अंतिम सांस वालों का बीमा कर 100 करोड़ का फ्रॉड:यूपी से लेकर गुजरात-असम तक रैकेट; गरीब-बीमार लोग टारगेट पर

अंतिम सांस वालों का बीमा कर 100 करोड़ का फ्रॉड:यूपी से लेकर गुजरात-असम तक रैकेट; गरीब-बीमार लोग टारगेट पर

संभल जिले में 2 कारें चोरी हुईं। पुलिस चोरों को पकड़ने के लिए चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान स्कॉर्पियो सवार दो युवक पकड़े गए। दोनों ने देश के एक बड़े गैंग को बेनकाब कर दिया। यह गैंग जिंदगी की आखिरी स्टेज वाले लोगों की बीमा पॉलिसी कर करोड़ों रुपए हड़प चुका है। गैंग से बैंकवाले, आधार कार्ड वाले, इंश्योरेंस कंपनी वाले और मोबाइल सिम बेचने वाले भी जुड़े थे। गैंग ने सिर्फ 2 साल के अंदर देशभर में करीब 30 करोड़ रुपए की फर्जी बीमा पॉलिसी कर डाली। यह काम पिछले 8 साल से चल रहा था। पुलिस का अनुमान है, यह फ्रॉड 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो सकता है। अब तक कुल 25 आरोपी गिरफ्तार हैं। करीब इतने ही लोगों की गिरफ्तारी बाकी है। पुलिस की इन्वेस्टिगेशन लगातार चल रही है। दैनिक भास्कर ने इस पूरे केस की बारीकी से स्टडी की। जांच अफसरों और पीड़ितों से बात की। स्टेप टू स्टेप समझा कि कैसे ये फ्रॉड होता है? पढ़िए पहली रिपोर्ट… ऐसे बेनकाब हुआ पूरा गैंग पुलिस गाड़ी चोर ढूंढ रही थी, पकड़ में आए दो आरोपी
संभल जिले की अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) अनुकृति शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया- जनवरी महीने में गुन्नौर थाना क्षेत्र से दो ईको गाड़ियां चोरी हुई थीं। इसके बाद सभी थाना पुलिस को सख्त चेकिंग की हिदायत दी गई थी। मैं 15 जनवरी की रात गुन्नौर इलाके में गश्त पर थी। उस रात घना कोहरा था। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैं और ड्राइवर कार का शीशा डाउन करके यह देख रहे थे कि गाड़ी सड़क पर ठीक चल रही है या नहीं। इसी दौरान एक स्कॉर्पियो और ईको गाड़ी ओवरटेक करके तेजी से आगे निकल गईं। मन में ख्याल आया कि ऐसा कौन ड्राइवर है, जो कोहरे में इतना खतरा मोल लेकर तेजी से गाड़ी भगा रहा है। हमने भी कोई परवाह न करके अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ाई और दोनों ड्राइवरों से रुकने को कहा। वो नहीं रुके और साइड से भाग निकले। यहां हमारा शक और बढ़ गया। मैंने तुरंत रजपुरा थानेदार से रोड के बीच ट्रक लगवा दिया। वो स्कॉर्पियो रोकने में कामयाब रहे, जबकि ईको गाड़ी वाला भाग निकला। इस गाड़ी से हमें साढ़े 11 लाख रुपए कैश और 19 डेबिट कार्ड रिकवर हुए। स्कॉर्पियो में बैठे वाराणसी का रहने वाला ओंकारेश्वर मिश्रा और अमरोहा का रहने वाला अमित निवासी गिरफ्तार किया गया। ओंकारेश्वर मिश्रा के मोबाइल में एक लाख से ज्यादा अलग-अलग लोगों के फोटो और हजारों डॉक्यूमेंट्स मिले, जो बीमा पॉलिसी से जुड़े थे। आरोपी ने बताया, कैसे करते थे पूरा फ्रॉड बीमार व्यक्ति को सिर्फ डॉक्यूमेंट देना है, बाकी काम गैंग करेगा
पुलिस ने जब ओंकारेश्वर मिश्रा से पूछताछ की, तो चौंकाने वाली चीजें सामने आईं। यह गैंग फर्जी बीमा पॉलिसी से जुड़ा था। ओंकारेश्वर ने कबूला- हम फर्स्ट सोल्यूशन सर्विस कंपनी (बीमा पॉलिसी का सर्वे करने वाली कंपनी) में बतौर इन्वेस्टीगेटर काम करते हैं। हम ज्यादातर ऐसे लोगों को ढूंढते हैं, जो गरीब और अनपढ़ होते हैं, काफी बीमार होते हैं। हमें यह लगता है कि अगले कुछ दिनों में वे लोग मर जाएंगे। हम ऐसे परिवारों के पास जाते हैं। उन्हें बताते हैं कि सरकार की फलां स्कीम में कुछ आर्थिक मदद दिला देंगे। चूंकि वो परिवार बेहद गरीब होते हैं, इसलिए जल्द ही हमारे झांसे में आ जाते हैं। उन परिवारों से हम बीमार व्यक्ति की पूरी डिटेल और डॉक्यूमेंट हासिल कर लेते हैं। ओंकारेश्वर ने बताया- सबसे पहले हम आधार कार्ड करेक्शन करने वाले अपने गैंग के मेंबर से उस व्यक्ति का मोबाइल नंबर और एड्रेस बदलवाते हैं। इसके बाद बैंक में फर्जी ढंग से उसका खाता खुलवाते हैं। अब बैंक के सभी OTP उस नंबर पर आते हैं, जो आधार कार्ड में बदलवाया गया है। इन दोनों चीजों के बाद बीमार व्यक्ति की 10, 20, 30 लाख रुपए तक की बीमा पॉलिसी बनवाते हैं। शुरू के एक-दो महीने उसका प्रीमियम भी खुद भरते हैं। इतने में वो व्यक्ति मर भी जाता है, जिसके नाम पॉलिसी चल रही है। ओंकारेश्वर ने बताया- हम ग्राम पंचायतों के सचिवों से साठगांठ करके मनमाफिक मृत्यु प्रमाण पत्र (डेथ सर्टिफिकेट) बनवाते हैं। फिर उसके सहारे बीमा पॉलिसी क्लेम कर देते हैं। अगर पॉलिसी होने के एक-दो महीने में किसी की मौत हो जाती है, तो निश्चित रूप से उस फाइल पर इन्क्वायरी बैठती है। चूंकि हम खुद इन्वेस्टीगेटर (सर्वेयर) हैं, इसलिए रिपोर्ट OK लगा देते हैं। फिर कुछ दिनों में पॉलिसी का पूरा पैसा खाते में आ जाता है। हम जिनके नाम पर पॉलिसी करते हैं, उनके परिवार को पता भी नहीं चलता। मृतक के सारे बैंक डॉक्यूमेंट्स (पासबुक, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर) हमारे पास मौजूद हैं। इसलिए पैसा आने के 24-48 घंटे में ही दो सेल्फ चेक से हम सारा पैसा बैंक से कैश करा लेते हैं। बैंक में भी हमारे मेंबर मौजूद हैं, इसलिए सेल्फ चेक कैश कराने में कोई दिक्कत नहीं आती। 2 साल में 30 करोड़ की सस्पेक्ट पॉलिसी, 70% मौत हार्टअटैक से बताईं IPS ऑफिसर अनुकृति शर्मा बताती हैं- गैंग पकड़ने के बाद हमने सभी 10 बीमा कंपनियों को एक लेटर लिखा। उनसे 2 साल का डेटा मांगा। इसमें सिर्फ उन पॉलिसी की डिटेल्स मांगी गईं, जिसमें बीमा होने और मरने में सिर्फ 1 साल का अंतर हो। डेटा एनालिसिस करने के बाद SBI लाइफ की 7.27 करोड़, PNB मेटलाइफ की 2 करोड़ रुपए से ज्यादा, कैनरा HSBC की 7.44 करोड़ रुपए, इंडिया फर्स्ट की 10.33 करोड़ रुपए, ICICI प्रूडेंशियल लाइफ की 4.50 करोड़ रुपए की बीमा पॉलिसी सस्पेक्टेड पाई गई हैं। बाकी बीमा कंपनियों ने अभी डेटा शेयर नहीं किया है। इनमें करीब 70% लोगों की मौत का कारण हार्टअटैक बताया है। IPS अनुकृति शर्मा बताती हैं… ये बीमा पॉलिसी उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, दिल्ली, बिहार, असम, वेस्ट बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में हुई हैं। यानी नेटवर्क पूरे देश में फैला है। चूंकि ये गैंग 7-8 साल से काम कर रहा है और अभी पुलिस को सिर्फ 2 साल का डेटा मिला है, इसलिए अनुमान है कि फर्जी पॉलिसी की रकम 100 करोड़ से भी पार पहुंच सकती है। अब पीड़ितों की बात घर पर आए, मदद की बात कहकर कागज ले गए
बुलंदशहर जिले के डिबाई थाना क्षेत्र में भीमपुर गांव है। यहां की सुनीता बताती हैं- पति सुभाष की मौत बीमारी की वजह से पिछले साल हुई। मरने से कुछ दिनों पहले ही गांव की आशाकर्मी नीलम हमारे पास आई। उसने कहा कि सरकार से कुछ मदद दिला देंगे। मुझसे सारे डॉक्यूमेंट्स ले गई और वो इंश्योरेंस कंपनी वालों को सौंप दिए। हमें अब पता चल रहा है कि मेरे पति के नाम पर इतने रुपए निकाल लिए गए। ‘मौत के बाद 3 लाख निकाल लिए’
मुरादाबाद के बनियाठेर गांव में रहने वाले सत्यवीर सिंह यादव ने बताया- मैंने अपनी पत्नी सुगरवती का बीमा कराया था। साल, 2021 में बीमारी से उसकी मौत हो गई। जब वो आखिरी सांस ले रही थीं, तब बीमा कंपनी वाले आए। मैं बाहर काम पर था। मेरी बेटी से बीमा कंपनी वाले कागजात, चेकबुक और सभी कागजात ले गए। कुछ कागजों पर दस्तखत कराए और फिंगर प्रिंट ले लिए। उसके बाद वे लोग चले गए। मौत के बाद पत्नी के खाते में आई बीमा की रकम निकाल ली, हमें एक रुपया भी नहीं मिला। ‘पॉलिसी का सारा पैसा हड़प लिया’
संभल जिले के गुरगांव में रहने वाली मीरावती ने बताया- पति सुदामा की साल, 2020 में बीमारी से मौत हो गई थी। जब पति बीमार थे, तभी बीमा वाले घर पर आए। हमें झांसा दिया कि कुछ सरकारी मदद करवा देंगे, बस सारे कागजात दे दो। हमने कागज दे दिए। कुछ कागजों पर पति के अंगूठा भी लगवा लिया। उनकी मौत के बाद पता चला कि बीमा का सारा पैसा कुछ लोगों ने हड़प लिया। कैंसर पेशेंट की मौत के बाद 15 लाख निकाले
बुलंदशहर जिले में पहासू थाना क्षेत्र के अशोक नगर में रहने वाली रुखसार ने बताया- पति असलम कैंसर से पीड़ित थे। बीमारी के दौरान कुछ लोग बीमा कंपनी से होने की बात बताकर घर पर आए। उन्होंने पति का बीमा करके आर्थिक लाभ दिलाने की बात कही और डॉक्यूमेंट्स ले लिए। उन लोगों ने खुद ही पति के नाम पर यश बैंक अनूपशहर में खाता खुलवाया और बीमा के 15 लाख रुपए निकाल लिए। पार्ट-2 में पढ़िए:
मौत के बाद बीमा करने वाला गैंग। इसमें कौन-कौन इन्वॉल्व ? ———————— यह खबर भी पढ़ें… अखिलेश बोले-रामजी सुमन को कुछ हुआ तो योगी जिम्मेदार, करणी सेना पर उनका हाथ, पूरा यूपी गोरखपुर के लोग ही चला रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- अगर राणा सांगा पर दिए बयान को लेकर सांसद रामजी लाल सुमन के साथ कोई घटना होती है तो इसके लिए सीएम खुद जिम्मेदार होंगे। क्योंकि वो खुद उस संगठन (करणी सेना) पर हाथ रखे हैं। उन्होंने कहा कि सीएम ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं। जिस तरह से हिटलर के जमाने में होता था। वही इस सरकार में हो रहा है। एक अंडरग्राउंड फौज तैयार कर रखी है। जो समय-समय पर थाने और तहसील में लोगों को अपमानित कर रही है। पढ़ें पूरी खबर संभल जिले में 2 कारें चोरी हुईं। पुलिस चोरों को पकड़ने के लिए चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान स्कॉर्पियो सवार दो युवक पकड़े गए। दोनों ने देश के एक बड़े गैंग को बेनकाब कर दिया। यह गैंग जिंदगी की आखिरी स्टेज वाले लोगों की बीमा पॉलिसी कर करोड़ों रुपए हड़प चुका है। गैंग से बैंकवाले, आधार कार्ड वाले, इंश्योरेंस कंपनी वाले और मोबाइल सिम बेचने वाले भी जुड़े थे। गैंग ने सिर्फ 2 साल के अंदर देशभर में करीब 30 करोड़ रुपए की फर्जी बीमा पॉलिसी कर डाली। यह काम पिछले 8 साल से चल रहा था। पुलिस का अनुमान है, यह फ्रॉड 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो सकता है। अब तक कुल 25 आरोपी गिरफ्तार हैं। करीब इतने ही लोगों की गिरफ्तारी बाकी है। पुलिस की इन्वेस्टिगेशन लगातार चल रही है। दैनिक भास्कर ने इस पूरे केस की बारीकी से स्टडी की। जांच अफसरों और पीड़ितों से बात की। स्टेप टू स्टेप समझा कि कैसे ये फ्रॉड होता है? पढ़िए पहली रिपोर्ट… ऐसे बेनकाब हुआ पूरा गैंग पुलिस गाड़ी चोर ढूंढ रही थी, पकड़ में आए दो आरोपी
संभल जिले की अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) अनुकृति शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया- जनवरी महीने में गुन्नौर थाना क्षेत्र से दो ईको गाड़ियां चोरी हुई थीं। इसके बाद सभी थाना पुलिस को सख्त चेकिंग की हिदायत दी गई थी। मैं 15 जनवरी की रात गुन्नौर इलाके में गश्त पर थी। उस रात घना कोहरा था। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैं और ड्राइवर कार का शीशा डाउन करके यह देख रहे थे कि गाड़ी सड़क पर ठीक चल रही है या नहीं। इसी दौरान एक स्कॉर्पियो और ईको गाड़ी ओवरटेक करके तेजी से आगे निकल गईं। मन में ख्याल आया कि ऐसा कौन ड्राइवर है, जो कोहरे में इतना खतरा मोल लेकर तेजी से गाड़ी भगा रहा है। हमने भी कोई परवाह न करके अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ाई और दोनों ड्राइवरों से रुकने को कहा। वो नहीं रुके और साइड से भाग निकले। यहां हमारा शक और बढ़ गया। मैंने तुरंत रजपुरा थानेदार से रोड के बीच ट्रक लगवा दिया। वो स्कॉर्पियो रोकने में कामयाब रहे, जबकि ईको गाड़ी वाला भाग निकला। इस गाड़ी से हमें साढ़े 11 लाख रुपए कैश और 19 डेबिट कार्ड रिकवर हुए। स्कॉर्पियो में बैठे वाराणसी का रहने वाला ओंकारेश्वर मिश्रा और अमरोहा का रहने वाला अमित निवासी गिरफ्तार किया गया। ओंकारेश्वर मिश्रा के मोबाइल में एक लाख से ज्यादा अलग-अलग लोगों के फोटो और हजारों डॉक्यूमेंट्स मिले, जो बीमा पॉलिसी से जुड़े थे। आरोपी ने बताया, कैसे करते थे पूरा फ्रॉड बीमार व्यक्ति को सिर्फ डॉक्यूमेंट देना है, बाकी काम गैंग करेगा
पुलिस ने जब ओंकारेश्वर मिश्रा से पूछताछ की, तो चौंकाने वाली चीजें सामने आईं। यह गैंग फर्जी बीमा पॉलिसी से जुड़ा था। ओंकारेश्वर ने कबूला- हम फर्स्ट सोल्यूशन सर्विस कंपनी (बीमा पॉलिसी का सर्वे करने वाली कंपनी) में बतौर इन्वेस्टीगेटर काम करते हैं। हम ज्यादातर ऐसे लोगों को ढूंढते हैं, जो गरीब और अनपढ़ होते हैं, काफी बीमार होते हैं। हमें यह लगता है कि अगले कुछ दिनों में वे लोग मर जाएंगे। हम ऐसे परिवारों के पास जाते हैं। उन्हें बताते हैं कि सरकार की फलां स्कीम में कुछ आर्थिक मदद दिला देंगे। चूंकि वो परिवार बेहद गरीब होते हैं, इसलिए जल्द ही हमारे झांसे में आ जाते हैं। उन परिवारों से हम बीमार व्यक्ति की पूरी डिटेल और डॉक्यूमेंट हासिल कर लेते हैं। ओंकारेश्वर ने बताया- सबसे पहले हम आधार कार्ड करेक्शन करने वाले अपने गैंग के मेंबर से उस व्यक्ति का मोबाइल नंबर और एड्रेस बदलवाते हैं। इसके बाद बैंक में फर्जी ढंग से उसका खाता खुलवाते हैं। अब बैंक के सभी OTP उस नंबर पर आते हैं, जो आधार कार्ड में बदलवाया गया है। इन दोनों चीजों के बाद बीमार व्यक्ति की 10, 20, 30 लाख रुपए तक की बीमा पॉलिसी बनवाते हैं। शुरू के एक-दो महीने उसका प्रीमियम भी खुद भरते हैं। इतने में वो व्यक्ति मर भी जाता है, जिसके नाम पॉलिसी चल रही है। ओंकारेश्वर ने बताया- हम ग्राम पंचायतों के सचिवों से साठगांठ करके मनमाफिक मृत्यु प्रमाण पत्र (डेथ सर्टिफिकेट) बनवाते हैं। फिर उसके सहारे बीमा पॉलिसी क्लेम कर देते हैं। अगर पॉलिसी होने के एक-दो महीने में किसी की मौत हो जाती है, तो निश्चित रूप से उस फाइल पर इन्क्वायरी बैठती है। चूंकि हम खुद इन्वेस्टीगेटर (सर्वेयर) हैं, इसलिए रिपोर्ट OK लगा देते हैं। फिर कुछ दिनों में पॉलिसी का पूरा पैसा खाते में आ जाता है। हम जिनके नाम पर पॉलिसी करते हैं, उनके परिवार को पता भी नहीं चलता। मृतक के सारे बैंक डॉक्यूमेंट्स (पासबुक, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर) हमारे पास मौजूद हैं। इसलिए पैसा आने के 24-48 घंटे में ही दो सेल्फ चेक से हम सारा पैसा बैंक से कैश करा लेते हैं। बैंक में भी हमारे मेंबर मौजूद हैं, इसलिए सेल्फ चेक कैश कराने में कोई दिक्कत नहीं आती। 2 साल में 30 करोड़ की सस्पेक्ट पॉलिसी, 70% मौत हार्टअटैक से बताईं IPS ऑफिसर अनुकृति शर्मा बताती हैं- गैंग पकड़ने के बाद हमने सभी 10 बीमा कंपनियों को एक लेटर लिखा। उनसे 2 साल का डेटा मांगा। इसमें सिर्फ उन पॉलिसी की डिटेल्स मांगी गईं, जिसमें बीमा होने और मरने में सिर्फ 1 साल का अंतर हो। डेटा एनालिसिस करने के बाद SBI लाइफ की 7.27 करोड़, PNB मेटलाइफ की 2 करोड़ रुपए से ज्यादा, कैनरा HSBC की 7.44 करोड़ रुपए, इंडिया फर्स्ट की 10.33 करोड़ रुपए, ICICI प्रूडेंशियल लाइफ की 4.50 करोड़ रुपए की बीमा पॉलिसी सस्पेक्टेड पाई गई हैं। बाकी बीमा कंपनियों ने अभी डेटा शेयर नहीं किया है। इनमें करीब 70% लोगों की मौत का कारण हार्टअटैक बताया है। IPS अनुकृति शर्मा बताती हैं… ये बीमा पॉलिसी उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, दिल्ली, बिहार, असम, वेस्ट बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में हुई हैं। यानी नेटवर्क पूरे देश में फैला है। चूंकि ये गैंग 7-8 साल से काम कर रहा है और अभी पुलिस को सिर्फ 2 साल का डेटा मिला है, इसलिए अनुमान है कि फर्जी पॉलिसी की रकम 100 करोड़ से भी पार पहुंच सकती है। अब पीड़ितों की बात घर पर आए, मदद की बात कहकर कागज ले गए
बुलंदशहर जिले के डिबाई थाना क्षेत्र में भीमपुर गांव है। यहां की सुनीता बताती हैं- पति सुभाष की मौत बीमारी की वजह से पिछले साल हुई। मरने से कुछ दिनों पहले ही गांव की आशाकर्मी नीलम हमारे पास आई। उसने कहा कि सरकार से कुछ मदद दिला देंगे। मुझसे सारे डॉक्यूमेंट्स ले गई और वो इंश्योरेंस कंपनी वालों को सौंप दिए। हमें अब पता चल रहा है कि मेरे पति के नाम पर इतने रुपए निकाल लिए गए। ‘मौत के बाद 3 लाख निकाल लिए’
मुरादाबाद के बनियाठेर गांव में रहने वाले सत्यवीर सिंह यादव ने बताया- मैंने अपनी पत्नी सुगरवती का बीमा कराया था। साल, 2021 में बीमारी से उसकी मौत हो गई। जब वो आखिरी सांस ले रही थीं, तब बीमा कंपनी वाले आए। मैं बाहर काम पर था। मेरी बेटी से बीमा कंपनी वाले कागजात, चेकबुक और सभी कागजात ले गए। कुछ कागजों पर दस्तखत कराए और फिंगर प्रिंट ले लिए। उसके बाद वे लोग चले गए। मौत के बाद पत्नी के खाते में आई बीमा की रकम निकाल ली, हमें एक रुपया भी नहीं मिला। ‘पॉलिसी का सारा पैसा हड़प लिया’
संभल जिले के गुरगांव में रहने वाली मीरावती ने बताया- पति सुदामा की साल, 2020 में बीमारी से मौत हो गई थी। जब पति बीमार थे, तभी बीमा वाले घर पर आए। हमें झांसा दिया कि कुछ सरकारी मदद करवा देंगे, बस सारे कागजात दे दो। हमने कागज दे दिए। कुछ कागजों पर पति के अंगूठा भी लगवा लिया। उनकी मौत के बाद पता चला कि बीमा का सारा पैसा कुछ लोगों ने हड़प लिया। कैंसर पेशेंट की मौत के बाद 15 लाख निकाले
बुलंदशहर जिले में पहासू थाना क्षेत्र के अशोक नगर में रहने वाली रुखसार ने बताया- पति असलम कैंसर से पीड़ित थे। बीमारी के दौरान कुछ लोग बीमा कंपनी से होने की बात बताकर घर पर आए। उन्होंने पति का बीमा करके आर्थिक लाभ दिलाने की बात कही और डॉक्यूमेंट्स ले लिए। उन लोगों ने खुद ही पति के नाम पर यश बैंक अनूपशहर में खाता खुलवाया और बीमा के 15 लाख रुपए निकाल लिए। पार्ट-2 में पढ़िए:
मौत के बाद बीमा करने वाला गैंग। इसमें कौन-कौन इन्वॉल्व ? ———————— यह खबर भी पढ़ें… अखिलेश बोले-रामजी सुमन को कुछ हुआ तो योगी जिम्मेदार, करणी सेना पर उनका हाथ, पूरा यूपी गोरखपुर के लोग ही चला रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- अगर राणा सांगा पर दिए बयान को लेकर सांसद रामजी लाल सुमन के साथ कोई घटना होती है तो इसके लिए सीएम खुद जिम्मेदार होंगे। क्योंकि वो खुद उस संगठन (करणी सेना) पर हाथ रखे हैं। उन्होंने कहा कि सीएम ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं। जिस तरह से हिटलर के जमाने में होता था। वही इस सरकार में हो रहा है। एक अंडरग्राउंड फौज तैयार कर रखी है। जो समय-समय पर थाने और तहसील में लोगों को अपमानित कर रही है। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर