यूपी में घर के पास ट्रांसफर के 1 लाख:सरकारी टीचरों की बहाली, फंड, पेंशन के रेट फिक्स; घर में दफ्तर चला रहे बाबू ‘हम 31 मार्च 2024 को शिक्षा विभाग से रिटायर हुए। जिस विभाग में अपनी पूरी जिंदगी खपा दी, आज उसी के बाबू हमें भी नहीं छोड़ रहे। पेंशन के कागज सही कराने के नाम पर मोटा पैसा देना पड़ रहा है।’ ये दर्द है…प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री के जिले एटा के रिटायर शिक्षक श्रीकृष्ण और रामचंद्र का। इनसे पेंशन सही करवाने के नाम पर हजारों रुपए लिए जा चुके हैं। बाबू आए दिन इन्हें काम के लिए ऑफिस के चक्कर लगवा रहे हैं। दैनिक भास्कर ने एटा में शिक्षा विभाग में चल रही धांधली का स्टिंग किया। बाबू घर से दफ्तर चला रहे हैं। रिश्वत का पैसा अफसरों तक पहुंचाने का बाबू का कबूलनामा भी कैमरे में कैद हुआ। बाबू रिटायर टीचर से कह रहा है कि 10 हजार ABSA (सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी) ने लिए हैं। अलीगंज में 15-15 हजार लगे हैं। ABSA और BSA (बेसिक शिक्षा अधिकारी) सभी ने पैसे लिए हैं। बाबू ने ट्रांसफर-पोस्टिंग के रेट फिक्स कर रखे हैं। पढ़िए पूरा स्टिंग… बेसिक शिक्षा विभाग के बाबू ट्रांसफर के नाम पर शिक्षक और फंड-पेंशन के नाम पर रिटायर शिक्षकों से वसूली करते हैं। इस पूरे नेक्सेस को समझने के लिए हम सकीट रोड स्थित BSA दफ्तर पहुंचे। शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों से पता चला कि कर्मचारियों के फंड, पेंशन, सस्पेंड, बहाली का सारा काम बाबू विकास देव और एसके यादव उर्फ सुरवे करते हैं। दफ्तर में वसूली का पूरा खेल बाबू विकास देव और एसके यादव चलाते हैं। विकास देव BSA कार्यालय में तैनात हैं। फिलहाल उप कृषि निदेशक के दफ्तर का काम भी देखते हैं। अब हमारे सामने चुनौती थी इन बाबुओं से मिला कैसे जाए…। थोड़ी मशक्कत करने पर हमें दो रिटायर टीचर रामचंद्र और श्रीकृष्ण मिल गए। ये 31 मार्च 2024 को रिटायर हुए थे। दोनों ने हमें फंड और पेंशन शुरू करवाने के नाम पर हुई वसूली के बारे में बताया। इन शिक्षकों ने फंड और पेंशन निकलवाने के लिए बाबू विकास देव को 20 हजार रुपए प्रति केस के हिसाब से दिए थे। जिसके बाद उनका फंड आ गया, लेकिन पेंशन नहीं आई। हम अगले दिन इन्ही टीचर के साथ बाबू सुरवे और विकास देव से मिलने एटा पहुंचे। हमने खुद को टीचर रामचंद्र और श्रीकृष्ण का परिजन बताया। सस्पेंड शिक्षकों के बहाल होने का रेट क्या है? घर के पास के स्कूल में ट्रांसफर कराना है तो कितना खर्च होगा, ये जानने की कोशिश की। बाबू ने रिपोर्टर को बताई वसूली की कीमत, केस लाने का दिया ऑफर रिपोर्टर: एक अध्यापक है, जो जलेसर से अलीगंज ट्रांसफर करवाना चाहते हैं। विकास देव (बाबू): एटा का अध्यापक होता तो करवा देते। रिपोर्टर: जलेसर भी तो एटा में है। वह अलीगंज के रहने वाले हैं, इसलिए घर के पास में नियुक्ति चाहते हैं। विकास देव (बाबू): हो जाएगा। कोई जलेसर ट्रांसफर करवाने वाला अलीगंज में हो तो बताना, करवा देंगे। रिपोर्टर: कितने पैसे लगेंगे? विकास देव (बाबू): 50 हजार लगेंगे, जिसको जलेसर जाना होगा। दूसरे वाले से भी 50 हजार लगेंगे। कुल 1 लाख रुपए लगेंगे, काम हो जाएगा। रिपोर्टर: एक केस और है अलीगंज का। मेरे दोस्त की चाची सस्पेंड हैं, बहाल होना है। विकास देव (बाबू): कितना समय हो गया है सस्पेंड हुए? रिपोर्टर: एक से डेढ़ महीने हो गया है, बहाली नहीं हो पा रही है। विकास देव (बाबू): बहाल होने से कौन रोक सकता है, सभी काम हो जाएंगे। रिपोर्टर: वहां अलीगंज में 60 हजार मांगे हैं। इतना वो दे नहीं सकतीं। विकास देव (बाबू): तुम उनको लेकर आना, कम हो जाएगा। रिपोर्टर: कितने लगेंगे-कितने कम हो जाएंगे, उनको बताना पड़ेगा। विकास देव (बाबू): 5 से 6 हजार कम हो जाएंगे। पहले केस लेकर आना तब बताते हैं, सभी काम हो जाएंगे। हम समझ चुके थे, सस्पेंड और ट्रांसफर के नाम से कैसे शिक्षा विभाग में वसूली होती है। अब हमने दूसरे बाबू सुरवे को मिलने के लिए फोन किया। बाबू ने बताया जैथरा आए हुए हैं, अभी ABSA के साथ हैं। शाम को 5 बजे दफ्तर पर मुलाकात होगी। इस पर हमारे साथ जो रिटायर अध्यापक थे, उन्होंने बताया वह घर पर ही होंगे, वह दफ्तर कम जाते हैं। एटा में घर के अंदर वसूली का दफ्तर चला रहा बाबू
अब हम एटा में निधौली कला रोड स्थित नगला केवल बाबू सुरवे (एस. के. यादव) के घर पहुंचे। घर के बाहर बोर्ड लगा था- एस. के. यादव, बिल लिपिक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, कार्यालय, एटा। हमारे पहुंचते ही बाबू बाहर निकल आया। फिर हम उसके साथ घर के अंदर पहुंच चुके थे। घर में एक टेबल थी, जिस पर पेपर वेट और कुछ फाइलें रखी थीं। सामने अलमारी में सैकड़ों फाइलें रखी थीं। देखने से अंदाजा लगाया जा सकता था कि जिसको भी इस बाबू से अपना कोई काम करवाना होता है, वो घर पर जाकर संपर्क करता है। इससे पहले इन्ही रिटायर अध्यापकों ने पेंशन के काम के लिए कुछ पैसे सुरवे के घर पर दिए थे। 57 हजार रुपए इनके खाते में ट्रांसफर किए थे। रिटायर अध्यापकों ने बताया ये दफ्तर का पूरा काम घर से ही करते हैं। इन अध्यापकों का चयन वेतनमान कम लगा था, जिसे सही करवाने के लिए वह बिल बाबू से मिलने पहुंचे थे। हम भी इन रिटायर अध्यापकों के साथ मौजूद थे। कैसे होती है बाबुओं के जरिए वसूली? ब्लैकमेलिंग कर अधिकारियों से करवाते हैं काम। पेंशन और सिलेक्शन ग्रेड बढ़वाने की अलग-अलग कीमत है… बिल बाबू और रिटायर टीचर की बातचीत के अंश… रिटायर टीचर: साहब चयन वेतनमान सही करवा दीजिए, आपको 6 हजार की बजाय 8 हजार रुपए दिए थे। सुरवे, बिल बाबू: वो तो दिखवाना पड़ेगा, जैथरा में तो ABSA 10 हजार लेते हैं। रिटायर टीचर: अलीगंज वाले 6 हजार में हुए हैं। सुरवे, बिल बाबू : अलीगंज में ABSA और BSA ने 15-15 हजार रुपए खड़े होकर लिए हैं। रिटायर टीचर: हमको क्यों नहीं बताया? हम भी दे देते, जो सभी देते। सुरवे, बिल बाबू: तुम्हारा काम ABSA रोके हुए हैं। हम काम ले जाते हैं, वो रख लेते (करते नहीं) हैं। हमको 6 पत्रावली दी थीं, 60 हजार उन्होंने (ABSA) ले लिए। मुझे चवन्नी (एक भी पैसा) नहीं दिया। इसी बात को लेकर मेरा ABSA से विवाद हो गया। मुझसे ABSA बोले- तुम्हारे खिलाफ नोटिस बना रहा हूं। हमने कहा- तुम मेरे लिए बनाओगे, मैं तुम्हारे खिलाफ BSA को दूंगा। जिसके बाद हमने ABSA से कहा- तुम्हारी फाइलें हमारे पास भी रहती हैं, तुम पर कार्रवाई तुरंत होगी। ऐसा थोड़ी है, BSA तो मेरी भी सुनेगा। रिटायर टीचर: आप हमारा काम देख लो, कैसे होगा। बताओ कितने पैसे चाहिए। बिल बाबू, सुरवे: अभी हम तुमसे पैसे ले लें, कल आकर के तुम हमारे घर पर चार आदमी ले आओगे, तुम्हारी फाइल मेरे पास रखी है। रिटायर टीचर: आप बताओ बाबू जी, काम नहीं हुआ मेरा, तब भी रुपए ले लिए। बिल बाबू, सुरवे : 20-20 हजार रुपए तुमसे विकास (बाबू) ने ले लिए। पहले तो जड़ पर हम ही बैठे हैं। टीचर की कोई भी फाइल होती है, बाबू ही करता है। रिटायर टीचर: अगर आप ही पहले करवा देते। हमने तुमको भी तो 15-15 हजार दिए थे। सुरवे, बिल बाबू: ये काम विकास नहीं कर पाएंगे, हम ही कर पाएंगे। रिटायर टीचर: 8 हजार आपके पास पहुंच गए। बताओ कितने पैसे और चाहिए? बस मेरा काम करवा दीजिए। सुरवे, बिल बाबू: मुझे नहीं चाहिए। मेरे पास आ गए हैं, विकास ने क्या काम किया? केवल अपने और लेखाधिकारी के दस्तखत करवा दिए। रिटायर टीचर: अब आप बताओ कैसे होगा ये काम? सुरवे, बिल बाबू : उसने रुपए ज्यादा ले लिए, मैं लेखा अधिकारी और बाबू को 5 हजार से ज्यादा नहीं देता। मैं 10 हजार रुपए लेता हूं। आगरा की जिम्मेदारी ली थी, मैं करवा के देता। रिटायर टीचर: हमें कुछ नहीं पता, हमारा सिलेक्शन ग्रेड बढ़ जाएगा? प्रमोशन जुड़ जाए, बताओ कितने पैसे लगेंगे? आप बताओ हम आपसे उसी दिन मिलेंगे। सुरवे, बिल बाबू: इस काम में लगभग 4 से 5 हजार रुपए लग जाएंगे, लेकिन हम तुमको आगरा बात करके बताएंगे। इसके बाद बाबू ने सिलेक्शन ग्रेड, चयन वेतनमान, पेंशन सही करवाने की जिम्मेदारी ले ली। अब हम और रिटायर टीचर बाबू के घर से निकल लिए। एटा में 22 रिटायर कर्मचारियों से 5 लाख से ज्यादा की वसूली इसी साल रिटायर हुए टीचर श्रीकृष्ण और रामचंद्र ने बताया 31 मार्च को एटा से शिक्षा विभाग से 22 लोग रिटायर हुए हैं। जिसमें 21 टीचर और हेडमास्टर, एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं। रिटायर हुए सभी कर्मचारियों से फंड निकलवाने से लेकर पेंशन शुरू करवाने के नाम पर 25- 25 हजार रुपए की वसूली इन बाबुओं ने की है। पूरे मामले में बीएसए का पक्ष जानने के लिए कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने पिक नहीं किया। मैसेज का भी रिप्लाई नहीं दिया। ये भी पढ़ें… टीचर स्कूल नहीं जाते, अफसरों को पहुंचाते हैं रुपए:यूपी में शिक्षा मंत्री के जिलों के टीचर पढ़ाना छोड़, ईंट-भट्ठा, ट्रांसपोर्ट और कॉलेज चला रहे यूपी में कुछ सरकारी टीचर ईंट-भट्ठा, ट्रांसपोर्ट और हॉस्पिटल चलाने से लेकर डिग्री कॉलेज खोलकर नकल कराने का ठेका ले रहे हैं। रसूख और पैसों के आगे सारे सरकारी कायदे-कानून ताक पर रख दिए। जिस पढ़ाई के लिए सरकार से सैलरी ले रहे, सिर्फ वही काम नहीं कर रहे। मतलब, टीचर की जगह बिजनेसमैन बन गए। पढ़ें पूरी खबर…