<p><strong>Lucknow News:</strong> 2011 बैच के आईएएस अभिषेक सिंह ने अक्टूबर 2023 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और राजनीति में उतरने की तैयारी में थे, लेकिन बीजेपी की तरफ से टिकट नहीं मिलने पर नौकरी में दोबारा आने के प्रयास पर योगी सरकार ने रोक लगा दिया है. </p>
<p> </p> <p><strong>Lucknow News:</strong> 2011 बैच के आईएएस अभिषेक सिंह ने अक्टूबर 2023 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और राजनीति में उतरने की तैयारी में थे, लेकिन बीजेपी की तरफ से टिकट नहीं मिलने पर नौकरी में दोबारा आने के प्रयास पर योगी सरकार ने रोक लगा दिया है. </p>
<p> </p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Kathua Terrorist Attack: कठुआ आतंकी हमले में छिंदवाड़ा का लाल शहीद, CM मोहन यादव ने जताया दुख
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Sharda Sinha Death: राजनीति में आना चाहती थीं शारदा सिन्हा? abp न्यूज़ से कहा था- ‘चिराग पासवान हों या तेजस्वी…’
Sharda Sinha Death: राजनीति में आना चाहती थीं शारदा सिन्हा? abp न्यूज़ से कहा था- ‘चिराग पासवान हों या तेजस्वी…’ <p style=”text-align: justify;”><strong>Sharda Sinha News:</strong> बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार (05 नवंबर) की शाम दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. उनके जाने से देशभर में शोक है. वे जब से बीमार हुईं तब से उनकी तबीयत को लेकर राजनीतिक चेहरों ने हालचाल जानने की कोशिश की. चिराग पासवान, गिरिराज सिंह से लेकर खुद पीएम <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> तक ने उनका कुशलक्षेम पूछा. माना जाता है कि वे कलाकार होने के चलते राजनीतिक लोगों के करीब थीं लेकिन क्या शारदा सिन्हा कभी पॉलिटिक्स में आना चाहती थीं? एबीपी न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में इस पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शारदा सिन्हा ने कहा था, “राजनीति एक जमाने में अच्छी चीज थी लेकिन अब मैली हो गई है. विधान परिषद या राज्यसभा में नॉमिनेट किया जाता है. दूसरे राज्यों में कलाकारों को नॉमिनेट किया गया है. लता जी और रेखा जी भी नॉमिनेट होकर गईं. बिहार सरकार की तरफ से कोई कोशिश नहीं की गई कि कलाकारों की आवाज पहुंचा सकें.” </p>
<p style=”text-align: justify;”>उनसे जब सवाल किया गया कि चुनाव लड़ने की चाहत थी? इसके जवाब में उन्होंने कहा था नहीं. उन्होंने कहा था कि कलाकार होने के नाते उसी में रहने की कोशिश रही है. इन दिनों जिस तरह से चुनाव होने लगे हैं, तरीका बदल गया है. जबरदस्ती का चुनाव हो गया है. बता दें कि शारदा सिन्हा चुनाव आयोग की ब्रांड एंबेसडर रही थीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पलटीमार नहीं… स्थिर सरकार चाहती थीं शारदा सिन्हा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>शारदा सिन्हा ने बिना किसी का नाम नहीं लिए कहा था कि स्थिर सरकार रहती है तो अच्छा होता है. इससे बिहार का भला होगा. शारदा सिन्हा ने एबीपी न्यूज़ के इंटरव्यू में सवाल भी उठाया था कि जब बिहार में सबकुछ है तो सत्ता की इतनी पूजा क्यों?</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>चिराग और तेजस्वी में शारदा सिन्हा को दिखता था भविष्य</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>शारदा सिन्हा भले राजनीति से दूर रही हों लेकिन वे चिराग पासवान और तेजस्वी यादव में भविष्य देखती थीं. उन्होंने कहा था, “अगर बेहतर काम करें तो चिराग पासवान हों या तेजस्वी यादव बिहार को बखूबी संभाल सकते हैं. बड़े से सही अनुभव और अपनी दूरदर्शिता रखें तो बिल्कुल कर सकते हैं. युवाओं में ताकत होती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/sharda-sinha-death-folk-singer-sharda-sinha-passed-away-at-aiims-delhi-2817392″>छठ गीतों से हुईं मशहूर, महापर्व के पहले दिन दुनिया छोड़ गईं शारदा सिन्हा</a><br /></strong></p>
सपा, कांग्रेस के इस फैसले से नाराज हुईं मायावती, अखिलेश-राहुल का नाम लिए बिना किया बड़ा दावा
सपा, कांग्रेस के इस फैसले से नाराज हुईं मायावती, अखिलेश-राहुल का नाम लिए बिना किया बड़ा दावा <p style=”text-align: justify;”><strong>UP Politics:</strong> बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है. सोमवार को 18वीं लोकसभा के पहले दिन सपा-कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष संविधान की किताब लेकर संसद पहुंचे थे. इस पर मायावती ने बिना किसी नेता का नाम लिए गंभीर आरोप लगाए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, ‘संसद में विपक्ष द्वारा संविधान की कॉपी दिखाई जाने के मामले में ये सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे लग रहे हैं और इन दोनो ने मिलकर इस संविधान को जातिवादी, सांप्रदायिक और पूंजीवादी संविधान बना दिया. सत्ता और विपक्ष की दोनो की अंदरूनी मिलीभगत है. दोनों ही सत्ता विपक्ष की अंदरूनी मिलीभगत से जबरदस्ती संविधान बचाने का नाटक किया जा रहा.'</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/18th-lok-sabha-oath-suspense-over-ghazipur-samajwadi-party-mp-afzal-ansari-taking-oath-in-parliament-ann-2722808″><strong>सपा का ये सांसद न संसद में कर सकेगा वोटिंग, न खर्च कर पाएगा विकास निधि, शपथ लेने पर भी सस्पेंस!</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>बसपा चीफ ने कहा ‘अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ये दोनों ही भारतीय संविधान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ये कतई उचित नहीं है. इन दोनों ने अंदर-अंदर मिलकर संविधान में इतने संशोधन कर दिए की अब ये समतामूलक, धर्म निरपेक्ष नहीं बल्कि पूंजीवादी, जातीवादी और सांप्रदायिक संविधान बनकर रह गया. ये दोनों ही आरक्षण को समाप्त करना चाहते हैं और एससी, एसटी, आदिवासी को संविधान का लाभ नहीं देना चाहते.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>[tw]https://x.com/AHindinews/status/1805470638511210807[/tw]</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें सपा और कांग्रेस के सांसद , संसद में सोमवार को संविधान की कॉपी लेकर पहुंचे थे. इतना ही नहीं जब प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a>, बतौर वाराणसी सांसद शपथ लेने पहुंचे तब राहुल गांधी ने उन्हें संविधान की कॉपी दिखाई. सपा के सभी 37 सांसद भी संविधान लेकर संसद पहुंचे. </p>
<p style=”text-align: justify;”><a title=”लोकसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/lok-sabha-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>लोकसभा चुनाव</a> के दौरान भी सपा और कांग्रेस ने एक सुर में संविधान और आरक्षण बचाने का मुद्दा उठाया था. बीजेपी का मानना है कि यूपी में विपक्ष के झूठे प्रचार का नुकसान हुआ.</p>
कमाई यूपी की, नेता-अफसरों का निवेश देवभूमि में:लखनऊ से दिल्ली गए थे दिल लगाने, बात बिगड़ी; बड़े-छोटे साहब की शिकायत पहुंची
कमाई यूपी की, नेता-अफसरों का निवेश देवभूमि में:लखनऊ से दिल्ली गए थे दिल लगाने, बात बिगड़ी; बड़े-छोटे साहब की शिकायत पहुंची भगवा टोली से जुड़े कुछ नेताओं ने कमाई यूपी में की और निवेश देवभूमि में किया, जबकि प्रदेश के मुखिया देश-दुनिया से यूपी में निवेश लाने में जुटे हुए हैं। भगवा दल के एक सहयोगी का दम घुटने लगा है। सुनने में आ रहा है कि नए ठिकाने की तलाश में हैं। बड़ी हसरत लेकर दिल्ली पहुंचे थे। लेकिन, बात नहीं बनी। अब पुराने घर में ही खुश होने की कोशिश कर रहे हैं। इस शनिवार सुनी-सुनाई में पढ़िए राजनीति और ब्यूरोक्रेसी के गलियारे में चल रही ऐसी ही चर्चाओं को… ऊपरी कमाई ऊंची वाली जगह पर लगाई ठिकाने
सूबे की सत्ता के सियासी मुखिया और मुख्य नाजिम देश-दुनिया के कोने-कोने से यूपी में निवेश लाने के लिए भरकस प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए प्रदेश में हर साल बड़े-बड़े इवेंट कराए जा रहे हैं। निवेश आएगा तो प्रदेश के लोगों को रोजगार मिलेगा। यूपी वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला राज्य बन जाएगा। लेकिन, बीते दिनों चर्चा जोरों पर है कि यहां की कमाई दूसरी जगह जा रही है। सियासत और शासन से जुड़े बड़े नामवाले यूपी से कमाकर पड़ोसी राज्यों में निवेश कर रहे हैं। देवभूमि उनकी पहली पसंद तो मरुभूमि दूसरी पसंद है। हाल ही में भगवा टोली से जुड़े कुछ नेताओं ने देवभूमि के मुक्तेश्वर में निवेश किया है। बताया जा रहा है कि ये कमाई सैलेरी की नहीं, ऊपरी है। ऊपरी कमाई को ऊंचाई वाली जगह ठिकाने लगाने में ज्यादा आसानी होती है। पहले भी ये जगह अफसरों और नेताओं के लिए मुफीद रही है। पकड़ा गया दो “इनवेंटिव” युवाओं का खेल
भगवा टोली के दोनों मुखिया बीते एक महीने में नए सदस्य बनाकर लक्ष्य पूरा करने के लिए जी जान से जुटे रहे। एक-एक सदस्य बनाने के लिए पसीना बहाया गया, लेकिन उन्हीं के बगल में बैठकर उनकी टीम के दो सदस्य पड़ोसी राज्य के माननीयों के सदस्य बनाने में लगे रहे। खास बात ये रही कि अभियान के दौरान यूपी का मुख्य मुकाबला भी उसी राज्य से था, जिसके सदस्य बनाने के लिए दोनों युवा लगे हुए थे। सोशल मीडिया के दोनों “इनवेंटिव” युवाओं ने सदस्यता अभियान को कमाई अभियान में बदल दिया। चर्चा तो ये है कि एक सदस्य बनाने के लिए 10 से 20 रुपए तक लिए गए और लाखों रुपए की कमाई की गई। हैरत की बात यह है कि कामकाज की ब्रांडिंग भी पार्टी दफ्तर से बैठकर की गई। जबकि कामकाज गोमती नगर स्थित कंपनी दफ्तर से किया गया। सत्ता के भागीदार नए बंधन की तलाश में
सूबे में सत्ता के भागीदार और वजीर नए बंधन की तलाश में हैं। जिससे उन्हें प्रेम है, वह वजीर को पसंद नहीं करते। इस बंधन की शुरुआती बातचीत फिलहाल विफल हो गई है। हुआ यह कि बीते दिनों सूबे के हुक्मरानों से नाराज वजीर पहुंच गए दिल्ली। उन्होंने लाल टोपी वाले मुखिया के एक करीबी से अपनी नई-नई मोहब्बत का इजहार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं तो कुछ नहीं कर सकता। मुखिया से ही पूछ लेता हूं। मध्यस्थ की भूमिका में आए करीबी ने मुखिया को फोन लगा दिया। फिर क्या था लाल टोपी वाले मुखिया ने फोन पर ही वजीर पर लांछन लगाने शुरू कर दिए। फोन स्पीकर पर था, तो दूसरी ओर से आ रही आवाज़ वजीर के कानों से टकरा गई। उनका चेहरा उतर गया। फोन कटा तो वे चुपचाप वहां से निकल कर सीधे सूबे की राजधानी आ गए और अपने मौजूदा साथी के कसीदे पढ़ने शुरू कर दिए। अब सियासत के गलियारे में चर्चा है कि देर सबेर वजीर, पुराने बंधन से मुक्त होंगे और नए बंधन का हिस्सा बनेंगे। लखनऊ पहुंची दो बड़ों की लड़ाई
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लंबे अरसे से जमे एक पुलिस अफसर की उनके जूनियर अफसर के साथ तनातनी की खबरें अब लखनऊ तक पहुंचने लगी हैं। बड़े साहब का पांव पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अंगद की तरह जमा हुआ है। वह पहले तो जिले की कमान संभाल रहे थे, बाद में मंडल की जिम्मेदारी सौंप दी गई। साहब अब भी जिले वाली हनक बनाना चाहते हैं। वहीं, जिले के साहब जिले को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं। अब ऐसे में टकराव होना वाजिब है। हुआ भी यही। दाेनों अफसरों की अदावत के किस्से दोनों के दफ्तरों में खूब चटखारे लेकर सुनाए जा रहे हैं। इसकी शिकायत लखनऊ भी पहुंची है। इन दोनों अफसरों में एक आयातित हैं और दूसरे शुद्ध देसी। दोनों के अलग-अलग पावर सेंटर हैं, जहां से उन्हें ऊर्जा मिलती है। देखना दिलचस्प होगा कि इन दोनों की लड़ाई में किसकी जीत और किसकी हार होती है। रामनगरी की राह में युद्ध, कील-कांटे बिछा दिए
रामनगरी की हॉट सीट पर चुनाव टल गया। चुनाव में भगवा टोली के टिकट के सबसे प्रबल दावेदार पर “चौबे जी छब्बे जी बनने गए थे, दुबे जी बनकर लौटे” वाली कहावत चरितार्थ हुई। अब भगवा टोली में दावेदार बाबा की राजनीतिक सूझबूझ पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि टिकट मांगने के लिए लखनऊ से दिल्ली तक चक्कर लगाने के चक्कर में वह भूल गए कि उन्होंने खुद ही राह में कील कांटे बिछा रखे हैं। उनकी अनदेखी और नासमझी में सत्ता और संगठन की मेहनत पर पानी फिरने के बाद अब नेतृत्व उनके राजनीतिक भविष्य के बारे में भी गंभीरता से विचार कर रहा है। ……………………………………………………… ये कॉलम भी पढ़ें… माई की कृपा वाले को नहीं मिला ऊपर से आशीर्वाद:यूपी में बागियों के लिए गेट खोलने वाला नहीं मिल रहा, भगदड़ मचने वाली है, इंतजार करिए