<p style=”text-align: justify;”><strong>Sawan Somwar 2024:</strong> छत्तीसगढ़ का बस्तर अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यहां की वॉटरफॉल्स, घने जंगल और नैसर्गिक गुफाएं अद्भुत हैं. दरअसल, दंडकारण्य क्षेत्र बस्तर को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है. आदिकाल से यहां के रहवासी भगवान शिव के उपासक रहे हैं. यही वजह है कि बस्तर में भगवान शिव के सैकड़ों मंदिर हैं और उनमें से एक प्रसिद्ध स्थल है ‘कैलाश गुफा’.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कैलाश गुफा को छत्तीसगढ़ का पाताल लोक भी कहा जाता है. यहां प्राकृतिक रूप से भगवान शिव की लिंग स्थापित है. पुरानी मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान इसी कैलाश गुफा में कई दिनों तक भगवान शिव की उपासना की थी. इस वजह से यह जगह काफी प्रसिद्ध है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कांगेर वैली नेशनल पार्क में मौजूद कैलाश गुफा यहां देश दुनिया से पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए भी मुख्य आकर्षण का केंद्र रहती है, लेकिन वही बस्तर के रहवासियों के लिए यह गुफा भगवान शिव के प्रति आस्था का प्रतीक है. इस वजह से सावन सोमवार और महाशिवरात्रि के मौके पर सैकड़ों की संख्या में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/08/05/2cc9171c69a8c22193ce1e50dbec1a8f1722848015029584_original.jpg” /></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कैलाश गुफा में भगवान श्रीराम ने किया था जलाभिषेक </strong><br />बस्तर के जानकार विजय भारत बताते हैं कि बस्तर में आदिकाल से ही यहां के आदिवासी भगवान शिव के उपासक रहे हैं और सदियों से उनकी पूजा करते आ रहे हैं. पूरे बस्तर संभाग में हजारों की संख्या में भगवान शिव का मंदिर है. बस्तर के आदिवासियों की भगवान शिव के प्रति काफी गहरी आस्था है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यही वजह है कि यहां जितने भी प्राकृतिक रूप से शिवलिंग है वहां की देखरेख स्थानीय आदिवासी करते हैं और भगवान शिव को बस्तर में बूढ़ादेव के नाम से भी जाना जाता है. कैलाश गुफा का नाम भगवान शिव लिंग के वजह से पड़ा. इस गुफा में सैकड़ों साल पुराने प्राकृतिक रूप से बने कई शिवलिंग है, जिसकी ग्रामवासी पूजा अर्चना करते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>खासकर सावन सोमवार और <a title=”महाशिवरात्रि” href=”https://www.abplive.com/topic/mahashivratri-2023″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाशिवरात्रि</a> के मौके पर कांगेर वैली पार्क में मौजूद कोटोमसर गुफा, दंडक गुफा और कैलाश गुफा में सैकड़ों की संख्या में भगवान शिव के दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान जब बस्तर जो आदि काल से दंडकारण्य के नाम से प्रसिद्ध है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यहां श्रीराम चित्रकोट से तेलंगाना के भद्राचलम के लिए निकले थे तब उन्होंने दरभा के घने जंगल में मौजूद कैलाश गुफा में कई दिनों तक भगवान शिव की आराधना की थी. इस वजह से इस गुफा का नाम भी कैलाश गुफा के नाम से जाना जाता है और इसे छत्तीसगढ़ का पाताल लोक भी कहते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”डिप्टी सीएम अरुण साव का भांजा रानी दहरा वाटरफॉल में बहा, सुबह भी तलाश जारी” href=”https://www.abplive.com/states/chhattisgarh/deputy-cm-arun-sao-nephew-washed-away-in-rani-dahra-waterfall-rescue-operation-2753757″ target=”_blank” rel=”noopener”>डिप्टी सीएम अरुण साव का भांजा रानी दहरा वाटरफॉल में बहा, सुबह भी तलाश जारी</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Sawan Somwar 2024:</strong> छत्तीसगढ़ का बस्तर अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यहां की वॉटरफॉल्स, घने जंगल और नैसर्गिक गुफाएं अद्भुत हैं. दरअसल, दंडकारण्य क्षेत्र बस्तर को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है. आदिकाल से यहां के रहवासी भगवान शिव के उपासक रहे हैं. यही वजह है कि बस्तर में भगवान शिव के सैकड़ों मंदिर हैं और उनमें से एक प्रसिद्ध स्थल है ‘कैलाश गुफा’.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कैलाश गुफा को छत्तीसगढ़ का पाताल लोक भी कहा जाता है. यहां प्राकृतिक रूप से भगवान शिव की लिंग स्थापित है. पुरानी मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान इसी कैलाश गुफा में कई दिनों तक भगवान शिव की उपासना की थी. इस वजह से यह जगह काफी प्रसिद्ध है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कांगेर वैली नेशनल पार्क में मौजूद कैलाश गुफा यहां देश दुनिया से पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए भी मुख्य आकर्षण का केंद्र रहती है, लेकिन वही बस्तर के रहवासियों के लिए यह गुफा भगवान शिव के प्रति आस्था का प्रतीक है. इस वजह से सावन सोमवार और महाशिवरात्रि के मौके पर सैकड़ों की संख्या में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/08/05/2cc9171c69a8c22193ce1e50dbec1a8f1722848015029584_original.jpg” /></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कैलाश गुफा में भगवान श्रीराम ने किया था जलाभिषेक </strong><br />बस्तर के जानकार विजय भारत बताते हैं कि बस्तर में आदिकाल से ही यहां के आदिवासी भगवान शिव के उपासक रहे हैं और सदियों से उनकी पूजा करते आ रहे हैं. पूरे बस्तर संभाग में हजारों की संख्या में भगवान शिव का मंदिर है. बस्तर के आदिवासियों की भगवान शिव के प्रति काफी गहरी आस्था है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यही वजह है कि यहां जितने भी प्राकृतिक रूप से शिवलिंग है वहां की देखरेख स्थानीय आदिवासी करते हैं और भगवान शिव को बस्तर में बूढ़ादेव के नाम से भी जाना जाता है. कैलाश गुफा का नाम भगवान शिव लिंग के वजह से पड़ा. इस गुफा में सैकड़ों साल पुराने प्राकृतिक रूप से बने कई शिवलिंग है, जिसकी ग्रामवासी पूजा अर्चना करते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>खासकर सावन सोमवार और <a title=”महाशिवरात्रि” href=”https://www.abplive.com/topic/mahashivratri-2023″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाशिवरात्रि</a> के मौके पर कांगेर वैली पार्क में मौजूद कोटोमसर गुफा, दंडक गुफा और कैलाश गुफा में सैकड़ों की संख्या में भगवान शिव के दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान जब बस्तर जो आदि काल से दंडकारण्य के नाम से प्रसिद्ध है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यहां श्रीराम चित्रकोट से तेलंगाना के भद्राचलम के लिए निकले थे तब उन्होंने दरभा के घने जंगल में मौजूद कैलाश गुफा में कई दिनों तक भगवान शिव की आराधना की थी. इस वजह से इस गुफा का नाम भी कैलाश गुफा के नाम से जाना जाता है और इसे छत्तीसगढ़ का पाताल लोक भी कहते हैं.</p>
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