मूल रुप से यूपी निवासी और अबोहर के बुर्ज मुहार रोड़ पर रहने वाले 10वीं कक्षा के छात्र ने आज दोपहर संदिग्ध कारणों के चलते घर में ही फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना का पता तब चला जब उसके दो दोस्त उसे बजार ले जाने के लिए बुलाने घर पहुंचे, लेकिन वह फंदे पर झूलता मिला। घटना की सूचना पुलिस व परिजनों को दे दी गई है। जानकारी के अनुसार, 16 वर्षीय राहुल (काल्पनिक नाम) अपनी मां के साथ इसी रोड़ पर एक गोदाम में बने कमरे में रहते हुए गोदाम की रखवाली करते हैं, जबकि उनका बाकी परिवार यूपी में रहता है। राहुल शहर के एक निजी सकूल में दसवीं का छात्र है। उसकी मां छावनी में मजूदरी कर परिवार का पालन पोषण करती है। दो घंटे बाद ही लौट आया घर राहुल आज सुबह करीब 7 बजे मां को स्कूल में पेपर फीस भरने के लिए 100 रुपए लेकर चला गया था। जिसके बाद उसकी मां भी काम पर चली गई। राहुल हमेशा दोपहर को छुट्टी के समय घर आकर सो जाता है, लेकिन आज वह साढे़ 9 बजे ही घर वापस लौट आया। इधर, दोपहर करीब साढे़ तीन बजे उसके दो दोस्त उसे बाजार ले जाने के लिए बुलाने आए, जिन्होंने दरवाजा खटकाया और फोन भी किया। लेकिन उसने फोन ना उठाया तो दोनों युवक गेट से कूदकर अंदर गए तो राहुल पंखे पर फंदे से लटक रहा था। यह देख वह सहम गए और इसकी सूचना उसकी मां व शहर में ही रहते उसके जीजा को दी। पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया मृतक की मां व उसका जीजा भी मौके पर पहुंच गए और सिटी वन पुलिस को सूचित किया। जिस पर एएसआई कुलंविंदर सिंह पुलिस टीम सहित पहुंचे और नर सेवा नारायण सेवा समिति सदस्यों बिटटू नरूला, चरणजीत व सोनू ग्रोवर की मदद से शव को उतरवाकर अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया। पुलिस ने मृतक का मोबाइल कब्जे में ले लिया, जिसके आधार पर मृतक के मरने के कारणों का पता लगाया जाएगा। मूल रुप से यूपी निवासी और अबोहर के बुर्ज मुहार रोड़ पर रहने वाले 10वीं कक्षा के छात्र ने आज दोपहर संदिग्ध कारणों के चलते घर में ही फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना का पता तब चला जब उसके दो दोस्त उसे बजार ले जाने के लिए बुलाने घर पहुंचे, लेकिन वह फंदे पर झूलता मिला। घटना की सूचना पुलिस व परिजनों को दे दी गई है। जानकारी के अनुसार, 16 वर्षीय राहुल (काल्पनिक नाम) अपनी मां के साथ इसी रोड़ पर एक गोदाम में बने कमरे में रहते हुए गोदाम की रखवाली करते हैं, जबकि उनका बाकी परिवार यूपी में रहता है। राहुल शहर के एक निजी सकूल में दसवीं का छात्र है। उसकी मां छावनी में मजूदरी कर परिवार का पालन पोषण करती है। दो घंटे बाद ही लौट आया घर राहुल आज सुबह करीब 7 बजे मां को स्कूल में पेपर फीस भरने के लिए 100 रुपए लेकर चला गया था। जिसके बाद उसकी मां भी काम पर चली गई। राहुल हमेशा दोपहर को छुट्टी के समय घर आकर सो जाता है, लेकिन आज वह साढे़ 9 बजे ही घर वापस लौट आया। इधर, दोपहर करीब साढे़ तीन बजे उसके दो दोस्त उसे बाजार ले जाने के लिए बुलाने आए, जिन्होंने दरवाजा खटकाया और फोन भी किया। लेकिन उसने फोन ना उठाया तो दोनों युवक गेट से कूदकर अंदर गए तो राहुल पंखे पर फंदे से लटक रहा था। यह देख वह सहम गए और इसकी सूचना उसकी मां व शहर में ही रहते उसके जीजा को दी। पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया मृतक की मां व उसका जीजा भी मौके पर पहुंच गए और सिटी वन पुलिस को सूचित किया। जिस पर एएसआई कुलंविंदर सिंह पुलिस टीम सहित पहुंचे और नर सेवा नारायण सेवा समिति सदस्यों बिटटू नरूला, चरणजीत व सोनू ग्रोवर की मदद से शव को उतरवाकर अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया। पुलिस ने मृतक का मोबाइल कब्जे में ले लिया, जिसके आधार पर मृतक के मरने के कारणों का पता लगाया जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अमृतधारी सिख को दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर रोका:कृपाण के साथ नहीं जाने दिया, एसजीपीसी प्रधान बोले- संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन
अमृतधारी सिख को दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर रोका:कृपाण के साथ नहीं जाने दिया, एसजीपीसी प्रधान बोले- संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन दिल्ली के झिलमिल मेट्रो स्टेशन पर सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) के एक कर्मचारी ने अमृतधारी सिख को कृपाण के साथ सफर करने से रोक दिया। शिकायत दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरमीत सिंह कालका के पास पहुंची तो उन्होंने वीडियो पोस्ट कर ऐतराज जाताया। एसजीपीसी और AAP सांसद मलविंदर सिंह कंग ने इसका विरोध जताया है। एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरमीत सिंह कालका ने कहा कि एक अमृतधारी सिख को कृपाण के साथ मेट्रो में प्रवेश से रोके जाने की घटना ने धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने इस घटना की निंदा करते हुए इसे भारत के संविधान की अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताया। घटना दिल्ली के झिलमिल मेट्रो स्टेशन पर तब हुई, जब एक अमृतधारी सिख को कृपाण धारण करने के कारण मेट्रो स्टेशन में प्रवेश करने से रोका गया। सीआईएसएफ के एक कर्मचारी ने सुरक्षा नियमों का हवाला देते हुए उन्हें रोक दिया। सिख ने बताया 6 इंच से छोटी है कृपाण झिलमिल रेलवे स्टेशन पर रोजाना सफर करने वाले सिख व्यक्ति ने बताया कि उनकी कृपाण 6 इंच से छोटी है और नियमों अनुसार इसे ले जा सकते हैं। लेकिन सुरक्षाकर्मी ने इसकी इजाजत नहीं दी। जिसके बाद इस पूरी घटना की वीडियो बनाई, और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी तक पहुंचाई। एडवोकेट धामी ने कहा संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यह घटना न केवल संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं पर हमला है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करने की स्वतंत्रता देता है। अमृतधारी सिखों के लिए पांच ककार (कड़ा, कृपाण, केश, कंघा और कच्छा) धारण करना अनिवार्य है, जिसे भारतीय संविधान भी मान्यता देता है। पिछले मामलों पर भी जताई नाराजगी हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें हवाई अड्डों पर अमृतधारी सिख कर्मचारियों को कृपाण पहनने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी। एसजीपीसी ने इस फैसले पर सख्त आपत्ति जताई थी। एडवोकेट धामी ने केंद्र और दिल्ली सरकार से तुरंत कार्रवाई करने की अपील की। उन्होंने कहा कि दोषी कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि अमृतधारी सिखों को कृपाण पहनने के कारण किसी भी प्रकार का भेदभाव न सहना पड़े। उन्होंने गृह मंत्रालय से इस मुद्दे पर तुरंत हस्तक्षेप करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की।
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पटियाला में चोरी कर बनाई आलीशान कोठी:पुलिस ने गिरोह समेत पकड़ा, 6 महीने में 100 वारदात, स्विफट कार से लाता था माल राज्य के अलग-अलग जिलों में रात के समय दुकानों के शटर तोड़कर 100 चोरियां कर आलीशान कोठी तैयार करवा रहा एक आरोपी को गिरोह के तीन अन्य सदस्यों के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। पटियाला में एक महीने से चोरियां करने के बाद यह गिरोह संगरूर निकल गया था, लेकिन वहां पर संगरूर पुलिस ने इन चारों आरोपियों को अरेस्ट कर लिया। डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि गिरोह का हेड रवि फिरोजपुर के अजीत नगर का रहने वाला है। उसने कालोनी के रहने वाले जगसीर सिंह जग्गा, मनी और कर्मवीर राम उर्फ सोनू को गिरोह में शामिल करने के बाद छह महीने में 100 वारदातें कर डाली। चोरी करने के बाद आरोपी रवि अन्य मेंबरों को छह से सात हजार रुपए कैश देता था और दावा करता था कि इन लोगों को घर बनवाकर देगा। स्विफ्ट कार में करते थे वारदातें रवि कुमार के पास स्विफट कार थी, जिसे चोरी में इस्तेमाल किया जाता था। दुकानों के ताले तोड़ने के बाद यहां से उतना ही सामान चोरी करते थे, जितना स्विफ्ट कार में रख सके। एसएसपी संगरूर सरताज सिंह चहल और उनकी टीम ने इस गिरोह से दो स्विफ्ट कार, 70 किलो भारतीय सिक्के, चोरी में यूज होने वाले औजार, नकली नंबर प्लेट्स रिकवर किए हैं। रवि इन चोरी के पैसों से जेल में बंद अपने भाई राजू उर्फ जोनी के नाम पर गोविंद एनक्लेव में आलीशान कोठी तैयार करवा रहा था। आरोपी कर्मवीर 37 साल का पांचवी फेल, जगसीर सिंह 42 साल का अनपढ़ और मनी 25 साल का अनपढ़ है। जिन्होंने पैसों के लालच में रवि का साथ देना शुरू कर दिया था। प्रॉपर्टी सीज के लिए डीसी फिरोजपुर को लेटर लिखा डीआईजी ने कहा कि फिरोजपुर में आरोपी रवि की पत्नी व रवि के नाम पर दो बैंक खाते में मिले हैं। रवि के खातों में दो लाख रुपए थे और सभी बैंक खाते फ्रीज करवा दिए हैं। रवि व उसके भाई के नाम पर बन रही प्रापर्टी को केस के साथ अटैच करने के लिए डीसी फिरोजपुर को लेटर लिखा गया है। इन जिलों में वारदातें की हैआरोपियों ने संगरूर, पटियाला, बठिंडा, बरनाला, मलेरकोटला, खन्ना, फतेहगढ़ साहिब, रूपनगर, नवां शहर, होशियारपुर,कपूरथला,जालंधर में 100 दुकानों में चोरी की वारदात की है। आरोपी रवि के खिलाफ 17 केस, करमवीर के खिलाफ 14, जगसीर के खिलाफ 4 केस दर्ज होने का रिकार्ड मिला है जबकि कर्मवीर आठ केसों में भगौड़ा करार है।
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पंजाब में जूनियर खिलाड़ी भी नौकरी के हकदार:नौकरियों में कटौती का संशोधन खारिज, कहा- ऐसे नियमों को लागू नहीं किया जा सकता पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब खिलाड़ी भर्ती (प्रथम संशोधन) नियम, 2020 के उस विवादास्पद प्रावधान को खारिज कर दिया है, जिसमें खेल कोटे के तहत सरकारी नौकरियों के लिए पात्रता को केवल सीनियर स्तर के खिलाड़ियों तक सीमित करने की कोशिश की गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जूनियर स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी पाने का पूरा अधिकार है, जिसे किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 2020 के संशोधन को दी थी चुनौती जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की बैंच ने अपने आदेश में कहा कि 2020 में किए गए संशोधित नियमों को उन एथलीटों पर लागू नहीं किया जा सकता जो मूल भर्ती नियम, 1988 के तहत पात्र हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे नियम खिलाड़ियों के करियर को प्रभावित कर सकते हैं, जो राज्य के लिए सम्मान अर्जित करते हैं। कोर्ट ने यह फैसला दिवराज सिंह, मनवीर सिंह और करणदीप सिंह ढींडसा द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुनाया, जिन्होंने नियम 2020 के संशोधन को चुनौती दी थी। इस महत्वपूर्ण फैसले से यह सुनिश्चित हुआ है कि जूनियर स्तर के खिलाड़ियों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा और वे भी अपनी मेहनत और प्रतिभा के आधार पर सरकारी नौकरी के हकदार रहेंगे। कोर्ट का यह फैसला उन हजारों युवा खिलाड़ियों के लिए राहत की खबर है, जो भविष्य में सरकारी नौकरियों की आशा रखते हैं।