<p style=”text-align: justify;”>स्वाति मालीवाल केस में दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने विभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी है. स्वाति मालीवाल ने विभव कुमार पर 13 मई को मुख्यमंत्री आवास पर हमला करने के आरोप लगाए थे. इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और 18 मई को उन्हें गिरफ्तार कर लिया. विभव कुमार ने भी मालीवाल पर झूठे केस में फंसाने के आरोप लगाए हैं. इस संबंध में उन्होंने पुलिस में शिकायत दी है.</p> <p style=”text-align: justify;”>स्वाति मालीवाल केस में दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने विभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी है. स्वाति मालीवाल ने विभव कुमार पर 13 मई को मुख्यमंत्री आवास पर हमला करने के आरोप लगाए थे. इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और 18 मई को उन्हें गिरफ्तार कर लिया. विभव कुमार ने भी मालीवाल पर झूठे केस में फंसाने के आरोप लगाए हैं. इस संबंध में उन्होंने पुलिस में शिकायत दी है.</p> दिल्ली NCR Elections 2024: आरा में नागालैंड के पुलिस जवान की चलती बस में मौत, सीवान से रोहतास चुनाव कराने जा रहे थे पुलिसकर्मी
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भारत के साथ रिश्ते सुधारना चाहते हैं शरीफ, मगर कैसे?:भारत के साथ उनके कुछ निजी और पारिवारिक संबंध भी हैं
भारत के साथ रिश्ते सुधारना चाहते हैं शरीफ, मगर कैसे?:भारत के साथ उनके कुछ निजी और पारिवारिक संबंध भी हैं इन दिनों अनेक पाकिस्तानी पत्रकार पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से बहुत नाराज हैं। इसकी वजह तो गैर-पेशेवराना है, मगर है बहुत दिलचस्प। कुछ पाकिस्तानी पत्रकार नवाज शरीफ की आलोचना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि वे पाकिस्तानी पत्रकारों से तो कभी नहीं मिलते, लेकिन हाल ही में भारतीय पत्रकारों से मुलाकात की। मैं व्यक्तिगत तौर पर पाकिस्तान के अपने पत्रकार मित्रों की इस आलोचना का समर्थन नहीं करता हूं, क्योंकि कोई भी राजनेता किससे मिलना चाहता है, यह उसका विशेषाधिकार है। इस्लामाबाद में एससीओ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन से पहले नवाज शरीफ ने लाहौर में एक वरिष्ठ भारतीय टीवी पत्रकार से मुलाकात की थी। शरीफ की इसी मुलाकात ने कुछ पाकिस्तानी पत्रकारों को नाराज कर दिया जिन्होंने सवाल उठाया कि अक्टूबर 2023 में निर्वासन से लौटने के बाद से नवाज ने भारतीय पत्रकार से मुलाकात क्यों की और पाकिस्तानी पत्रकारों से क्यों नहीं मिले? नवाज शरीफ ने इस आलोचना को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया और एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद लाहौर में भारतीय पत्रकारों के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल से फिर मिले। ये भारतीय पत्रकार एससीओ शिखर सम्मेलन को कवर करने के लिए पाकिस्तान आए थे। नवाज शरीफ ने भारतीय पत्रकारों के सामने फिर से अपने दिल की बात रखी। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम को चैम्पियन्स ट्रॉफी खेलने के लिए पाकिस्तान आना चाहिए। उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ भारत के साथ अच्छे संबंधों के बारे में बात करते समय बहुत सतर्क रहते हैं। वे भारतीय पत्रकारों से मिलने से बचते हैं, लेकिन उनके बड़े भाई भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। यह समझना बहुत जरूरी है कि नवाज शरीफ भारत के साथ दोस्ती क्यों चाहते हैं? वे एक व्यवसायी हैं और उन्हें लगता है कि पाकिस्तान अपने सभी पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारे बिना आगे नहीं बढ़ सकता। दूसरी बात यह कि भारत के साथ उनके कुछ निजी और पारिवारिक संबंध भी हैं। लाहौर में उनके निवास का नाम देखें। उनके निवास का नाम “जाती उमरा’ है। यह वास्तव में अमृतसर के पास स्थित उनके पैतृक गांव का नाम है, जहां से नवाज शरीफ के पिता लाहौर चले गए थे। उनके पिता मियां मुहम्मद शरीफ ने अपनी मृत्यु तक भारत में जाती उमरा के साथ अपना संपर्क बनाए रखा था। वे पहली बार अपने बेटों नवाज शरीफ और शहबाज शरीफ को 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से कुछ हफ्तों पहले जाती उमरा ले गए थे। नवाज शरीफ को आज भी जाती उमरा की अपनी पहली यात्रा याद है, जहां उन्होंने अपने परदादा मियां मुहम्मद बख्श की कब्र देखी थी, जो बहुत अच्छी स्थिति में थी। स्थानीय सिखों ने शरीफ परिवार का प्यार और स्नेह से स्वागत किया था। उन लोगों ने कभी भी जाती उमरा में शरीफ परिवार की जमीन पर कब्जा जमाने की कोशिश नहीं की। नवाज शरीफ 70 के दशक में अपने युवा दिनों के दौरान अपनी मर्सिडीज में फिर से भारत आए थे। 1979 में जाती उमरा की एक और यात्रा के दौरान शरीफ परिवार ने अपने पुश्तैनी गांव की जमीन एक गुरुद्वारे के लिए दान कर दी थी। 2013 में जब शहबाज शरीफ पाकिस्तानी पंजाब के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने जाती उमरा का दौरा किया था। उस समय भारतीय पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने शहबाज शरीफ के अनुरोध पर जाती उमरा में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की थी। बदले में शहबाज शरीफ ने पाकिस्तानी पंजाब में चकवाल के पास एक छोटे से गांव ‘गाह’ की विशेष देखभाल की, जहां 1932 में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था। बहुत कम लोग जानते होंगे कि नवाज शरीफ और उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ बहुत अच्छे गायक भी हैं। मैंने कई साल पहले नवाज शरीफ के मुर्री स्थित घर में उनके गायन का आनंद लिया था। मुहम्मद रफी उनके पसंदीदा गायक हैं। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नवाज शरीफ के न्योते पर 1999 में पाकिस्तान का दौरा किया था, लेकिन कारगिल की घटना ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के इन प्रयासों को विफल कर दिया। फिर मोदी ने 2015 में शरीफ परिवार के एक विवाह समारोह में भाग लेने के लिए लाहौर का दौरा किया था, लेकिन कुछ महीनों के भीतर ही कुछ आतंकी घटनाओं के कारण दोनों देशों के बीच संबंध फिर से तनावपूर्ण हो गए थे।
नवाज शरीफ को फिर से भारत के साथ रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद है, लेकिन वे यह काम सेना और विपक्ष के समर्थन के बिना नहीं कर सकते। लेकिन उन्हें अपने यहां के ही उन लोगों से भी सावधान रहना चाहिए, जिन्होंने भारत के साथ संबंध सुधारने की उनकी कोशिशों को कामयाब नहीं होने दिया।
करनाल में दो सीटों पर उतारे कांग्रेस ने प्रत्याशी:असंध में गोगी और नीलोखेड़ी गोंदर पर खेला दाव, तीन सीटों पर प्रत्याशियों का इंतजार
करनाल में दो सीटों पर उतारे कांग्रेस ने प्रत्याशी:असंध में गोगी और नीलोखेड़ी गोंदर पर खेला दाव, तीन सीटों पर प्रत्याशियों का इंतजार हरियाणा विधानसभा चुनावों की तैयारी में कांग्रेस ने अपने 31 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें करनाल जिले की 5 विधानसभाओं में से असंध और नीलोखेड़ी सीटों पर भी स्थिति साफ हो गई है। कांग्रेस ने असंध से मौजूदा विधायक शमशेर सिंह गोगी पर फिर भरोसा जताया है। जबकि नीलोखेड़ी में मौजूदा विधायक धर्मपाल गोंदर पर भरोसा जताया है। जो 2019 में आजाद उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए थे। हालांकि, इन दोनों सीटों से कई दावेदार मैदान में थे, लेकिन अंततः पार्टी ने गोगी और गोंदर को ही चुना। जबकी इंद्री, करनाल व घरौंडा विधानसभा के प्रत्याशियों के नाम अभी जारी नहीं कए है। असंध विधानसभा पर गोगी का मजबूत पकड़
असंध से विधायक शमशेर सिंह गोगी एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। 2019 में उन्होंने बीएसपी के नरेंद्र राणा को 1703 वोटों से हराया था, जबकि भाजपा के बख्शीश सिंह विर्क तीसरे स्थान पर रहे थे। गोगी की जनसंपर्क और भाषण कला के कारण वे जनता के बीच खासे लोकप्रिय हैं। उनकी मिलनसारिता और क्षेत्र में लगातार उपस्थिति ने कांग्रेस को एक बार फिर उनके पक्ष में निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया। क्यों मिला गोगी को टिकट
गोगी कांग्रेस के सैलजा गुट से आते हैं, और पार्टी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी मौजूदा विधायक का टिकट नहीं काटा जाएगा। गोगी की क्षेत्र में मजबूत पकड़, जनता के बीच उनकी छवि, और कांग्रेस के लिए उनकी निष्ठा को देखते हुए उन्हें फिर से मैदान में उतारा गया है। क्यों कटी शेरप्रताप शेरी और सुरेंद्र नरवाल की टिकट
असंध से शेरप्रताप शेरी और सुरेंद्र नरवाल जैसे दावेदार भी टिकट की उम्मीद में थे। हालांकि, शेरप्रताप शेरी क्षेत्र में उतने सक्रिय नहीं थे, जिससे उनका टिकट कट गया। वहीं सुरेंद्र नरवाल ने हुड्डा गुट से आते है। चार्चाए ये भी है कि उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत से राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर टिकट की मांग की थी, लेकिन पार्टी ने अनुभव और जनता के साथ उनके संवाद की कमी के कारण उन्हें टिकट नहीं दिया। नीलोखेड़ी विधान धर्मपाल गोंदर की मेहनत लाई रंग
नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। गोंदर ने 2019 में आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। जिसके बाद उन्होंने भाजपा को अपना सर्मथन दिया। अब कुछ समय पहले उन्होंने भाजपा से सर्मथन वापस लेकर कांग्रेस में शामिल हुए थे।
अपने कार्यकाल में उन्होंने जनता के बीच अपनी पकड़ और क्षेत्र में किए गए कार्यों के कारण खुद को साबित किया है। 2000 में इनेलो की टिकट पर भी उन्होंने चुनाव जीता था, 2009 में भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ा। लेकिन जब 2014 और 2019 में जब पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो 2019 में भाजपा से अलग होकर आजाद चुनाव लड़ने का फैसला किया और जनता ने उन्हें अपना विधायक चुना। क्यों मिला गोंदर को टिकट
गोंदर की जनता के बीच मजबूत पकड़ और आजाद उम्मीदवार के रूप में उनकी जीत कांग्रेस के लिए अहम रही। पार्टी ने माना कि गोंदर कांग्रेस के टिकट पर इस बार और भी बड़े अंतर से जीत सकते हैं, इसलिए उन्हें टिकट दिया गया। गोंदर की कार्यशैली और जनता के प्रति उनकी निष्ठा भी पार्टी के इस फैसले में महत्वपूर्ण रही। क्यों कटी राजेश वैद्य और राजकुमार वाल्मीकि की टिकट
नीलोखेड़ी से राजेश वैद्य और राजकुमार वाल्मीकि जैसे दावेदार भी टिकट की दौड़ में थे। राजेश वैद्य अनुसूचित जाति के वोटर्स पर मजबूत पकड़ रखते थे, लेकिन 2009 में बीएसपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव हारने और कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी ने अनुभव की कमी के चलते उन्हें टिकट नहीं दिया। वहीं, राजकुमार वाल्मीकि भी टिकट की आस में थे, लेकिन पार्टी ने गोंदर को ज्यादा सक्षम समझा और उनका टिकट काट दिया।
राजनीतिक समीकरण: कांग्रेस के सामने चुनौती
असंध और नीलोखेड़ी में टिकट वितरण के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस में भी टिकट कटने के बाद भाजपा की तरह इस्तीफों की झड़ी लगेगी या नेता एकजुट होकर पार्टी के उम्मीदवारों का साथ देंगे। कांग्रेस के लिए यह भी महत्वपूर्ण होगा कि वे भाजपा से नाराज वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए किस तरह की रणनीति अपनाते हैं। कुल मिलाकर, कांग्रेस ने अपने अनुभवी और मजबूत पकड़ वाले नेताओं पर भरोसा जताया है, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना होगा कि टिकट से वंचित हुए नेता पार्टी से नाराज होकर विपक्ष का हाथ न थाम लें।
राहुल गांधी से मुलाकात के बाद क्या बोले किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल?
राहुल गांधी से मुलाकात के बाद क्या बोले किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल? <p style=”text-align: justify;”><strong>Jagjit Singh Dallewal News:</strong> लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसद भवन परिसर में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक के किसान नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने राहुल गांधी से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि इंडिया गठबंधन ने एमएसपी कानून लाने का वादा किया था. इसे लाना उनकी जिम्मेदारी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आगे कहा, ”राहुल गांधी अब न केवल कांग्रेस के नेता हैं बल्कि विपक्ष के नेता हैं, इसलिए इसे लाना उनकी जिम्मेदारी है. उन्होंने ऐसा करने का वादा किया है. हरियाणा सरकार ने किसानों पर गोलियां चलाने की इजाजत दी, अब वे जांच करेंगे, हमें न्याय नहीं मिलेगा.”</p>