<p style=”text-align: justify;”><strong>SC ST Reservation:</strong> सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के संबंध में एक अहम फैसला सुनाया था. कोर्ट का यह फैसला 6-1 के बहुमत से सुनाया था. जिसमें यह कहा गया था कि कम सुविधा पाने वाले कई जातियां है जो अभी भी आरक्षण मिलने के बाद भी पीछे रह गई हैं. इन सभी जातियों को कैटेगरी के तहत आगे बढ़ाया जा सकता है. वहीं अब आरक्षण को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा-“किसी भी प्रकार के आरक्षण का मूल उद्देश्य उपेक्षित समाज का सशक्तीकरण होना चाहिए, न कि उस समाज का विभाजन या विघटन, इससे आरक्षण के मूल सिद्धांत की ही अवहेलना होती है. अनगिनत पीढ़ियों से चले आ रहे भेदभाव और मौकों की गैर-बराबरी की खाई चंद पीढ़ियों में आए परिवर्तनों से पाटी नहीं जा सकती. ‘आरक्षण’ शोषित, वंचित समाज को सशक्त और सबल करने का सांविधानिक मार्ग है, इसी से बदलाव आएगा, इसके प्रावधानों को बदलने की आवश्यकता नहीं है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने लिखा-“भाजपा सरकार हर बार अपने गोलमोल बयानों और मुक़दमों के माध्यम से आरक्षण की लड़ाई को कमज़ोर करने की कोशिश करती है, फिर जब पीडीए के विभिन्न घटकों का दबाव पड़ता है, तो दिखावटी सहानुभूति दिखाकर पीछे हटने का नाटक करती है. भाजपा की अंदरूनी सोच सदैव आरक्षण विरोधी रही है. इसीलिए भाजपा पर से 90% पीडीए समाज का भरोसा लगातार गिरता जा रहा है. आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा की विश्वसनीयता शून्य हो चुकी है. पीडीए के लिए ‘संविधान’ संजीवनी है, तो ‘आरक्षण’ प्रायवायु!”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अगस्त के फैसले में कहा था, “राज्यों के पास अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण का सार्वभौमिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण मिल सके, जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि मर्जी और राजनीतिक लाभ के आधार पर.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एजेंसी इनपुट के साथ</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें:<strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/uttarkashi-villagers-risking-lives-travelling-heavy-rain-temporary-bridge-washed-away-ann-2758547″> उत्तरकाशी: जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे ग्रामीण, भारी बारिश में बह गई थी अस्थायी पुलिया</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>SC ST Reservation:</strong> सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के संबंध में एक अहम फैसला सुनाया था. कोर्ट का यह फैसला 6-1 के बहुमत से सुनाया था. जिसमें यह कहा गया था कि कम सुविधा पाने वाले कई जातियां है जो अभी भी आरक्षण मिलने के बाद भी पीछे रह गई हैं. इन सभी जातियों को कैटेगरी के तहत आगे बढ़ाया जा सकता है. वहीं अब आरक्षण को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा-“किसी भी प्रकार के आरक्षण का मूल उद्देश्य उपेक्षित समाज का सशक्तीकरण होना चाहिए, न कि उस समाज का विभाजन या विघटन, इससे आरक्षण के मूल सिद्धांत की ही अवहेलना होती है. अनगिनत पीढ़ियों से चले आ रहे भेदभाव और मौकों की गैर-बराबरी की खाई चंद पीढ़ियों में आए परिवर्तनों से पाटी नहीं जा सकती. ‘आरक्षण’ शोषित, वंचित समाज को सशक्त और सबल करने का सांविधानिक मार्ग है, इसी से बदलाव आएगा, इसके प्रावधानों को बदलने की आवश्यकता नहीं है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने लिखा-“भाजपा सरकार हर बार अपने गोलमोल बयानों और मुक़दमों के माध्यम से आरक्षण की लड़ाई को कमज़ोर करने की कोशिश करती है, फिर जब पीडीए के विभिन्न घटकों का दबाव पड़ता है, तो दिखावटी सहानुभूति दिखाकर पीछे हटने का नाटक करती है. भाजपा की अंदरूनी सोच सदैव आरक्षण विरोधी रही है. इसीलिए भाजपा पर से 90% पीडीए समाज का भरोसा लगातार गिरता जा रहा है. आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा की विश्वसनीयता शून्य हो चुकी है. पीडीए के लिए ‘संविधान’ संजीवनी है, तो ‘आरक्षण’ प्रायवायु!”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अगस्त के फैसले में कहा था, “राज्यों के पास अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण का सार्वभौमिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण मिल सके, जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि मर्जी और राजनीतिक लाभ के आधार पर.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एजेंसी इनपुट के साथ</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें:<strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/uttarkashi-villagers-risking-lives-travelling-heavy-rain-temporary-bridge-washed-away-ann-2758547″> उत्तरकाशी: जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे ग्रामीण, भारी बारिश में बह गई थी अस्थायी पुलिया</a></strong></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर में BJP ने क्या गलती की? पार्टी नेता श्याम लाल शर्मा ने खुद बताया