Uttarakhand News: भूकंप से पहले अलर्ट करेगा ‘BhuDev’ एप! उत्तराखंड में अर्ली वार्निंग सिस्टम पर जोर

Uttarakhand News: भूकंप से पहले अलर्ट करेगा ‘BhuDev’ एप! उत्तराखंड में अर्ली वार्निंग सिस्टम पर जोर

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में अब भूकंप से पहले चेतावनी देने वाला भूदेव एप (BhuDev) विकसित किया गया है. इस एप के माध्यम से भूकंप आने से चंद सेकंड पहले लोगों को अलर्ट किया जाएगा, ताकि वे सुरक्षित स्थान पर पहुंचकर अपनी जान बचा सकें. उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने भूकंप के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम तैयार किया है. आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से विकसित किया गया यह एप फरवरी के अंत तक पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा. मार्च से इसे आम जनता तक पहुंचाने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस एप को डाउनलोड कर सकें और भूकंप की स्थिति में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जनवरी महीने में उत्तरकाशी जिले में बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. इससे लोगों में डर का माहौल बना हुआ है. इसको देखते हुए उत्तराखंड आपदा विभाग भी अलर्ट मोड में आ गया है. उत्तराखंड आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि प्रदेश भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन में आता है और कई दशकों से यहां कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. इसलिए इस क्षेत्र में एक बड़े भूकंप की संभावना बनी हुई है. इसको लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई. बैठक में भूकंप से बचाव और अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भूकंप से 20 सेकंड पहले देगा अलर्ट</strong><br />आपदा सचिव विनोद सुमन ने बताया कि भूदेव एप से लोगों को भूकंप आने से पहले 5 से 20 सेकंड तक का समय मिल सकेगा, जिससे वे खुद को सुरक्षित स्थान पर ले जा सकते हैं.भूकंप आने के दौरान दो तरह की वेव (तरंगें) उत्पन्न होती हैं. पहली प्राइमरी वेव (P-Wave): इसकी गति 6 से 7 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है. दूसरी सेकेंडरी वेव (S-Wave): इसकी गति 3 से 3.5 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है. जब किसी क्षेत्र में भूकंप आता है, तो सबसे पहले प्राइमरी वेव सेंसर तक पहुंचती है. सेंसर इसे पहचानते ही भूदेव एप के जरिए लोगों को अलर्ट भेज दिया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके बाद जब तक सेकेंडरी वेव (जो सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती है) धरती तक पहुंचती है, तब तक लोगों को 10 से 15 सेकंड तक का समय मिल जाएगा. इस दौरान वे सुरक्षित स्थानों पर जा सकते हैं और जान-माल के नुकसान से बच सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अर्ली वार्निंग सिस्टम को और मजबूत करने की तैयारी</strong><br />उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में भूकंप की निगरानी के लिए कई सेंसर लगाए गए हैं. बैठक में चर्चा हुई कि इन सेंसरों की संख्या को और बढ़ाया जाए और पहले से लगे सेंसरों की संभावित खराबी को ठीक किया जाए. इसके अलावा, सायरन सिस्टम को भी अपडेट किया जाएगा ताकि भूकंप आने की स्थिति में लोगों को तुरंत अलर्ट किया जा सके.भूदेव एप फिलहाल अपने अंतिम टेस्टिंग फेज में है और इसमें कुछ तकनीकी सुधार किए जा रहे हैं. मार्च के पहले सप्ताह से इसे प्रचारित किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक लोग इसे अपने स्मार्टफोन में डाउनलोड कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आपदा सचिव विनोद सुमन ने कहा कि उत्तराखंड में ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस एप से जोड़ने की योजना है. इसके लिए सरकारी स्तर पर बड़े स्तर पर प्रचार अभियान चलाया जाएगा. उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में स्थित है, जो भूकंप के लिहाज से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में आता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तराखंड में पिछले कई दशकों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जिससे यहां भविष्य में बड़े भूकंप की संभावना बनी हुई है. आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि उत्तराखंड में औसतन हर महीने तीन से चार भूकंप दर्ज किए जाते हैं. हालांकि, ये छोटे झटके होते हैं और इनमें ज्यादा नुकसान नहीं होता. लेकिन बड़े भूकंप की आशंका को देखते हुए अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करना जरूरी हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड में लगातार आ रहे भूकंप के मद्देनजर आपदा प्रबंधन विभाग ने भूदेव एप तैयार किया है, जो भूकंप आने से पहले ही लोगों को चेतावनी देगा. यह एप फरवरी के अंत तक पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा और मार्च से आम जनता तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू होगी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जिसने भूकंप के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया है. सरकार अब इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए सेंसरों की संख्या बढ़ाने और सायरन सिस्टम को अपडेट करने पर भी काम कर रही है. भूदेव एप की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कितने लोग इसे डाउनलोड और उपयोग करते हैं. इसलिए प्रशासन ने तय किया है कि मार्च से इसे बड़े स्तर पर प्रचारित किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें और भूकंप के दौरान अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/banda-transgender-named-katrina-was-forcibly-changing-the-gender-of-young-men-police-arrested-her-ann-2878350″><strong>बांदा में युवकों को जबरन किया जा रहा था जेंडर चेंज, पुलिस ने किन्नर को किया गिरफ्तार</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में अब भूकंप से पहले चेतावनी देने वाला भूदेव एप (BhuDev) विकसित किया गया है. इस एप के माध्यम से भूकंप आने से चंद सेकंड पहले लोगों को अलर्ट किया जाएगा, ताकि वे सुरक्षित स्थान पर पहुंचकर अपनी जान बचा सकें. उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने भूकंप के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम तैयार किया है. आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से विकसित किया गया यह एप फरवरी के अंत तक पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा. मार्च से इसे आम जनता तक पहुंचाने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस एप को डाउनलोड कर सकें और भूकंप की स्थिति में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जनवरी महीने में उत्तरकाशी जिले में बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. इससे लोगों में डर का माहौल बना हुआ है. इसको देखते हुए उत्तराखंड आपदा विभाग भी अलर्ट मोड में आ गया है. उत्तराखंड आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि प्रदेश भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन में आता है और कई दशकों से यहां कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. इसलिए इस क्षेत्र में एक बड़े भूकंप की संभावना बनी हुई है. इसको लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई. बैठक में भूकंप से बचाव और अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भूकंप से 20 सेकंड पहले देगा अलर्ट</strong><br />आपदा सचिव विनोद सुमन ने बताया कि भूदेव एप से लोगों को भूकंप आने से पहले 5 से 20 सेकंड तक का समय मिल सकेगा, जिससे वे खुद को सुरक्षित स्थान पर ले जा सकते हैं.भूकंप आने के दौरान दो तरह की वेव (तरंगें) उत्पन्न होती हैं. पहली प्राइमरी वेव (P-Wave): इसकी गति 6 से 7 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है. दूसरी सेकेंडरी वेव (S-Wave): इसकी गति 3 से 3.5 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है. जब किसी क्षेत्र में भूकंप आता है, तो सबसे पहले प्राइमरी वेव सेंसर तक पहुंचती है. सेंसर इसे पहचानते ही भूदेव एप के जरिए लोगों को अलर्ट भेज दिया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके बाद जब तक सेकेंडरी वेव (जो सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती है) धरती तक पहुंचती है, तब तक लोगों को 10 से 15 सेकंड तक का समय मिल जाएगा. इस दौरान वे सुरक्षित स्थानों पर जा सकते हैं और जान-माल के नुकसान से बच सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अर्ली वार्निंग सिस्टम को और मजबूत करने की तैयारी</strong><br />उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में भूकंप की निगरानी के लिए कई सेंसर लगाए गए हैं. बैठक में चर्चा हुई कि इन सेंसरों की संख्या को और बढ़ाया जाए और पहले से लगे सेंसरों की संभावित खराबी को ठीक किया जाए. इसके अलावा, सायरन सिस्टम को भी अपडेट किया जाएगा ताकि भूकंप आने की स्थिति में लोगों को तुरंत अलर्ट किया जा सके.भूदेव एप फिलहाल अपने अंतिम टेस्टिंग फेज में है और इसमें कुछ तकनीकी सुधार किए जा रहे हैं. मार्च के पहले सप्ताह से इसे प्रचारित किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक लोग इसे अपने स्मार्टफोन में डाउनलोड कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आपदा सचिव विनोद सुमन ने कहा कि उत्तराखंड में ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस एप से जोड़ने की योजना है. इसके लिए सरकारी स्तर पर बड़े स्तर पर प्रचार अभियान चलाया जाएगा. उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में स्थित है, जो भूकंप के लिहाज से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में आता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तराखंड में पिछले कई दशकों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जिससे यहां भविष्य में बड़े भूकंप की संभावना बनी हुई है. आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि उत्तराखंड में औसतन हर महीने तीन से चार भूकंप दर्ज किए जाते हैं. हालांकि, ये छोटे झटके होते हैं और इनमें ज्यादा नुकसान नहीं होता. लेकिन बड़े भूकंप की आशंका को देखते हुए अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करना जरूरी हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड में लगातार आ रहे भूकंप के मद्देनजर आपदा प्रबंधन विभाग ने भूदेव एप तैयार किया है, जो भूकंप आने से पहले ही लोगों को चेतावनी देगा. यह एप फरवरी के अंत तक पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा और मार्च से आम जनता तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू होगी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जिसने भूकंप के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया है. सरकार अब इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए सेंसरों की संख्या बढ़ाने और सायरन सिस्टम को अपडेट करने पर भी काम कर रही है. भूदेव एप की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कितने लोग इसे डाउनलोड और उपयोग करते हैं. इसलिए प्रशासन ने तय किया है कि मार्च से इसे बड़े स्तर पर प्रचारित किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें और भूकंप के दौरान अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/banda-transgender-named-katrina-was-forcibly-changing-the-gender-of-young-men-police-arrested-her-ann-2878350″><strong>बांदा में युवकों को जबरन किया जा रहा था जेंडर चेंज, पुलिस ने किन्नर को किया गिरफ्तार</strong></a></p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड बिहार: GF की दूसरी जगह तय हो गई शादी तो खौल उठा प्रेमी का खून, पिस्टल लेकर पहुंचा और फिर…