अब्बास अंसारी कब तक जेल में रहेगा-सुप्रीम कोर्ट का सवाल:मऊ विधायक को 4 शर्तों के साथ जमानत मिली; होली के बाद रिहाई

अब्बास अंसारी कब तक जेल में रहेगा-सुप्रीम कोर्ट का सवाल:मऊ विधायक को 4 शर्तों के साथ जमानत मिली; होली के बाद रिहाई

माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर सीट से विधायक अब्बास अंसारी को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में 6 हफ्ते की अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अब्बास अंसारी की दायर जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जिसके बाद अदालत ने यह फैसला दिया। अब अब्बास अंसारी की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि 4 शर्तें भी लगाई हैं। जैसे- सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अब्बास अंसारी के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की डबल बेंच ने कहा, अब्बास अंसारी को कोर्ट की शर्तों का पालन करना होगा। वह ट्रायल कोर्ट के स्पेशल जज की बिना अनुमति के उत्तर प्रदेश नहीं छोड़ सकते। उन्हें लखनऊ में अपने आवास पर रहना होगा। अगर अब्बास अंसारी मऊ में अपने निर्वाचन क्षेत्र जाना चाहते हैं, तो ट्रायल कोर्ट और जिला पुलिस से अनुमति लेनी होगी। किसी भी अदालत में पेशी से पहले स्थानीय पुलिस को 24 घंटे पहले जानकारी देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, गैंगस्टर एक्ट के मौजूदा मामले को छोड़कर बाकी सभी आपराधिक मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
अब्बास अंसारी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें रखी। कहा, ‘मेरे खिलाफ दर्ज सभी मामलों में या तो मुझे जमानत मिल चुकी है या फिर चार्जशीट/आदेश को खारिज कर दिया गया है। अगर मैंने वास्तव में वह अपराध किए होते, जिनका आरोप लगाया जा रहा है, तो अदालतें बार-बार जमानत कैसे दे सकती थीं?’ इस पर कोर्ट ने कहा, ‘जमानत देने का इससे कोई लेना-देना नहीं है।’ फिर अंसारी की ओर से कहा गया, ‘वे कह रहे हैं कि मैं चित्रकूट में गैंग चला रहा हूं, जबकि मैं 450 किलोमीटर दूर कासगंज की जेल में बंद हूं।’ कोर्ट में सरकार का पक्ष एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने रखा। उन्होंने कहा, ‘अब्बास अंसारी का आचरण देखें। हो सकता है कि उन्हें अन्य मामलों में जमानत मिली हो, लेकिन यह मामला गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज है। वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। 1-2 मुख्य गवाहों की अभी गवाही होनी बाकी है। वे केवल यह तर्क देकर जमानत नहीं मांग सकते कि अन्य मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है।’ एएसजी ने कहा, ‘वह समाज के लिए एक खतरा हैं। कम से कम हमें मुख्य गवाहों से पूछताछ तो करने दें।’ इस पर कोर्ट ने कहा, ‘आप उन्हें कितने समय तक जेल में रखेंगे? हम आप पर जल्दबाजी करने का दबाव भी नहीं डालना चाहते कि आप एक महीने में जांच पूरी करें, क्योंकि इससे जांच प्रभावित हो सकती है।’ 4 नवंबर, 2022 से जेल में अब्बास अंसारी अब्बास को 4 नवंबर, 2022 को एक अन्य आपराधिक मामले में हिरासत में लिया गया था। लेकिन गैंगस्टर एक्ट के तहत उन्हें 6 सितंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया। अब्बास अंसारी के खिलाफ 31 अगस्त 2024 को चित्रकूट जिले के कोतवाली करवी में यूपी गैंगस्टर एंड एंटी सोशल एक्ट 1986 की धारा 2 और 3 के तहत एफआईआर दर्ज गई थी। इस मामले में अब्बास अंसारी के अलावा नवनीत सचान, नियाज अंसारी, फराज़ खान और शहबाज आलम खान को भी आरोपी बनाया गया था। इन पर रंगदारी वसूलने और मारपीट करने के आरोप हैं। वह सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के टिकट पर चुनाव जीते थे। अब्बास अंसारी के हाईकोर्ट के वकील सौभाग्य मिश्रा ने बताया कि कोर्ट ने अग्रिम जमानत कुछ शर्तों के साथ मंजूर की है। इस फैसले से अब्बास अंसारी को बड़ी राहत मिली है। वह होली के बाद जेल से बाहर आ सकेंगे। कोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तों का पालन करना उनके लिए अनिवार्य होगा। पत्नी निखत के पकड़े जाने के बाद बदली गई थी जेल
चित्रकूट जिला जेल से विधायक अब्बास अंसारी को 16 फरवरी, 2023 को कड़ी सुरक्षा के बीच कासगंज जेल के लिए रवाना किया गया। विधायक को बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से छह गाड़ियों के काफिले के साथ भेजा गया था। उसकी निगरानी के लिए 50 से अधिक पुलिसकर्मी को लगाया गया था। जेल में नियमों के खिलाफ विधायक से उसकी पत्नी निखत के पकड़े जाने के बाद से ही विधायक की जेल को बदला गया था। कारागार राज्यमंत्री धर्मवीर प्रजापति ने विधायक अब्बास अंसारी को कासगंज जेल भेजने के निर्देश दिए थे। ————— ये भी पढ़ें… कुंभ का बहिष्कार करना कांग्रेस की समझदारी नहीं: हिंदू धर्म का सम्मान करने के लिए आपको हिंदू होने की जरूरत नहीं महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई थी। यह भारत की लगभग आधी आबादी है। लेकिन महाकुंभ का बहिष्कार करके इंडिया गठबंधन ने न तो राजनीतिक समझदारी दिखाई और न ही भारत के 110 करोड़ हिंदुओं के प्रति सम्मान जताया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो कुंभ से पूरे समय गैर-हाजिर रहे थे। हालांकि कुछ अन्य कांग्रेस नेता महाकुंभ को नजरअंदाज करने के कांग्रेस के हाईकमान के अलिखित फरमान की अवहेलना करते हुए प्रयागराज पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर… माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर सीट से विधायक अब्बास अंसारी को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में 6 हफ्ते की अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अब्बास अंसारी की दायर जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जिसके बाद अदालत ने यह फैसला दिया। अब अब्बास अंसारी की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि 4 शर्तें भी लगाई हैं। जैसे- सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अब्बास अंसारी के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की डबल बेंच ने कहा, अब्बास अंसारी को कोर्ट की शर्तों का पालन करना होगा। वह ट्रायल कोर्ट के स्पेशल जज की बिना अनुमति के उत्तर प्रदेश नहीं छोड़ सकते। उन्हें लखनऊ में अपने आवास पर रहना होगा। अगर अब्बास अंसारी मऊ में अपने निर्वाचन क्षेत्र जाना चाहते हैं, तो ट्रायल कोर्ट और जिला पुलिस से अनुमति लेनी होगी। किसी भी अदालत में पेशी से पहले स्थानीय पुलिस को 24 घंटे पहले जानकारी देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, गैंगस्टर एक्ट के मौजूदा मामले को छोड़कर बाकी सभी आपराधिक मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
अब्बास अंसारी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें रखी। कहा, ‘मेरे खिलाफ दर्ज सभी मामलों में या तो मुझे जमानत मिल चुकी है या फिर चार्जशीट/आदेश को खारिज कर दिया गया है। अगर मैंने वास्तव में वह अपराध किए होते, जिनका आरोप लगाया जा रहा है, तो अदालतें बार-बार जमानत कैसे दे सकती थीं?’ इस पर कोर्ट ने कहा, ‘जमानत देने का इससे कोई लेना-देना नहीं है।’ फिर अंसारी की ओर से कहा गया, ‘वे कह रहे हैं कि मैं चित्रकूट में गैंग चला रहा हूं, जबकि मैं 450 किलोमीटर दूर कासगंज की जेल में बंद हूं।’ कोर्ट में सरकार का पक्ष एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने रखा। उन्होंने कहा, ‘अब्बास अंसारी का आचरण देखें। हो सकता है कि उन्हें अन्य मामलों में जमानत मिली हो, लेकिन यह मामला गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज है। वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। 1-2 मुख्य गवाहों की अभी गवाही होनी बाकी है। वे केवल यह तर्क देकर जमानत नहीं मांग सकते कि अन्य मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है।’ एएसजी ने कहा, ‘वह समाज के लिए एक खतरा हैं। कम से कम हमें मुख्य गवाहों से पूछताछ तो करने दें।’ इस पर कोर्ट ने कहा, ‘आप उन्हें कितने समय तक जेल में रखेंगे? हम आप पर जल्दबाजी करने का दबाव भी नहीं डालना चाहते कि आप एक महीने में जांच पूरी करें, क्योंकि इससे जांच प्रभावित हो सकती है।’ 4 नवंबर, 2022 से जेल में अब्बास अंसारी अब्बास को 4 नवंबर, 2022 को एक अन्य आपराधिक मामले में हिरासत में लिया गया था। लेकिन गैंगस्टर एक्ट के तहत उन्हें 6 सितंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया। अब्बास अंसारी के खिलाफ 31 अगस्त 2024 को चित्रकूट जिले के कोतवाली करवी में यूपी गैंगस्टर एंड एंटी सोशल एक्ट 1986 की धारा 2 और 3 के तहत एफआईआर दर्ज गई थी। इस मामले में अब्बास अंसारी के अलावा नवनीत सचान, नियाज अंसारी, फराज़ खान और शहबाज आलम खान को भी आरोपी बनाया गया था। इन पर रंगदारी वसूलने और मारपीट करने के आरोप हैं। वह सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के टिकट पर चुनाव जीते थे। अब्बास अंसारी के हाईकोर्ट के वकील सौभाग्य मिश्रा ने बताया कि कोर्ट ने अग्रिम जमानत कुछ शर्तों के साथ मंजूर की है। इस फैसले से अब्बास अंसारी को बड़ी राहत मिली है। वह होली के बाद जेल से बाहर आ सकेंगे। कोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तों का पालन करना उनके लिए अनिवार्य होगा। पत्नी निखत के पकड़े जाने के बाद बदली गई थी जेल
चित्रकूट जिला जेल से विधायक अब्बास अंसारी को 16 फरवरी, 2023 को कड़ी सुरक्षा के बीच कासगंज जेल के लिए रवाना किया गया। विधायक को बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से छह गाड़ियों के काफिले के साथ भेजा गया था। उसकी निगरानी के लिए 50 से अधिक पुलिसकर्मी को लगाया गया था। जेल में नियमों के खिलाफ विधायक से उसकी पत्नी निखत के पकड़े जाने के बाद से ही विधायक की जेल को बदला गया था। कारागार राज्यमंत्री धर्मवीर प्रजापति ने विधायक अब्बास अंसारी को कासगंज जेल भेजने के निर्देश दिए थे। ————— ये भी पढ़ें… कुंभ का बहिष्कार करना कांग्रेस की समझदारी नहीं: हिंदू धर्म का सम्मान करने के लिए आपको हिंदू होने की जरूरत नहीं महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई थी। यह भारत की लगभग आधी आबादी है। लेकिन महाकुंभ का बहिष्कार करके इंडिया गठबंधन ने न तो राजनीतिक समझदारी दिखाई और न ही भारत के 110 करोड़ हिंदुओं के प्रति सम्मान जताया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो कुंभ से पूरे समय गैर-हाजिर रहे थे। हालांकि कुछ अन्य कांग्रेस नेता महाकुंभ को नजरअंदाज करने के कांग्रेस के हाईकमान के अलिखित फरमान की अवहेलना करते हुए प्रयागराज पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर