्यायिक हिरासत में है. महिला के परिवार में बच्चों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है. ऐसे में उसके साथ चार वर्ष का उसका नाबालिग पुत्र भी जेल में है. दूसरा नाबालिक पुत्र भी बाल सम्प्रेषण गृह में है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हत्यारोपी ममता की वकील ने अदालत से कहा, ’दोनों बच्चों की जिम्मेदारी ममता पर ही है. ममता ही एक मात्र दोनों की संरक्षक है. दूसरा कोई भी व्यक्ति उसके नाबालिग पुत्रों की परवरिश और देखरेख करने के लिए सक्षम नहीं है. नाबालिग पुत्रों के स्वतंत्रता और जीवन जीने के अधिकार भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त है. मां पर आरोप लगने से दो-दो नाबालिग बच्चे को कैद में रहना पड़े तो उसके जीवन जीने के संवैधानिक अधिकारों का क्या होगा सर?</p>
<p style=”text-align: justify;”>ममता के उस अधिकार का इस मामले में हनन हो रहा है. इतना ही नहीं, दोनों बच्चे का शिक्षा और स्वास्थ्य आदि के मौलिक अधिकारों से वंचित हैं. आरोपी ममता एक गरीब महिला है. उसका कोई जमानत मुचलके पेश करने के लिए दूसरा व्यक्ति भी जान पहचान का नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वकील ने धारा 437 का भी दिया था हवाला </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अधिवक्ता खुशी शर्मा ने न्यायालय को यह भी अवगत कराया कि आरोपी महिला है. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 437 में महिला के लिए विशेष प्रावधान जमानत पर रिहा करने के लागू होते हैं. दोनों नाबालिग पुत्रों और समाज के कमजोर और गरीब वर्ग और शारीरिक रूप से असक्षम व्यक्तियों के लिए न्यायालय के समक्ष विशेष प्रावधान और विशेषाधिकार उपलब्ध हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हत्या के इस मामले में सुनवाई पूरी होने में काफी समय लगने की संभावना है. ऐसे में हत्यारोपी ममता और उसके नाबालिग पुत्रों को हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 50 हजार रुपये के स्वयं के मुचलके पर जमानत मंजूर करते हुए राहत दी है. इस मामले में ममता का पति अभी भी जेल में बंद है. उसे अभी जमानत नहीं मिली है.</p>
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Rajasthan: ‘उठे बच्चों के जीवन के अधिकार का सवाल’, जवाब में हाईकोर्ट ने हत्यारोपी महिला को दी जमानत
